आपका -विपुल
हां तो भाई , फिर हार गए। गेंदबाज़ी बकवास दिखी शुरू के बाद और गेंदबाज लाचार।
चार ओवर फेंक के घुटने पकड़ लेने वाले गेंदबाज़ों से टीम इण्डिया इंटरनेशनल पटी पड़ी है। दो मैच खेलने के बाद 8 मैच विश्राम चाहिए इन्हें । हां, आईपीएल के पूरे सीजन सही रहेंगे ये सब गेंदबाज।
बड़ी तारीफ़ होती है कि आईपीएल से हमें अच्छे तेज गेंदबाज मिल रहे हैं। सही है क्या? देखो आईपीएल से गुरेज नहीं मुझे। वो अपनी जगह जरूरी है। पैसे जरूरी होते।पर उसे तमाशा क्रिकेट ही रहने दो। उसके आधार पर नेशनल टीम में सलेक्शन बिल्कुल गलत है। गेंदबाज़ों का तो बिल्कुल गलत
वजह ?
आप सुनील गावस्कर और कपिल देव की मत सुनो। क्योंकि आपको देशी खिलाडिय़ों की बात समझ नहीं आयेगी। विदेशी
माइक अर्थटन ,नासिर हुसैन, स्टीव वॉग, इन सबकी मानोगे?
इनका मत क्या है?
नासिर हुसैन का मत है कि इंग्लिश नेशनल टीम में किसी भी फार्मेट में वो गेंदबाज और बल्लेबाज़ आने चाहिए जिन्होंने फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए के कम से कम 50 मैच खेले हों,
10 15 शतक बनाए हों, गेंदबाज ने 7 – 8 बार 5 विकेट लिए हों। जीत हार का अनुभव रहा हो। दिनभर बॉलिंग बैटिंग फील्डिंग की हो।
इससे मानसिक मजबूती के साथ शारीरिक फिटनेस भी तय हो जाती है ।
माइक अर्थटन ने इसमें एक बात जोड़ी कि पार्ट टाइम गेंदबाजी कर सकने वाले बल्लेबाजों का भी पता चलता है।
स्टीव वॉग का ये कहना है कि डोमेस्टिक में कम से कम 20 शतक बनाए बगैर किसी बल्लेबाज़ का सेलेकशन होना नहीं चाहिए और जो गेंदबाज एक दिन में 30 ओवर फेंकने की क्षमता न रखे, उसे कंसीडर ही नहीं करना चाहिए ।
हुसैन अर्थटन के पॉडकास्ट सुने हैं। स्टीव वॉग ने ये 2005 में कहा था। अभी भी मुझे सही लगता है।
ईमानदारी से, बिल्कुल ईमानदारी से बताओ।
आपके पास ऐसा कौन सा तेज गेंदबाज है अभी जो दिन में 30 ओवर फेंक सकता हो ?
मुझे नहीं दिखता। और जो फेंकेगा,वो अगले मैच में चोटिल दिखेगा।
2017 दिसंबर के बाद से आपके तेज गेंदबाजों को इंग्लैंड , साऊथ अफ्रीका, आस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाज़ों की सहायक पिचों पर खेलने को मिला, और भारत में रैंक टर्नर पर अक्षर पटेल ने जितवा दिया । तो इन तेज गेंदबाजों को मेहनत नहीं करनी पड़ी ।
कपिल देव के ज़माने की पाटा पिचें लगातार मैच ले आओ, पोल खुल जाएगी। बुमराह तो आधा साल चोटिल ही रहता है।
और इस सब हारजीत के बीच मैं चयन समिति और टीम इण्डिया के कप्तान कोच दोनों को बराबर का जिम्मेदार मानता हूं।
वेंकटेश अय्यर का चयन एक तेज गेंदबाज आल राउंडर के तौर पर होता है और कप्तान रोहित, कोच राहुल उससे शुरू के 2 3 मैचों में गेंदबाज़ी ही नहीं करवाते।
गेंदबाज़ी कर सकने वाले दीपक हूडा को रोहित की कप्तानी में गेंदबाज़ी मिलना मुश्किल ही होता है। उधर चयनकर्ताओं ने भी अपने जॉब को सीरियसली लेना छोड़ दिया है। ओपनर और विकेट कीपर भरे पड़े हैं। थोक के भाव ।अरे बंद करो यार।
गेंदबाजी कर सकने वाले निम्न मध्यम क्रम के आक्रामक बल्लेबाज़ क्यों नहीं देखते हो ?
और तेज गेंदबाज ऑल राउंडर की बहुत बात होती है।
शर्त लगा लो
ये चयनकर्ता एक भी घरेलू मैच नहीं देखते।
विश्वास न हो तो ये कभी मिलें तो इनसे रणजी खेल रहे 10 तेज गेंदबाजी आल राउंडर के नाम पूंछ लेना।
बता ही नहीं पाएंगे।
ये सब चयन या तो आईपीएल फ्रेंचाइजी के अनुसार होते हैं या
रोहित, कोहली, धोनी , गांगुली के खेमों के मुताबिक होते हैं ।
टीम इण्डिया के चयन ऐसे ही होते हैं अब।
क्योंकि चयनकर्ताओं को खुद फुरसत नहीं रहती घरेलू टैलेंट देखने की। बस आइपीएल देखते हैं। चयन के लिए।
बातें बहुत हैं ।
फिर कभी
आपका -विपुल
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