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साकेत अग्रवाल

जब छोटे थे तब हिंदू राष्ट्र, अखंड भारत जैसे शब्द बहुत आकर्षित किया करते थे लेकिन जब सामाजिक और जमीनी सच्चाई के बारे में थोड़ा बहुत पता चला तब समझ आया कि इन शब्दों का प्रयोग एक सांस्कृतिक संगठन की राजनीतिक शाखा मात्र अपनी राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि हेतु कर रही है।

न तो उस सांस्कृतिक संगठन का और न ही उसकी राजनीतिक शाखा का हिंदू राष्ट्र, अखंड भारत, हिंदू हित जैसे शब्दों से कोई लेना-देना है।

वो राजनीतिक दल अगर आपका हित चिंतक होता तो आपको दिल्ली में जनवरी 2020 में दो दिनों के लिए मरने के लिए नहीं छोड़ता।

शांतिप्रिय भाईयों को एक पूरा का पूरा देश देने के पश्चात यदि आपके अपने ही देश में रामनवमी की शोभायात्रा को “अति विशिष्ट स्थानों” से ये कहकर नहीं निकलने दिया जाता कि “ये तो हमारा इलाका है” या अति विशिष्ट स्थानों से शोभायात्रा निकालने पर पत्थरबाजी की जाती है तो ऐसे में “हिंदू राष्ट्र” दूर की कौड़ी ही प्रतीत होता है।

वो 2047 की लक्ष्य प्राप्ति हेतु दिन रात उसी में लगे हुए हैं अपनी आबादी बढ़ाकर।

और अपनी आबादी बढ़ाने के लिए वो एक नहीं कई रास्ते अपनाए हुए हैं। निकाह कर संतानोत्पत्ति करके, हमारी बहन-बेटियों को षड्यंत्रपूर्वक प्रेम जाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण कर उनसे पांच संतान उत्पन्न करके। कुछ समझ आया… आपकी संख्या में से एक कम हुआ और उनकी संख्या में 6 बढ़ गए।

अब अपने आसपास की छोटी-छोटी पहाड़ियों को ध्यान से देखिए…. बहुत सारे मकान और उन मकानों पर हरे झंडे दिखाई दिए?

अब बीस-बाइस वर्ष पीछे जाइए उन पहाड़ियों पर स्थान देवता/ग्राम देवता का एक छोटा चबूतरा हुआ करता था एक लाल, केसरिया या पीला ध्वज लगा हुआ होता था।

अब आज के समय में स्थान/ग्राम देवता का वो चबूतरा कहां गया? कहां गया वो ध्वज?

आपके देखते देखते वो चबूतरा गायब हो गया और उनके मकान बन गए।

इन पहाड़ियों पर बसने का पट्टा इनको किन लोगों ने दिया? बिजली, पानी की सुविधा किसने दी?

इन लोगों को ये सारी सुविधाएं उन लोगों ने सबसे ज्यादा दी जो अपने आपको हिंदू हितैषी कहते हैं।

पंचर साटने वाले से लेकर इनका करोड़पति व्यक्ति तक एक काम में व्यस्त है…. उनकी आबादी बढ़ाने के काम में।

आप भले ही पंचर पुत्र कहकर उनका उपहास करो लेकिन वो चुपचाप रहकर 2047 की लक्ष्य प्राप्ति हेतु काम कर रहे हैं।

अब जरा आप अपनी आज की पीढ़ी को देखो और बताओ कि वो क्या कर रही है? रील्स बनाने और पाउट बनाकर सेल्फी खींचने से फुर्सत ही नहीं है उसे। PFI, मुस्लिम लीग इत्यादि के विषय में इन्हें शायद ही पता हो।

रही बात अखंड भारत की तो अपने देश में “उनके इलाके” ही आप से नहीं संभल रहे तो फिर भारत+पाकिस्तान+बंग्लादेश के शांतिप्रिय भाईयों की विशाल जनसंख्या को कैसे संभालोगे ये कभी सोचा है?

सबसे पहले तो एक कड़वी सच्चाई समझो। आपकी स्थिति इतनी दयनीय है कि आप अभी अपना घर-बार बचाने के लिए ही संघर्षरत हो। गाहे-बगाहे अपने ही देश में अपने ही पलायन की सूचनाएं तो पहुंचती ही होंगी आप तक।

आपके रहने का भू-भाग लगातार सिमट रहा है।

“कुछ तो बात है हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा दुश्मन जमाना हमारा” वाले भ्रम से बाहर निकलो। ये पंक्तियां लिखी ही इसलिए गईं हैं ताकी आप और आपकी पीढ़ियां एक सुखद भ्रम में जीती रहें और वो अपना अधूरा काम पूरा कर सकें।

इसलिए अखंड भारत की भांग पीकर झूमने से पहले अपना घर-द्वार, परिवार, मकान, दुकान को सुरक्षित रखने पर ध्यान दो क्योंकि आपके साथ सिर्फ आप हो और कोई आपके साथ नहीं है न तो वो तथाकथित हिंदू हितैषी दल, न ही प्रशासन, न ही आपका कोई सगा संबंधी या रिश्तेदार।

“यात्री अपने सामान की सुरक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार है”।

चलते चलते :- हिंदू राष्ट्र, अखंड भारत बनाना है बना लो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ये सब करने से पहले जितना भू-भाग आपके पास बचा हुआ है उस पर समान नागरिक संहिता (Uniform civil code) ही लागू करवा लो। हिंदू हितैषी दल का शासन है ही और सोने पर सुहागा ये कि सिविल कोड लागू करने की बात तो संविधान में ही लिखी हुई है।

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

साकेत अग्रवाल

सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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