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आपका -विपुल
मुझे बिल्कुल नहीं मतलब कि आप मेरी बात को गंभीरता से लेते हैं या नहीं लेकिन मैं कहूंगा ज़रूर। और मैं अंशुल सक्सेना या स्वाति गोयल या ओप इंडिया जैसी बड़ी सोशल हस्ती नहीं हूं कि हर कोई मैरी बात सुनता हो। पर जितने भी लोग गंभीरता से मुझे पढ़ते सुनते हैं ये उनके लिए है।
लव जिहाद और अंतर धार्मिक विवाह में अंतर है ।अंतर धार्मिक विवाह में हिन्दू लड़की और उसके परिवार को लड़के के धर्म का पता होता है। और उसके बाद भी विवाह होता है या लिव इन में लड़की रहती हैं।
ये एक सही बिंदु है। लेकिन मेरा मानना है कि अंतर धार्मिक विवाह भी लव जिहाद का ही हिस्सा है।
सारे अंतर धार्मिक विवाह लव जिहाद नहीं ही होते हैं , सच है। लेकिन कुछ अंतर धार्मिक विवाह लव जिहाद के लिए ही होते हैं। ये एक सामूहिक खेल है जो बहुत बड़े स्तर पर चलता है।
भारत की जनसंख्या के बदलते आंकड़े आपको नंगी आंखों से नहीं दिख रहे तो हम क्या कर सकते हैं।
मैंने एक बार अपने भाई से कहा , सबसे ज्यादा विकेट स्पिनर ले रहे हैं तो वो बोले जब दिन में 90 में से 70 ओवर स्पिनर डालेंगे तो विकेट भी तो वही ले जाएंगे ।
बात वोही है कश्मीर कैरल नागालैंड या तैलंगाना तमिलनाडु की बात छोड़ दो, अपने आस पास देखो। एक सामान्य हिन्दू परिवार में औसतन कितने बच्चे हैं। लगभग 2 ।
3 बच्चे किसी किसी के होंगे। इससे ज्यादा नहीं और दूसरी तरफ देखिए। और 20 साल बाद की स्थिति का अंदाजा लगाइए जब आपके और उनके दोनों के बच्चे संतानोत्पत्ति के लिए तैयार होंगे । अगर कुछ न समझ पा रहे हों या दांत निकाल कर बत्तीसी दिखाते हुए होहो करके आगे बढ़ जाने का मन हो तो मुझे ब्लॉक कर के जाना। ये मेरे धर्म का मामला है और मैं खरी बात करूंगा। मुझे वोट नहीं चाहिए।
और जिस स्थिति की कल्पना मैं 20 साल बाद आपसे करने की कल्पना कर रहा हूं।
ठहरिए!
वो स्थिति आ चुकी है। क्योंकि आज से 30 35 साल पहले इस स्थिति की कल्पना करने की बात किसी ने शायद ही की थी।
बात ही नहीं होती थी। कश्मीर में 1985 से 1989 तक हिन्दुओं के सम्पूर्ण विनाश के बाद भी नहीं, अजमेर की हिन्दू स्कूली लडकियों के अजमेर दरगाह के मुस्लिम खादिमों द्वारा यौन उत्पीड़न के बाद भी नहीं।
केरल में अच्छी शिक्षा के नाम पर हिन्दू लड़के लड़कियों के धर्म परिर्वतन के बाद भी नहीं।
झारखंड में आदिवासियों के धर्म परिर्वतन के बाद भी नहीं।
अनुसूचित जाति के लोगों के लगातार धर्म परिर्वतन के बाद भी नहीं और पंजाब में केशधारियों के कन्वर्जन के बाद भी नहीं।
ये बातें किसी ने नहीं की तब। इसलिए आज हम जैसों को ये बात करनी पड़ती है। मेरे जैसे विशुद्ध धार्मिक आदमी को सोशल मीडिया पर आकर हिन्दू यूथ को अपनी लच्छेदार बातों, क्रिकेट कॉमेडी और ग्लैमर की बातों से अपनी ओर आकर्षित करके अगर वे कहना पड़ रहा है तो इसलिए क्योंकि उनका धर्म खतरे में नहीं, हमारा खतरे में है, वाकई खतरे में है। पहले ये बातें कही ही नहीं जाती थीं, समझी ही नहीं जाती थीं।
आज ईसाइयों की संख्या भारत की जनगणना में जितनी दिखाई पड़ती है, उससे कहीं बहुत ज्यादा है । क्रिप्टो क्रिश्चियन का मतलब छुपा हुआ ईसाई और ईसाई अपना धर्म छुपा कर रखने में गलत नहीं समझते। चोरी छुपे धर्मांतरण गलत नहीं मानते। मनीष श्रीवास्तव को पढ़ना कभी।
क्रांतिदूत वाले। आंखें खुल जाएंगी। भारत में अनुसूचित जाति वाले बहुतेरे क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं जो समाज में खुद को नाम से हिन्दू दिखाते हैं , आरक्षण के लाभ के लिए ,गुप्त रुप में ईसाई होते हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति के आर नारायणन जैसे।
और उसी तरह से जिहाद के लिए मकसद पूरा होने तक नाम और पहचान बदल के रहने में आसमानी क़िताब भी आपत्ति नहीं करती।
भारत में हिन्दुओं की संख्या कागजी आंकड़ों से बहुत कम है और कम होती ही जा रही है। क्योंकि किसी धर्म विशेष की जनसंख्या दो चीजों से बढ़ती है।
प्रजनन और धर्मांतरण।
धर्मांतरण हिन्दू करवाते नहीं और हिंदू प्रजनन दर क्या है , ये आप आज बगल ही देख लीजिए।
और यहीं मैं असली मुद्दे पर आता हूं।
जितने मिश्रा शुक्ला ठाकुर चौहान, सक्सेना , श्रीवास्तव , अग्रवाल यादव,कटियार आपको पूरे भारत में नहीं दिखेंगे उससे 50 गुना ज्यादा सोशल मीडिया पर दिखेंगे। बाकायदा ट्रैनिंग देकर चर्च और इस्लामिक संगठन सोशल मीडिया वारियर उतरते हैं और ज्यादातर आपको भगवा लबादा ओढ़े कट्टर संघी की तरह दिखाई पड़ेंगे। कहां जाओगे। इस सोशल मीडिया के महासागर में हर तीसरा अमर अनवर ही है। वो भी जरूरी नहीं भारत का हो।
सीरिया लंदन या अजरबेजान का भी हो सकता है।
जमीनी स्तर पर बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुस्लिमों ने कसर नहीं छोड़ी। जाने कितने आदिल मंसूर आदित्य शर्मा का आधार कार्ड लिए हैं। जान नहीं पाओगे।
जकात फाउंडेशन आपको सामने दिखता है। ऐसे जाने कितने इस्लामिक एनजीओ हैं जो मुस्लिम लड़कों को उन उच्च स्तर के शिक्षा संस्थानों में भेजते हैं। जहां हिंदू लड़के लड़कियों को उनकेे परिवार बड़ी मेहनत से बहुत पैसे खर्च करके भेज पाते हैं। और इन मुस्लिम लड़कों का मतलब केवल एक अच्छी डिग्री लेकर भारत में लौटना होता है। असली काम उसके आगे होता है उनका। हिन्दू समाज में दीनी से ज्यादा डाक्टर दीनी की कद्र होती है । वो डाक्टर दीनी हिंदू घरों में सहजता से पहुंच जाते हैं।
फैशन और ग्लैमर इंडस्ट्री में हर तुनिषा शर्मा के लिए एक जीशान पहले से तैयार है। बिग बॉस में तो खुलेआम सब होता है।
तो अब असली मुद्दे की बात।
पहले तो उन हिन्दू लड़कियों को ताना मारना बंद करो जो किसी शांतिदूत के चक्कर में पड़ती हैं क्योंकि जब हर क्षेत्र में शांतिदूत असली या नकली नाम से छाए हैं तो क्या करोगे।
दूसरी बात लव जिहाद कोई छोटे स्तर का कार्यक्रम नहीं है। बहुत बड़ी शक्तियां बहुत बड़े स्तर पर जुटी हैं यहां तक कि केरल में चर्च जैसी खुद धर्मांतरण में जुटी संस्था भी इससे निपटने में खुद को अक्षम पा रही थी । तो तुम कहां हो?
फिर एक बात और कि आपका दोस्त तो चर्च भी नहीं है। ईसाइयों का इतिहास भी खासा अलग नहीं रहा उनका धर्म स्वीकार न करने पर बर्बरता करने में। मदर टेरेसा जैसों ने सेवा के नाम पर काटा।
इस समस्या से निपटने के लिए व्यक्तिगत तौर पर अपने गांव देहात के मूल परिवार के साथ जुड़े रहना पहला बचाव है और दूसरा अपने बच्चों को नियमित रुप से किसी वैदिक गुरुकुल या वैदिक शिक्षा संस्थान का भ्रमण करवाते रहना।
मूल से जुड़े रहें तो नुकसान कम से कम होगा।
झुंड से अलग हिरन का शिकार जल्दी होता है।
आपका -विपुल
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