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आपका -विपुल

भूले बिसरे खिलाड़ी – 29 दीप दासगुप्ता

परिचय

दीप दासगुप्ता एक विशेषज्ञ विकेटकीपर और दायें हाथ के बल्लेबाज थे जो 2001 से 2002 तक टीम इंडिया में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज खेले।

मूलतः पश्चिम बंगाल के कोलकाता के दीप दासगुप्ता की स्कूली शिक्षा नई दिल्ली में हुई और दिल्ली के कोच द्रोणाचार्य गुरशरण सिंह इनके पहले कोच थे।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स की कोच सुनीता शर्मा का भी मार्गदर्शन इन्हें मिला और दीप दास गुप्ता दिल्ली की अंडर -16 टीम में जगह पा गये।

रणजी ट्रॉफी से शानदार शुरुआत

पर दिल्ली की सीनियर टीम में जगह पाना बहुत आसान नहीं था तो दीप दासगुप्ता ने अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल का रुख किया।
दीप दास गुप्ता को पश्चिम बंगाल की रणजी टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज जगह मिली और 1998 -99 में इन्होंने बड़ौदा के विरुद्ध अपने डेब्यू मैच में ही शतक मार दिया।

तब विकेटकीपर सबा करीम बंगाल टीम का एक बड़ा नाम थे।
2000 – 2001 में सबा करीम रिटायर हुये और दीप दासगुप्ता बंगाल के मुख्य विकेटकीपर बने।
मात्र 3 रणजी मैचों में 13 शिकार और 190 रनों के साथ दीप दासगुप्ता का चयन टीम इंडिया के जिंबावे दौरे के संभावितों में हुआ पर अंतिम चयन से इनका नाम नदारद रहा।

अंतरराष्ट्रीय पदार्पण

ये समय वो था जब सौरव गांगुली कप्तान थे और समीर दिघे विकेटकीपर के तौर पर बहुत अच्छा नहीं कर रहे थे , ऊपर से चोटिल भी हो गये थे।

तब 2001में भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिये विकेटकीपर के तौर पर दीप दासगुप्ता का चयन हुआ।
5 अक्टूबर 2001 को जोहांसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध एक दिवसीय मैच में दीप दासगुप्ता का अंतरराष्ट्रीय पदार्पण हुआ।

एकदिवसीय कैरियर

सचिन और गांगुली दोनों ने शतक बनाया था इस मैच में। दासगुप्ता को बैटिंग नहीं मिली थी और हेर्शेल गिब्स का कैच पकड़ा था।
भारत मैच हारा।

अगला एकदिवसीय फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ था।
ये मैच भारत जीता। नंबर 7 पर उतर कर दासगुप्ता ने 12 रन बनाये और कालिस को स्टंप किया।
केन्या के विरुद्ध दासगुप्ता ने स्टीव टिकोलो का कैच पकड़ा और मात्र 91 रन जीत को बनाने थे तो सचिन सौरव ने आराम करना मुनासिब समझा।सहवाग के साथ दासगुप्ता भी ओपनिंग में भेजे गये।24 नाबाद बनाए।
केन्या के खिलाफ़ अगले मैच में भारत हारा था।
दीप दासगुप्ता ने 37 गेंदों में 19 रन बनाए।

19 अक्टूबर 2001 को दीप दासगुप्ता ने अपना आखिरी एकदिवसीय मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ खेल लिया था।
इस मैच में दक्षिण अफ्रीका के 282 के जवाब में भारत 236 पर आल आउट हो गया था।
दीप दासगुप्ता बगैर खाता खोले रन आउट हो गये थे।
इसके बाद दीप दास गुप्ता कभी भी भारत की एकदिवसीय टीम में नहीं चुने गये।

एकदिवसीय आंकड़े

दीप दासगुप्ता ने 5 एकदिवसीय मैचों की 4 पारियों में 17 के औसत और 62 के स्ट्राइक रेट से 51 रन बनाये जिनमें इनका सर्वश्रेष्ठ 24 नाबाद रहा।
5 एकदिवसीय मैचों में दीप दास गुप्ता ने 3 शिकार किये ।
2 कैच,1 स्टंप।

टेस्ट कैरियर

3 नवंबर 2001 को ब्लॉमफोंटोन में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध दीप दास गुप्ता ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। ये मैच वीरेंद्र सहवाग का भी पहला ही टेस्ट मैच था।
नंबर 6 पर उतरे सहवाग ने अपनी पहली ही टेस्ट पारी में शतक जड़ दिया और नंबर 7 पर उतरे दीप दास गुप्ता ने अपनी पहली ही टेस्ट पारी में 34 रन बनाये। दोनों डेब्यूटेंट के बीच 63 रनों की साझेदारी हुई।
दूसरी पारी में सहवाग ने 31 और दीप दासगुप्ता ने 4 रन बनाये थे।
भारत ये मैच हारा। इस मैच में दासगुप्ता ने पहली पारी में दो कैच लिये थे।

16 नवंबर 2001 को प्रारंभ हुआ भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच ऐतिहासिक था।

मैच ड्रॉ रहा।
दीप दासगुप्ता ने दोनों पारियों में एक एक कैच पकड़ा।
शिवसुंदर दास के साथ ओपनिंग में आये। पहली पारी में 60 गेंदों पर 13 रन बनाये और दूसरी पारी में पहले ही ओवर में शिवसुंदर दास के शून्य पर आउट होने के बाद खूंटा गाड़ दिया और 281 गेंदों पर 22 के स्ट्राइक रेट से 63 रन बनाये।

2001 का विवादित टेस्ट

ये टेस्ट, मैच रेफरी माइक डेनिस के सचिन सौरव सहवाग हरभजन, शिवसुंदर दास और दीप दासगुप्ता पर लगाए गये बैन के कारण आज भी याद किया जाता है। दासगुप्ता और शेष 3 पर अत्यधिक अपील करने का आरोप था, दादा पर टीम को नियंत्रित न रख पाने का और सचिन पर बॉल टैंपरिंग का ।

बात बहुत बढ़ गई थी।
नौबत आईसीसी के टूट जाने तक की आ गई थी।


भारत ने अगला टेस्ट इन सभी खिलाड़ियों के साथ खेलने का फैसला लिया । क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका साथ था।
तीसरा टेस्ट मैच तो हुआ पर आईसीसी ने उसे टेस्ट मैच का दर्जा ही नहीं दिया।
स्टीव वॉग ने तब सचिन पर कुछ कमेंट किया था और दादा ने दादागिरी वाला जवाब दिया था।
कि बेहतर है कि स्टीव वॉग अपने काम से काम रखें।

आगे का सफर

3 दिसंबर 2001 को दीप दासगुप्ता ने अपना तीसरा टेस्ट मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ़ बतौर ओपनर ही खेला।
भारत ये मैच 10 विकेट से जीता।
दीप दासगुप्ता ने पहली पारी में 254 गेंदों पर 100 रन बनाये।
एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय शतक दासगुप्ता का।

दीप दासगुप्ता ने इंग्लैंड के खिलाफ़ अहमदाबाद में अगले टेस्ट में पहली पारी में 17 के बाद दूसरी पारी में फिर अर्धशतक बनाया 60 रन ।
बेंगलुरु टेस्ट मैच में खाता नहीं खोल पाए।

इसके बाद दीप दासगुप्ता ने 3 टेस्ट मैच और खेले।
दो जिम्बावे के खिलाफ़,1 वेस्ट इंडीज के खिलाफ़।
11 अप्रैल 2002 को वेस्टइंडीज के जॉर्ज टाउन में वेस्ट इंडीज के खिलाफ़ दीप दास गुप्ता ने अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला।
खाता नहीं खोल पाये और 2 कैच लिये।
इसके बाद दीप दासगुप्ता कभी भी अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेल पाये।

टेस्ट आंकड़े

दीप दासगुप्ता ने 8 टेस्ट मैचों की 13 पारियों में 28.66 के औसत और 30.55 के स्ट्राइक रेट से 344 टेस्ट रन बनाये हैं।
1 शतक
2 अर्धशतक
सर्वश्रेष्ठ 100

विकेटकीपर के तौर पर 13 शिकार।
सभी 13 कैच।

प्रथम श्रेणी आंकड़े

दीप दासगुप्ता के 83 प्रथम श्रेणी मैचों में 30 के औसत से 3806 रन हैं।6 शतक
विकेटकीपर के तौर पर 190 कैच 22 स्टंप।
वहीं 53 लिस्ट ए मैचों में 22 के औसत से 776 रन हैं।
46 कैच
10 स्टंप।

दीपदास गुप्ता बंगाल रणजी टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में रहे हैं ।
2006 और 2007 में इनकी कप्तानी में बंगाल रणजी टीम उपविजेता रही है।

सन्यास के बाद

2007 में दीप दास गुप्ता सुभाष चंद्रा के जी ग्रुप द्वारा प्रायोजित इंडियन क्रिकेट लीग आईसीएल में ये बंगाल टाइगर टीम से खेले थे ।
2009 में बीसीसीआई ने इन्हें माफ कर दिया| अब ये अंतर्राष्ट्रीय मैचों और आईपीएल में कमेंट्री करते दिखाई देते हैं।

मूल्यांकन:-दीप दासगुप्ता एक अच्छे टेस्ट प्लेयर थे ,पर दुर्भाग्यशाली रहे।

आपका – विपुल
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