
रवि वैष्णव
भारतीय क्रिकेट फैंस और बीसीसीआई ने कभी अपने टेस्ट मैच विनर खिलाड़ियों को इज्जत नहीं दी जो उन्हें मिलनी चाहिए थी। कपिल देव पर गावस्कर को वरीयता मिली, सचिन जैसे बरगद के नीचे सबसे बड़े मैच विनर अनिल कुंबले और लक्ष्मण छुप गए, और अब कोहली रोहित युग में अश्विन जैसा नगीना वो प्रसिद्धि नहीं पा सका।
हां कुछ हद तक अपने पाप बीसीसीआई ने अनिल कुंबले को उनके अंतिम समय में एक डेढ़ साल के लिए कप्तान बनाकर धोने की कोशिश की। पर आर अश्विन अभी तब अभागे ही साबित हुए है। समझ से परे ही है जिन राहुल की टीम में जगह तक नहीं बनती वो कप्तान है, और अश्विन को कभी कप्तान बनाने के बारे में सोचा तक नहीं गया।
हकीकत ये है की ऋषभ पंत जैसे टेस्ट के चैंपियन खिलाड़ी जिसने कम से कम 6 टेस्ट मैच अभी तक खुद के बलबूते जिता दिये हैं, उसे जानबूझ कर 20 ओवर के मैच खिलाए जा रहे हैं उसका कॉन्फिडेंस तोड़ने के लिए। सब बल्लेबाज़ सचिन या कोहली जैसे नहीं होते। वो अलग है, पंत टेस्ट का सबसे बड़ा मैच विनर भारतीय बल्लेबाज बन सकता है सहवाग के बाद। बस उसे अच्छे से मैनेज किया जाए। पर परंपरा के अनुसार चलते हुए हम फैंस और बीसीसीआई अपने इस टेस्ट मैच विनर को भी या तो खत्म कर देंगे, या उसको वो हक नही देंगे।
बचे हुए समय में ऐश अन्ना को टेस्ट का कप्तान बनाया जा सकता है और ऋषभ पंत को अगले कप्तान की तर्ज पर ग्रूम किया जा सकता है। ग्रीम स्मिथ को भी लगभग इसी उम्र में कप्तान बनाया था साउथ अफ्रीका ने।
ऊपर के विषय से एकदम अलग बात करते हुए इस लेख का अंत करता हूं .पूरे सम्मान के साथ कि राहुल द्रविड़ सर शायद सीनियर टीम के लिए अच्छे कोच नही हैं, जैसे सचिन पाजी अच्छे कप्तान नही थे।
शायद….
रवि वैष्णव
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