आपका -विपुल
आपका – विपुल
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2023 – पांचवां दिन
11 जून 2023
टीम इंडिया को विश्व टेस्ट
चैंपियनशिप फाइनल जीतने के लिये कुल 444 रन बनाने थे। 10 जून को जब खेल खत्म हुआ था तब तक भारत के 3 विकेट गिर चुके थे रन 164 बने थे और अजिंक्य रहाणे 20 और विराट कोहली 44 रन बना कर नाबाद थे।
विराट कोहली और रहाणे क्रीज पर आये, भारत को जीत के लिये 280 रन और बनाने थे। लगभग 20 25 मिनट का खेल हुआ था , भारत 179 रनों पर पहुंचा था,विराट 49 रनों पर पहुंच ही चुके थे, स्कॉट बोलैंड बेहतरीन गेंदबाजी कर रहे थे और विराट कोहली ने धैर्य खो दिया।
कोहली ने ऑफ़ स्टंप के काफी बाहर की गेंद पर बल्ला अड़ा दिया और स्लिप में खड़े स्टीव स्मिथ ने एक बेहतरीन कैच पकड़ कर विराट कोहली की 78 गेंदों पर 49 रनों की पारी समाप्त कर दी।
रवींद्र जडेजा ने अपना खाता भी नहीं खोला था और अपनी खेली मात्र दूसरी ही गेंद पर विकेटकीपर कैरी को कैच थमा दिया।
बॉलर बोलैंड ही थे।
एक ही ओवर में दो विकेट गंवाने के बाद अजिंक्य रहाणे और श्रीकर भरत ने संभल कर खेलना शुरू किया पर लगभग 10 ओवर बाद ही जब भारत का स्कोर 212 था अजिंक्य रहाणे 46 (108) भी अपना धैर्य खो बैठे और स्टार्क की गेंद पर कैरी को कैच पकड़ा बैठे।
भारत के स्कोर में 1 रन ही और जुड़ा था कि शार्दूल ठाकुर 0 (5) को नाथन लॉयन ने पगबाधा आउट कर दिया।
220 के टीम स्कोर पर उमेश यादव 1 (12) स्टार्क की गेंद पर कैरी को कैच पकड़ा गये और भारत का स्कोर 224 पहुंचा ही था कि श्रीकर भरत को अपनी ही गेंद पर कैच करके नाथन लॉयन ने उनकी 23 (41) रनों की पारी समाप्त कर दी।
जब भारत का स्कोर 234 था तब स्कॉट बोलैंड ने नाथन लॉयन की गेंद पर मोहम्मद सिराज 01 (06 ) का कैच पकड़ कर भारतीय पारी समाप्त कर दी।
मोहम्मद शमी 13 (08) नाबाद रहे।
लॉयन ने 4 , बोलैंड ने 3 , स्टार्क ने 2 और कमिंस ने 1 विकेट लिया।
भारत ये फाइनल 209 रनों से हारा।
पहली पारी में शतक बनाने वाले बल्लेबाज ट्रेविस हेड मैन ऑफ द मैच रहे और ऑस्ट्रेलिया ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीत ली।
भारतीय टीम की हार के कारण
एक हार सिर्फ हार ही होती है और हार के अलावा कुछ नहीं होती।
एक के बजाय तीन टेस्ट का wtc फाइनल होने की बात हारने के बाद करना केवल बहाने बाजी दिखाता है।
अगर आपको wtc फाइनल जीतना इतना महत्वपूर्ण लगता होता तो आपकी पूरी टीम पिछ्ले एक महीने से रेड बॉल क्रिकेट खेल रही होती, आईपीएल नहीं।
और पुजारा की काउंटी खेलने और आईपीएल न खेलने के बाद भी असफल होने की बात मत ही करना।एक खराब मैच किसी का भी हो सकता है। ऊपर से दूसरी इनिंग में उसने खुद विकेट फेंका।
उधर लाबशान, स्मिथ, कमिंस बोलैंड हेड और स्टार्क उदाहरण हैं जो आईपीएल न खेलने के बाद ही सफल रहे।
बीसीसीआई की प्राथमिकता केवल आईपीएल है।
जो बात आज रोहित ने प्रेस कान्फ्रेस में बोली हम जैसे लोग न जाने कब से बोल रहे हैं कि wtc फाइनल केवल इंग्लैंड में ही क्यों हो।
पर क्या बीसीसीआई ने कभी इसकी औपचारिक डिमांड की।
नहीं की न?
तो आज ये बात करने का क्या फ़ायदा?
पिछ्ले 6 साल से हम टेस्ट मैच बुमराह ऋषभ पंत, सुंदर, अक्षर शार्दूल जैसे एक्स फैक्टर के दम पर जीत रहे थे और घर पर स्पिन पिचों पर अश्विन जडेजा और अक्षर की बॉलिंग से।
मध्यक्रम, कोहली पुजारा रहाणे ने कितने मैच जिताए?
व्हाइट बॉल की सफलता पर कोहली टेस्ट में खेल रहे हैं।
कोई भी टेस्ट आप दो बातों से मुख्यतया जीतते हो।
पहली बीस विकेट लेना और दूसरी मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी।
यहां हमारा मध्यक्रम ही जडेजा से शुरू होता है जो मात्र 5 साल पहले एक टेल एंडर माना जाता था।
49 14 186 13 22 20 44 12 1 24 19 1 20 11 13 23 45 29 79 18 35 36 0 44 50 55 7 20 42 0 13 44 0 27 62 0 72 11 4 74 14 3 19 2
ये कुछ पिछ्ले 45 टेस्ट पारियों के स्कोर हैं विराट कोहली के।
अजिंक्य रहाणे जिसने wtc फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं।
बीसीसीआई की सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में नहीं है और इसलिये नहीं हैं क्योंकि पिछ्ले तीन सालों में बहुत खराब बल्लेबाज़ी की थी।
श्रेयस अय्यर की चोट की वजह से मौका मिल गया। इस टेस्ट मैच में में भी भाग्य का साथ मिला।
पुजारा मैच जिताऊ प्रदर्शन करते नहीं दिख रहे, ऊपर से जैसे शॉट खेल कर आउट हुये, उन्हें खुद शर्म आनी चाहिये।
पिछ्ले चार सालों में भारतीय टेस्ट टीम को कितने टेस्ट विराट कोहली चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे ने अपने बल्ले से जिताए हैं? शायद एक या दो।
इस मध्यक्रम को हम ढो रहे हैं बिना मतलब।
लेग स्पिनर टीम में है नहीं और ऑफ़ स्पिनर की बैटिंग देखी जाती है खिलाने के पहले।
वॉशिंगटन सुंदर,कुलदीप यादव, अक्षर पटेल।
इन तीनों ने आपको मैच जिताए या बना के दिए हैं।
ऋषभ पंत का विकल्प मिल ही नहीं रहा।
इशांत और बुमराह के बगैर शमी अपनी परछाईं भी नहीं दिख रहे और नया नया बोलते बोलते गिल दो बार wtc फाइनल खेल चुके हैं।
रोहित की कप्तानी माशा अल्लाह है।
द्रविड़ और रोहित की जोड़ी इतनी डिफेंसिव है कि थोड़े से बादल देख कर चार सीमर ले जाते हैं जिससे उनके ऊपर ठीकरा न फूटे कि दो स्पिनर क्यों नहीं खिलाए।
क्या इन्होंने नहीं देखा था कि पिछ्ले wtc फाइनल में बादलों के बावजूद अश्विन ही सबसे अच्छा बॉलर रहा था और रन भी मारे थे उसने पंत के साथ।
और क्वालिटी खिलाड़ी जब होते हैं तो मैच अप नहीं किया जाता।
अगर ग्रीम स्मिथ, कुक, हेडन, गिलक्रिस्ट लारा एंडी फ्लावर, जैसे बल्लेबाज हों तो सारे बल्लेबाज बाएं हाथ के भी हों तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
अश्विन को आपने मैच अप लायक भी न समझा जहां ऑस्ट्रेलिया के आधे बल्लेबाज बाएं हाथ के थे।
बॉलिंग कप्तान वाली अवधारणा पर शायद रोहित शर्मा को विश्वास ही नहीं।
मुझे कोई बॉलर ये जिम्मेदारी निभाते नहीं दिखा।
हर बॉलर अपने में मस्त था रोहित अपने में।
ये फाइनल हम खिलाड़ियों की वजह से नहीं इन खिलाड़ियों की मानसिकता की वजह से हारे हैं ।
जो द्रविड़ के आने से अल्ट्रा डिफेंसिव है।
जो टीम अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज को उसकी बल्लेबाज़ी अच्छी न होने के कारण न खिलाये, जिस टीम का आईपीएल न खेलने वाला प्लेयर आईपीएल शॉट खेले और पिंच हिटर डिफेंस करे। जिस टीम के गेंदबाज टप्पा एक जगह न रख पाएं और कप्तान क्लूलेस दिखे , ईमानदारी से बताना, क्या वो टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीतने लायक थी?
आपका -विपुल
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