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रवि वैष्णव

सचिन और सौरव – फैंस की गुपचुप प्रतिस्पर्धा

आज से कोई लगभग दो दशक पहले के भारतीय क्रिकेट पर नजर दौड़ाई जाए तो दो सबसे बड़े सितारे थे सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली। 90 के पूरे दशक में सचिन ने खूब रन पीटे थे और दशक खत्म होते होते सौरव गांगुली भी भारतीय दर्शकों के सबसे प्रिय खिलाड़ियों में से एक बन गए थे। 

लेकिन एक बात जो दोनों के ही इतने जबरा लोकप्रिय होने का कारण थी, वो थी एकदिवसीय में इनका साथ में पारी की शुरुआत करना। आज भी एकदिवसीय क्रिकेट की ये सबसे सफल सलामी जोड़ी है। 

तो जब एकदिवसीय क्रिकेट अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंच रहा था खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में, तब इनका ओपनिंग करके तूफानी बल्लेबाजी करना भी उसकी लोकप्रियता के इजाफे का एक कारण था।

 सचिन मुंबई से थे, सौरव बंगाल से थे। शायद यही वो दौर रहा होगा जब खिलाड़ियों के फैंस के भी गुट बनने शुरू हो गए। आज की आईपीएल पीढ़ी जब धोनी, कोहली, रोहित, हार्दिक की हौसला अफजाई सोशल मीडिया पर करती है और दूसरे खिलाड़ी को ट्रॉल करती है तो तरस आता है की ये कितनी मासूम पीढ़ी है क्रिकेट फैंस की। 

उस दौर में सचिन और सौरव फैंस इतने आमने सामने हो जाया करते थे की बात बहस से कहीं आगे निकल जाती थी। सचिन के फैंस का तर्क था सचिन के शतक और उनके परफेक्ट और दर्शनीय क्रिकेटिंग शॉट्स तो उधर सौरव के फैंस उनके स्टेप आउट करके मारे गए सिक्स पर कुर्बान हुए जाते थे। 

आलम ये था कि उस दौर में तमाम लेफ्ट हैंडर लोग सौरव के फैन बन बैठे थे और गली मोहल्ले के क्रिकेट में वो बस सौरव के जैसे कदमों का इस्तेमाल करके बस सिक्स मारने की कोशिश करते थे।

इसी दौर में मीडिया ने भी इनकी लोकप्रियता को खूब भुनाया और तमाम तरह के विज्ञापन में इनको लिया गया। साथ ही इन दोनो को ही इनके फैंस ने प्यार से उपनाम देने शुरू किए। 

सचिन को तब लिटिल मास्टर और मास्टर ब्लास्टर की उपाधि से नवाजा गया और 2007 08 आते आते उन्हें गॉड ऑफ क्रिकेट यानी क्रिकेट के भगवान के नाम से पुकारा जाना आम हो गया। उधर सौरव दादा बंगाल के लाडले बन गए थे सो उनके नाम थे प्रिंस ऑफ कोलकाता, महाराज, बंगाल टाइगर और उनकी आजीवन पहचान बन गया नाम – दादा। 

सौरव को भी सचिन की तरह भगवान के नाम की उपाधि मिली – गॉड ऑफ ऑफसाइड, बात में दम भी है। दुनिया के बेहतरीन ऑफसाइड बल्लेबाजों में आज भी सौरव का नाम अदब से लिया जाता है।

इधर दादा कप्तान बन गए थे तो तब इनकी दादागिरी के किस्से भी खूब मशहूर हो रहे थे, नई टीम भी जबरदस्त बना रहे थे ये नए खिलाड़ियों को लेकर और देखते देखते आ गया 2003 का वर्ल्डकप।

इस वर्ल्डकप के दौरान ही सचिन और सौरव के फैंस की खींचतान भी चरमसीमा पर पहुंच गई। वजह थी बल्ले से दोनों ही खिलाड़ियों का जोरदार प्रदर्शन। 

जहां सचिन ने पूरे वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाये थे, वही सौरव ने 3 सैकड़े जमाये थे उस वर्ल्डकप में। 

जहां सचिन की पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई पारी ऐतिहासिक बन गई, वही दादा की सेमीफाइनल में केन्या के विरुद्ध खेली गई मैच जिताऊ शतकीय पारी ने उनके चाहने वालों को खुशी से उछलने का मौका दे दिया।

सौरव के प्रशंसक सचिन के फैंस को चिढ़ाते थे की सचिन शतक लगाते हैं तो टीम हार जाती है और सौरव के शतक लगाने पर जीत जाती है, हालांकि ये तर्क कही फिट नहीं बैठता क्योंकि सौरव के 22 वन डे शतकों के मुकाबले सचिन ने 49 शतक लगाए हैं। जाहिर है सभी मैचों में जीतना संभव नहीं है।

इसी तरह सचिन के फैंस सौरव के चाहने वालों को उनके तेज गेंदबाजों के सामने डरने वाली बाते करके चिढ़ाते थे, जो की किसी भी तरह से सच नहीं थी। एकदिवसीय में 11000 के आसपास रन जिनमे ज्यादातर ओपनिंग करके बनाए गए हों, ऑस्ट्रेलिया की तूफानी गेंबाजी के सामने टेस्ट में उनके घर में शतक हो या फिर 2006 में साउथ अफ्रीका दौरे से टीम में शानदार वापसी, दादा ने हमेशा जुझारू खिलाड़ी के तौर पर क्रिकेट खेला है।

इन दोनों ही महान खिलाड़ियों के प्रशंसकों के बीच की ये खींचतान मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के फैंस के जैसी ही थी, शायद कुछ कम लेकिन जज्बात वही थे की हमारा स्टार ज्यादा बड़ा खिलाड़ी है।

खैर, ये खींचतान केवल फैंस के ही बीच में थी। दादा और सचिन का आपस में तालमेल बहुत ज्यादा अच्छा था। एक साथ खेलते हुए ये दोनों क्रिकेट की दुनिया की सबसे बेहतरीन जोड़ी में से एक रहे । निर्विवाद रूप से सचिन तेंदुलकर भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे हैं, तो सौरव दादा ने भी अपने बल्ले के दम से भारत को कई सारे मैच जितवाये हैं।

एक और बात जो इन दोनों ही खिलाड़ियों को महान खिलाड़ी का दर्जा देती है वो है इनका टीम के प्रति 100% समर्पित होना। क्रिकेट के खेल से इनका प्यार आज की जेनरेशन शायद समझ नही सकती।

बल्लेबाजी के साथ साथ भरोसेमंद गेंदबाज भी थे।

जिन खुशनसीब क्रिकेट प्रशंसकों ने सचिन सौरव, हेडन गिलक्रिस्ट, वसीम अकरम वकार यूनुस जैसी जोड़ियों को साथ में खेलते देखा है, उनकी खुशनसीबी को प्रणाम।

रवि वैष्णव

सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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