Spread the love

आपका -विपुल

सबसे पहले मैं ये कहूंगा कि आस्ट्रेलिया की टीम इस मैच में अपने बल्लेबाजों की वजह से हारी और फील्डिंग की वजह से हारी। गेंदबाजी आस्ट्रेलिया की भी खराब नहीं थी लेकिन 4 5 कैच छोड़ने के बाद पगबाधा का अंपायर कॉल का निर्णय भी आपके खिलाफ़ जाये तो ये कंगाली में आटा गीला होने वाली स्थिति थी आस्ट्रेलिया के लिये।

टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाज़ी का खराब फैसला नहीं था कमिंस का, लेकिन इनफॉर्म बल्लेबाज ट्रैविस हेड की जगह मैट रेनेशा को खिलाना अचरज भरा था क्योंकि हेड आस्ट्रेलिया के लिये तीसरे स्पिनर की भूमिका भी अदा कर सकते थे।
और रेनेशा क्रिकेट आस्ट्रेलिया के दामाद भी नहीं थे।

सिर्फ टॉस जीतने के अलावा आस्ट्रेलिया के लिये इस नागपुर टेस्ट मैच में कुछ भी अच्छा नहीं हुआ। सिराज ने इस टेस्ट की अपनी पहली ही गेंद पर लगातार रन बनाते चले आ रहे उस्मान ख्वाजा को पगबाधा आऊट कर दिया और मोहम्मद शमी ने अपने दूसरे ओवर की पहली ही गेंद पर वॉर्नर के डंडे उड़ा दिये थे।

जब स्कोर 2 /2 हो तो केवल स्टीव स्मिथ और लाबशाने ही आस्ट्रेलिया को संभाल सकते थे
ख्वाजा के विकेट का रिव्यू लेने की सलाह देकर डेब्यू कर रहे विकेटकीपर के एस भरत ने प्रभावित किया ही था।
लाबशाने 49 रन बनाकर 84 के टीम स्कोर पर लंच के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे रवींद्र जडेजा को विकेट दे गये।

देखो, हिट विकेट और हैंडल द बॉल की तरह स्टंप आउट को भी मैं बल्लेबाज़ी की बेवकूफी से दिया गया विकेट मानता हूं, उसमें गेंदबाज की कलाकारी से ज्यादा बल्लेबाज की बेवकूफी दिखती है।
और लाबशाने की इस गलती के साथ ही मैच आस्ट्रेलिया के हाथों से निकल गया। मैच का असली टर्निंग प्वाइंट यही लगा मुझे।
अगली ही गेंद पर मैट रेनेशा को भी जडेजा ने चलता कर दिया और प्रेशर में आ चुके स्टीव स्मिथ को जडेजा ने बोल्ड किया तब आस्ट्रेलिया की आधी टीम 109 पर निपट चुकी थी।।
कुछ आड़े बेड़े शॉट खेल कर एलेक्स कैरी ने और कुछ ठीक ठाक खेल कर पीटर हैंड्सकॉम्ब ने आस्ट्रेलिया को 177 के स्कोर तक पहुंचाया था।
कैरी ने 33 गेंदों पर 36 और हैंड्सकॉम्ब ने 84 गेंदों पर 31 बनाए थे।
आस्ट्रेलिया के दिमाग में फितूर भरा था कि पिच रैंक टर्नर है जबकि इतनी जबर्दस्त टर्न लेने वाली पिच नहीं थी ये । हालांकि पिच धीमी हो रही थी और गेंदें नीची आने लगी थीं। गेंद कभी कभी टर्न हो रही थी लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।
जडेजा ने 5 विकेट लेकर और अश्विन ने 3 विकेट लेकर आस्ट्रेलिया का पुलिंदा 177 पर बांध दिया था।और आस्ट्रेलिया ये टेस्ट मैच यहीं हार गया था, क्योंकि ये पिच इतनी खराब नहीं थी कि 200 रन भी न बन पाएं।

रही सही कसर रोहित शर्मा ने पहले ही दिन अर्धशतक बना कर पूरी कर दी। राहुल ने भी जल्दी विकेट नहीं दिया था और अगले दिन रोहित का शतक और रवींद्र जडेजा के अर्धशतकों ने साबित कर दिया कि पिच बल्लेबाज़ी के लिये बिलकुल भी खराब नहीं थी। ये केवल ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की तकनीकी कमी और आत्मविश्वास में कमी ही थी कि वो इस पिच पर रन नहीं बना पाये।

हालांकि आस्ट्रेलिया की तरफ से अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे ऑफ़ स्पिनर टॉड मर्फी ने 5 विकेट लेकर अपनी छाप छोड़ी।लायन बेअसर थे। स्कॉट बोलैंड को समझ आ रहा था कि मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड के वो केवल रिप्लेसमेंट हो सकते हैं, उनके प्रतिद्वंदी नहीं।

और मोहम्मद शमी भी अंत में 37 रन बनाकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को बता गये कि पिच खराब होने का बहाना चलेगा नहीं।
200 से ऊपर की लीड उतारनी थी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को अपनी दूसरी इनिंग में और पूरी टीम ही 91 पर आल आऊट हो गई । अबकी अश्विन 5 विकेट ले गये थे।
अश्विन ने तो पनपने ही नहीं दिया था इस बार कंगारू बल्लेबाजों को।64 रन पर 6 विकेट थे आस्ट्रेलिया के जिसमें से 5 विकेट अश्विन ले गए थे।


बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2023 का पहला मैच एक पारी और 132 रनों से हारने वाली आस्ट्रेलिया ये मैच सिर्फ हारी ही नहीं बल्कि बेइज्जत भी हुई।

1987 में ऑस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय विश्वकप जीता था, तब से आस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम लगातार सफलता की सीढ़ियां ही चढ़ती चली आई है।
1995 में वेस्टइंडीज को उसके घर में हराकर टेस्ट जगत की बेताज बादशाह बनी मजबूत ऑस्ट्रेलिया टीम की इतनी सशक्त यादें हैं कि मुझे ध्यान नहीं पड़ता, इससे ज्यादा बुरी तरह बेइज्जत होकर आस्ट्रेलिया कभी और हारी हो, जब पूरे टेस्ट मैच के किसी एक सेशन में भी आस्ट्रेलिया की टीम थोड़ी बहुत टक्कर देती भी दिखी हो।

भारत के लिये अच्छी बात ये थी कि जीत गये तो प्रचंड फॉर्म में चल रहे गिल की जगह के एल राहुल को खिलाने की बात नहीं हुई। सूर्य कुमार यादव के बेरंग डेब्यू पर बात नहीं हुई।
पर आस्ट्रेलिया हारा है और बुरी तरह हारा है तो बात होगी ही होगी।
पहली बात ये कि स्टीव स्मिथ और मार्नस लाबशाने के अलावा किसी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज में भारतीय स्पिनरों का सामना करने की काबिलियत नहीं दिखाई दी।

दूसरा मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड की कमी साफ साफ खली आस्ट्रेलिया को ।
हेड को खिलाते तो एक स्पिनर उन्हें मिलता जो शायद कुछ काम आता।
वॉर्नर का रिकॉर्ड भारत में कभी अच्छा नहीं था और उस्मान ख्वाजा को समझ आ गया होगा कि हर जगह सिडनी की पिच जैसी पिच नहीं मिलती।

पैट कमिंस की कप्तानी खराब थी और आस्ट्रेलिया की स्लिप फील्डिंग बहुत खराब ।
कैमरून ग्रीन आल राउंडर के तौर पर अगर खेलते तो शायद बोलैंड की जगह एक अतिरिक्त स्पिनर खिला सकते थे कमिंस ।
आगे शायद यही दिखे।

भारत के लिये रोहित शर्मा ने शतक बना कर फिर दिखाया कि वर्तमान समय में स्पिन ट्रैक के वो सबसे अच्छे बल्लेबाज हैं। रवींद्र जडेजा ने पहली पारी में 5 , दूसरी पारी में 2 कुल 7 विकेट लेकर और एकमात्र पारी में 70 रन बना कर दिखा दिया कि वो इस समय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला खिलाड़ी हैं।
अश्विन ने दूसरी पारी में 5 विकेट लेकर आस्ट्रेलिया टीम को ध्वस्त कर दिया था। कुल 8 विकेट लिये मैच में।
अक्षर पटेल ने शानदार 84 रन बनाए ,1 विकेट लिया। अपने चयन को सार्थक किया।

भारत के लिये चिंता के कुछ विषय हैं,जैसे विराट कोहली का फिर से एक ऑफ़ स्पिनर की गेंद पर आऊट होना। कोहली मध्यक्रम की परेशानी बनते जा रहे हैं। पुजारा का गलत शॉट सलेक्शन और सूर्य कुमार यादव की हड़बड़ी भी चिंता का विषय था। के एस भरत की कीपिंग ठीक थी। शमी सिराज बेहतरीन थे।

भारत के लिये सूर्य कुमार यादव और विकेटकीपर के एस भरत ने डेब्यू किया था। सूर्य कुमार यादव कुछ खास नहीं कर पाये, लेकिन भरत ने अपनी कीपिंग के कौशल से सबको प्रभावित किया।

भारत को स्लिप फील्डिंग में सुधार की जरूरत है। कोहली ने जो कैच छोड़े, वो पकड़े जा सकते थे।


और के एल राहुल पर कुछ कह कर मैं अपना और आपका वक्त बरबाद नहीं करूंगा।


17 फरवरी 2023 को अगला मैच है।

आपका -विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com

exxcricketer@gmail.com


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *