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लेखक –विपुल मिश्रा

राजस्थान के एक ठीक ठाक अमीर जाट परिवार में पैदा हुए सत्यवान गोदारा खुद को बचपन में बहुत गरीब समझते थे ,क्योंकि एक तो लघुशंका के समय उन्हें अपनी नेकर स्वयं उतारनी पड़ती थी, दूसरे उन्हें खाने में डेली लौकी का जूस नहीं मिलता था।
जो सत्या भाई के मुताबिक अमीरों का ब्रेकफास्ट था।

बीड़ी पीना और बीस तरह की गालियां सीखने के बाद सत्या भाई पहले दिन स्कूल गये।ज़्यादा कुछ उन्हें समझ नहीं आया ,इसलिए मास्साब से केवल इतना कह दिया ,भूतनी के ,क्या बोल रहा है ,जोर से बोल!
अब इतनी सी बात पर मास्साब ने उन्हें बेशर्म बेल की डंडी से क्यों पीटा ?
सत्या भाई समझ नहीं पाए।

मास्साब यहीं रुक जाते तो ठीक था, उन्होंने सत्या भाई के डैडी से भी शिकायत की ।डैडी जी से बेल्टें बेल्ट ट्रीटमेंट की दो खुराक लेकर पूरी बेशर्मी से सत्त्या भाई मन बहलाने को पाकिस्तान बॉर्डर की ओर निकल पड़े।एक बबूल की छांव में एक ऊंटनी के पीछे बैठे सत्त्या भाई को कुछ लोग आते दिखे।

ये एक पूरी फैमिली थी, जो पाकिस्तान से आ रही थी ।एक स्त्री पुरुष ,1 लड़का ,2 लड़कियां ।वो थके हुये थे ,सत्या भाई के पास आकर रुके ,सुस्ताने लगे।आदमी का नाम इमरान ,औरत का सायमा लड़कियों के नाम सानिया और सना ,ये एक परिवार था।साथ में जो नाक बहाता लड़का शोएब था ,शायद सानिया का कजिन था।

उन लोगों ने आते आते सत्त्या भाई से पानी की डिमांड की।सत्या भाई ने बिसलरी की बोतल में रखा हैंडपंप का पानी उन्हें 20₹लेकर दिया।
जब वो पानी पी रही थी ,उसके होंठों से वक्ष पर गिरती पानी की बूंदें देख सत्त्या भाई को उससे पहली नज़र का प्यार हो गया
किससे ,सानिया से ?
नहीं भाई,
सायमा से !

सत्याभाई के सौजन्य से उस पाकिस्तानी फैमिली को राजस्थान के उस गांव में रहने की जगह भी मिल गई और इमरान और सायमा को नौकरी भी।बस केवल एक बार उन्हें जादूगर दोस्त से मदद लेनी पड़ी जो उम्र में सत्त्या भाई से बहुत ज़्यादा था ,पर सत्या भाई को बहुत मानता था।भाई उसे कच्ची उपलब्ध कराते थे ।

कच्ची मतलब?
वो नहीं जो आप समझ रहे ,
कच्ची मतलब ,कच्ची आम।
जो सत्त्या भाई चुरा कर लाते थे, बागों से ।जादूगर के लिये।जो खट्टी चीज़ों के बड़े शौकीन हैं अब तक।
उस जादूगर दोस्त ने सायमा के परिवार के रहने खाने पीने की व्यवस्था करवा दी।सानिया, सना ,शोएब गांव के स्कूल में पढ़ने लगे।

सानिया और शोएब ,सत्या भाई की क्लास में ही थे, सना एक साल जूनियर।स्कूल में सत्या के एक ओर शोएब बैठता था, एक ओर सानिया।
सत्त्या भाई ने सानिया को कभी उन नज़रों से नहीं देखा था, पर सानिया उन्हें देख कर अज़ीब अंदाज़ से मुस्कुराती थी,उधर शोयब भी सत्त्या भाई से बहुत चिपकता था।भाई 🤐!

पर सत्य भाई को सच्चा वाला प्रेम था सायमा से, जो सानिया की माँ और शोएब की चाची थी।हर सन्डे वो सानिया से नोट्स लेने के बहाने सायमा के घर जाते थे और डैडी से पॉकेटमनी के तौर पर मिला 500 का नोट सायमा को दे आते थे ।थोड़ी देर सानिया के साथ टेनिस और शोएब के साथ क्रिकेट भी खेलते थे।

सानिया और शोएब समझते थे कि सत्त्या भाई उन्हीं से मिलने आते हैं, वो खुश ।सत्त्या भाई संडे संडे अपनी महबूबा से मिल लेते थे ,वो खुश ।सायमा को 500 ₹हर हफ्ते मिलते थे, वो खुश ।और पूरे परिवार को खुश देख इमरान खुश ।, पर सबकी खुशियों को नज़र लगी जब सत्त्या ,सानिया ,शोएब 8वीं में थे।

तो हुआ यूं कि सत्या भाई एक सन्डे को सायमा के घर से जब वापस अपने घर लौटे तो उन्हें अपनी जेब में कागज़ का एक रुक्का मिला जिसमें लिखा था, अगली बार सुबह नहीं शनिवार रात में आना, तुम्हें वो मिलेगा, जिसके लिये पागल हो।
सत्या भाई शनिवार रात को सायमा के घर पहुंचे।पलंगतोड़ पान खा के।

मकान में घुप्प अंधेरा था,सत्त्या भाई को कुछ अजीब सा लग रहा था।सामने के दरवाजे बंद थे।पीछे के दरवाजे से वो अंदर आये ।
वातावरण में अजीब सी बैचेनी थी।वो आंगन तक आये।एक कमरे के बाहर मोमबत्ती लिये कोई दिखा उन्हें ,जो शॉल ओढ़े था।उसने सत्त्या भाई को पास आने का इशारा किया।

।कौन था वो ?

सत्त्या भाई पास पहुंचे ,उस डरावने माहौल में वो शख्स सत्या भाई का हाथ पकड़ के उन्हें कमरे में ले गया।तेज़ हवा चल रही थी, बिजली कड़क रही थी, बादल गरज रहे थे, बाहर चौकीदार जागते रहो की आवाज़ लगा रहा था।सत्या को लगा ये सायमा तो है नहीं ,लेकिन कौन है ?
अचानक लाइट जली
सत्त्या भाई चौंके!

ये शोएब था ,जो सत्या भाई से लिपट कर उन्हें चूमने लगा, जान मेरी जान चिल्लाते हुए वो रो रहा था।
“मुझे पता है जानू!”वो सत्या भाई से चिपकते हुये बोला ,”तुम भी मुझसे प्यार करते हो ।आज घर के सब लोग अजमेर गये हैं।मैं बहाना बनाकर केवल तुम्हारे लिये रुका।”
“आओ हम एक हो जायें।”

पर सत्त्या भाई का टेस्ट इतना खराब भी नहीं ।
राघव या ध्रुव होते तो सत्त्या भाई एक बार सोचते भी।
पर शोएब ?
यक्क
आकथू।
सत्त्या सर ने शोएब को परे हटाया और 4 6 कंटाप जड़ दिए।
पर शोएब रोया नहीं।
घूरते हुए बोला।
“तुम्हें मेरे प्यार को ठुकराने की कीमत चुकानी पड़ेगी सत्त्या !”

सत्त्या भाई का मूड खराब हो चुका था,जो चकोर चांद बीड़ी का पूरा बण्डल फूंकने के बाद भी ठीक नहीं हुआ।खैर घर लौटे ,सो गए ।
सुबह डैडी ने घसीट के उन्हें उठाया और सत्त्या भाई के कुछ समझने के पहले ही दो झापड़ रसीद किये और उन्हें गाड़ी के पीछे रस्सी से बांध कर दौड़ाते हुये थाने पहुंचे।

थाने पहुंचते ही थानेदार हनुमंत की आवाज उनके कानों में पड़ी।
“मेरे राजस्थान को किस की नज़र लग गयी “
चौधरी साहब।
“मेरे राजस्थान को किस की नज़र लग गयी “ “आपका लड़का सत्त्या लड़कियों को छोड़ ,अब लड़कों के साथ ज़बरदस्ती कर रहा, हद है।”
शोएब वहीं बैठा था।उसने थाने में शिकायत की थी।

शोएब की शिकायत थी कि सत्त्या ने उसे 30 सेकंड से ज़्यादा घूरा और अश्लील हरकतें की ।
थानेदार हनुमंत भला आदमी था, उसने सत्त्या भाई के डैडी को फोन करके सारी हकीकत बता दी थी ,क्योंकि वो कल रात गश्त पर था और सायमा की छत पर ही बैठा था।उस थानेदार को सत्त्या भाई के पल पल की खबर थी।

सत्त्या भाई के डैडी से पूरी हमदर्दी दिखाने, दस हज़ार की गड्डी अंदर करने के बाद थानेदार ने सत्त्या भाई को छोड़ दिया, कोई केस नहीं बनने दिया।शोएब को अब वो कुछ दूसरी नज़रों से घूर कर मुस्कुरा रहा था
सत्त्या भाई के डैडी को सच्चाई पता चल गई थी सायमा के परिवार का बोरिया बिस्तर उठ गया ।

सत्त्या की सायमा का परिवार चौधरी साहब के बेटे को फंसाने के बाद गांव में रह जाये, ये संभव नहीं था।गांव वालों ने इमरान के परिवार को निकाल दिया।पता नहीं कहाँ गए वो।सत्त्या भाई भी होस्टल में। ।हां ,सत्या भाई की लोकप्रियता गांव की अधेड़ औरतों और कुछ विशेष टाइप के लड़कों में बढ़ गई थी।

जिन चीजों में सत्त्या भाई ने गांव में प्राइमरी की थी ,होस्टल में पहुँच के सत्त्या भाई ने पीएचडी कर ली।मानव विज्ञान के साथ बीड़ी, सुल्फा, गांजा ,भांग, चरस,अफीम सारे नशे पत्तेबाजी, छिनरई,दारूबाजी चोरी ,छिनैती , पॉकेटमारी आदि विभिन्न ललित कलाओं में परास्नातक की डिग्री हासिल की ।

सत्त्याभाई वापस गांव लौटे।इनके लक्षण देख डैडी ने इनको एक दिमाग से पैदल पण्डित का गुरुकुल जॉइन करवाया इस आशय से कि इनकी संगत में रहकर सत्या भाई अच्छी आदतें सीखेंगे
अच्छी आदतें ज़रूर सीखीं
पर सत्त्या भाई ने नहीं
दिमाग से पैदल पंडित जी भी अब गांजे और दारू के टेस्ट में अंतर जान गए थे।

ये दोनों मिलकर क्रिकेट में सट्टा भी लगाने लगे थे।लंबे बालों वाला एक झारखंडी रेलवे टिकट कलेक्टर इनका संगी था।एक दिन क्रिकेट पर सट्टा लगाते हुए सत्त्या भाई ने चैनल बदला तो उन्हें सानिया दिखाई पड़ी ,टेनिस खेलते हुये।
उम्र से ज़्यादा उसकी प्रतिभा हो चुकी थी जो छलके जा रही थी।

अपनी दत्तक पुत्री को देखते ही सत्त्या भाई को अपनी जान सायमा की याद आई।सायमा का पता लगाना ज़्यादा कठिन नहीं था।लंबे बालों वाला झारखंडी बहुत काम का था।उसके सट्टेबाजी के लिंक देश भर में थे।अगले ही दिन सत्त्या भाई हैदराबाद में सायमा के फ्लैट की घंटी बजा रहे थे।

फ्लैट पर सायमा अकेली नहीं थी ,उसके साथ एक लड़का भी था जो सत्त्या भाई को कुछ पहचाना सा लगा।सायमा ने उसका बहुत ठंडा स्वागत किया । चाय पिलाते हुए बताया कि शोएब पाकिस्तान पहुँच गया है, क्रिकेट की सट्टेबाजी करता है ।इमरान उसी के साथ है।सानिया देश विदेश में टेनिस खेलती है।और सना ?

सना लापता है।
शून्य में घूरती सायमा बोली।पता नहीं कहाँ हैं।
सायमा ने दिल खोल कर उस दिन सत्त्या भाई से माफी मांगी।स्वीकार किया कि उसने सत्या भाई को पैसों के लिये ठगा था, उसे सत्त्या भाई से कोई प्रेम नहीं था।उसे उसके गुनाहों की सज़ा भी मिल गई।क्या सज़ा मिली ,ये नहीं बताया उसने !

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सत्त्या भाई भले ही 500 रुपये के लिये किसी को घर से उठवा लें, लेकिन पुराना प्यार ,पुराना प्यार ही होता है।सत्त्या भाई ने रोते हुये सायमा को ज़िंदगी मे पहली बार गले लगाया और माफ कर दिया।।सायमा बोली ,आखिरी फरियाद है, ये मेरा भांजा रेहान है, इसे क्रिकेट का बड़ा ही शौक है।कुछ करो इसका !

सत्त्या भाई ने वादा किया कि वो रेहान का ध्यान रखेंगे ,उसे क्रिकेट खिलाड़ी बनाएंगे ।उन्हें रेहान को देख किसी की शक्ल याद आ रही थी, पर किसकी उन्हें समझ नहीं आ रहा था।सत्त्या भाई मन मसोस के राजस्थान लौट आये।रेहान की ज़िम्मेदारी उसी झारखंडी फ़िक्सर को दे दी।लंबे बालों वाला झारखंडी मैच फ़िक्सर अब टीम इंडिया में घुस चुका था।

सत्त्या भाई सब कुछ छोड़ मैच फिक्सिंग में जुट गये।वही लम्बे बालों वाला झारखंडी उनका मुख्य एजेंट था।आईपीएल शुरू हो चुका था।एक शिल्पी नामकी हीरोइन और उसके पति राजेश कुंदन ने राजस्थान टीम खरीदी।इसमें सत्त्या भाई का भी 5 पैसे शेयर था ।उधर जादूगर स्टेट में एक रानी से पस्त था।

सत्त्या भाई के दिल मे सायमा ,दिमाग में मैच फिक्सिंग और जेब मे पैसा था।राजस्थान पहली सीजन आईपीएल जीता।सत्त्या भाई अपने फिक्सिंग कोटे से एक दो खिलाड़ी टीम में रखवा सकते थे।समय बीतता चला गया।सत्त्या का दोस्त जादूगर राजस्थान का सबसे बड़ा आदमी बन गया था।अचानक एक रोज सायमा का कॉल आया।

उसने रिक्वेस्ट की थी कि रेहान अब असम की क्रिकेट अकादमी से बिहू नाच सीख कर लौट चुका है।उसे आईपीएल में खेलने की बड़ी तमन्ना है।पुराने प्यार की बात सत्त्या भाई टाल नहीं पाए, उन्होंने राजस्थान टीम में रेहान को फिक्सिंग कोटे से सेलेक्ट करने की बात बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में की।

पर शिल्पी का पति राजेश कुंदन फिक्सिंग कोटे से ही उनावरकर को रखना चाहता था।राजेश कुंदन ने सत्त्या भाई की एक नहीं चलने दी।रेहान का सेलेक्शन नहीं हो पाया।तब सत्त्या भाई ने अपने पुराने दोस्त जादूगर की मदद ली।
जादूगर ने पोर्न बनाने के आरोप में राजेश कुंदन को जेल भिजवा दिया।

सत्त्या भाई का रास्ता साफ था।उनावरकर की जगह रेहान का टीम में सेलेक्शन हुआ ।पहला मैच खेल लिया उसने ।जादूगर भी मैच देखने आए थे।मैच के बाद रेहान सत्त्या भाई से गले मिलकर रोया जीभर के ।उसका बरसों का सपना पूरा हुआ था।रेहान ने उस दिन सत्त्या भाई को एक राज की बात बताई।सोचिए क्या ?

रेहान दरसअल रेहान नहीं था।रेहान सानिया की बहन सना थी।शोएब ने अपनी कुत्सित मनोवासना की पूर्ति के लिये सना का लिंग परिवर्तन ऑपरेशन करा कर उसे लड़का बना दिया था।ये पता चलते ही सायमा ने शोएब को घर से निकाल दिया था।इमरान शौएब के पैसों की लालच में शौएब के साथ चला गया था।सानिया को कोई मतलब नहीं था ।

सत्त्या भाई की आंखे भर आईं।वो रेहान का बहुत ध्यान रखते थे।इधर जादूगर रेहान का हर मैच देखने आता था।एक रोज रेहान की स्टेडियम कीबस छूट गई।जादूगर की गाड़ी रेहान के पीछे थी।रेहान ने उनसे लिफ्ट मांगी जादूगर ने रेहान को अपने बगल में बैठाया।गाड़ी पूरे शहर घूमी ,बस स्टेडियम नहीं पहुंची।

जब रेहान सत्त्या भाई के पास पहुंचा मैच खत्म होने के बाद तो उसने पूरी बात बताई सत्त्या भाई को।
जादूगर को नवाबी शौक थे सत्त्या भाई चिल्लाए।
“मेरे राजस्थान को किसकी नज़र लग गई “?
सत्त्या भाई ने रेहान को दिलासा दिया और जादूगर को कुर्सी से हटाने की ठान ली।

तब से अच्छा खेले या खराब ,सत्त्या भाई के फिक्सिंग कोटे से रेहान हर मैच खेलता है और बिहू डांस करता है।सत्त्या भाई दिन भर जादूगर के खिलाफ “मेरे राजस्थान को किसकी नज़र लग गई “लिख के जनता को भड़काते हैं।
रेहान और जादूगर अब भी मिलते
सायमा को सत्त्या भाई अब भी याद करते हैं।
समाप्त

🙏🙏

नोट -ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है।किसी भी वास्तविक व्यक्ति वस्तु या स्थान से इसका कोई सम्बंध नहीं है।किसी व्यक्ति वस्तु या स्थान से इसका इसका संबंध संयोग मात्र होगा ।

लेखक-विपुल मिश्रा – @oldexxcricketer

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