Vividh

दो रचनायें

दो रचनायें1- सँभल जा गुड़िया।2- सावन की शाम।प्रस्तुति- जय मंडा सँभल जा गुड़िया तुझे घूरती हैं तुझे नोचने कोबाज़ की तरह झपटती हैं आँखें। दिखा के प्यार के झूठे सतरंगी सपनेशिकारी बन बिछाते जाल अपने। सम्भल गुड़िया इनके चंगुल सेदेकर प्यार के ये वादे…. मसल देंगे तुझे अपने पंजों से।ये…