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भाग 34 – वी आर वी सिंह

भूले बिसरे खिलाड़ी – 34

भाग 34 – वी आर वी सिंह

प्रस्तुति -विपुल मिश्रा

परिचय

भारत के दायें हाथ के तेज गेंदबाज विक्रम राजवीर सिंह उर्फ वी आर वी सिंह के बारे में आप जब जानने उतरेंगे तो आपको कुछ दिलचस्प बातें पता चलेंगी। जैसे वीरेंद्र सहवाग और महेंद्र सिंह धोनी  एक साथ भारत के लिये एक सलामी जोड़ी के रूप में खेले हैं, जहां वीरू उस टीम के कप्तान थे। भारत 2007 में पहली बार जब दक्षिण अफ्रीका में कोई टेस्ट मैच जीता तो वीआरवी सिंह उस भारतीय टीम के सदस्य थे।श्रीसंथ ने जब आंद्रे नेल पर छक्का मारने के बाद डांस किया था,वीआरवी सिंह वो टेस्ट खेले थे और शॉन पोलॉक ने जिस टेस्ट मैच में 400 टेस्ट विकेट का आंकड़ा छुआ, वीआरवी सिंह उस टेस्ट में भारतीय टीम के प्रमुख गेंदबाजों में से एक थे।

प्रारंभ

वीआरवी सिंह ने 2003 -04 के रणजी सीजन में जनवरी 2004 में हिमांचल प्रदेश के खिलाफ लिस्ट ए (घरेलू एकदिवसीय मैच) में पंजाब की ओर से पदार्पण किया था जिसमें इन्हें कोई विकेट नहीं मिला था।

2004 में हुये अंडर 19 विश्वकप में भी ये भारत के लिये चुने गये , लेकिन मात्र एक मैच खेल पाये और उसमें भी कोई विकेट नहीं लिया।

इसी साल इन्हें बीसीसीआई ने बॉर्डर गावस्कर छात्रवृति के लिये पात्र माना और ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट एकादमी में प्रशिक्षण हेतु भेजे भी गये। टी 20 विश्वकप विजेता भारतीय टीम के सदस्य बायें हाथ के तेज गेंदबाज आरपी सिंह भी इस बॉर्डर गावस्कर छात्रवृति में वीआरवी सिंह के साथी थे।

2004 -05 के रणजी सीजन में वीआरवी सिंह को पंजाब के लिये प्रथम श्रेणी मैचों पदार्पण का मौका मिला। पहला मैच यूपी के खिलाफ खेले।अपने पहले 6 प्रथम श्रेणी मैचों में वीआरवी सिंह के 21 के औसत से 30 विकेट थे। पूरे सीजन में सात रणजी ट्रॉफी मैच खेले, जिसमें वीआरवी सिंह ने 20.67 की औसत से 34 विकेट लिए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 75 रन देकर 7 विकेट था।

हालांकि घरेलू एकदिवसीय मैचों में वीआरवी सिंह का प्रदर्शन बिलकुल खास नहीं था , पर फिर भी 2005 में बीसीसीआई ने वीआरवी सिंह को चैलेंजर ट्रॉफी में चुना। वीआरवी सिंह भारत ए के लिये खेले।2005 में मोहाली में चैलेंजर ट्रॉफी में, वीआरवी ने भारत बी के खिलाफ तीन और भारत के खिलाफ दो विकेट लिए। और फिर 2005 के अंत में वीआरवी सिंह को श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला के लिये चुना गया, पर ये मैच के पहले ही घायल हो गये और इन्हें वापस आना पड़ा।

वीआरवी सिंह को श्रीनाथ ने उस वक्त का सबसे तेज गेंदबाज माना था , लक्ष्मण भी इनसे प्रभावित थे और बीसीसीआई इनपर भरोसा करती थी तो इनका पुनर्वास कार्यक्रम अच्छे से हुआ।

एकदिवसीय पदार्पण

2006 में जब इंग्लैंड की टीम भारत आई तो बोर्ड अध्यक्ष एकादश की टीम का इंग्लैंड से एक प्रथम श्रेणी मैच हुआ था। वीआरवी सिंह उसमें खिलाये गये थे। इंग्लैंड के इसी भारत दौरे पर वीआरवी सिंह को अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने को मिला।जमशेदपुर में 12 अप्रैल 2006 को।

वीआरवी सिंह के इस पहले वनडे मैच में भारत ने टॉस जीता और पहले खेलते हुये 48 ओवरों में 223 रन बनाये पर इंग्लैंड ने 43वें ओवर में ही 5 विकेट पर 227 रन बना कर मैच जीत लिया। वीआरवी सिंह ने 13 गेंदों पर 8 रन बनाये थे और गेंदबाजी में 5 ओवर में 33 रन दिये थे। न कोई विकेट लिया था, न मेडन फेंका था।

इस जमशेदपुर भारत बनाम इंग्लैंड की कुछ खास बातें ये थीं कि वीरेंद्र सहवाग कप्तान थे और महेंद्र सिंह धोनी इनके साथ ओपनर के तौर पर उतरे थे। धोनी ने 96 रन बनाये थे और ऑफ स्पिनर रमेश पोवार ने भी 54 रन बनाये थे। वेणुगोपाल राव भी ये मैच खेले थे।

वीआरवी सिंह का दूसरा एकदिवसीय मैच 15 अप्रैल 2006 को इन्दौर में इंग्लैंड के ही खिलाफ था।

इंग्लैंड ने पहले खेलते हुये केविन पीटरसन और पॉल कोलिंगवुड के अर्धशतकों की मदद से 288 रन बनाये, पर भारत ने रॉबिन उथप्पा, राहुल द्रविड़, युवराज सिंह और सुरेश रैना के अर्धशतकों की मदद से 289 रन बना कर मुकाबला 7 विकेट से जीत लिया।

इस मैच में वीआरवी सिंह के आंकड़े 7-0-72-0 थे।

जबकि श्रीसंथ ने 10-1-55-6 के आंकड़े के साथ मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता। ये वीआरवी सिंह का अंतिम अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय मैच था।

टेस्ट पदार्पण

भारत की टीम जून 2006 में वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी और पहले ही टेस्ट में 2 जून 2006 को वीआरवी सिंह को सेंट जॉन्स में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट पदार्पण का मौका मिला।

राहुल द्रविड़ ने टॉस जीता था, पहले बल्लेबाजी ली और भारत की टीम 241 रनों पर आउट हो गई जिनमें द्रविड़ के 173 गेंदों पर बनाये गये 49 रन सर्वश्रेष्ठ थे और वीआरवी सिंह ने अपनी पहली टेस्ट पारी में 8 गेंदों पर 2 रन बनाये थे।

भारत की गेंदबाजी में वीआरवी सिंह को श्रीसंथ और मुनाफ पटेल के बाद गेंदबाजी मिली। वीआरवी सिंह ने अपना पहला टेस्ट विकेट वेस्टइंडीज के पारी के 94वें ओवर में इयान ब्रैडशा का लिया जो वेस्टइंडीज का आठवां विकेट था। इसके बाद वेस्टइंडीज का नौवां  विकेट फिदेल एडवर्ड्स के रूप में गिरा जो चार ओवर बाद वीआरवी सिंह ने ही लिया था।

अपनी पहली टेस्ट गेंदबाजी पारी में वीआरवी सिंह के आंकड़े 15-1-61-2 थे।

भारत की दूसरी पारी में वसीम जाफर ने 212 रन बना दिये थे इसलिये भारत का स्कोर 521/6 पहुंच गया था।

वेस्टइंडीज के दूसरी पारी में 298 पर नौ विकेट गिर चुके थे, पर भारत अंतिम विकेट नहीं ले पाया। मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ। वीआरवी सिंह के दूसरी पारी में गेंदबाजी आंकड़े 11-3-35-0 थे।

10 जून 2006 को ग्रॉस आइलैंड हुए इस सीरीज के दूसरे टेस्ट में भी वीआरवी सिंह खेले।

वीरेंद्र सहवाग के 180 , मोहम्मद कैफ के 148 और राहुल द्रविड़ के 146 रनों की मदद से भारत ने पहले खेलते हुये 8 विकेट पर 588 रन बना कर पारी घोषित की, वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 215 बनाये , फॉलो ऑन खाया और दूसरी पारी में ब्रायन लारा के 120 रनों की मदद से 7 विकेट पर 215 रन बना कर मैच ड्रॉ करवा लिया। वीआरवी सिंह ने पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 11 ओवर फेंके और एक भी विकेट नहीं ले पाये।

दक्षिण अफ्रीका दौरा

निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी वीआरवी सिंह को भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे 2006 में टीम में जगह मिली और 15 दिसंबर 2006 को जोहांसबर्ग में पहला टेस्ट खेले भी।

सौरव गांगुली के 51 और सचिन तेंदुलकर के 44 रनों की मदद से भारत ने पहली पारी में 249 रन बनाये।

श्रीसंत के नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका की धज्जियां उड़ा दीं। दक्षिण अफ्रीका 84 पर आल आउट।

श्रीसंत ने अपने 10 ओवरों में 40 रन देकर 5 विकेट लिये, जहीर खान और अनिल कुंबले ने दो दो विकेट और वीआरवी सिंह को भी एक विकेट आंद्रे नेल का मिला।

दूसरी पारी में लक्ष्मण के 73 और जहीर के 37 रनों से भारत 236 पर पहुंचा। श्रीसंत ने आंद्रे नेल पर छक्का लगाने के बाद डांस भी किया था। दक्षिण अफ्रीका दूसरी पारी में 278 बनाकर आल आउट हो गया। श्रीसंथ, जहीर और कुंबले ने तीन तीन विकेट लिए थे।

भारत दक्षिण अफ्रीका में अपना पहला टेस्ट मैच जीता था जिसमें वीआरवी सिंह भी एक सदस्य थे,पर मैन ऑफ द मैच श्रीसंथ थे।

इस सीरीज का अगला मैच डरबन में 26 दिसंबर 2006 को खेला गया। एश्ले प्रिंस के शतक की मदद से दक्षिण अफ्रीका ने पहले खेलते हुए 379 रन बनाये। श्रीसंथ को 4 विकेट मिले थे और वीआरवी सिंह एक ही विकेट ले पाये थे। सचिन और लक्ष्मण के अर्धशतकों और धोनी के 34 रनों से भारत पहली पारी में 240 रन तक पहुंच पाया। दूसरी पारी में स्मिथ और पोलॉक के अर्धशतकों से दक्षिण अफ्रीका ने 265 रन बना दिये।

इस पारी में भी श्रीसंथ ने 4 विकेट लिये थे और वीआरवी सिंह ने 1 विकेट। भारत चौथी पारी में 179 रन बना कर ये टेस्ट मैच हार गया, लेकिन भारत पहली बार दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टेस्ट सीरीज में सीरीज नहीं हारा था। शॉन पोलॉक ने इस मैच में अपने 400 टेस्ट विकेट भी पूरे किये थे। श्रीसंथ सीरीज के हीरो थे।

अंतिम टेस्ट मैच

वीआरवी सिंह अपना अगला टेस्ट मैच बांग्लादेश के खिलाफ 18 मई 2007 को बांग्लादेश के खिलाफ खेलने उतरे।

भारत ने पहली पारी में सचिन और गांगुली के शतकों की मदद से 387/8 रन बनाये। बांग्लादेश ने पहली पारी में 238 रन ही बना पाये। वीआरवी सिंह के गेंदबाजी आंकड़े 15.2-5-48-3 थे और आरपी सिंह के 17-2-45-3।

भारत ने दूसरी पारी 6 विकेट पर 100 रनों पर घोषित कर दी और बांग्लादेश ने 2 विकेट पर 104 रन बना कर मैच बचा लिया। आरपी सिंह और रमेश पोंवार ने एक एक विकेट लिया था और वीआरवी सिंह को कोई विकेट नहीं मिला था। ये वीआरवी सिंह का अंतिम टेस्ट मैच और अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच भी था। इसके बाद वीआरवी सिंह कभी भी अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेल पाये।

कैरियर आंकड़े

वीआरवी सिंह ने 5 टेस्ट मैचों की 10 पारियों में 53.37 के औसत और 83.60 के स्ट्राइक रेट से 8 विकेट लिये हैं। सर्वश्रेष्ठ 3/48।बल्लेबाज़ी में वीआरवी सिंह के 6 टेस्ट पारियों में 11.75 के औसत से 47 रन हैं।सर्वश्रेष्ठ 29।

वीआरवी सिंह ने 2 एकदिवसीय मैच खेले हैं जिसमें एक भी विकेट नहीं ले पाये , एक एकदिवसीय पारी में बल्लेबाजी की है जिसमें 8 रन बनाये हैं।

वीआरवी सिंह के 29 प्रथम श्रेणी मैचों में 24.81 के औसत से 121 विकेट हैं और 37 लिस्ट ए (घरेलू एकदिवसीय) मैचों में 27.87 के औसत से 55 विकेट हैं।33 टी 20 मैचों में 31 विकेट भी हैं।

टेस्ट मैचों के बाद का जीवन

वीआरवी सिंह किंग्स इलेवन पंजाब टीम से आईपीएल में खेले हैं लेकिन 2008 से 2012 तक चोट ग्रस्त होने के कारण ज्यादातर क्रिकेट परिदृश्य से बाहर रहे।2012 में असम के खिलाफ दिखे, फिर बाहर हो गए,2013 में फिर लौटे और हरियाणा के खिलाफ 5 विकेट लिए, फिर नहीं दिखे।

अगस्त 2019 में जब बीसीसीआई ने चंडीगढ़ के लिए एक अलग क्रिकेट एसोसिएशन का गठन किया और इसका नाम यूनियन टेरिटरी क्रिकेट एसोसिएशन रखा तब वीआरवी सिंह को इस टीम का कोच नामित किया गया था।

उपसंहार

विक्रम राजवीर सिंह को अपने खेले कुल 5 में से सभी 5 टेस्ट मैच विदेश में खेलने को मिले। विक्रम राजवीर सिंह स्पष्ट उदाहरण हैं कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सफल होने के लिये तेजी ही सब कुछ नहीं होती। इनके समकालीन श्रीसंथ और आरपी सिंह इनके जितने तेज नहीं थे, फिर भी कुछ यादगार जीतों में अपने प्रदर्शन से श्रीसंथ और आरपी सिंह अपना नाम बहुत गहरे अक्षरों में भारतीय क्रिकेट में दर्ज करा गये और मुनाफ पटेल भी।

वीआरवी सिंह को कितने लोग जानते भी हैं अब?

विपुल मिश्रा

सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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