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लेखक -विपुल

विपुल

ये किताबी बातें हैं कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और जनसंख्या मूलभूत भारत की समस्याएं हैं ।केवल भारत की शिक्षा व्यवस्था इन्हें बताती है, निबंध लिखने को पूंछती है।
एक एक करके बात करते हैं।

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जनसंख्या


1 -जनसंख्या -जनसंख्या भारत की सबसे बड़ी समस्या है तो मुस्लिम को 4 शादी करने की इजाजत क्यों
?

दरअसल समस्या जनसंख्या नहीं थी, इस बहाने हिंदुओं की जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया, जिससे दारुल हरब को दारुल इस्लाम बनाया जा सके
हमारे शुरू के 3 शिक्षा मंत्री कौन थे ? नाम जानिए ,जवाब मिल जाएगा
इसी दौरान हिंदुओ की घूँघट, दहेज ,मूर्ति पूजा ,अरेंज मैरिज पर प्रहार हुए

जबकि हलाला, मुतहा निकाह, बुरका ,मुस्लिम बहुविवाह, तलाक पर विमर्श ही साहित्य ,समाज, फिल्मों और शिक्षा से गायब रहा ।मुझे तो अभी पता चला कि औरतें मस्जिद नहीं जा सकती।लेकिन इन्हें शबरीमाला मंदिर ज़रूर जाना है।
तो हिंदुओ की बढ़ती जनसंख्या खराब थी, मुस्लिमों की नही।
इन लोगों के अनुसार।
ठीक है जनसंख्या बड़ी समस्या है, मान लिया
लेकिन लोकतंत्र में वोट का बड़ा महत्व है।तुम्हारी जनसंख्या ज़्यादा होगी तो सरकार तुम्हारी बनेगी, उनकी ज़्यादा होगी तो उनकी सरकार।और उनका तुष्टिकरण तो सब कर रहे न ?
अगर अपने धर्म ,संस्कृति को बचाना है तो इस छलावे में मत रहना।

तुम्हारे लोग नहीं बचेंगे तो हिन्दू धर्म भी माया सभ्यता या जरथुस्त्र धर्म की तरह किताबों में मिलेगा।तुम्हे जनसंख्या नियंत्रण का पाठ पढ़ा कर वो 5 6 तो कम से कम पैदा ही कर रहे हैं।
अगल बगल ध्यान दो ।जितने कागज़ों में हिंदू हैं उतने हैं नहीं असल मे।
घर जाके देखना उनके।

बेरोजगारी

2 -बेरोजगारी -बेरोजगारी वास्तव में भारत की समस्या है ही नहीं।ये तो पाश्चात्य सभ्यता की शिक्षा व्यवस्था की देन है ,जहाँ से पढ़ कर आदमी क्लर्क के अलावा कुछ नहीं बन सकता।
कुछ डॉक्टर ,कुछ इंजीनियर ,बस

खेती तो सबके पास पहले भी नही थी ,पर हाथ के हुनर थे।
पैतृक व्यवसाय थे ,जो अब कोई करना ही नहीं चाहता।नाई, धोबी ,चर्मकार, पंडिताई, बढ़ई ,माली, बारी कितने लोग इस व्यवसाय में हैं पैतृक वाले।
ब्राह्मण लड़के से पंडिताई करने को बोल दो तो उसे ज़्यादा शर्म आती बनिस्बत किसी और जाति के लड़के से उसका पैतृक व्यवसाय करने को कह दो तो

सबको नौकरी करनी है।व्हाईट कॉलर जॉब।सरकारी मिले तो बहुत बढ़िया।या कोई कॉरपोरेट सेक्टर में।
पकौड़े बेचने की बात करने को मोदी नही हूँ मैं।पर अपने यहाँ पुरानी कहावत है।

उत्तम खेती ,मध्यम बान (व्यापार)
नीच चाकरी ,भीख निदान।

बस इतना ही कहूँगा।आंखे खोलो ।
छोटे मोटे काम बुरे नहीं हैं।कितने हिंदू लड़के बाइक रिपेयरिंग का काम सीखते हैं ?मेरी समझ से सबसे ज़्यादा काम मिलने वाला क्षेत्र है ये।
कितने प्रयास करते हैं कि उनके भी जावेद हबीब की तरह न सही ,छोटे ही सैलून की चेन हो।
ये दोनों बहुत बड़े सेक्टर हैं ।गौर करना।

भ्रष्टाचार

3-भ्रष्टाचार -हां ,ये समस्या है ,मैं मानता हूँ ,पर कब नहीं रही ये भारत में ?रामराज्य से रावणराज्य तक।विभीषण ने जो किया वो क्या था ?या सुग्रीव ने ?
मंदिर में पैसे देकर लाइन से अलग वीआईपी दर्शन करने वाले लोग जब भारत में भ्रष्टाचार होने की बात करते हैं ,तो हंसने के अलावा क्या करूँ ?

अपने घर के सामने की 2 फुट सरकारी जमीन न छोड़ने वाले, बगैर कागजों के गाड़ी चलाने वाले ,टैक्स चोरी का हर सम्भव प्रयास करने वाले ,आरक्षण के लिये चक्का जाम करने वाले ,लोन माफी ,फ्री बिजली के नाम पर वोट मांगने और देने वाले लोग ,जब भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो हंसी आती हैं।

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विपुल

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