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आपका -विपुल

मेरा रिव्यू – जवान

“मेरा 5  इंच का है!”

“मेरा 6 इंच का है!”

अब इतना सुन के मुझसे रहा नहीं गया। बोल ही पड़ा।

“मेरा 9 इंच का है!”

सन्नाटा!

दोनों ने पलट के मुझे खा जाने वाली नजरों से देखा।

“स्मार्टफोन की बात हो रही थी bsdk!”

“ओह ! सॉरी! माय बैड!”

इतनी इंगलिश आती थी मुझे कि शालीनता से बात खत्म कर पाता।

मैं वैसे भी शरीफ आदमी हूं, अश्लीलता पसंद नहीं मुझे।

ये दोनों मेरे जिगरी दोस्त थे बचपन के।

नाम जानना चाहेंगे?

टी एम सी।

 एम के बी।

अरे गाली नहीं दे रहा भाई। नाम ही हैं मेरे दोस्तों के।

तीरथ मल चौहान

मोहन कुमार भदौरिया।

लेकिन केवल यही दो नहीं थे जो यहां थे।

एक और था।

इतने सारे सवर्णों के बीच एक महादलित।

पुच्ची वाला उर्फ प्रेम कुमार पाण्डे।

वैसे तो मेरे सारे दोस्त ही बीपीएल श्रेणी के हैं पर ये तो अंत्योदय श्रेणी में आता था।

साला सरयूपारी ब्राह्मण ।

इसका नाम पुच्ची वाला इसलिए पड़ा था क्योंकि ये हम लोगों के क्रिकेट खेलते समय जब भी विकेट लेता था तो बल्लेबाज को फ्लाइंग किस देता था। चूंकि अच्छा गेंदबाज था और सब इससे चिढ़ते थे तो इसका नाम ही  पुच्ची वाला रख दिया गया था।

आज इसी पुच्ची वाला उर्फ प्रेम कुमार पाण्डे का जन्मदिन था और हम सब लोग इसका जश्न मनाने इकट्ठा हुए थे।अपनी अपनी बीवियों को बताए बगैर।

गंदा नाला पर।

नशेड़ियों के मालदीव के रूप में विख्यात बृजेंद्र स्वरूप पार्क में एक बेंच के पीछे बैठ कर टी एम सी और एम के बी गांजे वाली बीड़ी फूंकते हुए अपने स्मार्टफोन की लंबाई की बात कर  रहे थे, मैं बन पर आयोडेक्स चुपड़ के खाने के बाद उनके वार्तालाप में कूदा था था और हमारा बर्थडे ब्वॉय बूटपॉलिश चाट रहा था।

निर्मल आनंद का माहौल था जब

अपने काले दांतों के साथ पुच्ची वाला बोला।

“आज जवान फिल्म देखी जायेगी।”

प्रस्ताव ऐसा था कि असहमत होने का सवाल ही नहीं था, पर बात पैसों पर आके फंसी जब पुच्चीवाला बोला -“हर आदमी अपनी अपनी टिकट और खाने पीने के पैसे खुद खर्च करेगा।”

“ये क्या बात हुई bsdk? तेरा जन्मदिन है। तू पैसे खर्च कर।”

सबसे पहले मैं ही बोला।

वो थोड़ी देर चुप रहा फिर रोने लगा।

फूट फूट के।

“भाई! मेरी बीबी रोज के 1000 रुपए देती है बस।”

“अरे! अरे!”

हम उसे चुप कराने में जुट गए।

“पर तेरी बीबी का बाप तो बड़ा अमीर है। ब्लॉक प्रमुख था न कहीं का।”

“तो?” “साला भी विधायक है मेरा।पर बीबी दुष्ट है।बोलती है मेरी औकात नहीं 1000 रुपए से ज्यादा की, इससे ज्यादा रूपये बाहर लेकर जाओगे तो बिगड़ जाओगे।”

“पर तेरा तो खुद का बिजनेस था न प्रॉपर्टी डीलिंग का।”

मोहन ने उससे सहानुभूति जताई।

“नाम का है। सब साला ही देखता है।”

वो फिर रोने लगा।

मोहन कुमार भदौरिया बैंक क्लर्क था और तीरथ मल चौहान की फोटोकॉपी की दुकानें थीं। मैं गन्ना विकास विभाग में क्लर्क और पुच्ची वाला प्रॉपर्टी डीलर।

फिर आपसी विचार विमर्श, गाली गलौज ,मुक्का लात और 

जातिवाद के आधार पर सर्वसम्मति से ये प्रस्ताव पारित हुआ कि सरकारी कर्मचारी ठाकुर और सरकारी कर्मचारी ब्राह्मण अपने अपने सजातीय के पैसे भी भरेंगे। 

इसके बाद हम कपड़े झाड़ते हुए पार्क के गेट पर आए।

गाड़ी किसी के पास नहीं थी।सब ऑटो से ही यहां तक आए थे क्योंकि किसी में इतनी दम नहीं थी कि अपनी बीबी से पूंछे बगैर दहेज में मिली गाड़ी उसे बिना बताए कहीं ले जा पाता।

ओला बुक हुई। सिडान।

और जो ओला टैक्सी आई , देख के ही मुझे चक्कर आ गया।

कल्लन तिवारी।

मीठा कल्लन तिवारी।

ऊपर तो सफेद शर्ट ठीक ही थी।

नीचे टांगों पर व्हाइट स्लैक्स के ऊपर चेक वाली स्कर्ट।

“ये क्या पहने हो bsdk?”

तीरथ मल चौहान का माथा गरम था।

“स्कर्ट! क्विल्ट स्कर्ट। स्कॉटलैंड में इसे आदमी लोग पहनते हैं!”

“अबे ये स्कॉटलैंड नहीं योगी लैंड है! कान के कनखजूरे आजकल लोगों के गान में घुसने लगे हैं।”

पुच्ची वाला इतना ही बोल पाया था कि उसे रोक कर कल्लन तिवारी ठंडे लहजे में हुए बोला।

“विपुल जी जानते हैं मुझे, अच्छे संबंध हैं मेरे इनसे। इसलिए बर्दाश्त कर रहा हूं।वरना आप जैसे बूट पॉलिश का नशा करने वालों को भाव नहीं देता मैं।”

“तुझे कैसे मालूम मैं बूट पॉलिश का नशा करता हूं?”

चौंका पुच्चीवाला।

“मुंह खोलोगे तो दुनिया भर जान जायेगी।”

कल्लन तिवारी हंस के बोला।

चूंकि मेरे कल्लन तिवारी से अच्छे संबंध थे और मैं दारू भी नहीं पीता था, इसलिए मुझे उन शराबियों ने पिछली सीट पर नहीं बैठाया जहां वो माधुरी के बच्चे के तीन हिस्से कर के गटक रहे थे।

आगे वाली सीट पर बैठा था मैं और कल्लन तिवारी रह रह के मेरी जांघों पर हाथ फेर देता था।

गाने भी वो उसकी ओला टैक्सी में आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं बजा रहा था।

पीछे सीट पर बैठे मेरे दोस्त तारीफ कर रहे थे, कितना अच्छा गाना है। दिल को छू जाता है।

सालों को ये नहीं पता था कि कल्लन तिवारी का हाथ भी मेरे नाजुक अंग को छू जा रहा था बार बार।

“तुम पहले ऑटो चलाते थे, फिर लोडर और अब ओला टैक्सी । असल में क्या चलाते हो?”

मैंने पूंछा।

“असल में मैं एक रेनबो क्लब चलाता हूं। इंस्टाग्राम पर।”

उसने मुस्कुरा कर कहा।

मैं उससे ज्यादा बात नहीं करना चाहता था, इसलिए बर्दाश्त किया उसे दस मिनट।

डेढ़ बजा था जब हम जेड स्क्वायर पहुंचे। टैक्सी का पैसा तो पुच्ची वाला को ही देना पड़ा। यही तय था।

फूड कोर्ट पहुंचे जो मूवी थियेटर के बगल ही था। मैगी भी 60 की हो गई थी अब।

एक मैगी खरीद के चारों ने बांट कर खाई।

टिकट लीं जवान मूवी की चार।

एक पचास पर हम सिनेमा हाल के अंदर थे। जाने के पहले मैंने अपने लिए एक बर्गर भी ले लिया था।

मुझे वहां पहुंचने के बाद ही ध्यान आया।

आज एशिया कप का फाइनल भी था।

मैं अपने मोबाइल पर एशिया कप देखने लगा। आज बहुत दिनों बाद अपना मनपसंद नाश्ता भी  किया था। पहले बन पर आयोडेक्स चुपड़ के खाया था अब बर्गर पर आयोडेक्स चुपड़ के खाया था, इसलिए नींद भी आ रही थी। पता नहीं कब सो गया।

इंटरवल में नींद खुली 

पुच्चीवाला बूट पॉलिश का पूरा बड़ा वाला डब्बा ले आया था अंदर ,न जाने कैसे, वो उसीमें व्यस्त था।

और बाकी दोनों मूवी ही देख रहे थे शायद। क्योंकि बोल रहे थे, “अभी तक एक भी बार किसी हीरोइन को बिकनी में या टॉपलेस नहीं दिखाया, क्या बकवास फिल्म है।”

मैं फिर सो गया।

फिल्म खत्म होने के बाद मुझे उठाया गया। आंख मलते हुए बाहर आए हम सब सिनेमा हॉल से।

बाहर कई यूट्यूबिया टाइप पत्रकार हाथ में माइक लिए फिल्म के बारे में पूंछ रहे थे।

हम सब ने जवान फिल्म की बहुत तारीफ की और बताया कि देश हित में ये फिल्म देखना बहुत जरूरी है।

बाहर निकले तो मॉल के बाहर ही कल्लन तिवारी अपनी गाड़ी के साथ खड़ा था। बाकी तीनों दोस्तों को अलग अलग दिशाओं में जाना था, वो ऑटो या बस से निकले।

कल्लन तिवारी ने मुझे कल्याणपुर छोड़ने का ऑफर दिया, वो भी फ्री।

मैंने मना कर दिया। एक तरह से उसे दुत्कार सा दिया कि मेरा पीछा छोड़ दे भाई।

उसकी आंखों में आंसू थे।

जाते हुए उसकी वैगन आर में ये गाना तेज आवाज में बजता हुआ मैंने सुना “ठुकरा के मेरा प्यार, मेरा इंतकाम देखेगी।”

मैं घर लौटा। बीबी की नज़रों में मैं कचहरी ही गया था आज सरकारी काम से और मेरे अफसरों की नजर में मैं आज अपनी बीवी को दिखाने अस्पताल गया था।

अगली सुबह मेरी नींद नंगी पीठ पर एक वाइपर के तगड़े प्रहार और एक भद्दी गाली सुनने के साथ खुली।

मैंने गुस्से से पूंछा “क्या हुआ?”

जवाब में मेरी आंखों के आगे दैनिक जागरण रखा गया था जिसके फ्रंट पेज पर ही मेरी बड़ी बड़ी फ़ोटो छपी थी ,बन पर आयोडेक्स चुपड़ के खाते हुए।बाकी तीनों दोस्त भी गांजा फूंकते दिख रहे थे फ़ोटो में ।

शीर्षक था “नशेड़ियों को भी पसंद आई फिल्म जवान 

केवल दैनिक जागरण ही नहीं अमर उजाला में भी फ़ोटो थीं हमारी,सिनेमा हाल की , जहां मैं बर्गर पर आयोडेक्स चुपड़ के खाता दिख रहा था, पुच्ची वाला बूट पॉलिश चाटते और मोहन और तीरथमल कंडोम सूंघते।

मेरी बीबी के मोबाइल में कुछ यूट्यूब और फेसबुक चैनलों पर भी हमारा इंटरव्यू और वो नशे वाली तस्वीरें दिख रही थीं।

उस हरामजादे कल्लन तिवारी ने अपनी औकात दिखा दी थी। उसका नेटवर्क बहुत तगड़ा था।

ऑफिस में तो घूस देकर ही अपनी नौकरी बचा पाया, घर में बीबी के हाथ पांव जोड़ कर बचा।

फिलहाल कल्लन तिवारी से बहुत डरने लगा हूं। बीबी को ऐसी बातें बता नहीं सकता।

और हां  जवान फिल्म बकवास है। मत देखना। स्टोरी नाम की कोई चीज ही नहीं है। गीत संगीत भी खराब है।

आपका – विपुल

सर्वाधिकार सुरक्षित – Exxcricketer.com


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One thought on “मेरा रिव्यू – जवान

  1. वाह 😂😂
    बाकी कल्लन तिवारी ने हिंट दिया था आपको गाना बजाकर “ठुकराकर मेरा प्यार इंतकाम देखेगी”🤣🤣🤣

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