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सफलता के सूत्र -भाषा पर नियंत्रण
प्रस्तुति -विपुल मिश्रा

क्रिकेट से इतर कुछ और बातें करने का मन है। जीवन की बातें। आपके और हमारे जीवन की।
एक चीज जो जवानी में जल्द समझ नहीं आती वो है कि आपकी भाषा, आपकी जुबान, आपके बोले हुये शब्द आपके जीवन की सफलता और असफलता के बहुत बड़े कारक होते हैं।
इस जुबान पर अपनी जुबान में बात करते हैं आज।

स्कूल और कॉलेज की बात अलग है, पर जब आप असली जीवन में निकलते हैं तो आपकी भाषा पर आपके आगामी जीवन की सफलता बहुत कुछ निर्भर करती है।
सोशल मीडिया पर या अपने दोस्तों के ग्रुप में सीधे या घुमा फिरा कर दी गई गाली वाली भाषा आपको भले कूल दिखाये
पर व्यावसायिक जीवन में बहुत गाली देने वाले लोग ज्यादातर सफल नहीं हो पाते।
आप खुद सोचें कि क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को नौकरी पर रखना चाहेंगे या उसके अधीन नौकरी करना चाहेंगे जो बात बात पर गाली देता हो।
पुलिस डिपार्टमेंट को यहां नहीं जोड़ रहा, उनकी कुछ मजबूरियां होती हैं।
उनके अलावा आज के युग में जहां हर क्षेत्र में आपके साथ नारी शक्ति भी काम करती है और काफी मात्रा में काम करती है, ये एक तो उन महिलाओं को असहज करता है क्योंकि सभी गालियां महिलाओं और यौन से ही संबंधित होती हैं और दूसरे आपके क्लाइंट या कस्टमर भी आपको अच्छी नज़रों से नहीं देखेंगे।
आदत पड़ जाती है,आदत पड़ ही जाती है अगर आप गालियों का ज्यादा प्रयोग करते हैं तो क्लाइंट या कस्टमर के आगे कुछ ऐसा बोल ही जाओगे जो उसको असहज कर देगा।
मैं बिल्कुल भी आदर्शवादी नहीं हूं और ये बातें आदर्शवाद की कर भी नहीं रहा।
प्रैक्टिकल बात कर रहा हूं और प्रैक्टिकल सोचें
आज भी आज भी आप बिसात खाने (चूड़ी, बिंदी की दुकान) पर जाओ तो उसके दुकानदार बीवीजी बहन जी की जुबान में ही बात करते मिलेंगे। दुकान पर भी और अलग भी। उनका प्रोफेशन ऐसा है कि उन्हें महिलाओं को ही सामान बेचने होते हैं और जुबान पर काबू रखना बहुत जरूरी होता उनके लिये।
प्रैक्टिकल थिंकिंग।
शायद ही आप अपने क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों पर बैठे किसी व्यक्ति को अपशब्दों का प्रयोग करते सुनें। ज्यादातर वो लोग मृदुभाषी और शब्दों का सही चयन करने वाले लोग ही होंगे।
अब आप यहां विराट कोहली और अजीत भारती की बात करना चाहेंगे। तो वो भी बता रहा।
दोनों बहुत सफल हैं।


विराट कोहली लीजेंड खिलाड़ी है, सब कुछ हासिल कर चुका है और उसका काम पब्लिक डीलिंग नहीं है। इसके लिए उसने पी आर एजेंसी हायर कर रखी हैं जो उसकी गालियों को भी डिफेंड कर लेंगे। दूसरी बात उसकी जिंदगी अभी बाकी है।
सन्यास के बाद वो भी आपको मृदुभाषी ही दिखेगा। मात्र 4-5 साल की बात है।
अजीत भारती की मजबूरी ये है कि एक विशेष तबके के होहल्ले से उकताया हुआ एक दूसरा तबका ऐसे ही किसी आदमी को बढ़ाना चाह रहा था जो उसके एवज में दूसरे तबके को खुल के गाली दे सके।
सोशल मीडिया की बात अलग है। व्यक्तिगत जीवन में वो भी शायद ही ऐसी भाषा प्रयोग करता हो। ऐसा मेरा मानना है।
पर कोहली हों या अजीत भारती ये दोनों अपने क्षेत्र में काफी उच्च स्थान पर हैं। इनके पास सुविधा और सहूलियत है।
पर नौकरी ढूंढते, दुकान चलाते या अपना माल बेचने निकले किसी साधारण आदमी की इनसे तुलना बेमानी ही होगी।
सार्वजनिक और पेशेवर जीवन में गालीबाज बहुत आगे नहीं बढ़ते।
इसलिये मेरा मानना है कि जब आप व्यक्तित्व विकास की बातें करते है और जीवन में सफलता की ओर बढ़ने की बातें करते हैं तो जो सबसे पहली चीज आपको ध्यान रखनी चाहिये, वो है आपकी भाषा, आपकी जुबान, आपके कहे जा रहे शब्द।
गंदी से गंदी चीज कहने का एक शिष्ट तरीका होता है और अच्छी से अच्छी चीज कहने का एक गंदा तरीका।
कोई भी सामने वाले के पिता को उसकी मां का खसम भी बोल सकता है, बाप भी बोल सकता है और पूज्य पिताजी भी बोल सकता है।
अर्थ एक ही है, पर शब्द अलग अलग हैं।
और आप क्या बोलते हैं, ये आपकी मानसिकता दिखाता है।
आपके द्वारा किये जा रहे शब्दों का चयन हमेशा आपकी मानसिकता, आपका व्यक्तित्व दिखाता है।
अपने शब्द अच्छे रखें, आपका व्यक्तित्व भी अच्छा होगा,आपका भविष्य भी अच्छा होगा और वर्तमान भी।
अपनी भाषा पर नियंत्रण शायद सफलता का सबसे पहला सूत्र है।

कबीर दास सैकड़ों साल पहले कह चुके हैं
“ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोये।
औरन को सीतल करे आपहुं सीतल होये।”
कूल दिखने से ज्यादा अच्छा सफल दिखना होता है।

🙏🙏
विपुल मिश्रा
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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