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भाग -1

साकेत अग्रवाल

फीफा फुटबॉल विश्वकप – शुरू से अब तक भाग -1

ओलंपिक खेलों के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन कतर में प्रारंभ होने जा रहा है। अब अगले एक महीने तक पूरी दुनिया फुटबॉल की दीवानगी में डूब जाएगी। भारत जैसा क्रिकेट का दीवाना देश भी फुटबॉल की दीवानगी से अछूता नहीं रह पाएगा।
आइए आपको अब तक हुए 21 फुटबॉल विश्वकप की एक संक्षिप्त यात्रा करवाते हैं।

प्रथम विश्वकप (उरुग्वे, 1930)

image credit-FIFA

प्रथम विश्वकप (उरुग्वे, 1930) :-
प्रथम फुटबॉल विश्वकप का आयोजन करने का गौरव मिला दक्षिण अमेरिकी देश उरुग्वे को।

दिनांक 13 जुलाई 1930 को विश्वकप इतिहास का पहला मैच फ्रांस और मैक्सिको के मध्य खेला गया जिसमें फ्रांस ने मैक्सिको को 4-1 से हराया।

प्रथम विश्वकप का प्रथम सेमीफाइनल अर्जेंटीना व अमेरिका और द्वितीय सेमीफाइनल उरुग्वे व यूगोस्लाविया के मध्य खेला गया जिसमें क्रमशः अर्जेंटीना और उरुग्वे विजयी रहे।
इन दोनों सेमीफाइनल की रोचक बात ये रही कि दोनों ही सेमीफाइनल की स्कोर लाइन 6-1 रही।
फाइनल मुकाबला उरुग्वे व अर्जेंटीना के मध्य खेला गया। 1928 ओलंपिक का फाइनल भी इन्हीं दोनों टीमों के बीच खेला गया था।

प्रथम फुटबॉल विश्वकप के फाइनल मुकाबले में हाफ टाइम तक अर्जेंटीना 2-1 से आगे थी लेकिन उरुग्वे ने जबरजस्त वापसी करते हुए 4-2 से अर्जेंटीना को हरा दिया और पहले विश्वविजेता होने का गौरव प्राप्त किया।
प्रथम विश्वकप :-
विजेता – उरुग्वे, उपविजेता – अर्जेंटीना
फाइनल – उरुग्वे 4 – अर्जेंटीना 1

द्वितीय विश्वकप (इटली, 1934 )

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द्वितीय विश्वकप (इटली, 1934) :-

ये पहला विश्वकप था जिसके लिए क्वालिफाइंग राउंड आयोजित किया गया।
ये पहला और एकमात्र विश्वकप था जिसमें मेजबान देश को क्वालिफाइंग राउंड खेलना पड़ा।
ये एक ऐसा विश्वकप था जिसमें गत विजेता उरुग्वे ने, यूरोपीय देशों से अपनी नाराज़गी के कारण, अपना खिताब बचाने के लिए हिस्सा नहीं लिया।
इस विश्वकप में इजिप्ट ने भी हिस्सा लिया और विश्व कप में खेलने वाला पहला अफ्रीका देश बना।

क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं सारी 8 टीमें यूरोपीय थी। फाइनल मुकाबला इटली और चेकोस्लोवाकिया के मध्य खेला गया जिसमें इटली 2-1 से विजयी रहा। इस प्रकार एक बार पुनः मेजबान देश ने ही विश्व कप जीत लिया।
द्वितीय विश्वकप :-
विजेता – इटली, उपविजेता – चेकोस्लोवाकिया
फाइनल – इटली 2 – चेकोस्लोवाकिया 1

तृतीय विश्वकप (1938, फ्रांस)

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तृतीय विश्वकप (1938, फ्रांस) :-

इस विश्वकप में तीन नई टीमें, पोलैंड, क्यूबा और डच ईस्ट इण्डीज खेलीं।
यह पहला विश्वकप था जिसमें मेजबान देश और गत विजेता को सीधे फाइनल राउंड में खेलने का लाभ मिला था।

इस विश्वकप में अपनी प्रतिभा के बल जिस टीम ने सबसे अधिक प्रभावित किया वो टीम थी ब्राजील की टीम। ब्राजील और पोलैंड के मध्य मैच विश्वकप इतिहास का सबसे रोमांचक मैचों में एक गिना जाता है, जिसे ब्राजील ने 6-5 से जीता।
ब्राजील का सेंटर फॉरवर्ड लियोनीदास ने नंगे पैर खेलकर ऐसा प्रदर्शन किया मानो गेंद उसके इशारे पर नाच रहे हो और इस प्रदर्शन के बल पर उसने मैच में 4 गोल किए। पोलैंड के विलमोस्की ने भी उसका खूब मुकाबला किया और उसने भी 4 गोल किए।

लेकिन सेमीफाइनल मैच में इटली के विरुद्ध ब्राजील ने आवश्यकता से अधिक आत्मविश्वास दिखाया और लियोनीदास को टीम में नहीं खिलाया और इसी अति आत्मविश्वास का मूल्य ब्राजील को चुकाना पड़ा। इटली ने ब्राजील को हरा दिया।
दूसरे सेमीफाइनल में हंगरी ने स्वीडन को हराया।

फाइनल में इटली और हंगरी के मध्य मुकाबला हुआ। इटली लगातार दूसरी बार विश्व विजेता बनने के लिए लालायित था जबकी अब तक के अपने प्रदर्शन के बल पर हंगरी ने भी विश्वकप जितने की मजबूत दावेदारी ठोंक दी थी।
फाइनल मुकाबला बढ़िया रहा लेकिन इटली ने 4-2 से हंगरी को पराजित कर दिया और लगातार दूसरी बार विश्वविजेता बनने वाला पहला देश बना।

इस विश्वकप से पूर्व यूरोप में राजनीतिक तनाव चरम पर था और यही तनाव दूसरे विश्वयुद्ध का कारण बना। विश्वयुद्ध के कारण अगले 12 सालों तक कोई भी फुटबॉल विश्वकप आयोजित नहीं हो पाया।

तृतीय विश्वकप :-
विजेता – इटली, उपविजेता – हंगरी
फाइनल :- इटली 4 – हंगरी 2

चौथा विश्वकप (1950, ब्राजील)

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चौथा विश्वकप (1950, ब्राजील)

एशिया से बर्मा ने क्वालिफाई किया, जब बर्मा नहीं खेला तो भारत को अवसर मिला लेकिन तत्कालीन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण बिल्कुल अंतिम समय पर पैसों की कमी को कारण बताकर भारत ने अपनी टीम विश्वकप में भेजने से मना कर दिया। भारत को इसके बाद कभी विश्वकप में खेलने का अवसर नहीं मिला।

तात्कालिक राजनीतिक कारणों के चलते कई फुटबॉल महाशक्तियों ने विश्व कप में हिस्सा नहीं लिया।

औसत से भी कम स्तर की अमेरिकी टीम और विश्व कप जीतने की दावेदार इंग्लैंड की टीम में विश्वकप इतिहास का सबसे सनसनीखेज मुकाबला खेला गया। इंग्लिश खिलाड़ी एक के बाद एक गोल करने के मौके गंवाते रहे लेकिन लैरी गेट्जेंस के गोल के दम पर अमेरिकी टीम ने इंग्लैंड को 1-0 से हरा कर विश्वकप इतिहास का एक बड़ा उलटफेर कर दिया।

ये विश्वकप इतिहास का पहला और अंतिम अवसर था जब लीग आधार पर हुए मैचों ने विश्व चैंपियन को चुना। फाइनल राउंड में ब्राजील, स्वीडन, उरूग्वे, और स्पेन पहुंचे।
फाइनल राउंड में ब्राजील ने स्वीडन और स्पेन को क्रमशः 7-1 और 6-1 के बड़े अंतर से हराया जबकि उरुग्वे ने इन दोनों देशों को बड़ी कठिनाई से हराया था अब विश्वविजेता का निर्णय ब्राजील और उरुग्वे के मध्य होना था।

घरेलू समर्थन और बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर ब्राजील जीत का मजबूत दावेदार था। लेकिन हाफ टाइम तक उरुग्वे ने ब्राजील को 0-0 पर रोके रखा। इससे ब्राजील की टीम निराश हो गई और इसी का लाभ उठाकर उरूग्वे ने 2 गोल ठोंक दिए। ब्राजील एक गोल ही कर पाया। और इस प्रकार उरूग्वे ने दूसरी बार विश्व कप जीत लिया।

चौथा विश्वकप :-
विजेता – उरूग्वे, उपविजेता – ब्राजील
उरूग्वे 4 – ब्राजील 2

पांचवां विश्वकप (1954, स्विट्जरलैंड)

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पांचवां विश्वकप (1954, स्विट्जरलैंड)

अगर 1950 में ब्राजील विश्वकप जीतने का सबसे प्रबल दावेदार था तो 1954 में हंगरी से प्रबल दावेदार और कोई नहीं था पिछले चार साल और 25 मैचों में वे अपराजित थे इन 25 मैचों में हंगरी ने 104 गोल किए थे। वे 1952 में ओलंपिक चैंपियन भी बने थे।

हंगरी ने अपने विश्वकप अभियान की शुरुआत दक्षिण कोरिया को 9-0 और पश्चिम जर्मनी को 8-3 से हराकर की। प.जर्मनी के मैनेजर ने चतुराई दिखाते हुए अपने कई महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को इस मैच में नहीं खिलाया।

हंगरी, प.जर्मनी, उरुग्वे और आस्ट्रिया सेमीफाइनल में पहुंचे जहां प.जर्मनी ने आस्ट्रिया को और हंगरी ने उरूग्वे को क्रमशः 6-1 और 4-2 से हराया।

फाइनल मैच बड़ा ही नाटकीय सिद्ध हुआ। हंगरी विश्व विजेता बनने का स्वप्न लेकर खेला पर प.जर्मनी ने हाफ टाइम तक हंगरी को 2-2 की बराबरी पर रोके रखा और अपने राइट विंगर हलमट रैन के गोल की बदौलत पश्चिम जर्मनी चैंपियन बन गया।

हंगरी, जो पिछले चार साल से अपराजित थी उसे मैनेजर हरबर्गर की पश्चिम जर्मनी की टीम ने पराजित कर पहली बार विश्व विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया। फुटबॉल पंडितों ने प.जर्मनी की विजय का श्रेय मैनेजर हरबर्गर की नीतियों को दिया।

ये 33 मैचों में हंगरी की पहली हार थी। इस मैच ने हंगरी के फुटबॉल में स्वर्णिम युग का अंत किया और इसके बाद हंगरी का विश्वकप जीतने का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया।

पांचवां विश्वकप :-
विजेता :- पश्चिम जर्मनी, उपविजेता – हंगरी
पश्चिम जर्मनी 3 – हंगरी 2

(भाग – 1 समाप्त)

साकेत अग्रवाल

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