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साकेत अग्रवाल

साकेत अग्रवाल

लव जेहाद :- सामान्य अपराध या आतंकी घटना

 

35 टुकड़े किसी लड़की के नहीं किए गए हैं 35 टुकड़े किए गए हैं उस विश्वास के जिस पर आंख मूंदकर, अपने परिवार से लड़ झगड़ कर हिंदू लड़कियां विश्वास कर लेती है।

महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के उपासक हिंदू समाज के लिए इससे अधिक दुर्भाग्य का विषय और कुछ हो नहीं सकता कि हिंदू समाज की लड़कियां जेहादियों के फैलाए भ्रम जाल में बहुत ही आसानी से फंस जा रहीं है।

लव जेहाद के केसों में सरकार भी उतनी ही दोषी है जितने हम लोग। सरकार दोषी है इस बात के लिए की लव जेहाद की लगातार बढ़ती आतंकी घटनाओं पर सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है और इस पर कोई कानून नहीं बना रही (कुछ चुनाव में ध्रुवीकरण करने के चक्कर में और संभवतः कुछ विश्वास जीतने के चक्कर में)।

लव जेहाद के केसों में हमारा आपका दोष ये है कि हम अपनी बहन-बेटियों को ये सीख नहीं दे पाए कि आफताब हो अब्दुल सबकी सोच एक ही है।
दोष हमारा, परिवार का है कि इस विषय को कभी विमर्श का मुद्दा ही नहीं बनाया। दोष हमारा कि हम हमारी बहन-बेटियों को ये समझाने में हिचकते रहे कि उनके लिए आप एक भोग की वस्तु से अधिक और कुछ नहीं हो।

समस्या को समस्या न मानना और समस्या को विकराल होते देखते रहना ही हमारे समाज की, सरकार की सबसे बड़ी समस्या रही।
पहले वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते आतंकवादियों के मानवाधिकार की बातें करके भूल की जाती रहीं और आज बिलकुल वही, वैसी ही भूल लव जेहाद के केसों को सामान्य अपराध मानकर की जा रही है।

श्रृद्धा हत्याकांड और इन जैसे केसों को सामान्य अपराध की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। अगर इन घटनाओं पर लगाम लगानी है सबसे पहले इन घटनाओं को आतंकी घटनाओं की श्रेणी में डालना होगा। इन जैसे केसों की जांच पुलिस से न कराकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से करवाना आज समय की अति आवश्यक मांग है।

न तो समाज को और न ही सरकार को इन घटनाओं को सामान्य अपराध समझ कर यूं ही हवा में नहीं उड़ाना चाहिए। NIA, ED जैसी एंजेसियों के माध्यम से लव जेहाद की आतंकी घटनाओं की जांच होनी चाहिए। इन लड़कों को फंडिंग कहां से हो रही है इसकी जांच होनी चाहिए और उस फंडिंग को बंद कराया जाना चाहिए।

सारे केसों में सबकुछ पूर्व निर्धारित षड्यंत्र के अनुसार ही हो रहा, कहीं असली नाम से तो कहीं नकली नाम से हिंदू लड़कियों को प्यार के भ्रम जाल में फंसाया जा रहा है उनका उपभोग किया जा रहा है और मन भर जाने पर कहीं सूटकेस तो कहीं फ्रीज का प्रयोग किया जा रहा। लेकिन लिबरल गैंग, तथाकथित प्रगतिशील विचारधारा के लोग इस सत्य को स्वीकार करने हेतु तैयार नहीं है।

आफताब-श्रृद्धा के लव जेहाद वाले केस में आफताब ने 18 मई 2022 को श्रृद्धा की हत्या कर दी थी और पकड़ा गया वो 14 नवंबर को। इन छः महीनों में वो श्रृद्धा के पार्थिव शरीर के टुकड़े करता रहा और सामान्य जीवन जीता रहा। उसे न तो श्रृद्धा की हत्या करने की ग्लानि हुई न किसी प्रकार का दुख हुआ न क्षोभ हुआ और न ही उसे किसी प्रकार का डर लगा।
इस प्रकार की मानसिकता क्या किसी भी प्रकार से सामान्य मानसिकता कही जा सकती है?
Brainwashed लोग हैं ये, किसी भी प्रकार से सामान्य नहीं है इन पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की धाराओं में मुकदमा चलना चाहिए। आफताब जैसे आतंकवादियों को मृत्युदंड से कम दंड देना मानवता के साथ अन्याय करना होगा।

हे महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गे, कलयुग के जेहादी महिषासुरों से अपनी पुत्रियों की रक्षा करो 🙏🙏🙏🙏

साकेत अग्रवाल


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