Spread the love

लेखक -राहुल दुबे

भारत मे Secularism और Left इकोसिस्टम~

जब मैं 8वी में था तब मेरे S.st. के अध्यापक ने धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा समझाते हुए कहा था कि अपना भारत देश एक secular nation है जहाँ सभी धर्मों के लोगो को एक समान माना जाता है और सभी को अपने धर्म का पालन करने की बराबर छूट है।।
और मुझे ये चीज बहुत प्यारी लगी थी, मतलब सब लोग एक समान है सबको धार्मिक आजादी है और इससे बेहतर क्या हो सकता है, और कोई भी यदि 12-13 के वर्ष के लड़के को ये बताया जाए तो वाकई उसके रोंगटे खड़े हो जाएंगे और हमें तो सिखाया भी जाता था “ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान” लेकिन मैं जैसे-जैसे बड़ा हुआ मेरे को कई ऐसी चीजें जानने को मिली जिससे मेरा विश्वास Secularism से एक झटके में उठ गया….

वैसे धर्मनिरपेक्षता हम हिन्दुओ में एकदम शुरुआत से इंजेक्ट की जाती है ।हमे बचपन से ही सबसे समान व्यवहार करने को सिखाया जाता है, चाहे हम मिडिल क्लास हिन्दू हो या फिर Upper class हिन्दू ।और इसका असर ये होता है कि हम एक उम्र तक आते-आते एकदम Neutral होते है, लेकिन मेरे केस में ऐसा नही था। मैं नही जानता ऐसा कैसे हुआ लेकिन मुझे शुरू से ही secularism का Concept अच्छा नही लगा ।लेकिन कारण क्या थे ? ये नही पता था लेकिन अब तो एक कारण है, जिससे मैं और आप आसानी से Secularism नामक strawberry शब्द को ignore कर सकते है।।

चलिए शुरू से समझते है~
किसी भी धर्म/मजहब के अनन्त समय तक मजबूत रहने की सबसे बड़ी कड़ी रहती है, उस धर्म के लोगो की अपने धर्म के प्रति आस्था और विश्वास का सदैव दृढ़ रहना।
लेकिन हम हिन्दुओ की आस्था पर शुरुआत से ही प्रहार किया गया है, देश की आजादी के बाद पहले 5 में से 4 शिक्षा मंत्री मुसलमान थे और इसका असर ये हुआ कि हिन्दुओ पर प्रहार अप्रत्यक्ष तरीके से हर समय किया गया ।6-12 वी तक के किताबो में सिर्फ मुगलों का इतिहास भरा गया, हमारे हिन्दू राजाओं और उनके इतिहास को किसी दूध में पड़ी मक्खी की निकाल दिया गया और इससे हुआ यूं कि हमे सिर्फ यही पता चला कि फलाने मुग़ल ने क्या बनवाया, ढिमकाने ने क्या किया।मुगलों को हर तरह से Glorify किया गया लेकिन ये एक अलग विषय है बहस का ।लेकिन आज के समय मे मुगलों के सच और झूठ पर बहस करने पर हिंदुओ को मुस्लिम विरोधी(इस्लामफोबिक)बताये जा रहा है।।

किताबो में हमें ये तो पढ़ाया गया कि सती प्रथा, दहेज प्रथा, घूंघट प्रथा, विधवा की दूसरी शादी न करवाना आदि समाजिक कुरीति है लेकिन मुताह निकाह ,हलाला, तीन तलाक क्या है इसके बारे में नही बताया गया।

हमें ये तो बताया गया कि पीरियड्स के समय मंदिरों में हिन्दू महिलाओं का प्रवेश निषेध है लेकिन ये नही बताया गया कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाएँ कभी जा ही नही सकती ।अब कोई कहेगा कि हमें और आपको इससे नुकसान क्या हुआ ? तो भाई नुकसान ये हुआ कि हमारे सनातन धर्म को इन्होंने तिल-तिल कर कमजोर किया है, ये हमारे खिलाफ Direct Action नही ले सकते थे। इसलिए इन्होंने ने सबसे कारगर हथियार हमारी संस्कृति को ही नष्ट करने की कोशिश की और उसके लाखो उदाहरण आपको हमारे समाज मे नास्तिक के तौर पर मिल जाएंगे।

और हिन्दू विरोधियों को इसमें सबसे मजबूत साथ मिला वामपंथियों का। ये Lobby कितनी मजबूत है इसका आकलन मेरे और आपके बस का बाहर है। बस आप यू समझ जाइये कि ये हर जगह है और आगे मैं जो कुछ उदाहरण दूंगा उसके आधार पर आप इनकी शक्ति का अंदाजा लगा लीजिएगा~

शुरआत शिक्षा के माध्यम से करते है-
कुछ समय पहले ये बात सामने आई थी कि CBSE board में कक्षा नौंवी में पढाई जाने वाली अंग्रेजी की किताब moment में देश विरोधी हर्ष मंदार का लिखा हुआ एक लेख पढ़ाया जा रहा था ।एक सामान्य व्यक्ति को ये Normal लग सकता है लेकिन जरा सोचिए जब हर्ष मंदार पर सरकार कोई कार्यवाही करे और ये बात उस छात्र को पता चले जिसने हर्ष को पढा है ,तो1 उसको तो सरकार ही बुरी ही लगेगी। भारत सरकार को ncert की Political साइंस में से फैज की नज्में और इतिहास की किताब में से इस्लाम के उदय का पाठ हटाना पड़ा है, यदि ये चीजें गैरजरूरी थी तो फिर हमे ये पूछना होगा कि छात्रों को ये Potential वैचारिक जहर क्यों परोसा जा रहा था?
हमें ये पूछना होगा कि क्यों S. st. की किताबो में कक्षा 6 में मानव के विकसित होने के पाठ के साथ शुरु हुआ एक छात्र का सफर अंत तक मुगलों के बीच मे ही क्यों फंस जाता है ?हमें ये पूछना होगा कि क्यों हमें विक्रमादित्य, चोल वंश, अहोम साम्राज्य, महाराणा प्रताप, मराठा आदि के बारे में न के बराबर पढ़ाया गया?


कारण ,शिक्षा किसी भी समाज के विकसित होने में सबसे अहम किरदार निभाती है और Left lobby का शुरू से एक ही मकसद है सनातन को समाप्त कर देना। और ये इतने मजबूत है कि इन्होंने आजतक शिक्षा के नींव को मजबूती से जकड़ रखा है और राष्ट्रवाद की बात करने वाली मोदी सरकार भी आजतक इसको छुड़ाने में असफल ही रही है।

  1. संस्कृति- शिक्षा के साथ-साथ सबसे अहम चीज होती है संस्कृति
    शिक्षा के साथ-साथ सबसे अहम चीज होती है संस्कृति ।और वामपंथ ने हमारी सबसे खूबसूरत संस्कृति को भी अपने तरीके से समाप्त करने की पुरजोर कोशिश की है और इसमें वे काफी हद तक सफल रहे हैं। हमारे अधिकतर रिवाजो को इन्होंने पितृसत्तात्मकता का प्रतीक बताकर या तो बन्द करवाने का प्रयास किया है या फिर उसका बहिष्कार करवाया है।चाहे हमारा रक्षाबंधन हो, हमारी दीपावली हो, होली हो , नागपंचमी हो या कोई और त्योहार। सब मे इन्होंने अपनी टांग अड़ाने की कोशिश की है, इन्होंने हमारे हर त्योहार को अपने Ecosystem के जरिये टारगेट करनी की कोशिश की है ।आप यू समझिए हमारे secular देश मे जल्लीकट्टू पर सुप्रीम Court अपना फैसला सुना देता है लेकिन ईद में कटे बकरों पर सब चुप है ।दीवाली के पटाखे तो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है लेकिन क्रिसमस और new year के पटाखे पर्यावरण हितैषी। ये भले आपको Hypocrisy लगती हो लेकिन ये Left के Ecosystem की ताकत है कि इन्होंने इसको Normalise कर रखा है।

समाज मे इन्होंने Secularism के नामपर यूँ चरस बोया है कि इनके अनुसार जय श्रीराम कहना Communal Harmony के लिए खतरा है लेकिन दिन में 5 बार माइक पर ये चिल्लाना की मेरा अल्लाह ही सब कुछ है उसके अलावा इस संसार मे कोई पूजनीय नही है ये धार्मिक सौहार्द को बढ़ाता है। इनके अनुसार मुहर्रम में सड़क पर नौटंकी करना सेक्युलर राष्ट्र की पहचान है लेकिन रामनवमी का जुलूस कट्टरवाद है।
रामनवमी में जुलूस से याद आया,
वामपंथी गैंग ने सदैव ही हिन्दुओ पर हुए अत्याचार को whitewash करने की कोशिश की है। चाहे मोपलाह नरसंहार हो , 1946 में हुआ हिन्दुओ का नरसंहार हो या कश्मीर में हुआ हिन्दुओ का नरसंहार इनके अनुसार एक चोर की भीड़ के पीट-पीटकर हत्या इस्लामफोबिया के कारण हुई हत्या है ।लेकिन किसी किशन भरवाड़ की हत्या ,किसी अंकित शर्मा, किसी चंदन, किसी रिंकू शर्मा, किसी कमलेश तिवारी की पूरे षड्यंत्र के साथ हत्या कोई मामला ही नही है।।


इनके अनुसार आपसी विवाद में हुई किसी हत्या के कारण हिन्दू आतंकवादी है ,लेकिन संसार मे 283 एक विशेष मजहब के नाम से चल रहे आतंकी संगठन के बावजूद भी इस्लामिक आतंकवाद है ही नही।।

इनके अनुसार किसी बिल्लापरम नागराजु की किसी अश्रिन के साथ शादी करने पर हत्या आपसी गलतफहमी के कारण है(तब भी जब उनके विशेष किताब में ये साफ-साफ लिखा है कि अपनी बेटी की शादी एक मूर्तिपूजक के साथ करने से बेहतर है उसका विवाह एक दास के साथ हो) ।इनके अनुसार देश मे दर्ज love जिहाद के दर्ज हजारो केस मात्र इस्लामफोबिया के कारण है वास्तव में ऐसा कुछ नही है।

इनके अनुसार देश मे Secularism तबतक ही है जबतक हिन्दू मूकदर्शक है ।वो जब-जब बोलेगा तब-तब वो असहिष्णु घोषित होगा, इनके अनुसार ज्ञानवापी मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद बनाना किसी मुगल की महानता है लेकिन हिन्दुओ का उसे दुबारा वापस मांगना इस्लामफोबिया है।।

इनके अनुसार देश के प्रधानमंत्री का अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाना Secularism है लेकिन उसी प्रधानमंत्री का अयोध्या जी में प्रभु श्रीराम के मन्दिर के भूमिपूजन में शामिल होना मुसलमानो को डराना है।।

इनके अनुसार ईसाइयों द्वारा समाजसेवा के नाम पर हिन्दू आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराना कोई खबर नही है ।लेकिन हिन्दू संगठनों द्वारा किया जा रहा समाजसेवा का काम ढकोसला है। इनके अनुसार ईसाइयों द्वारा हलेलुइयाँ बोलकर कैंसर को ठीक करने का दावा उनकी अपनी आस्था है लेकिन आयुर्वेद एक आडम्बर है।।

वामपंथियों ने Secularism का धतूरा चटाकर जिस तरह से हिन्दुओ को Identity crisis में धकेलने की कोशिश की है वो बेहद ही खतरनाक है।।

ये भीड़ जुटाकर मजहब विशेष के अवैध चीजो को बचा ले जाते है लेकिन एक हिन्दू के उपर लगे झूठे केसेस पर इन्हें कोई मोह नही है।।

इन्होंने हिन्दुओ को समाप्त करने के लिए मात्र secularism का धतूरा नही चटाया है बल्कि सामाजिक न्याय के नाम पर ऐसे ऐसे लोगो को Hero बना दिया है जिससे हिन्दू आपस मे सदैव बंटा रहे। ख़ैर ये किसी और दिन का मुद्दा है कि कैसे हिंदुत्व को सामाजिक न्याय की आग में झोंककर समाप्त करने की कोशिश की गई ।।

आज हम Secularism के मुद्दे पर ही रहेंगे अंत मे मैं आपको कुछ अहम बिंदुओं के साथ छोड़े जाता हूं जहाँ आप तय कर लीजिएगा की Secularism जिंदाबाद या मुर्दाबाद-

  1. जब देश सेक्युलर है तो फिर अल्पसंख्यक मंत्रालय की आवश्यकता क्यों है और क्यों आजतक उसका प्रतिनिधित्व मात्र एक ही मजहब करता आया है ?
  2. जब देश मे सब समान है तो फिर देश मे वक़्फ़ बोर्ड, उलेमा council क्यों है?
  3. क्यों एक हिन्दू के लिए दूसरा विवाह कानूनन अपराध, और उनके 4 विवाह भी कानूनन ठीक है?
  4. क्यों इस देश में टीपू की जयंती मनाना secularism का Sign of excellence और परशुराम जन्मोत्सव समाजिक न्याय का अंत ?
  5. क्यों किसी विधायक की 15 मिनट पुलिस हटाने की धमकी स्वीकार्य है लेकिन एक मुख्यमंत्री का ये कहना कि मैं राम का वंशज हूँ,बहस का विषय है।
  6. क्यों किताबो में सिर्फ अकबर और मुगल है महाराणा और अहोम साम्राज्य क्यों नही।
  7. क्यों ताजमहल और कुतुब मीनार तो भारत की धरोहर है लेकिन अद्भुत अभ्यांत्रिकी(Engineering) का उदाहरण बृहसेश्वर मन्दिर आज भी गुमनामी के अँधेरे में है?~

Secularism और Left ecosystem

ये दो ऐसी चीजें है जो एक दूसरे की पूरक है और इनकी जितनी भी बात की जाए वो कम है। और शायद मेरे जैसे TEENAGER के बस की तो बिल्कुल भी नही लेकिन अब समय है कि हम इन दो सनातन विरोधी आडम्बरों से जितना जल्द हो सके उतना जल्द बाहर निकले वरना हमारे बच्चे या उनके बच्चे इसी सेक्युलर राष्ट्र में अपने अस्तित्व के संकट से गुजर रहे होंगे।।

लेखक -राहुल दुबे

सर्वाधिकार सुरक्षित Exxcricketer.com


Spread the love

One thought on “धर्मनिरपेक्षता और वामपंथी इकोसिस्टम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *