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लेखक -विपुल @exx_cricketer

विपुल

भारत में क़ानून व्यवस्था का अधिकार राज्यों को दिया गया है |स्वाभाविक बात है की प्रशासन राज्य स्तर पर ही चलता है |इस विषय पर आप लोगों को कुछ बताना सूरज को दिया दिखाना होगा ,पर ये जानकारी मैं फिर एक बार सबके सामने  मैं फिर एक बार सबके सामने रख रहा हूँ |जो लोग नहीं जानते उनको आसानी रहेगी |

सबसे ऊपर से शुरू करते हैं |राज्य का मुखिया मुख्यमंत्री ही होता है|मेरे इस लेख के सम्बन्ध में मैंने एक youtube ब्लॉग भी बनाया है  ,जिसका लिंक नीचे की बटन में है |इस youtube लिंक को नए टैब में खोलें|

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मुख्यमंत्री

किसी भी राज्य के प्रशासन में सबसे ऊपर मुख्यमंत्री ही होता है |वो शासन करता है और प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है |अपने राज्य में उसे सारे विभागों के ऊपर सारे अधिकार प्राप्त होते हैं |वो विभिन्न विभागों को देखने के लिए मंत्री नियुक्त करता है |सारे कैबिनेट मंत्रियों के सचिव होते हैं जो आई ए एस होते हैं और उस विभाग से सम्बंधित कार्य देखते हैं |प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह सचिव और राजस्व परिषद् के सदस्य उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होते हैं|

पर मुख्य रूप से प्रशासन जिले से चलता है |जिलाधिकारी द्वारा , पर जिलों के ऊपर मण्डल (कमिश्नरी ) होती है और जिलाधिकारी के ऊपर मण्डलायुक्त (कमिश्नर ) |ये पुलिस कमिश्नर नहीं केवल कमिश्नर होते हैं ,राजस्व -प्रशासन के |

मण्डल (कमिश्नरी) एवं मण्डलायुक्त (कमिश्नर )

प्रशासन को चलाने की सुविधा की लिए प्रदेश को विभिन्न मण्डलों (कमिश्नरियों ) में बांटा जाता है |प्रदेश के क्षेत्रफल के अनुसार मण्डलों की संख्या हो सकती है |एक मण्डल में एक से अधिक जिले होते हैं |प्रत्येक मण्डल पर एक मण्डलायुक्त (कमिश्नर ) नियुक्त किया जाता है |ये मण्डलायुक्त एक वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी होता है |मण्डलायुक्त का काम अपने मण्डल के विभिन्न जिलों की क़ानून व्यवस्था व भू राजस्व वसूली देखना होता है |इसका एक न्यायालय भी होता है ,जहाँ भू राजस्व व् कृषि भूमि से सम्बंधित विवाद सुने जाते हैं |सैद्धांतिक तौर पर मण्डलायुक्त या कमिश्नर का ओहदा जिलाधिकारी से ऊंचा होता है , पर वास्तविकता में कमिश्नर का प्रभाव जिलाधिकारी से बहुत कम होता है |जिलाधिकारी प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण पद है |जो प्रशासन के महत्वपूर्ण फैसले लेता है और फील्ड का भी अधिकारी है |मण्डलायुक्त मुख्य रूप से एक जांच अधिकारी है व न्यायालय है |फील्ड में महत्वपूर्ण फैसले जिलाधिकारी ही लेता है |एक मण्डलायुक्त कार्यालय में 2 से 3 अपर कमिश्नर होते हैं जो पीसीएस होते हैं , ज़्यादातर !और भूराजस्व वादों को सुनने के अलावा इनका प्रशासन व्यवस्था की कड़ी में कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं है |उत्तर प्रदेश के मंडलों एवम जनपदों की सूची नीचे है |

उत्तर प्रदेश अर्थात यूपी में कुल 18 मंडल है, और इन मंडलो के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों को समाहित किया गया है| उत्तर प्रदेश में मंडल और उसके अंतर्गत आने वाले जिलो नाम इस प्रकार है-

मंडल (Mandal)जिलों के नाम (District Name)
1. आगरा (Agra)आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा
2. सहारनपुर (Saharanpur)मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली
3. प्रयागराज (Prayagraj)प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़
4. मिर्जापुर (Mirzapur)मिर्जापुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र
5. बरेली (Bareilly)बदायन, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर
6. लखनऊ (Lucknow)हरदोई, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव
7. चित्रकूट (Chitrakoot)बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा
8. झांसी (Jhansi)जालौन, झांसी, ललितपुर
9. अयोध्या (Ayodhya)अम्बेडकर नगर, बाराबंकी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अमेठी
10. गोरखपुर (Gorakhpur)देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज
11. कानपुर (Kanpur)औरय्या, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर
12. गोंडा (Gonda)बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती
13. मेरठ (Meeruth)बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुर
14. बस्ती (Basti)बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर
15. मुरादाबाद (Moradabad)बिजनौर, अमरोहा, मोरादाबाद, रामपुर, संभल
16. आजमगढ़ (Azamgadh)आजमगढ़, बलिया, मऊ
17. अलीगढ़ (Aligadh)अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज
18. वाराणसी (Varanasi)चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी

जिला एवं जिलाधिकारी (कलक्टर)

प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण इकाई जिला ही है |इसे जनपद भी कहते हैं |प्रत्येक जनपद पर एक जिलाधिकारी नियुक्त होता है जोकि एक आई ए एस अफसर होता है |यही जिलाधिकारी जिला कलक्टर भी होता है और जिला मजिस्ट्रेट भी |जिले की सर्वोच्च शक्ति यही होती है |सारे विभागों के सभी अधिकारियों में यही शीर्षस्थ होता है |इसका काम जिले की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था देखना है |शासन की सारी योजनाओं के जिला स्तर पर क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इसी की है |एक तरह से इसे जिले में असीमित अधिकार प्राप्त होते हैं |

मुख्यमंत्री के अलावा शायद ही इसका कोई कुछ बिगाड़ सकता है |जिलाधिकारी जिले का सर्वोच्च अधिकारी है।जब यह प्रशासन व्यवस्था देखता है, तब यह जिलाधिकारी होता है।जब न्यायालय में बैठता है, तब जिला मजिस्ट्रेट होता है और राजस्व कार्यो की समीक्षा के समय यह जिला कलेक्टर होता है।

जिला मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर तथा जिलाधिकारी एक ही व्यक्ति के 3 अलग अलग पद हैं।इस बात को याद रखिये ।जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय और जिलाधिकारी कार्यालय की मोहरें भी अलग अलग होती हैं।एक जिले में एक से अधिक तहसीलें होती हैं।थाने होते हैं ।विकासखंड या ब्लॉक होते हैं।पर प्रशासन की धुरी तहसील होती है।पुलिस व्यवस्था के बारे में बाद में बात करेंगे।जिले में कलेक्टर ,एसएसपी से ऊंचा माना जाता है।पुलिस कमिश्नर वाली व्यवस्था अभी हर जिले या मंडल में नहीं है।विकासखंड से प्रशासन का कोई सम्बन्ध नहीं।पंचायत वेबसीरिज को अगर ज़्यादा सीरियसली ले लिया हो ,तो सच जान लो।

अब तहसील की बात करें ?मगर उसके पहले अपर जिलाधिकारी के पद की भी बात कर ली जाये।

अपर जिलाधिकारी

अपर जिलाधिकारी या एडीएम सीनियर पीसीएस अफसर होते हैं।ये कलेक्टर के अधीन होते हैं तथा इनका ओहदा उपजिलाधिकारी से ऊंचा होता है।ये कलेक्ट्रेट कार्यालय में बैठते हैं।तथा प्रशासन देखने में जिलाधिकारी की मदद करते हैं ।बड़े जिलों में अपर जिलाधिकारी के कई पद होते हैं, जैसे ,अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व ),अपर जिलाधिकारी (प्रशासन ),अपर जिलाधिकारी (खाद्य एवं आपूर्ति),।विकास प्राधिकरण के सचिव तथा नगर आयुक्त भी अपर जिलाधिकारी ही होते हैं।इन सबमें अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व ) सबसे प्रमुख होता है।सारे तहसीलदार इसी के अधीन माने जाते हैं ।छोटे जिलों में मात्र एक ही अपर जिलाधिकारी होता है।वित्त एवं राजस्व का।

अपर जिलाधिकारी के मुख्य काम तहसीलों की राजस्व वसूली का निरीक्षण, स्टाम्प चोरी के मुकदमे देखना ,अन्य राजस्व के मुकदमे देखना ,यही सब है।अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व ) का न्यायालय भी होता है।तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय इसी के अधीन होते हैं जहां,बैनामे ,वसीयत या शादी का पंजीकरण होता है।

तहसील

तहसील प्रशासन की मशीनरी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।प्रशासन वास्तव में यहीं से चलता है।आपको तहसील की कार्यप्रणाली व गठन के बारे में बाद में एक लेख में बताएंगे।अभी मोटी बात समझिए।तहसील विभिन्न राजस्व ग्रामों से मिलकर बनी होती है,जिनका एक नक्शा होता है।उस नक्शे में ज़मीनों के नम्बर काट के अलग अलग नम्बरिंग की जाती है ,और हर भूमि का एक नंबर होता है ,जिसका अभिलेख तहसील के पास होता है।जिस भूमि पर बैठ कर आप मेरा ये लेख पढ़ रहे हैं।उसका भी एक नम्बर है ,और दरअसल आप किसी शहर में नहीं एक राजस्व ग्राम में बैठे हैं।शहर एक काल्पनिक चीज़ है, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं ,राजस्व ग्राम ही वास्तविक चीज़ है।कानपुर लखनऊ हो या नोएडा ,सारे शहर विभिन्न राजस्व ग्रामों का एक समूह हैं।

प्रशासन की सबसे छोटी इकाई यही राजस्व ग्राम है।इन्हीं राजस्व ग्रामों को मिलाकर तहसील बनती है ।तहसीलों को मिलाकर जिला, जिलों को मिलाकर प्रांत का गठन होता है |।

उपजिलाधिकारी (एसडीएम)

जितने अधिकार जिले में जिलाधिकारी को प्राप्त होते हैं, उतने ही तहसील में उपजिलाधिकारी को प्राप्त होते हैं।ये पीसीएस अफसर होते हैं।जब कोई आई ए एस अफसर एसडीएम के पद पर नियुक्त होता है ,ट्रेनिंग के दौरान ,तो उसे जॉइंट मजिस्ट्रेट कहते हैं, एसडीएम नहीं।हालांकि काम वो एसडीएम पद का ही देखता है।।प्रशासन चलाते समय ये उपजिलाधिकारी होता है न्यायालय में उप जिला मजिस्ट्रेट, भू राजस्व अधिकारी के तौर पर यही डिप्टी कलेक्टर होता है ।तहसील में शान्ति व्यवस्था कायम रखने व शासन की योजनाओं का तहसील स्तर पर कार्यान्वयन इसकी जिम्मेदारी है।

कई अपराधों में सजा देने का अधिकार इसे होता है।ये कृषि और आवास भूमि का आवंटन भी पात्र लोगों में कर सकता है ,जिन्हें आम बोलचाल में पट्टा कहा जाता है तहसील क्षेत्र में सरकारी चल ,अचल संपत्तियों की देखभाल और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसी पद को है ।भूराजस्व की वसूली भी ये देखता है।

तहसीलदार

तहसीलदार उपजिलाधिकारी से ठीक नीचे का पद है।ये पीसीएस नहीं होते ।ये राजस्व परिषद के अधीन होते हैं ।तहसीलदार की सीधी भर्ती नहीं होती।नायब तहसीलदार के प्रमोशन से ही तहसीलदार बनते है।इनका मुख्य काम तहसील क्षेत्र के भूराजस्व की वसूली, कृषिक संपत्तियों का नामांतरण (दाखिल खारिज),सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा ,प्रशासन चलाने में उपजिलाधिकारी की मदद करना ,तहसील के भू अभिलेखों का रख रखाव,सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन होता है।साथ ही जनता को उनके भू अभिलेख की नकल प्रदान करना, मूल निवास ,आय ,जाति प्रमाण पत्र जारी करना इनका काम है।मूल निवास प्रमाणपत्र में एसडीएम के भी हस्ताक्षर होने चाहिए।इनका भी एक न्यायालय होता है जहां कृषिक भूमियों से संबंधित वाद सुने जाते हैं।

तहसीलदार ही वास्तव में पूरी तहसील चलाता है।कार्यालय की बात हम नहीं करेंगे।फील्ड में प्रशासन में सहयोग के लिये इस पद के नीचे नायब तहसीलदार होते हैं ,फिर कानूनगो और लेखपाल ।वसूली के लिये अमीन भी होते हैं ,पर उनका काम केवल भूराजस्व की वसूली करना होता है।

नायब तहसीलदार

एक तहसील में एक या एक से अधिक नायब तहसीलदार हो सकते हैं इस पद का मुख्य कार्य भूराजस्व की वसूली व दाखिल खारिज के मुकदमे सुनना होता है।यह मुख्यतया भूराजस्व की वसूली में लगे अमीनों पर सुपरवाइजर होता है तथा इसका भी एक नायब तहसीलदार न्यायालय होता है, जहाँ दाखिल खारिज के मुकदमे चलते हैं, कृषि भूमि नामांतरण के।बाकी यह तहसीलदार के दिये आदेशों का पालन करते हुये प्रशासन में मदद करता है।

तहसीलदार की गैर मौजूदगी में तहसीलदार का कार्य यही देखता है।अमीनों के बारे में यहीं बात कर लेते हैं।तहसील के अमीन वास्तव में तहसील क्षेत्र में सरकार के लिये भूराजस्व टैक्स वसूली करते हैं।

कानूनगो (राजस्व निरीक्षक )

कानूनगो या राजस्व निरीक्षक नायब तहसीलदार से नीचे तथा लेखपाल से ऊपर का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद है।तहसील में कई कानूनगो क्षेत्र होते हैं तथा हर कानूनगो क्षेत्र पर एक कानूनगो नियुक्त होता है।एक कानूनगो क्षेत्र में कई लेखपाल क्षेत्र होते हैं।एक कानूनगो के अंतर्गत 10 से 20 लेखपाल होते हैं।इनका मुख्य काम लेखपालों का सुपरविजन ,उपजिलाधिकारी व तहसीलदार के आदेशों का पालन करना, खेती की भूमि के निर्विवाद वारिसों का नाम खतौनी में दर्ज कराना ,खेतों व अन्य भूमि के विवाद को मौके पर जाकर सुलझाना होता है।इसे अब राजस्व निरीक्षक नाम दिया गया है ,लेकिन अभी भी सब कानूनगो ही बोलते हैं।प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कड़ी है ये।

लेखपाल (पटवारी )

लेखपाल या पटवारी प्रशासनिक व्यवस्था का शायद सबसे महत्वपूर्ण पद है।जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के बाद ये एक ऐसा पद है जिसे प्रशासन में सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि सारी सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ,कानून व्यवस्था की स्थिति ,जनता की समस्याओं को फील्ड पर जाकर यही देखता है।कई राजस्व ग्रामों को मिलाकर एक लेखपाल हल्का बनता है ।एक लेखपाल के पास अमूमन 6 से 10 राजस्व ग्राम होते हैं।चूँकि इस पद की भर्ती ज़ल्दी नहीं होती, इसलिए कई बार एक एक लेखपाल को 2 से 3 तक हलके और 20 से 25 तक राजस्व ग्राम देखने पड़ते हैं।

इन राजस्व ग्रामों के भू अभिलेख क्षेत्रीय लेखपाल के पास होते हैं ।जैसे

1-खतौनी -जिसमें भूस्वामियों के नाम व उनके खेत संख्या होती है।अब खतौनी ऑनलाइन भी उपलब्ध है।पर एक लेखपाल के पास भी होती है।

2-खसरा -ये एक रजिस्टर होता है जो अंकों के आधार पर चलता है ,जैसे 1 2 3 4 तथा इन अंकों के आगे उनके भूस्वामियों का नाम होता है |

3-नक्शा -ये राजस्व ग्राम का नक्शा होता है जिसमें खेतों की आकृति व नम्बर बने होते हैं।

इन्ही 3 राजस्व अभिलेख के आधार पर लेखपाल सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है।

चकबंदी लेखपाल अलग होते हैं ,उन्हें बहुत से लोग राजस्व प्रशासन का लेखपाल समझते हैं जबकि वास्तव में चकबंदी विभाग अलग है ,चकबंदी लेखपालों का तहसील प्रशासन से कोई संबंध नहीं होता।चकबंदी के लोग केवल उन क्षेत्रों का नक्शा बनाते हैं जहाँ चकबंदी होनी होती है।

जबकि राजस्व प्रशासन वाले तहसील के लेखपाल प्रशासन की सबसे नीचे की कड़ी है।इनका काम जनता को उनके भू अभिलेख की नकल देना, उनके विवाद सुलझाना ,,सरकारी संपत्तियों की देखभाल करना, दैवी आपदा में जनता की मदद करना है।राजस्व ग्राम और ग्राम पंचायत अलग अलग चीज़ हैं।ग्राम पंचायत काल्पनिक संस्था है।राजस्व ग्राम असली।एक ग्राम पंचायत में एक से अधिक राजस्व ग्राम हो सकते हैं।लोग अक्सर पंचायत सचिव और लेखपाल को एक ही समझ लेते हैं जबकि दोनों अलग हैं|

अमूमन पंचायत सचिव और प्रधान की पटती है क्योंकि दोनों का संयुक्त बैंक खाता होता है ,जहाँ विकास विभाग से पैसे आते हैं।जबकि लेखपाल और प्रधान की नहीं पटती क्योंकि लेखपाल प्रशासनिक कर्मचारी है ,जिसे कोई वित्तीय अधिकार नहीं व सार्वजनिक संपत्ति बचाने का काम उसी का है ,जिस पर ग्राम प्रधान की शाह से अतिक्रमण होते रहते हैं।मज़े की बात ये है कि पंचायत सचिव के बैठने लिये तो सचिवालय की भी व्यवस्था सरकार करती है ग्राम में ,क्योंकि पंचायत विभाग में अकूत धनराशि आती है और सारी पेंशन या मनरेगा या अन्य जनता को ललचाने वाली योजनाओं का केंद्र बिंदु पंचायत विभाग, विकास विभाग होता है, लेकिन लेखपाल को सरकार ऐसी सुविधा नहीं देती है।

भू अभिलेख की जनता को नकल देने के लिये लेखपाल को जनता से शुल्क लेने का अधिकार प्राप्त है ,क्योंकि पूर्व में इन्हें वेतन नहीं मिलता था।इसी कारण जनता में इनकी अच्छी छवि नही रहती ।आप तहसील जाएंगे तो कंप्यूटराइज़ेड खतौनी नकल या इंतिखाब के लिये अभी भी रुपया देते हैं वैसे ही।अभी भी इनका वेतन कम है ,लेकिन इनकी रिपोर्ट ही प्रशासन अंतिम सच मानता है।और ये रिपोर्ट 95 प्रतिशत मामलों में गलत नहीं होती आपको शायद याद हो कि सलमान खुर्शीद की पत्नी लुइस खुर्शीद का वोट उनके गृह जनपद कायमगंज की वोटर लिस्ट से काट दिया गया था एक बार ,बहुत हंगामा किया उन्होंने ,पर कुछ कर नहीं पाए,

जिस लेखपाल की रिपोर्ट से वोट काटा गया था ,उस रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख था कि लुइस खुर्शीद का वोट नई दिल्ली में है, प्रमाण सहित।आज़म खान को मिली सजा में लेखपाल रिपोर्ट का सबसे ज़्यादा योगदान है।

मतलब निम्न स्तर पर प्रशासन का पीर ,बावर्ची ,भिश्ती खर सब लेखपाल होता है।प्रशासन की आंख, नाक ,कान ,दिल ,दिमाग ,सब।

लेखपाल से नीचे एक चेन मैन (जरीब वाहक )का पद और होता है ,जो एक कानूनगो क्षेत्र में एक होता है, तथा इसका मुख्य काम कानूनगो की क्षेत्र में मदद करना होता है।पर ये पद अब लगभग समाप्त है और सरकार नई भर्ती नहीं कर रही है ।

फिर से एक बार निम्न कड़ी देख लें ,आपको प्रशासन की व्यवस्था की अच्छी जानकारी हो जाएगी।

इस बारे में एक वीडियो भी बनाया है जिसका लिंक नीचे की बटन में है |

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आशा है ,मेरी ये लेख आपके किसी काम आएगी।

धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏

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