विजयंत खत्री
अरब देशों में इस्लाम को छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।पाकिस्तान और ईरान मे भी यही हालत है।भारतीय मुस्लिम भी पिछले कुछ समय से तेजी से इस राह की और बढ़ रहे हैं।इस्लाम को छोड़ने की वजह इस्लामिक कट्टरपंथ का बढ़ना है।ऐसा नहीं है कि इस्लाम छोड़ने वाले लोगों ने,इस्लाम को छोड़ने से पहले अपने द्वारा अपने अपने स्तर पर इस्लाम की कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई।
पर उनकी आवाज को इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा ईशनिंदा के आरोपों मे दबा दिया गया।
हज़ारों नवयुवक जो इस्लाम में सुधार करना चाहते थे उन्हें अपनी जान के लाले पड़ गये।हार कर उन्होेंने इस्लाम को ही छोड़ने का फैसला किया।
इस्लाम की कुरीतियों और कट्टरपंथ के खिलाफ बहुत से मुस्लिमों मे गुस्सा भरा हुआ है पर इस्लामिक कट्टरपंथ इन्हें इनकी जान का डर दिखा कर इस्लाम के कट्टरपंथ को बचाये रखना चाहता है।इस्लामी कट्टरपंथी इस्लाम को समय के साथ नहीं ढालना चाहते हैं,क्यूँकि इस वजह से उनके सैकड़ों सालों के रक्तपात का इतिहास उभर के आयेगा।
अगर इस्लाम मे कुरीतियों और कट्टरपंथ को लेकर जल्द ही कुछ उपाय नहीं किये गये तो इस्लाम को उसके मानने वाले ही भूल जाएंगे या खुदको उससे दूर कर लेंगे।
वैसे भी प्रकृति का नियम है जो वस्तु या सिद्धांत समय के साथ खुद को परिवर्तित नहीं कर पाता है वो नष्ट हो जाता है।
सऊदी अरब इस्लामिक कट्टरपंथ का केंद्र था पर सऊदी अरब के किंग सलमान ने सऊदी अरब में उदारीकरण का जो दौर शुरू किया है वो इस्लाम को बचा सकता है ।साथ ही इस्लामी कट्टरपंथ से भी इस्लाम को बचा सकता है।
वास्तव मे इस्लामी कट्टरपंथ का सबसे ज्यादा शिकार खुद मुस्लिम हुए हैं ।इस्लाम कभी का परिवर्तित हो चुका होता परंतु पश्चिम ने इस्लामिक कट्टरपंथ को अपने हथियार के रूप में पश्चिम एशिया में वृहद स्तर पर उपयोग किया।
आज भारत में अगर कुछ मुस्लिम इस्लामिक कट्टरपंथ के विरुद्ध अगर आवाज उठाते हैं तो क्या आपको कि पता है उन मुस्लिमों का सबसे ज्यादा विरोध कौन करता है ?
जी हाँ !
उनका विरोध मुस्लिमों से ज्यादा वामपंथी हिन्दू करते हैं।
इसका कारण है कि वामपंथी जो कि केवल नाम के हिन्दू हैं और वामपंथी देश और धर्म से ज्यादा विचारधारा को प्राथमिकता देते हैं।
ये वामपंथी इस्लामिक कट्टरपंथ का प्रयोग किसी भी देश के राष्ट्रवादियों से लड़ने के लिए प्रयोग करते हैं।
ये वामपंथी जो कि धर्म से नफरत करते हैं ,उनका इस्लामिक कट्टरपंथ से लगाव केवल भारत मे ही देखने को मिलता है।
वामपंथ विचारधारा एक रक्तबीज के जैसी विचारधारा है,जो हर बार खत्म होने के बाद नये रूप में आती है।लेकिन अगर मैं कहूं कि भारत मे इस्लामिक कट्टरपंथ की समाप्ति का आरंभ उसी दिन से हो जायेगा, जिस दिन खाड़ी देश उदारीकरण पूर्ण रूप से प्राप्त कर लेंगे।
फिर वहां से कट्टरपंथ के नाम पर मदरसों मे आना धन बंद हो जाएगा।जैसे जैसे भारत उद्योगीकरण की ओर और आगे बढ़ेगा, प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने लगेगी ,वैसे ही भारत में भी इस्लामिक कट्टरपंथ का पतन शुरू हो जाएगा।
विजयंत खत्री
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