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आपका -विपुल

फ्रांस में जो अब हो रहा है। स्वीडन फिनलैंड और डेनमार्क में जो होता ही रहता है। इंग्लैंड में जो न्यू नॉर्मल है।उसकी शुरुआत एक सीरियाई बच्चे की लाश दिखाकर मासूम शांतिप्रिय लोगों के लिए शरण मांग कर हुई थी।
विज्ञापन कभी वास्तविक प्रोडक्ट की बुराई नहीं बताते।

यूरोप के पास मात्र 15 साल बचे हैं और अमेरिका के पास 50 साल।
जिस उद्देश्य के लिए अल कायदा और आइसिस बने थे, वो पूरे होते दिख रहे हैं।
ज्यादा समझदार कौवे आखिर में गू ही खाते हैं।
यूरोप के देशों ने शायद ये हिंदुस्तानी कहावत नहीं सुनी थी।
उन्हें सस्ते और युवा लेबर चाहिए थे।

विली डिल्ली कौन थी, ये शायद गूगल पर न मिले, मिले भी तो पूरी बात नहीं लिखी होगी।
एक पश्चिमी यूरोपीय देश की राजनेता जिसने फेसबुक पर लाइव सुसाइड की थी।
वजह एक मुस्लिम शरणार्थी समूह ने उसका सामूहिक बलात्कार किया था और उसका प्रतिद्वंदी राजनेता भी मुस्लिम हो चुका था। सर्च करना।

2016 या 17 की बात थी ये और घटना ईसाई देश की।
जानें कितने यूरोपीय राजनेता मुस्लिम हो चुके हैं क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट चाहिए लेकिन खुल कर नहीं बताते हैं। जब बताएंगे, हतप्रभ रह जाएंगे सब।
छोटी जनसंख्या में आते जा रहे शरणार्थियों के वोट मायने रखते हैं।

उदारवाद और लोकतंत्र यूरोप को धीरे धीरे मुस्लिम बस्तियों में कनवर्ट करता चला जा रहा है।
एक अरबों का खेल है बलात्कार का
शायद “तहरुश मर्जिया”या ऐसा कुछ नाम है
एक औरत के चारों तरफ आदमियों घेरा बना दिया जाता है जिससे वो निकल न पाए
और अंदर के आदमी सामूहिक बलात्कार करते हैं।

रीढ़ की हड्डी में
सिहरन दौड़ जाएगी जब आप ये जानोगे कि स्वीडन में ये बहुत नॉर्मल हो चुका है। लंदन में शिकायतें दर्ज होनी बंद हो गई हैं।
लंदन में दूल्हा जिहाद के बारे में सुना ही होगा।
शक्तिशाली की पूंछ है।
लंदन में एक मुस्लिम मेयर होगा , ये सोचा था क्या ?

वो छोड़ो।
इंग्लैंड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में कितने मुस्लिम खिलाड़ी हैं और कितने आते
जाते रहते हैं , ध्यान दिया?
दस साल बाद इंग्लैंड क्रिकेट टीम में गोरे लोग शायद ही दिखें। जैसे जितने कम फ्रांस और इंग्लैंड की फुटबॉल टीम में दिखते हैंअभी।
और जो अश्वेत हैं वो मुस्लिम ही हैं ज्यादातर।

आस्ट्रेलिया में उस्मान ख्वाजा आ ही गया है। अमेरिका में एक मुस्लिम कट्टरपंथी महिला सांसद जीत ही जाती है। मतलब बस्तियां तो बढ़ ही रही हैं।
यूरोप का भविष्य जो भी हो अपना देश देखिए।
तीन राज्य सबसे ज़्यादा शिक्षित उदार और साक्षर माने जाते थे।
केरल बंगाल और पंजाब
हाल क्या है इनका?

हिंदुओं के उदारवाद का फ़ायदा उठा कर केरल और बंगाल में मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या बढ़ गई और हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए।जो हिंदू धार्मिक था, वो पिछड़ा माना जानें लगा यहां।
पंजाब को ईसाई मिशनरी ,ड्रग्स और पाकिस्तानी खालिस्तानी खा ही चुके अब।
हिंदू पहले ही भगाए जा रहे थे। अब सिख कम।

आधा पंजाब का दाढ़ी वाला आदमी ईसाई बन चुका है। आपको पता तब चलता है जब ऐसा कोई मुख्यमंत्री बनता है।
असम छोड़ कर लगभग सारा पूर्वोत्तर भारत, लक्षद्वीप , केरल , बंगाल , यहां हिन्दू बचे नहीं।
कश्मीर से भगाए जा चुके। पंजाब से भगाए जा रहे।
अंत में केवल एक बात।

शिक्षा लेना देना ठीक है , पर इतने उदारवादी मत बनो कि अस्तित्व ही खो दो।
ईसाइयत और इसलाम धर्म परिवर्तन और प्रजनन दोनों से जनसंख्या बढ़ाते हैं।
हिंदुओं के पास जनसंख्या बढ़ाने के लिए धर्म परिवर्तन का विकल्प नहीं है।

और किसी भी धर्म या कबीले को नष्ट करने के लिए उसकी प्रजनन योग्य स्त्रियां और उपजाऊ भूमि आक्रमणकारी का पहला निशाना होती हैं।
जाने कितनी जातियां शांतिप्रिय दूतों ने यही अपना के खत्म कर दीं।
भारत और यूरोप निशाने पर हैं अब।

आपका -विपुल

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