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शिवम

एकदिवसीय विश्व कप में सचिन

भारत में क्रिकेट के भगवान की उपाधि पा चुके सचिन तेंदुलकर एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले और सर्वाधिक शतक बनाने वाले बल्लेबाज हैं। आज आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप के मैचों में सचिन तेंदुलकर के प्रदर्शन पर नजर डालते हैं।

एकदिवसीय विश्व कप 1992

सचिन ने 1992 में पहली बार विश्व कप में शिरकत की। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुए विश्व कप में सचिन ने आठ मैचों की 7 पारियों में तीन अर्धशतकों की मदद से 283 रन बनाए। इस दौरान इनका औसत 47.16 और स्ट्राइक रेट 84.73 था।  

एकदिवसीय विश्व कप 1996

चार साल बाद दूसरा विश्व कप सचिन को अपनी घरेलू धरती पर खेलने का मौका मिला और क्रिकेट प्रेमियों को उनसे काफी उम्मीदें थी। 1996 में भारत , पाकिस्तान और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में हुए इस टूर्नामेंट में मास्टर ब्लास्टर 523 रन बनाकर अपने समर्थकों की उम्मीदों पर खरा उतरे।इन्होंने ने सात मैचों की इतनी ही पारियों में 87.16 की औसत व 85.87 की स्ट्राइक रेट से दमदार बल्लेबाजी की। केन्या के ख़िलाफ कटक में 18 फरवरी को उन्होंने 138 गेंदों में 15 चौके व एक छक्का लगाते हुए 127 रन की पारी खेली। यह इनकी पहली विश्वकप सेंचुरी थी। इसके बाद इनके बल्ले से एक और शतक निकला। दिल्ली में 2 मार्च को श्रीलंका के खिलाफ 137 गेंदों में 8 चौकों और 5 छक्कों की मदद से 137 बनाए।

यह शतक टीम के काम न आ सका क्योंकि श्रीलंका ने इस मैच को 6 विकेट से जीत लिया था।

एकदिवसीय विश्व कप 1999

अब बात करते हैं सचिन के तीसरे विश्वकप की जो 1999 में खेला गया था। इंग्लैंड, हॉलैंड और स्कॉटलैंड के गेंदबाजी के लिए माकूल हालात में सचिन का बल्ला कुछ खास नहीं चला। उन्होंने सात मैचों की सात पारियों में एक सेंचुरी की मदद से 42.16 की औसत व 90.03 की स्ट्राइक रेट के साथ 253 रन बनाए। इस विश्व कप में इनका एकमात्र शतक केन्या के खिलाफ ब्रिस्टल में बना। जब वह 101 गेंदों में 140 रन बनाकर नाबाद पैवेलियन लौटे जो कि उस समय उनका विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। इसमें उन्होंने 16 चौके और 3 तीन छक्के लगाए थे।

इस विश्वकप के दौरान सचिन के पिताजी का निधन हो गया था अतः इन्हें बीच विश्वकप से भारत लौटना पड़ा और उनके अंतिम संस्कार से लौट कर केन्या के खिलाफ शतक बनाया था।

एकदिवसीय विश्व कप 2003

2003 विश्व कप में सचिन अपने पूरे शबाब में थे और दक्षिण अफ्रीका, केन्या व जिम्बाब्वे की संयुक्त मेजबानी में हुए इस टूर्नामेंट में इन्होंने जमकर खेला और 11 मैचों की इतनी ही पारियां खेलते हुए एक शतक और छह अर्धशतकों की बदौलत 61.18 की औसत से 673 रन बनाए। इनके इस सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की मदद से भारत फाइनल तक पहुंचा था। बाकी सचिन ने नामीबिया के खिलाफ पीटरमैरिट्जबर्ग में 23 फरवरी 2003 को 151 गेंदों में 18 चौके लगाते हुए 152 रन बनाकर विश्व कप में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में सुधार किया था।

एकदिवसीय विश्व कप 2007

2007 विश्व कप की कड़वी यादों को कोई नही भुला सकता है। शर्मनाक और रुला देने वाला था प्रदर्शन था भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए। वेस्ट इंडीज की धरती पर खेले गए इस विश्व कप में भारत का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और इस कारण वह पहले ही राउंड में बाहर हो गया। इस टूर्नामेंट में सचिन भी एकदम फ्लॉप रहे थे। वह तीन मैचों में 32.00 की मामूली औसत के साथ केवल 64 रन ही बना पाए थे, जिसमें एक अर्धशतक शामिल था। हालांकि स्ट्राइक रेट 110.34 का था।

एकदिवसीय विश्व कप 2011

अपना छठा और आखिरी विश्व कप सचिन ने 2011 में खेला था और भारत ने श्रीलंका को फाइनल में 6 विकेट से हराया था। सचिन को एक लंबा इंतजार करना पड़ा टीम को विश्व चैंपियन बनाने के लिए और भारत को 28 साल। किसी भी बेहतरीन खिलाड़ी का एक सपना रहता है कि वो अपनी टीम को कम से कम एक विश्व कप तो जरूर ही जितवाये।भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की संयुक्त मेजबानी में हुए इस विश्व कप में सचिन का प्रदर्शन भी दमदार रहा। नौ मैचों में नौ पारियां खेलीं और इनके बल्ले से दो शतक और दो अर्धशतक निकले। सचिन ने 58.55 की औसत और 91.98 रन की स्ट्राइक रेट के साथ 482 रन बनाए थे।

इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलुरू में 27 फरवरी को खेलते हुए इन्होंने 115 गेंदों में 120 रन बनाए, जिसमें 10 चौके व 5 छक्के शामिल थे। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नागपुर में 12 मार्च को सचिन के बल्ले से फिर शतक आया। 101 गेंदों में आठ चौके व तीन छक्के उड़ाते हुए 111 रन की पारी खेल डाली ।यह उनका विश्व कप में छठा शतक था। इंग्लैंड के खिलाफ मैच टाई रहा था और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हम हार गए थे रोमांचक मुकाबले में।

बेमिसाल सचिन

 ‘सचिन के टीम में रहते भारत को 27 मैचों में जीत मिली। इन 27 पारियों में उन्होंने तीन शतक और 12 अर्धशतक लगाए थे। सचिन ने 65.91 की औसत और 90.50 की स्ट्राइक रेट के साथ 1516 रन बनाए हैं। इनकी मौजूदगी के दौरान भारत ने 16 विश्व कप मैच हारे। इस दौरान उन्होंने 16 पारियां खेलते हुए 40.12 की औसत व 83.37 की स्ट्राइक रेट से 642 रन बनाए इसमें इनके दो शतक व तीन अर्धशतक शामिल है।

सचिन ने भारत की तरफ से 6 एकदिवसीय विश्वकप में खेलते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का गौरव प्राप्त किया। 1992 से लेकर 2011 के बीच 6 विश्व कप के 45 मैचों की 44 पारियों में 56. 95 की औसत से 2278 रन बनाए और स्ट्राइक रेट 88.98 का रहा। 6 शतक और 15 अर्धशतक सचिन की काबिलियत के बारे में काफी कुछ कहते हैं। 

सचिन सचिन

सचिन! सचिन !सचिन…. की गूंज यूं ही नही थी।ग्राउंड हो, टीवी देखते हुए या फिर किसी दूर दराज के गांव में रेडियो सुनता हुआ कोई!

. सबको यकीन था कि सचिन है तो किस बात का डर… तमाम परेशानियों के बीच में सचिन की पारी लोगों के जीवन में खुशियां बिखेरने का काम करती थी।

क्रिकेट एक जुनून बन गया था सचिन के दौर में। स्कूल से बंक मारकर लौंडे क्रिकेट देखने चले जाते थे चाय टपरी वाले के दुकान पर।

मेरे जैसे लोग एक रेडियो स्कूल में छिपाकर लेकर जाते थे और क्रिकेट कमेंट्री सुनते थे… !

शिवम

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