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आपका -विपुल

टोमैटो और पोटैटो की बासी सब्जी को जोमैटो से मंगाये गये पिज्जा के साथ पीस पीस कर खाने के बाद जैसे ही पुश्तैनी पलंग पर पसरा ही था कि उस गजगामिनी का फोन मेरे फोन पर आ गया जिसे मेरे पिताजी ने ये कह के मेरे साथ वैवाहिक बंधन में बांध दिया था कि लड़की एकदम गौ है गौ।बहुत ख्याल रखेगी।
और इस गौ की गौसेवा में अब मुझे जो आर्थिक और शारीरिक तकलीफ होने लगी थी,उसके बारे में क्या ही बताऊं आपको?
मेरे चाचा ताऊ के हिसाब से सब मिलाकर कुल 17 साले थे और सब के सब मोनू मानेसर से कम बड़े वाले गौरक्षक नहीं थे।

और एक तो ये वीडियो कॉल का आविष्कार ही मात्र इसलिये किया गया था कि मैके गई हुई पत्नी अपने पति की करतूतें वीडियो कॉल पर साक्षात देख ले।
तो भाई वीडियो कॉल था,श्रीमती जी का।
श्रीमती जी अपने एक चचेरे भाई की छाती पर मूंग दलने उसके घर गईं थीं,बच्चों समेत।क्योंकि उनकी चाची ने उनसे कहा था कि अपनी भौजाई को जरा देख लो,थोड़ा समझा लो आकर।
और ननद भौजाई की पुरानी परंपरा को निभाने के लिये श्रीमती जी नौबस्ता पहुंच गईं थीं।बच्चों की 3 दिन की छुट्टी थी ही।

वीडियो कॉल कनेक्ट हुई।
श्रीमती जी के चेहरे पर उतनी ही संतुष्टि और खुशी दिख रही थी जितनी संतुष्टि और खुशी रामायण में रावण की राक्षसियों के चेहरे पर किसी भोले भाले ऋषि मुनि को कच्चा चबाने के बाद दिखती थी।
मैंने डरते डरते कहा।
“आज बहुत सुंदर लग रही हो।”
“वो तो मैं हूं ही।”
उधर से जवाब मिला।
“पर तुम्हारी तकिया के पास ये लवली लवली लव लेटर कैसे लिखें वाली किताब क्यों पड़ी है?”

क्या चील जैसी नजरें हैं यार।हद है।
“वो बस ऐसे ही,तुम्हें ही लिखना चाह रहा था।बहुत दिन हो गये।”

मैंने बात संभाली।

वो कुछ बोली नहीं पर मुझे लगा कि मेरी बात पर उन्होंने उतना ही विश्वास किया होगा जितना कुमार विश्वास केजरीवाल पर करते हैं।
खैर उन्होंने बताया कि कल दोपहर 11 बजे वो अपनी भाभी और बच्चों के साथ जेड स्क्वायर में सेल्फी फिल्म देखने जा रही हैं।अक्षय कुमार और इमरान हाशमी वाली।


तो उन्होंने सेल्फी फिल्म के लिये मेरा टिकट भी बुक करा ली है। फिल्म देखने के बाद उन्हें हमारे घर से कुछ सामान उठा कर वापस अपनी चाची के यहां जाना है।
अब ये मुझसे पूंछा नहीं जा रहा था,मुझे बताया जा रहा था तो मना करने का कोई विकल्प वैसे भी बचता नहीं था।
ऑफिस से छुट्टी लेनी ही पड़ी और ठीक 11 बजे मैं जेड स्क्वायर के गेट पर था।5 मिनट बाद ही श्रीमती जी दिखाई पड़ गईं।सुंदर तो हैं हीं,आज कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रहीं थीं।
आप अपनी माशूका को जब पहले से ज्यादा सुंदर और सजी धजी देखते हैं तो आपके मन में तमाम तरह के कामुक ख्याल आते हैं।और जब आप अपनी बीबी को पहले से ज्यादा सुंदर और सजी धजी देखते हैं तो आपके मन में पहला ख्याल आता है कि :-
“ब्यूटी पार्लर वाली ने इसको कितना लूटा होगा यार?”
श्रीमती जी अकेली ही थीं।उन्होंने एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ बताया कि बच्चों को भाभी के जिम्मे छोड़ कर आज वो मेरे साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने आई हैं।
और मॉल में घुसते ही उन्होंने हम दोनों की एक साथ सेल्फी ली और तुरंत अपने मोबाइल पर स्टेटस लगाया
“बुड्ढा मिल गया।”
फिर बोलीं,
“आज के दिन तो तुम्हें बाल कलर कर लेने चाहिये थे कम से कम।”
आज के दिन?
आज के दिन ऐसी क्या खास बात थी भाई?
खैर!
पहला ही शो था।500 रुपये के पॉपकॉर्न ,215 रुपये के समोसे,108 रुपये की कॉफी और 110 रुपये की पेप्सी तो वो फिल्म शुरू होने के पहले ही लेकर बैठीं थीं।और मैं मन में सोच रहा था कि ये इतना खाने के बाद भी मेरे जैसी मोटी क्यों नहीं होती,पिछली बार डॉक्टर को जुकाम बुखार में इनको दिखाने गया था और वो मुझे बड़ा ही घृणा की दृष्टि से देखते हुये बोला था,
“इनका ख्याल रखा करो।कितनी दुबली हैं।”
फिल्म में मेरा बहुत इंट्रेस्ट नहीं था।एक तो कल रात में फर्जी वेबसीरीज ढाई बजे तक देखी थी, तो नींद आ रही थी।दूसरे हॉल में ऐसी ने ऐसा माहौल बना रखा था कि नींद आना अवश्यंभावी था।
इंटरवल में नींद खुली।
“तुम बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं हो।”
उनकी शिकायत थी।
“अब साला शादी के 12 साल बाद अपनी ही बीबी के साथ कौन रोमांटिक हो सकता है?”
ये कहने की हिम्मत नहीं थी, इसलिये मुस्कुरा के रह गया।
इंटरवल के बाद मैं जागता रहा और मोबाइल पर गेम खेलता रहा।
फिल्म खत्म होने के बाद हम कैफिटेरिया पहुंचे।एक खाली टेबल पर बैठे और मेरे कुछ समझने के पहले ही पिस्टल पांडे एक प्लेट में केक रखे हाजिर था।

“हैप्पी बर्थडे दीदी”
ओह!तो ये मामला था ।

मेरी श्रीमती जी का आज जन्मदिन था।वो इसीलिये आज हंसी खुशी से थीं।मेरी एक भी बार डांट नहीं पड़ी थी और मुझे ताने भी नहीं सुनाये गये थे।

पिस्टल पांडे आज भी वही गुलाबी पैंट और काली शर्ट पहने था।गले में सोने की चेन,लौकी के बीजों से दांत और कमर में लगी पिस्टल।आज तो जूते भी गुलाबी थे उसके।

“तुम्हारे जीजाजी को तो ध्यान ही नहीं था कि आज मेरा बर्थडे है।”
श्रीमती जी खिलखिलाईं।
“भूल गये होंगे बेचारे।”
बिलकुल भावशून्य स्वर में पिस्टल पांडे बोला।
“वैसे तो पिछ्ले एक महीने में चार बार बर्थडे पार्टी केक ऑर्डर इनकी तरफ से ही रहे हैं।”
“किसके?”
“सोना, सुवर्णा, साधना और आराधना।चारों के बर्थडे केक का ऑर्डर तो जीजाजी ने ही किया था यहां।”
मैं दांत पीस कर रह गया।
“कितना झूठ बोलते हो यार?”
“मैं तो पिछ्ले एक महीने से आया ही नहीं यहां।”
और मेरे इतना कहते ही उसका जवाब भी तैयार था।
“आप यहां आकर करेंगे भी क्या, जब सामने वाले ओयो होटल में ही आपको सारी सुविधायें उपलब्ध हो जाती हैं।”
गजब ढीठ था यार ये आदमी।
वो यहीं नहीं रुका।
“वो चारों केक के ऑर्डर का पेमेंट आपके ही बैंक अकाउंट के यूपीआई से हुआ था।”
“हां भाई!माना,पर वो मेरे बॉस ने कहा था तो करना पड़ा।”
मैं श्रीमती जी को कन्विंस करने की कोशिश कर रहा था जो हंस रही थीं।
“अरे तुम दोनों लड़ाई बंद करो।”
वो खिलखिला रही थीं।
“हमेशा लड़ते रहते हो,झूठ सच बातें लगा के।केक काट रही हूं।”

उन्होंने केक काटा।मैंने हैप्पी बर्थडे टु यू गाया और पिस्टल पांडे ने हमारे लिये खाना लगवाया।
चूंकि पिस्टल पांडे ही कैफिटेरिया का मैनेजर था और उसकी दीदी का बर्थडे था तो व्यवस्था चौकस थी एकदम।
“सामने वाले ओयो होटल में क्या वाकई में कमरा बुक रहता है तुम्हारा?”
उन्होंने धीरे से पूंछा ।
“इसकी बातों का विश्वास न करो, बहुत झूठ बोलता है।”
मैंने धीमे से कहा।

अब श्रीमती जी का बर्थडे था और मुझे ध्यान भी नहीं था तो मेरे मन में उनको एक तोहफा देने का ख्याल आया और उस विज्ञापन का भी ध्यान आया कि तोहफा वो दो जो काम आये।
पीपीएफ अकाउंट।
पीपीएफ अकाउंट खुलवा दूं इनको!
मेरे मन में तुरंत ख्याल आया।
बचत भी है और तोहफा भी।
इनकम टैक्स भी बचेगा।

और ये पीपीएफ वाला आइडिया श्रीमती जी को भी इस शर्त पर जम गया कि हर महीने 3 हजार रूपये मैं उनके पीपीएफ अकाउंट में डालता रहूंगा।
बात ये तय हुई कि हम पहले एसबीआई चलेंगे,फिर हमारे घर और फिर रात में मैं उन्हें उनकी चाची के घर छोड़ आऊंगा।
आज श्रीमती जी का मूड बढ़िया था,उन्होंने मेरे लिये एक बेल्ट और बटुआ खरीदा।छत पर कपड़े सुखाने वाली रस्सी बेकार हो गई थी,वो रस्सी ली पंद्रह फुट, डर्मीकूल पाउडर,नैप्थलिन वाली गोलियां,अचार।थोड़ी बहुत खरीदारी तो बनती ही थी।
लंच के बाद जब मैं उनको अपने घर के पास वाली एसबीआई में लेकर पहुंचा तो लंच ही चल रहा था बैंक में।

और एसबीआई में भी लंच आवर में अगर मेरी पत्नी का पीपीएफ अकाउंट खुल गया तो उसके पीछे वजह थी सपना शुक्ला,जो मेरी क्लासमेट रही थी और जिसकी सुंदरता ने मेरे न जाने कितने साथियों का कैरियर और कैरेक्टर मटियामेट कर दिया था।सपना शुक्ला इस ब्रांच की असिस्टेंट मैनेजर थी और उसका मैनेजमेंट इतना बढ़िया था कि मात्र आधे घंटे में मेरी श्रीमती जी का पीपीएफ एकाउंट खुल के उसकी पास बुक भी उनके हाथों में थी, वो भी छप कर।
जानकार लोग ही जानते हैं कि एसबीआई में लंच आवर में काम करवाना उतना ही मुश्किल होता है,जितना विराट कोहली का स्पिन लेती पिच पर टेस्ट मैचों में रन बनाना।एसबीआई में खाता खुलवाना उतना ही मुश्किल काम होता है जितना मुश्किल काम के एल राहुल का टी 20 मैच में अच्छी ओपनिंग करना और एसबीआई में पासबुक छपवाने का काम उतना ही मुश्किल होता है जितना कॉन्ग्रेस प्रवक्ताओं को लोगों को राहुल गांधी की बातों का मतलब समझाना।
और यहां तो सपना हमें एसबीआई में असिस्टेंट मैनेजर होकर उसके ऑफिस में चाय समोसे खिला रही थी और हमारा काम अपने आप हो गया था, हमारे बिना किसी काउंटर पर जाये।
ये विजय तो गाबा की विजय जैसी थी।परीकथा जैसी।
चलते चलते सपना ने हम दोनों के साथ एक सेल्फी भी ली।
मेरे मुंह से बेसाख्ता निकल गया
“आई लव यू “
सन्नाटा

“एसबीआई”
सपना और हकीकत दोनों ने आश्चर्य से मुझे देखा था और मैंने चुपचाप उंगली उस बोर्ड की तरफ उठा दी,जहां ये लिखा था।
“आई लव यू एसबीआई”!


किसने लिखा था यार ?इसकी माता का भ्राता!
अब लोग एसबीआई को भी आई लव यू बोलने लगे।
कहां जा रहा है हमारा समाज?

समाज कहीं भी जा रहा हो,हमें उससे मतलब भी क्या था?हम अपने घर पहुंचे।शाम के 5 बज चुके थे।
श्रीमती जी का मूड कुछ खराब सा लग रहा था।पर वो शांत और सहज दिखने का प्रयास कर रही थीं।
घर का ताला खोला।घर उतना ही व्यवस्थित था,जितना एक उस शादीशुदा व्यक्ति का हो सकता था,जिसकी बीबी तीन साल बाद तीन दिन के लिये अपने मैके गई हो वो भी बच्चों सहित।

टीवी खुला हुआ था जिसमें महिला कुश्ती चल रही थी।चाय के जूठे कप तो फिर भी ठीक थे, ये मेरे दोस्तों में से कोई मां का लाडला हेवर्ड्स 5000 की बोतल इतने कायदे से सजा के रख गया था कि क्या ही कहा जाये।
लवली लवली लव लेटर कैसे लिखें किताब खुली पड़ी थी और मेरी एक डायरी और पेन भी।

ये सब देख के भी श्रीमती जी का पारा गरम नहीं हुआ था।शायद आज मेरा दिन अच्छा था।
उन्होंने फिर मेरा फोन हंसते हुये मांगा और मैंने मुस्कुराते हुये अपना फोन दिया।
उन्होंने हमारी जेड स्क्वायर और एसबीआई में खींची सेल्फी गौर से देखीं फिर मुस्कुराईं।
“जाओ नहा के आ जाओ”
वो मनमोहक अंदाज में बोलीं।
” गर्मी ज्यादा है ना?”
“पीठ पर डर्मीकूल लगा दूंगी।नहाने के बाद।”

मैं इशारे समझ रहा था।आज उनका जन्मदिन है।मेरे साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहती हैं।


मैं नहा के आया।
केवल लक्स कोजी पहन के।
उनकी तो टैगलाइन है ना?
अपना लक पहन के चलो।
पर जिसकी क़िस्मत में लक देने वाले ने ही लकलका कर बैडलक लिखा हो,उसका क्या ही किया जा सकता है।
जब मैं वापस अपने कमरे में आया तो दो कप लेमन टी तैयार थी।
मेरी श्रीमती जी ने एक कप लेमन टी के साथ मेरी डायरी भी मुझे दी।
“क्या लिखा है?”
उनकी मुस्कुराहट मेरे रोंगटे खड़े कर रही थी।
“स्टोरी है।”

“बढ़िया स्टोरी है।काउच पर आउच “
वो बहुत ठंडे अंदाज में बोलीं।

“क्यों लिखते हो ये सब?किसी को पता चलेगा तो क्या इज्ज़त रह जायेगी तुम्हारी?ऐसी अश्लील कहानियां मत लिखा करो”

“अरे वो छोड़ो यार!”मैंने बात संभाली और उन्हें फिर से अपने फोन में खींची सेल्फी दिखाने लगा।
“और एक तो ये सपना शुक्ला।पिछ्ले हफ्ते ही खाता खुलवाने एसबीआई गई थी,मुझे भाव नहीं दे रही थी।झगड़ा होते होते बचा।आज तुम्हारे साथ इतने अच्छे से पेश आ रही थी।”
वो जुटी पड़ी थीं।

“अरे छोड़ो यार!ये सेल्फी देखो।तुम कितनी अच्छी लग रही हो” मैंने उन्हें फिर से सपना के साथ खींची उनकी सेल्फी दिखलाई और यहीं मैं सेल्फ गोल कर बैठा।

सपना के हाथ में प्लास्टिक के दिलों वाला ठीक वैसा ही ब्रेसलेट था,जो मेरी टेबल पर अभी पड़ा था।
दोनों ही ब्रेसलेट एक जैसे थे।मुझे ऐसे ब्रेसलेट का बड़ा शौक था जवानी के दिनों में।श्रीमती जी जानती थीं।मेरी अलमारी में रखी लवली लवली लव लेटर कैसे लिखें किताब के साथ ही ये ब्रेसलेट भी चला आया था।ये अलमारी मैंने श्रीमती जी के मैके जाने के बाद ही खोली थी।
ये मेरे और उनके बीच का अलिखित समझौता था कि मेरी पुरानी अलमारी वो कभी खोल के नहीं देखेंगी।
लेकिन इस वक्त वो अलमारी भी उनके सामने खुली पड़ी थी और उसमें रखी तमाम चीजें भी।

“ये जो ब्रेसलेट तुम्हारे पास है। ऐसा ही ब्रेसलेट उसके पास क्यों था?”
उनका सीधा सवाल था।
“मैं क्या जानूं?”
मैं खिसियाया।
“तुम्हें तो पता ही है कि मुझे प्लास्टिक के दिल इकट्ठा करने का शौक अभी तक है।”

“उसने तुम्हारी इतनी खातिरदारी क्यों की?”
ये दूसरा सवाल था।
“पुरानी दोस्त है।”

“ओह”
उनके होंठों से बस यही निकला।

“जरा तेज आवाज में कोई रोमाटिक सॉन्ग चलाओ ना”
वो मीठे स्वर में बोलीं।

मैं बात कैसे टालता।
चला दिया।
सजना जी वारी वारी जाऊं री मैं। तू ही तो मेरा संसार है।
फुल स्पीड।

आगे
बस इतना समझ लो कि अगर पड़ोसी के घर फुल साउंड में फिल्मी गाना चल रहा हो तो हमेशा अबला का तबला ही नहीं बजता।
कभी कभी पुरूष का पियानो भी बजता है।
दौड़ा दौड़ा के मारना,
मार मार के दौड़ाना,
घसीट घसीट के मारना,
मार मार के घसीटना,
कूट कूट के पीटना,
और पीट पीट के कूटना,
ये सब अलग अलग चीजें होती हैं,जिनका फ़र्क आज मेरी बीबी ने मुझे प्रैक्टिकल सहित समझाया था।

मेरी दोपहर जितनी ही रंगीन थी, शाम उतनी ही संगीन हो चुकी थी।

पिस्टल पांडे की बहन पिस्टल पांडे द्वारा कही एक भी बात नहीं भूली थी।
मेरे लिये खरीदी गई बेल्ट मेरी नंगी पीठ पर इतनी बार पड़ी कि क्या बोला जाये।इस्तेमाल रस्सी भी हुई थी।
उस शाम केवल काउच पर आउच ही नहीं,काउच पर ऊह आह आउच,बनमानुस सब हो गया था।
मुझे भीषण शारीरिक सजा मिली थी।
और ये सजा केवल एक बात की नहीं थी।
सजा कई बातों की थी,जो मुझे बाद में समझ आई।

उनका जन्मदिन भूलने की सजा।

कोई गिफ्ट न देने की सजा।

सपना के साथ सेल्फी खिंचवाने की सजा।

और अपना टेरर बरकरार रखने के लिये बिना बात की सजा।

और इतना सब करने के बाद मेरी सीधी सादी पत्नी सीधे अपने चाचा के यहां निकल गई, सीधे चाचा के घर तक का ऑटो करके।
दो तीन चीजें अपने अनुभव के आधार पर बताना चाहूंगा।

1- हर जगह सेल्फी लेना अच्छा नहीं होता।

2- बीबी का बर्थडे भूलना अच्छा नहीं होता।

3- बीबी को बर्थडे पर एसबीआई ले जाने का आईडिया अच्छा नहीं होता।

4 -और बीबी के साथ बर्थडे पर सेल्फी जैसी वाहियात मूवी देखना भी अच्छा नहीं होता।

मेरे साथ जो हुआ सो हुआ,आप बच के रहें।
सेल्फी मूवी देखने लायक़ नहीं है।

आपका -विपुल
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