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आपका -विपुल

रंगे सियार का रंग कभी न कभी उड़ ही जाता है और सांप को जिंदा रहने के लिये केंचुल बदलनी ही पड़ती है।
देवेंद्र फडनवीस का इतिहास ज्ञान के लिये प्रसिद्ध एक ट्विटर हैंडल चलाने वाले भाजपा समर्थक ब्राह्मण व्यक्ति को चौराहे पर फांसी देने वाले बयान से जो लोग क्रोध में हैं वो भाजपा की राजनीति को समझते हुये भी नासमझ बनने का ढोंग करते हैं।
भाजपा की पूरी राजनीति ही सवर्णों का वोट लेते हुये सवर्ण विरोध और दलित पिछड़ों और सिखों के तुष्टीकरण पर आधारित रही है। शुरू में ये मुस्लिमों का विरोध करते दिखते थे जिस कारण इनकी हिंदुत्ववादी छवि बन गई पर अब आदरणीय मोदी जी ने पसमांदा वाला एंगल ऐसा जोड़ा है कि अब थोड़ा बहुत मुस्लिम तुष्टीकरण से इन्हें परहेज भी नहीं रहा।
और यहां मैं एक बात बता दूं कि मुझे भाजपा की ऐसी राजनीति से कोई शिकायत कोई दिक्कत नहीं।
हर राजनीतिक दल और हर राजनेता केवल सत्ता पाने और कुर्सी पर बने रहने के लिये राजनीति करता है। भाजपा कभी कांग्रेस को जिताने के लिये राजनीति नहीं करती और मोदी कभी अनुराग ठाकुर को प्रधानमंत्री का पद दिलाने के लिये राजनीति नहीं करते। सब अपने स्वार्थ के लिये ही इस खेल में उतरे हैं।
वामपंथियों से दूर रहने का दावा करने वाली भाजपा अपने पूर्व रूप जनसंघ में 1977 में मोरार जी देसाई सरकार में कम्युनिस्टों के साथ खड़ी थी।1989 में भाजपा ही थी जो वीपी सिंह सरकार के साथ थी जब मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं। और देश की राजनीति बदल गई। राजीव गोस्वामी जैसे बहुतों ने आत्मदाह तक किया पर मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ी जातियों को मिला। सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिर्वतन हुआ और यादव कुर्मी और लोध जैसी पहले से मजबूत रही जातियों ने राजनीति में भी अपने झंडे गाड़ दिये। यूपी और बिहार की राजनीति ही बदल गई।
कल्याण सिंह जिन्हें भाजपाई बहुत मानते हैं, अपना राष्ट्रीय क्रांति दल बनाकर पिछड़ी एकता के नाम पर मुलायम के साथ गये और जब भाजपा को लोध जाति के वोटों का तगड़ा नुकसान हुआ तब कल्याण सिंह दोबारा बुला लिए गए। कल्याण सिंह के समर्थक साक्षी महाराज पर यूपी के ब्राह्मण नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल होने के आरोप लगे थे, जिन्हें नजरंदाज करके साक्षी को दोबारा भाजपा से लोकसभा की टिकट मिली।
ये ब्रह्मदत्त द्विवेदी ही थे जिन्होंने जून 1995 में लखनऊ गेस्ट हाउस में मायावती को बचाया था और मायावती ने उन्हें राखी बांधी थी।
लगभग सब जानते हैं कि ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका सरकारी नौकरी में है। अटल बिहारी बाजपेई सरकार ने पुरानी पेंशन समाप्त कर इन सबको एक बड़ा तोहफा दिया।
और लगभग सब जानते हैं कि केवल सेना में ही आरक्षण नहीं है जहां ब्राह्मण लड़के अपनी मेधा के दम पर नौकरी पा सकते हैं। मोदी सरकार ने अग्निवीर योजना लागू करके जिसमें मात्र 4 साल की नौकरी है, ब्राह्मणों को एक तोहफा और दिया। अग्निवीर के पहले हुई भर्तियां अभी तक क्लीयर हुईं कि नहीं, मुझे नहीं पता।
टेट और पेट परीक्षा हर साल यूपी में होती है, परिणाम कब निकलेगा, पता नहीं। और ये परीक्षा जिन नौकरी की परीक्षा में पात्र होकर बैठने के लिये होती है, वो नौकरियां कब निकलेंगी पता नहीं।
ऊंचाहार में 5 ब्राह्मणों के साथ क्या हुआ? पता कर लेना। स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा से सांसद थे वहां। उनकी लड़की अभी भी भाजपा सांसद है।
कहने को बहुत कुछ है पर केवल इतना कहूंगा कि भाजपा को जो लोग ब्राह्मण समर्थक पार्टी समझते हैं, अपनी बारी का इंतजार करें। विकल्प मुझसे मत पूंछिए। वोट किसको दें? ये भी मुझसे मत पूंछे। मैं भी नहीं बता पाऊंगा
अपना लाभ बाद की बात है,अब खुद को बचाने की सोचो । भारत अब जर्मनी बन चुका है और हिंदू 1940 के यहूदी। सब आपके पीछे हैं। भाजपा तो खैर वोट के लिये आपका एसटीएसजे भी करवा सकती है।
सावधान रहें।
और अंत में जब भारत का पूरा संविधान ही जाति आधारित है। सरकारों की पूरी योजना जाति देख कर बनती हैं तो अपनी जाति की बात तो मैं भी करूंगा। जिसको बुरा लगे, दो रोटी ज्यादा खा ले।
आपका -विपुल

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