भूले बिसरे खिलाड़ी – 35
सुभाष गुप्ते
आपका -विपुल
बीसीसीआई की गंदी राजनीति आज की नहीं है।
आपको आज सुभाष गुप्ते के बारे में बताते हैं। जिनका कैरियर बीसीसीआई की गंदी राजनीति की बलि चढ़ा।
भारत के पूर्व लेग स्पिनर थे सुभाष गुप्ते।
सुभाष गुप्ते भारत के लेग स्पिनर थे जो 1951 से 1961 तक भारत के लिए 36 टेस्ट मैच खेले और 29.55 के औसत से 149 विकेट लिए।
एक बार पारी में 9 विकेट तक लिये टेस्ट मैच में।
12 बार पारी में 5 विकेट लिये जिनमें से 6 बार विदेश में लिये,3 बार वेस्टइंडीज और 3 बार पाकिस्तान में।
विदेश में खेले 15 टेस्ट मैचों में सुभाष गुप्ते के 65 विकेट थे और विदेश में गेंदबाजी औसत 28.52 था।
जो भारत में उनके गेंदबाजी औसत 30.34 से कम कुल कैरियर औसत 29.55 से कम था। ये आंकड़े कुंबले, अश्विन और हरभजन के पास भी नहीं हैं।
यही नहीं बॉम्बे बनाम पाकिस्तान सर्विसेज के एक प्रथम श्रेणी मैच में सुभाष गुप्ते ने एक बार पारी के सभी 10 विकेट भी चटकाये हैं।
सुभाष गुप्ते के नाम 115 प्रथम श्रेणी मैचों में 23.71 के औसत से 530 विकेट हैं। जहां उनका एक पारी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 10 / 78 रहा है।
पर इनका कैरियर खत्म ऐसे हुआ कि किसी अज्ञात महिला ने इन पर छेड़ छाड़ का आरोप लगाया और इसी आधार पर बिना जांच इनका कैरियर खत्म कर दिया गया।तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष और सचिव गुप्ते के खिलाफ थे और बाद में पता चला कि पूरी घटना ही झूठी थी और ये सुभाष गुप्ते को टीम से बाहर करने का षड्यंत्र था। षड्यंत्रकर्ता भी बीसीसीआई के ही थे।
सुभाष गुप्ते की पत्नी त्रिनिदाद वेस्ट इंडीज की थीं।
सुभाष गुप्ते फिर वेस्टइंडीज में पोर्ट ऑफ स्पेन ही सेटल हो गये थे।
2002 में उनका वेस्टइंडीज में निधन हो गया था।
अपने समय के सबसे अच्छे स्पिनर थे सुभाष गुप्ते।
घटना कुछ यूं थी कि गुप्ते का अंतर्राष्ट्रीय करियर इंग्लैंड के 1961-62 के भारत दौरे के दौरान विवादित तरह से खत्म हो गया।दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला में तीसरे टेस्ट के दौरान टीम इंडिया इंपीरियल होटल में रुकी थी, जहाँ गुप्ते को टीम के साथी ए.जी. कृपाल सिंह के साथ कमरा नंबर 7 में ठहराया गया था। ए जी कृपाल सिंह एक सिख खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने पूरे 14 टेस्ट के कैरियर के दौरान मात्र 422 रन बनाये थे और मात्र 10 विकेट लिये थे। औसत से भी नीचे के क्रिकेटर थे ए जी कृपाल सिंह। सिख थे, पर एक ईसाई लड़की के प्यार में थे तो पगड़ी और दाढ़ी नहीं रखते थे।
ठहरने के दौरान, होटल की एक रिसेप्शनिस्ट ने भारतीय टीम मैनेजर के पास उस कमरे में रहने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उन पर उसकी शिफ्ट खत्म होने के बाद उसे बुलाने का आरोप लगाया।गुप्ते ने घटना की जानकारी होने से इंकार किया। गुप्ते की शादी हो चुकी थी और उनकी पत्नी वेस्टइंडीज की थीं। गुप्ते ने बताया कि सिंह ने रिसेप्शनिस्ट से केवल कुछ पीने के लिये भेजने को कहा था।
एम ए चिदंबरम
दोनों को टीम से निलंबित कर दिया गया ।गुप्ते को तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एम ए चिदंबरम ने सुनवाई का मौका नहीं दिया।बाद में तत्कालीन मद्रास में तत्कालीन बीसीसीआई सचिव ए एन घोष की अध्यक्षता में सुनवाई हुई।
ए एन घोष
जहां सुभाष गुप्ते पर ये आरोप लगा के उनका कैरियर खत्म कर दिया गया कि उन्होंने अपने रूममेट सिंह को रिसेप्शनिस्ट को काल करने से क्यों नहीं रोका। सुभाष गुप्ते का तर्क था कि वो किसी दूसरे को कॉल करने से कैसे रोक सकते थे ?सुभाष गुप्ते इसके बाद अपनी पत्नी के साथ पोर्ट ऑफ स्पेन त्रिनिदाद में रहने चले गये और फिर कभी भारत के लिए नहीं खेले।
मजे की बात ये है कि जो असली दोषी ए जी कृपाल सिंह थे, वो इस विवाद के बाद भी खेले।
मतलब ये पूरा षड्यंत्र ही सुभाष गुप्ते का कैरियर खत्म करने को रचा गया था।
2002 में सुभाष गुप्ते की मृत्यु हो गई।
आपका – विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित – Exxcricketer.com