आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल – इतिहास (द्वितीय भाग)
आपका -विपुल
आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल के इतिहास के पिछ्ले अंक में मैंने आपको 1975 से 1999 तक के विश्वकप फाइनल के बारे में बताया था। इसी कड़ी में आज आपको द्वितीय अंक में 2003 से 2011 तक के आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल के बारे में बता रहा हूं।
2003 आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल
2003 में आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप के आठवें संस्करण का आयोजन दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। फाइनल में इस टूर्नामेंट की दो सर्वश्रेष्ठ टीमें आमने सामने थीं।ऑस्ट्रेलिया टूर्नामेंट में एक भी मैच हारे बिना फाइनल में पहुंचा था और भारत पूरे टूर्नामेंट में मात्र एक ही मैच हारा था, वो भी ऑस्ट्रेलिया से।
23 मार्च 2003 को जोहांसबर्ग के मैदान में हुए विश्वकप फाइनल में भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीता और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पॉन्टिंग को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया।
मौसम हल्का सा नम था और भारत की गेंदबाजी लाइन में भारत के इतिहास के सर्वाधिक अच्छे और सफल तेज गेंदबाजों में से दो गेंदबाज थे, जवागल श्रीनाथ और जहीर खान। भारत के पास उसका आज तक का दूसरा सबसे अच्छा लेफ्ट आर्म सीमर आशीष नेहरा भी इस बॉलिंग लाइन अप में था।
और आस्ट्रेलिया के खिलाफ हमेशा चमत्कारिक प्रदर्शन करने वाले ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह भी थे। सचिन सहवाग और युवराज जैसे काबिल पार्ट टाइम स्पिनर भी थे इस टीम में और गांगुली जैसा अच्छा पार्ट टाइम सीमर भी।
जहीर खान के मैच की पहली गेंद फेंकने तक सब ठीक लग रहा था।
पर जहीर खान की फेंकी मैच की पहली ही गेंद नोबॉल थी और भारत की गेंदबाजी की पटरी यहीं से उतर गई।
जहीर खान ने पहले ओवर में 15 रन दिए। ऑस्ट्रेलिया के 50 रन 7 ओवरों में आ चुके थे और 80 रन 10 ओवरों में।
एक भी विकेट गिरे बगैर।
14वें ओवर की अंतिम गेंद पर हरभजन सिंह की गेंद को लपेटने के चक्कर में एडम गिलक्रिस्ट सहवाग को कैच पकड़ा बैठे।
तब तक स्कोर बोर्ड पर 105 रन लग चुके थे और गिलक्रिस्ट 57(48) अपने दूसरे विश्वकप फाइनल में अपना दूसरा अर्धशतक भी लगा चुके थे।
मैथ्यू हेडन अपने पहले विश्वकप फाइनल में अपने स्वभाव के विपरीत बहुत धीमे खेल रहे थे और हरभजन के फेंके पारी के बीसवें ओवर की पांचवीं गेंद पर विकेटकीपर राहुल द्रविड़ को कैच पकड़ा गए। हेडन ने 64 गेंदों पर 37 रन बनाए थे।
डेमियन मार्टिन नंबर 4 के रूप में क्रीज पर आए और तब तक ऑस्ट्रेलिया के नंबर 3 बल्लेबाज रिकी पॉन्टिंग ने 21 गेंदों पर मात्र 9 रन बनाए थे।
अगले 10 12 ओवर तक तो ये दोनों पॉन्टिंग और मार्टिन ही थे, फिर आतापि वातापि बन गए।
इन दोनों ने भारत की गेंदबाजी के साथ वही किया पुराने ज़माने के धोबी धोबी घाट पर बहुत ज्यादा मैले कपड़ों को साफ करने के लिए करते थे।
उठाया, पटका, धोया, मरोड़ा और निचोड़ दिया।
ऑस्ट्रेलिया के 200 रन 33 ओवरों में हो गए थे और 250 रन 40 ओवरों में।
अंतिम 10 ओवरों में मार्टिन और पॉन्टिंग ने 109 रन ठोंक डाले।
ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवरों में 2 विकेट के नुकसान पर 359 रन बना दिए थे।
रिकी पॉन्टिंग ने 121 गेंदों पर नाबाद 140 रन और डेमियन मार्टिन ने 84 गेंदों पर 88 रन बनाए थे।
हरभजन ने 8 ओवरों में 49 रन देकर 2 विकेट लिए थे। आशीष नेहरा 10-0-57-0 के अलावा किसी और भारतीय गेंदबाज के आंकड़े बताए जाने लायक भी नहीं थे।
जवाब में भारत की शुरुआत उतनी ही खराब रही , जितनी हो सकती थी।
सचिन तेंदुलकर ने मैकग्राथ के पहले ओवर की तीन गेंदें खाली खेली, चौथी पर चौका लगाया और पांचवीं पर एक गलत शॉट खेल कर मैकग्राथ को ही कैच पकड़ा गए।
नंबर 3 पर आए कप्तान सौरव गांगुली ने वीरेंद्र सहवाग के साथ 54 रनों की साझेदारी की और 10वें ओवर की पांचवीं गेंद पर ब्रेट ली की गेंद पर डारेन लेहमैन को कैच पकड़ा गए। गांगुली ने 25 गेंदों पर 24 रन बनाए थे और भारत का स्कोर 2 विकेट पर 58 था।
नंबर 4 मोहम्मद कैफ को ग्लेन मैकग्राथ ने खाता भी नहीं खोलने दिया। गिलक्रिस्ट के हाथों कैच करवा दिया। भारत 59/3।
राहुल द्रविड़ ने सहवाग का अच्छा साथ दिया पर जब भारत का स्कोर 147/3 था, वीरेंद्र सहवाग 82(81) रन आउट हो गए। लेहमन ने रन आउट किया था सहवाग को।
भारत का स्कोर 23.5 ओवरों में 147/4 हो चुका था।
राहुल द्रविड़ 57 गेंदों पर 47 रन बनाकर 187 के स्कोर पर पांचवें विकेट के रूप में 32 वें ओवर में आउट हुए। एंडी बिशेल ने बोल्ड मारा था उन्हें।
अब 109 गेंदों पर 173 रन बनाने थे और नंबर 7 पर उतरे दिनेश मोंगिया से तत्कालीन भारतीय क्रिकेट फैंस उतनी ही उम्मीद करते थे, जितनी उम्मीद अभी के लोगों को बावुमा के शतक से होती थी। युवराज सिंह 24(34) के 208 के स्कोर पर आउट होते ही भारत की हार पर मोहर लग गई थी।
पूरी भारतीय टीम 39.2 ओवरों में 234 रन बनाकर आउट हो गई। ग्लेन मैकग्राथ ने 3 , ब्रेट ली और एंड्रयू साइमंड्स ने दो दो और ब्रैड हॉग और एंडी बिशेल ने एक एक विकेट लिया।
शानदार शतक बनाने वाले रिकी पॉन्टिंग मैन ऑफ द मैच रहे।
ऑस्ट्रेलिया लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन बना।
वैसे मेरा एक्सपर्ट ओपिनियन है कि आईसीसी को रिकी पॉन्टिंग के बल्ले की जांच करनी ही चाहिए थी। जब कोई बल्लेबाज बल्ले में स्प्रिंग लगा के खेलेगा तो दादा की टीम कर भी क्या सकती थी भाई?
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2007 आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल
2007 में आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप का आयोजन पहली बार वेस्टइंडीज में हुआ और ये शायद अब तक का सबसे नीरस विश्वकप था। भारत और पाकिस्तान में से कोई भी सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंचा था और पाकिस्तान के कोच बॉब वूल्मर संदिग्ध परिस्थितियों में मृतक पाए गए थे।
इस बार का विश्वकप फाइनल 28 अप्रैल 2007 को बारबडोस के ब्रिजटाउन में हुआ।
ऑस्ट्रेलिया लगातार चौथी बार विश्वकप फाइनल में थी और ये चारों विश्वकप चार अलग अलग महाद्वीपों में अलग अलग तरह की पिचों पर खेले गए थे। इससे उस युग की टीम ऑस्ट्रेलिया के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है।
फाइनल में दूसरी टीम श्रीलंका की थी जिसके तेज गेंदबाज मलिंगा ने इसी विश्वकप में चार लगातार गेंदों पर चार विकेट ले रखे थे।
बारिश के कारण मैच देर से शुरू हुआ और ओवरों की संख्या 38 निर्धारित हुई। तीन गेंदबाज 8 और दो गेंदबाज 7 ओवर फेंक सकते थे।एक पावर प्ले खत्म किया गया।
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया।
एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन की जोड़ी लगातार दूसरे विश्वकप फाइनल में ओपनिंग करने उतरी थी और ये दोनों ओपनिंग ही 172 की कर गए यहां।
एडम गिलक्रिस्ट ने अपने लगातार तीसरे विश्वकप फाइनल में लगातार तीसरा पचास से ज्यादा का स्कोर बनाया और गिलक्रिस्ट यहीं नहीं रुके , शतक बना डाला।
5 ओवर में ऑस्ट्रेलिया के 26 रन थे,10 ओवर में 46।
अभी तक गिलक्रिस्ट ने 30 गेंदों पर 31 रन बनाए थे और हेडन ने 31 गेंदों पर 14 रन।
11वें ओवर में दिलहारा फर्नांडो ने अपनी ही गेंद पर एडम गिलक्रिस्ट का एक थोड़ा कठिन कैच छोड़ा और फिर!
मैदान में तूफान आ गया।
गिलक्रिस्ट पगला ही गए थे।
4,4,6
ये फर्नांडो की अगली तीन गेंदों के आंकड़े थे।
मुरली के फेंके 14वें ओवर की पहली गेंद पर सिंगल लेकर गिलक्रिस्ट ने अपना तीन विश्वकप फाइनल्स में लगातार तीसरा अर्धशतक 43 गेंदों में पूरा किया।
और उसके बाद तो गिलक्रिस्ट फिर रुके ही नहीं।
15 ओवरों में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 95 था और 20 ओवर समाप्त होने पर 137।
21वें ओवर की तीसरी गेंद पर मलिंगा पर चौका लगा कर एडम गिलक्रिस्ट ने अपना शतक 72 गेंदों पर पूरा किया।
23वें ओवर की पांचवीं गेंद पर श्रीलंका को अंततः पहला विकेट मिला मैथ्यू हेडेन 38(55) का, जो अपने स्वभाव के विपरीत बहुत शांत होकर खेले थे। हेडन को मलिंगा ने जयवर्धने के हाथों कैच करवाया था।
एडम गिलक्रिस्ट 104 गेंदों में 149 रन बनाकर दूसरे विकेट के रूप में आउट हुए, तब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 224/2 हुआ था और ओवर 30.3।
रिकी पॉन्टिंग 37(42) रन आउट हुए ।
शेन वाटसन 3 (3) को मलिंगा ने बोल्ड मारा
और एंड्रयू साइमंड्स नाबाद 23(21) एवं माइकल क्लार्क नाबाद 8(6) के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया की पारी निर्धारित 38 ओवरों में 4 विकेट पर 281रनों पर समाप्त हुई।
लसिथ मलिंगा ने 2 और दिलहारा फर्नांडो ने एक विकेट लिया था।
पानी फिर बरसा था और डकवर्थ लुइस मैथड फिर काम आया।
श्रीलंका को जीत के लिए निर्धारित 36 ओवरों में 269 रन बनाने का लक्ष्य मिला।
जवाब में श्रीलंका की शुरुआत ही खराब रही। ओपनर उपुल थरंगा को नाथन ब्रेकन ने पारी के तीसरे ओवर की पहली ही गेंद पर गिलक्रिस्ट के हाथों कैच करवा दिया। स्कोर बोर्ड पर मात्र 7 रन थे तब और थरंगा ने 8 गेंदों पर 6 रन बनाए थे बस।
नंबर 3 पर उतरे विकेटकीपर कुमार संगकारा ने ओपनर सनथ जयसूर्या के साथ एक लाजवाब साझेदारी की।
लेकिन 20वें ओवर की पांचवीं गेंद पर कुमार संगकारा 54(52) को ब्रैड हॉग ने रिकी पॉन्टिंग के हाथों कैच आउट करवा दिया।
स्कोर 123/2 था अब।
23वें ओवर की आखिरी गेंद पर सनथ जयसूर्या 63(67) को क्लार्क ने बोल्ड मार के श्रीलंका की मैच जीतने की उम्मीदों को पलीता लगा दिया। स्कोर 145/3।
अब भी श्रीलंका को जीत के लिए बहुत रन बनाने थे ,78 गेंदों पर 124 रन।और मैकग्राथ एंड कंपनी के सामने ये बिलकुल भी आसान नहीं था।
जयवर्धने 19(19) को वाटसन ने निपटाया, चमारा सिल्वा 21(22) को क्लार्क ने बोल्ड मार के चलता किया और तिलकरत्ने दिलशान 14(13) रन आउट हो गए।
बारिश से बुरी तरह प्रभावित इस मैच में श्रीलंका की पूरी टीम निर्धारित 36 ओवरों में 8 विकेट पर 215 रन ही बना पाई। श्रीलंका की पारी के अंतिम 3 ओवर तो घनघोर अंधेरे में खेले गए थे। ये मैच कई बार रोकना पड़ा था और ग्राउंड में पानी निकास भी सही नहीं था।
माइकल क्लार्क ने 2 विकेट लिए थे।
ऑस्ट्रेलिया डकवर्थ लुइस मैथड से 53 रनों से जीती। पहली बार विश्वकप फाइनल में डकवर्थ लुइस मैथड इस्तेमाल हुआ था। नाथन ब्रैकेन, ग्लेन मैकग्राथ, शेन वाटसन, ब्रैड हॉग और एंड्रयू साइमंड्स,सभी को एक एक विकेट मिला। केवल शौन टैट ही विकेट रहित रहे।
इस मैच का मैन ऑफ द मैच एडम गिलक्रिस्ट के अलावा कोई और हो सकता था क्या? और हां, ग्लेन मैकग्राथ का भी ये अंतिम मैच था शायद
2011 आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप फाइनल
आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप का 2011 का संस्करण फिर से भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ।
भारत की टीम ने अपनी मेजबानी में हुए इस एकदिवसीय विश्वकप के फाइनल में पहुंचने में कामयाबी पाई।2007 में पहले ही राऊंड में बाहर हुई टीम के लिए ये बड़ी बात थी।
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में इस विश्वकप फाइनल में उतरी टीम इंडिया के 5 खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, युवराज सिंह और हरभजन सिंह 2003 का विश्वकप फाइनल खेल चुके थे। महेंद्र सिंह धोनी, गौतम गंभीर और एस श्रीसंत 2007 के टी 20 विश्वकप फाइनल की जीत का स्वाद चख के आए थे। हरभजन और सहवाग 2003 एकदिवसीय विश्वकप फाइनल की हार और 2007 टी 20 विश्वकप फाइनल की जीत , दोनों का हिस्सा थे।
वैसे आशीष नेहरा ही फाइनल खेलते, पर पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में चोट लगने के कारण एस श्रीसंत अंतिम 11 में आये।
इस विश्वकप फाइनल में भारत के सामने श्रीलंका थी जो लगातार दूसरे विश्वकप फाइनल में पहुंची थी।2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े मैदान में हुए इस एक दिवसीय विश्वकप फाइनल मैच का टॉस श्रीलंका ने जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया।
इस मैच में जहीर खान ने साबित किया कि कम से कम वनडे में तो वो निर्विवाद रूप से भारत के अभी तक के सर्वश्रेष्ठ सीमर हैं।
जहीर के पहले ओवर में मात्र 2 बाई के रन थे।
जहीर खान के पहले 3 ओवर मेडन थे।
जहीर खान ने अपने चौथे ओवर की पहलू ही गेंद पर ओपनर उपुल थरंगा को सहवाग के हाथों कैच करवाया जिसने 20 गेंदों पर मात्र 2 रन बनाए थे और तब श्रीलंका का स्कोर 17 रन पर 1 विकेट हुआ।
जहीर के इस ओवर के खत्म होने के बाद आंकड़े 4-3-2-1 थे।
जहीर के पांच ओवर के स्पेल के बाद आंकड़े 5-3-6-1 थे और श्रीलंका के 9 ओवर में मात्र 28 ही रन थे।
इस अंकुश पर रैना और युवराज की अच्छी फील्डिंग का योगदान तो था ही , पर जहीर अपने 2003 विश्वकप फाइनल के पाप धोने आए थे शायद आज।
इस विश्वकप फाइनल का जहीर का ये स्पेल ही था जिसने भारत की जीत और हार में अंतर तय किया। धोनी और गंभीर की लड़ाई उसके बाद।300 और 273 में फर्क होता है। जहीर का ये स्पेल न होता तो श्रीलंका के 300 ही बनते।
ओपनर तिलकरत्ने दिलशान और नंबर 3 पर उतरे कप्तान और विकेटकीपर कुमार संगकारा ने एक अच्छी साझेदारी बनाई।
भजन सिंह ने दिलशान 33 (49) को बोल्ड मार के ये साझेदारी तोड़ी। ओवर हुए थे 16.3 और श्रीलंका का स्कोर हुआ था 60/2।
कुमार संगकारा ने नंबर 4 पर उतरे महेला जयवर्धने के साथ भी एक अच्छी साझेदारी बनाई।
युवराज सिंह ने कुमार संगकारा 48(67) को धोनी के हाथों कैच करवा कर ये साझेदारी तोड़ी।
श्रीलंका का स्कोर 27.5 ओवरों में 122/3 था अब।
नंबर 5 पर आए थिलन समरवीरा ने जयवर्धने का साथ दिया।
युवराज के फेंके पारी के 34वें ओवर की आखिरी गेंद पर सिंगल लेकर जयवर्धने ने 49 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया। और हां इसके बाद अपने विराट कोहली ने भी एक ओवर फेंका था जिसमें मात्र 6रन दिए थे कोहली ने।
युवराज की गेंद पर पगबाधा आउट होने के पहले समरवीरा 34 गेंद पर 21 रन बना गए थे। डीआरएस लिया थे धोनी ने।
अब ओवर हुए थे 38.1 और श्रीलंका का स्कोर हुआ था 179/4।
श्रीलंका का स्कोर 182 ही पहुंचा था कि अगले ही ओवर में जहीर खान ने चमारा कप्पूदेगरा 1(5) को भी रैना के हाथों कैच करवा दिया।
श्रीलंका 182/5
ओवर 39.5
40 ओवर के बाद श्रीलंका का स्कोर 183/5 था और जहीर के आंकड़े?
7-3-16-2
बेहतरीन।
46 ओवर खत्म होने तक श्रीलंका का स्कोर 220/5 था और जहीर खान के आंकड़े
8-3-25-2।
अभी भी बेहतरीन।
लेकिन यहां से श्रीलंका ने जबर्दस्त आक्रमण किया।
जहीर खान के फेंके पारी के 48वें ओवर में जयवर्धने ने 1 छक्का और दो चौके लगा कर अपना शतक पूरा किया और जहीर के आंकड़े बिगाड़ दिए।
48वें ओवर की अंतिम गेंद पर नुवान कुलशेखरा 32(30) को धोनी ने रन आउट किया और 48 ओवर के बाद श्रीलंका का स्कोर 248/6 था।
अंतिम 2 ओवरों में थिसारा परेरा की आतिशबाजी नाबाद 22(9) की मदद से श्रीलंका ने निर्धारित 50 ओवरों में 6 विकेट पर 274 रन बनाए। महेला जयवर्धने भी 88 गेंदों पर 103 रन बना कर नाबाद रहे थे।
भारत को जीत के लिए 50 ओवरों में 274 रन बनाने का लक्ष्य मिला था।
जहीर के फाइनल आंकड़े 10-3-60-2 रहे थे। युवराज के 10-0-49-2, और हरभजन के आंकड़े 10-0-50-1।
जवाब में भारत की ओपनिंग 2003 एकदिवसीय विश्वकप फाइनल की तरह फिर से इस एकदिवसीय विश्वकप फाइनल में खराब रही।
पहले ओवर की दूसरी ही गेंद पर लसिथ मलिंगा ने वीरेंद्र सहवाग को पगबाधा आउट कर दिया।
सहवाग ने डीआरएस भी लिया पर बच नहीं पाए। नंबर 3 पर उतरे गौतम गंभीर के साथ मिलकर सचिन तेंदुलकर ने भारत का स्कोर 31 रनों तक पहुंचाया और यहीं पर सचिन भी मलिंगा का शिकार बने। सचिन का कैच संगकारा ने पकड़ा था।
भारत 31/2
ओवर हुए थे 6.1।
भारत की ओर से नंबर 4 पर वो खिलाड़ी उतरा जिसका नाम अगले दसियों साल क्रिकेट जगत में गूंजने वाला था।
विराट कोहली।
विराट कोहली ने गौतम गंभीर के साथ मिलकर भारत की पारी आगे बढ़ाई। सचिन सहवाग जैसे दो पावर हाउस इस चेस में टीम इंडिया का साथ छोड़ चुके थे और कोहली ने अपना मौका भुनाया।
कोहली और गंभीर की साझेदारी बनने लगी।
मुरलीधरन के फेंके 19वें ओवर की चौथी गेंद पर एक सिंगल लेकर गंभीर ने 56 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया।19 ओवर के बाद भारत का स्कोर 99/2 था और गंभीर का स्कोर 50 था।
कोहली ने 49 गेंदों पर 35 रन बनाए और तिलकरत्ने दिलशान की अपनी गेंद पर लिए बेहतरीन कैच से आउट होने तक वो टीम इंडिया का स्कोर 21.4 ओवर में 114/3 तक पहुंचा चुके थे।
भारत खेल में जिंदा था और ये उन कोहली की वजह से, जिनसे शायद तब किसी को उम्मीद भी नहीं थी। कोहली की ये पारी उनके 50 शतकों पर भारी है।
कोहली के आउट होने के बाद अभी तक टूर्नामेंट में आउट ऑफ फॉर्म चल रहे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खुद को युवराज सिंह की जगह प्रमोट करके खुद ऊपर खेलने आए। शायद दाएं और बाएं हाथ का कॉम्बिनेशन बनाना था उन्हें।
भारत के 151 रन 30 ओवर में बन चुके थे। गंभीर और धोनी की साझेदारी भी अच्छी जा रही थी। अब धोनी शॉट खेल रहे थे और गंभीर थोड़ा स्लो हुए।
कुल मिलाकर सब ठीक ही था।
38वें ओवर की आखिरी गेंद पर मुरली पर चौका लगा कर धोनी ने 52 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया।
38 ओवरों के बाद भारत का स्कोर 204/3 था।
भारत को 72 गेंदों पर 71 रन बनाने बाकी थे बस।
सब सही चल रहा था कि बेहद थके थके दिख रहे गौतम गंभीर अपने शतक से पहले ही थिसारा परेरा की गेंद पर बोल्ड हो गए।
भारत का स्कोर 41.2 ओवर में 223/4 था।
जीत के लिए 52 गेंदों में 52 रन चाहिए थे बस
गंभीर ने 122 गेंदों में 9 चौकों की मदद से 97 रन बनाए थे। पारी की तीसरी गेंद पर ही वो क्रीज पर आ गए थे और भारत का तब खाता भी नहीं खुला था।
ये भारतीय क्रिकेट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ 10 पारियों में से एक थी।
जो काम बाकी बचा था उसे धोनी ने युवराज सिंह नाबाद 21(24) के साथ मिलकर पूरा किया।
नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का मार कर धोनी ने मैच खत्म किया।
भारत ने 48.2 ओवरों में 4 विकेट पर 277 रन बना कर मैच 6 विकेट से जीता।
महेंद्र सिंह धोनी ने नंबर 5 पर उतर कर 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन बनाए और अपनी इस पारी के लिए मैन ऑफ द मैच रहे।
मुझे अब वाकई लगता है कि गंभीर के साथ नाइंसाफी हुई। धोनी की पारी कम नहीं थी लेकिन गंभीर अगर 3 रन और बना कर शतक बना लेते तो शतक के कारण मैन ऑफ द मैच वही रहते।
इसीलिए मैं कहता हूं कि माइल स्टोन मायने रखते हैं।
भारत 28 साल बाद आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप जीता।
अभी इतना ही
आपका- विपुल
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