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विजयंत खत्री

विजयंत खत्री

वोकिज्म क्या है? भाग – 2

वोकिज्म क्या है? भाग – 2

आपसे अनुरोध है कि इस लेख का पूर्व भाग भारत में वोकिज्म भाग 1 ज़रूर पढ़ें।
लिंक नीचे दिया गया है।

वोकिज्म क्या है ? भाग 1

पिछले भाग मे आपने जाना था कि आधुनिक वोकिज्म का प्रारम्भ कैसे हुआ। इस भाग में आपको बताने का प्रयास होगा कि वोकिज्म भारत में कैसे आया और इसका भारत में क्या भविष्य है।
वोकिज्म को भारत मे लाने का श्रेय तथाकथित पर्यावरण प्रेमियों को जाता है। वास्तव में भारत के पर्यावरण प्रेमी विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत मे उद्योगों के विस्तार को रोकने के लिए हथियार की तरह प्रयोग किए जाते हैं। भारत मे वोकिज्म की ये कहानी यूपीए सरकार के समय तमिलनाडु में परमाणु रिएक्टर के विरुद्ध प्रदर्शन के साथ शुरू हुई। गुजरात में नर्मदा पर बाँध का विरोध भी इसी तर्ज़ पर हुआ जबकि सब जानते हैं गुजरात आज प्रगति की जिस राह पर है उस का श्रेय नर्मदा नदी के बाँध को जाता है, जिसकी वजह से आज कच्छ के रेगिस्तान तक मे पानी पहुच पाया है।
वोकिज्म ने असली उभार लेना तब शुरू किया जब 2014 मे एनडीए सरकार सत्ता मे आयी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। भारत के वोक लोग कोई और नहीं बल्कि भारत के वे वामपंथी विचारधारा के वो लोग थे जो नरेंद्र मोदी से घृणा करते थे। इनके साथ मे सत्ता से बाहर हुई यूपीए सरकार के दरबारी लोग जैसे कलाकार, पत्रकार, बुद्धिजीवियों का समूह भी जुड़ता चला गया।
सबसे पहले इन नए नए वोक लोगों ने अमेरिका के वोकिज्म को आमूलचूल व घृणित परिवर्तन के साथ भारत में प्रयोग करना आरम्भ कर दिया।
तो बात करते हैं है कि भारत में इस समय किस किस प्रकार के वोक लोग हैं।

1 – धर्म को न मानने वाले

ये वे लोग है जो अमेरिकन वोकिज्म की तर्ज़ पर धर्म से घृणा करते हैं, परंतु भारत में इन्होंने केवल हिन्दू धर्म से घृणा करना चुना। अमेरिकन वोक लोग इस्लामपंथी लोगों से दूर रहते हैं परंतु इन्होंने भारत में कट्टर इस्लामपंथी लोगों का साथ चुना वो भी ये कह कर कि जैसे अमेरिका में इस्लामोफोबिया के कारण मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहे हैं उसी प्रकार भारत में भी मुस्लिम बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित है। जबकि आप और हम जानते हैं कि भारतीय मुस्लिम बाकी दुनिया के मुस्लिमों की तुलना में काफी बेहतर जीवन जी रहे हैं। यहां तक कि भारतीय वोक लोग इस्लामिक आतंकवाद को सिरे से नकार देते हैं और हिन्दू आतंकवाद की बात करते हैं, क्यूंकि ये जानते हैं कि वोकिज्म का बेसिक मॉडल ही यही है कि किसी भी देश में वहाँ के बहुसंख्यक समाज को दबंग घोषित किया जाए।

2 – स्वघोषित मूल निवासी या तथाकथित अंबेडकरवादी

जब भारतीय वोक लोगों को लगा कि अगर वो कट्टर इस्लामपंथियों के साथ खड़े होंगे तो बहुसंख्यक हिंदू समाज वोकिज्म को नकार देगा। तब उन्होंने भारत की पिछड़ी जातियों और आदिवासियों के नाम पर मूल निवासी सिद्धांत चलाया जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म मे भी ब्राह्मणों को अमेरिकन श्वेत लोगों की तरह वोक लोगों के लिए शत्रु तैयार किया।

3 – तथाकथित नारीवादी

भारत प्राचीन काल से ही नारीवाद का समर्थक रहा है परन्तु यहां नये नये वोक नारीवादियों ने पश्चिमी देशों का नारीवाद चुना। जबकि उस नारीवाद से खुद पश्चिमी देश परेशान हैं।

4 – इन्टरनेट और सड़क के पर्यावरण प्रेमी

भारत में पर्यावरण प्रेम की आड़ में ही वोकिज्म भारत में आया था। परंतु भारतीय वोक पर्यावरण प्रेमियों को विदेशों से अच्छा खासा धन मिलता है ताकि भारत के उद्योगों और विकास को अच्छी-खासी रुकावट मिल सके। चीन सीमा पर सड़क विस्तार, मुंबई मेट्रो, बड़े उद्योग, नए परमाणु रिएक्टर आदि का विरोध यही कहानी कहता है।

5 – LGBTQ+ वोक

भारत में, भारत सरकार ने इस समाज के उत्थान के लिए अन्य विश्व की तुलना में सबसे अधिक काम किया। इस वजह से इस समाज के ठेकेदार लोग ज्यादा अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाये। हालांकि अधिकतर LGBTQ+ ऐक्टिविस्ट हिन्दू धर्म विरोधी ही बाते करते हैं जबकि तथाकथित हिन्दूवादी सरकार ने इनके उत्थान और समाज में बराबर का दर्जा देने के लिए सर्वाधिक काम किए। परंतु इन्हें तो अमेरिकन वोकिज्म की नकल करनी है तो इस वजह से ये उस धर्म के साथ खड़े दिखाई देते हैं जिस धर्म में इनके समाज के लोगों को छत से फेंक देने की सजा तय है।

6 – कैन्सिल कल्चर वाले

भारत में वोकिज्म के साथ कैन्सिल कल्चर का प्रयोग भी शुरू किया गया। परंतु यहां ये प्रयोग हास्यापद तरीके से ख़ुद वोक लोगों के गले की फाँस बन गया। यहा पर दक्षिणपंथी लोगों ने इस हथियार को इन वोक लोगों के विरूद्ध ही प्रभावी बना दिया। बॉयकाट का प्रयोग करके कई वोक एजेंडा ध्वस्त कर दिए गए। बॉयकाट बॉलीवुड व कई ऐसे ब्रांड जो वोक एजेंडा के साथ बाजार में जगह बनाना चाहते थे उनके मंसूबे फेल हो गए।

7 – तथाकथित लिबरल

भारत में खुद को लिबरल कहने वाले लोगों ने सबसे ज्यादा वोक एजेंडा चलाने का प्रयास किया। इनकी असली मंशा वोकिज्म को भारत में एक हथियार की तरह प्रयोग करके सरकार बदलना है ,परंतु ये लोग भूल गए कि अमेरिका वोकिज्म के लिए एक उर्वर ज़मीन थी जबकि भारत में ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये प्रयोग बिल्कुल ऐसा था जैसा किसी ध्रुवीय भालू को उत्तरी ध्रुव से लाकर राजस्थान की गर्मी मे छोड़ दिया जाये।

8 – सोशल मीडिया प्रेमी युवा

कुछ मूर्ख युवा सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध होने के लिए वोकिज्म के चोंचले प्रयोग मे लाते हैं, क्यूँकि वो कुछ लीक से हटकर करना चाहते हैं। जिससे इन्टरनेट पर लोगों को कुछ विचित्र देखने को मिले और वो कुछ समय की प्रसिद्धि प्राप्त कर सके। जैसे – अभी कुछ समय पहले गुजरात की एक लड़की ने ख़ुद से शादी की। ये घटना समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर कई दिन छाई रही थी।
कुल मिलाकर वोकिज्म अभी तक भारत में बहुत ज्यादा सफल नहीं रहा है। क्यूँकि भारत जैसा भी है एक धार्मिक देश है।
चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाले हो, और वोकिज्म वहीं सफल हो सकता है जहां लोग कम धार्मिक हो।
इस तरह से वोकिज्म सामान्य जीवन में तो केवल महानगरों में उच्च आय वर्ग के युवाओं तक ही सीमित है, और इस मंदबुद्धि वोक युवा वर्ग द्वारा अंध रूप से अमेरिकी वोकिज्म को स्टैटस संबल के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
तो क्य़ा वोकिज्म भारत में सफल हो पाएगा या नहीं? तो इसका उत्तर है – अभी तो नहीं।
परंतु भारत जैसे जैसे उच्च आय वर्ग देशों मे गिना जाने लगेगा वैसे ही वोकिज्म का साँप फ़न उठाए तैयार होगा। कहते हैं पैसा मनुष्य की 99% समस्यायें हल कर देता है। जब समस्यायें कम होती हैं
तो मनुष्य जीवन में ऐसी समस्यायें बनाने लगता है जो समस्यायें वास्तव में होती ही नहीं है। और यहीं से वोकिज्म का प्रारम्भ माना जाता है।

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आपसे अनुरोध है कि इस लेख का पूर्व भाग भारत में वोकिज्म भाग 1 ज़रूर पढ़ें।
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वोकिज्म क्या है ? भाग 1

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One thought on “भारत में वोकिज्म

  1. वोक लोगों की विकृत मानसिकता की विद्रूपता को उजागर करता सुंदर लेख

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