राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023
मुद्दा विहीन और लहर विहीन चुनाव
सत्या चौधरी
राजस्थान का इस बार का चुनाव बाक़ी के पिछले तीन चार चुनाव के मुक़ाबले पूर्णतया भिन्न था।
राजस्थान विधान सभा चुनाव 2018 में जहां महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया का विरोध हावी था और सामने कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट एक उम्मीद के रूप में थे ।
वहीं 2013 का राजस्थान विधान सभा चुनाव मोदी लहर वाला चुनाव था।उस चुनाव में प्रत्याशी से ज़्यादा कमल के फूल का चुनाव निशान बड़ा मुद्दा था। राजस्थान का मतदाता प्रत्याशी से ज़्यादा निशान को महत्व दे रहा था और नतीजा सबके सामने आया था भाजपा की जीत के रूप में।
पर इस बार का राजस्थान विधान सभा चुनाव ना तो 2013 वाला है और ना ही 2018 वाला।
इस बार यदि सत्ता के विरोध के कोई मुद्दे हैं तो वो हैं युवा वर्ग में निराशा, प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होना और वर्तमान गहलौत सरकार की तुष्टिकरण की नीति।
विपक्ष द्वारा उठाए जा सकने वाले इन्ही मुद्दों की काट के लिए सत्ताधारी दल कांग्रेस के लिए चुनावी मुद्दों के रूप में गहलोत सरकार की फ्री की स्कीम और विकास कार्य का पांसा खेला गया।
पर यदि 2023 का राजस्थान विधान सभा का चुनाव ऐसा है तो जनता में चुनाव को लेकर कोई उत्सुकता नहीं होनी चाहिये थी। थिनर वोटिंग प्रतिशत गिर जाना चाहिए था, पर हुआ उल्टा है।वोटिंग प्रतिशत बढ़ गया है राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023 में।ये एक विरोधाभास के रूप में ही सामने आ रहा है
क्या कारण रहे कि मतदान प्रतिशत बढ़ने के ? और चुनाव नतीजे में क्या होने वाला है? आइये चर्चा करते हैं।
जैसा कि बताया चुनाव में कोई लहर नहीं थी और चुनाव किसी विशेष मुद्दे पर नहीं पर लड़ा गया।
बहुत समय बाद राजस्थान का चुनाव स्थानीय प्रत्याशी और स्थानीय मुद्दों पर लड़ा गया है।इसी करण प्रत्याशियों ने भी बहुत मेहनत की है मतदाता को पोलिंग बूथ तक लाने में। इसी कारण मतदान प्रतिशत भी बढ़ गया है इस बार के राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023 का।
नतीजे क्या रहेंगे ?
अमूमन ऐसा होता है कि यदि ऐसा लहरविहीन चुनाव हो तो सत्ताधारी दल को फ़ायदा मिलता है। इस कारण कि एक तो सत्ता उसके हाथ में होती है और स्थानीय सत्ताधारी विधायक और स्थानीय सत्ताधारी नेता ने जनता के न जाने कितने काम करवाये होते हैं।उसके बदले वो वोट माँगने जा सकते है पर क्या वर्तमान में सत्ता में रही कांग्रेस ने मौक़े का फ़ायदा उठा पाया राजस्थान में?
तो जहाँ तक जमीन का सवाल है सत्ताधारी दल के एक स्थानीय नेता के ख़िलाफ़ एक नाराज़गी की भावना स्थानीय रूप में चल रही थी। उसके मुख्य कारण उस क्षेत्रीय नेता का अहंकारी होना है और जन नायक की सत्ता बचाने में काम आये हर विधायक का मिनी मुख्यमंत्री की तरह काम करना रहा। सड़क की राजनीति करना इस क्षेत्रीय नेता के ख़िलाफ़ एक तरह से सत्ता विरोधी लहर बना गया जिसका नुक़सान कांग्रेस उठा रही है
ये बात गहलोत साहब ने भी बोली थी कि नाराज़गी सरकार से नहीं विधायकों के ख़िलाफ़ है, पर कांग्रेस अपने ऐसे विधायकों के टिकट काटने का साहस नहीं दिखा पायी और गहलोत साहब अपने वफादार विधायकों को टिकट दिलाने में कामयाब तो हो गये पर विधायक भी बना पायेंगे या नहीं ये संशय है।
दूसरी तरफ़ राजस्थान में एक समाज जो पिछले चुनाव में पूर्ण रूप से कांग्रेस के साथ था ,वो इस बार जो कांग्रेस को हरायेगा, उसको वोट देंगे वाली तर्ज पर वोटिंग किया है। इस चीज का नुक़सान कांग्रेस को हो रहा है।
वहीं भाजपा ने 2023 का राजस्थान विधान सभा का ये चुनाव शायद अब तक का सबसे ख़राब चुनाव लड़ा है।वसुंधरा के अलावा जितने भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार नेता थे, वो अपनी विधान सभा से बाहर ही नहीं निकल पाये क्योंकि ज़्यादातर की सीट फंसी हुई नज़र आ रही थी। पूरे 2023 राजस्थान विधान सभा चुनाव में भाजपा सिर्फ़ केंद्रीय नेताओं के और कुछ हद तक वसुंधरा राजे के भरोसे ही रही।वसुंधरा ने लगभग पचास विधानसभा सीटों में में प्रचार भी किया है।
2023 राजस्थान विधान सभा चुनाव में भाजपा का टिकट वितरण भी कुछ ज़्यादा सही नहीं रहा। विशेष तौर पर पश्चिम राजस्थान में और मारवाड़ जो बीजेपी का गढ़ था, वहाँ भाजपा टिकट वितरण में कुछ बेहतर कर सकती थी पर शायद कर नहीं पायी।
अब आते हैं नतीजे पर
राजस्थान की सत्ता इस विधानसभा चुनाव में शायद कांग्रेस बचा सकती थी पर ऐसा लगता है कि बचा नहीं पायेगी। क्योंकि पूरे राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023 में ऐसा लगा कि कांग्रेस ने चुनाव पूर्ण रूप से अशोक गहलोत के हवाले कर दिया।
वहीं भाजपा आसानी से इस राजस्थान विधान सभा चुनाव में अपनी सीटों की संख्या 135 से भी अधिक कर सकती थी पर वो चूक गई।जिस तरह का विरोध वाला माहौल सत्ताधारी दल के विधायक के खिलाफ दिख रहा था ये आंकड़ा संभव था, पर भाजपा भी इस आंकड़े तक पहुंचने में चूकती दिख रही है।
राजस्थान में तीसरे मोर्चे की वैसे भी कुछ संभावना नहीं लग रही है , वहीं भाजपा और कांग्रेस को छोड़ दें तो अन्य दलों के या निर्दलीय 22-30 विधायक तक जीत सकते हैं।
राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023 का अंतिम आँकड़ा तो ईवीएम से ही आयेगा पर उस से पहले का मेरा आंकलन ये है –
भाजपा 115-122
कांग्रेस 55-62
अन्य 22-30
सत्या चौधरी
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Informative and good analysis by @satya
Very nicely written.
सत्या गोदारा जी का शानदार आंकलन
सत्या गोदारा जी का शानदार आंकलन
बहुत शानदार विश्लेषण🙏😀