विपुल
लव जिहाद एक सच्चाई है। पूरी प्लानिंग करके हिन्दू लड़कियों को टारगेट किया जा रहा है। सिर्फ हिंदू कुंवारी लड़कियां ही नहीं, शादीशुदा, विधवा, तलाकशुदा सारी हिन्दू टारगेट पर हैं। पूरी प्लानिंग से काम होता है।
आप अगर ये नहीं जानते, नहीं मानते , तो माफ कीजिए।
अव्वल दर्जे के मूर्ख हैं।
एक लड़की के पीछे पूरा रैकेट सा इन्वॉल्व होता है। उसके परिवार से मोहल्ले से स्कूल तक।
कम से कम पांच सात पीसफुल फैमिली और दस बारह पीसफुल दुकानदार, टीचर और स्टूडेंट, घर के सामने से गुजरने वाले फल सब्जी वाले।
पूरी रेकी करके ये काम होता है।
इतना सरल नहीं है जैसा मीडिया में बता देते हैं।
हिंदू परिवार की आर्थिक स्थिति, क्रय क्षमता, स्टेटस के हिसाब से लड़के तैयार किए जाते हैं। हाई क्लास लडकियों को जिम में , मॉल में फंसाया जाता है। मिडिल क्लास को उसके वर्क प्लेस में, स्टूडेंट को उनके स्तर के स्टूडेंट लड़के भिड़ाए जाते हैं ।कल ही पढ़ा होगा एक लेडी डॉक्टर के पीछे एक शांति दूत पड़ा था। बार बार क्लीनिक में जाता था।
ज्यादा अभी टाइम नहीं लगेगा आपको। गौर करना कभी।
जिम, सैलून, मॉल, कॉलेज ,कभी भी कहीं भी गौर करना।
मैंने फिलहाल दो केस देखे हैं जो प्रॉपर ऐसे ही टारगेट किए गए हैं।
एक औरत विधवा है, उच्च वर्ग की।
एक लड़की, जिसके माता पिता भी रजामंद हैं।
केस नम्बर 1-नई बनी कॉलोनी एक ब्राह्मण गरीब फैमिली।
बाप मां , दो लड़के। बड़ा वाला शादीशुदा, बिजली मिस्त्री। नशेबाज। बहू की ससुर देवर से नहीं पटती थी। उसी कॉलोनी में एक शांतिदूत डॉक्टर का मकान। किराए पर एक शांतिदूत हैंडसम स्टूडेंट रहने आया।
पूरा टाइम मिस्त्री की बीवी को देता था।
डॉक्टर साहब उस घर वालों का फ्री में इलाज करते। कुछ नए सब्जी फल बेचने वाले मोहल्ले में आने लगे। जो पड़ोस में बसे कुंजड़ों के रिश्तेदार थे।
एक दिन मिस्त्री की बीवी गायब। डॉक्टर स्टूडेंट वहीं। पुलिस कुछ पता न लगा पाई। फिर डॉक्टर साहब हज चले गए, स्टूडेंट की नौकरी लग गई । वो उत्तराखंड में गया।
कुछ दिनों पहले पता चला कि वो मिस्त्री की बीवी यहीं कानपुर में है उसी स्टूडेंट की बीवी बन के गई थी उसने फिर तलाक दे दिया । कभी ब्राह्मण परिवार की बहू रही महिला अब इस्लाम कुबूल कर चुकी है। एक बूढ़े शांतिदूत की बीवी है ।दो साल में दो बच्चे। बहुत पछता रही है।22 लोगों का परिवार है उस शांतिदूत का।
मिस्त्री मर गया है अब।
केस नंबर 2- एक भूमिहार परिवार। दो लडकी एक लड़का। बड़ी लड़की की ससुराल में नहीं पटी। मायके रहने आई। गुजर बसर के लिए एक नौकरी की उसने ।एक सरकारी संस्थान में फोर्थ क्लास की।
उसके पड़ोस में घर खाली था एक।4 स्टूडेंट रहने आए। हिन्दू थे , मतलब खुद को हिन्दू कहते थे। मंदिर जाते थे। जगराते में रहते थे।
उस लड़की से एक लड़के की दोस्ती बढ़ी। प्यार हुआ। शादी हुई।
शादी के बाद लड़का लड़की को महाराजगंज ले गया। उसने खुद को बनिया बताया था। वहां कुछ दिन बाद उस लड़के की असलियत खुली।
वो शांतिदूत था और ये लड़की भी फिर दीन के रास्ते को कबूल करने पर मजबूर हो गई।
दो साल में दो बच्चे, अभी भी पेट से है।
केस नंबर 3-एक गरीब खुद्दार ठाकुर परिवार।
बाप ,मां, बेटा।
बाप को चोट लगी स्थाई विकलांग ।
औरत खुद्दार । कागज़ के लिफाफे बेचने लगी।
अचानक एक दिन उसके पति खत्म ।
जिस मकान में वो किराए पर रहते थे । वो क्रिश्चियन का था।
अब वो ठाकुर औरत क्रिश्चियन है।
ताज़ी बात है।
ये तीनों केस मेरे प्रत्यक्ष हैं। खुद देखे हैं। हवा हवाई नहीं।किसी का नाम नहीं खोल सकता ।
दो और दो चार जोड़िए।।
डॉक्टर से लेकर इंजीनियर।
पैसा सबको प्यारा होता है और फिर धर्म के काम में क्या गुरेज।
विपुल
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