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आपका -विपुल

गुनगुनी सर्दी की मध्यम पदचाप से शुरुआत।
नवंबर का महीना
24 तारीख
और साल 1993
कोलकाता का इडेन गार्डेन
हीरो कप पहला सेमीफाइनल
अजहर की टीम इण्डिया और केपलर वेसल्स की दक्षिण अफ्रीका
दिन रात का मैच
टॉस भारत
अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर
बॉलर डोनाल्ड और डिविलियर्स जो एबी नहीं था फैनी था।

अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर की ओपनिंग जोड़ी पर तब भारतीयों को उतना ही भरोसा होता था जितना मौसम विभाग पर। प्रभाकर ने स्थायित्व भरी पारी खेली और 19 गेंदों पर बेहतरीन 3 रन बनाए।
तभी डारेल कलिनन को याद आया कि वो बहुत अच्छे फील्डर हैं और उन्होंने प्रभाकर को रन आऊट कर दिया।
12 पर 1 भारत।

18 के स्कोर पर पहले विनोद कांबली (4) उन कलिनन के हाथों रन आऊट हुए जो उदघोष कर चुके थे कि बॉलिंग कैसी भी हो दक्षिण अफ्रीका के फील्डर भारतीय बल्लेबाजों को जिंदा छोड़ने के मूड में आज नहीं हैं और फिर इसी स्कोर पर अजय जडेजा (6) को उन डिविलियर्स ने पगबाधा आऊट कर दिया जो तेज गेंदबाज थे।

18 रन पर 3 खिलाड़ी आऊट होना 1990 की टीम इण्डिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।कोई नई बात नहीं थी।
नंबर 4 अजहर और नंबर 5 तेंदल्या सब संभाल लेंगे, सबको पता था लेकिन 53 के टीम स्कोर पर जब टीम की जान सचिन तेंदुलकर भी 15 (31) बना कर चलते बने तो टीम इण्डिया का चोला वाकई संकट में था।
53/4।

सचिन को दाएं हाथ के तेज गेंदबाज रिचर्ड स्नेल ने विकेटकीपर डेव रिचर्डसन के हाथों कैच आऊट करवाया था।
दक्षिण अफ्रीका में तब तेज गेंदबाज ऐसे मिलते थे जैसे आजकल यूट्यूब पर मोटिवेशनल स्पीकर, ट्विटर पर मीम मेकर और फेसबुक पर रिश्तेदार।
थोक के भाव।
अब ये रिचर्ड स्नेल आया था नया बॉलर।
रमाकांत आचरेकर ने केवल सचिन जैसा हीरा और कांबली जैसा कोयला ही नहीं तराशा था , उनके गुरुकुल से प्रवीण आमरे जैसा एक लाल भी निकला था जो दक्षिण अफ्रीका की तेज गेंदबाजी को पोहा से भी ज्यादा पसंद करता था।
अजहर क्लासिक थे और आमरे टेक्निकली साउंड।

साझेदारी बन गई।
धीरे धीरे स्कोर बढ़ाना है ,100 के पार चले जाना है गाते गाते दोनों ने मिलकर टीम इण्डिया का स्कोर पहले 100 करवाया फिर 150 में 2 रन कम थे,148 ही थे कि प्रवीण आमरे भी रन आऊट हो गए उनके भी 50 में 2 कम रह गए
48 (90) 1 चौका मारे थे बस।
फील्डिंग क्या हो रही थी , फायरिंग।

कपिल देव ने 10 गेंदों में 7 रन बनाए और वो भी रन आऊट हुए 173 के टीम स्कोर पर।
दक्षिण अफ्रीकी फील्डर सांस नहीं लेने दे रहे थे भारतीय खिलाड़ियों को।
डोनाल्ड, डी विलियर्स, मैकमिलन, क्रोनिए और स्नेल अलग आग उगल रहे थे। पहले तो गेंद का बल्ले पर आना मुश्किल, फिर अगर खुदा न खास्ता गेंद बल्ले से टकरा जाए तो रन लेना मुश्किल। बाउंड्रीज आ नहीं रहीं थीं और सिंगल दक्षिण अफ्रीकी फील्डर लेने नहीं दे रहे थे।45 ओवर में 173 स्कोर था। रिचर्ड स्नेल ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की 118 गेंदों में 90 रनों की जुझारू पारी समाप्त की।7 चौके और 1 छक्के लगाने वाले अजहर कीपर को कैच दे दिए।

मोहम्मद अजहरुद्दीन 184 रनों पर आऊट हुए। और अनिल कुंबले (0 ) 189 के टीम स्कोर पर।स्नेल के हाथों
192 पर विजय यादव विकेटकीपर (3) को फैनी डेविलयर्स ने आऊट किया और पारी की अंतिम गेंद पर श्रीनाथ के डंडे डिविलियर्स ने उखाड़ दिए।
अतिरिक्त के 13 रन थे।
भारत ने 50 ओवर में 195 रन बनाए थे।

दक्षिण अफ्रीका निस्संदेह उस वक्त की बेस्ट बॉलिंगऔर फील्डिंग टीम थी ।
फैनी डी विलियर्स और रिचर्ड स्नेल ने 3 3 विकेट लिए थे और भारत के चार खिलाड़ी रन आऊट हुए थे।
हरफनमौला मैकमिलन और क्रोनिए ने रन रोके थे और डोनाल्ड और सिमकॉक्स ने भी अच्छी गेंदबाजी की थी।
50 ओवर में 196 टारगेट था।

दक्षिण अफ्रीका की तरफ से ओपनिंग में बाएं हत्था बल्लेबाज कप्तान केपलर वेसल्स और दाएं हत्था एंड्रयू हडसन आए। नई गेंद संभाली प्रभाकर और श्रीनाथ ने।
पिच कुछ कठिन थी और श्रीनाथ कुछ तेज।
23 गेंदों पर 5 बनाकर केपलर वेसल्स श्रीनाथ का शिकार बने।
दक्षिण अफ्रीका 10/1।

दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट की सबसे प्रभावी शक्तियों में से एक हंसी क्रोनिए नंबर 3 पर आए। धीरे धीरे पारी बढ़ाई।
आउटफील्ड धीमी थी और भारतीय गेंदबाज भी निशाने पर थे।कठिनाई भरी 30 गेंदे खेल 13 रन बनाने वाले हैंसी क्रोनिए जब रनआऊट हुए तो दक्षिण अफ्रीका 45/2 था
फील्डर हमारे भी खराब नहीं थे।

फील्डिंग में जलवे दिखाने वाले डारेल कलिनन स्पिन खेलने में कच्चे थे,ये सबको पता था लेकिन उन्हें फंसाया तेज गेंदबाज कपिल देव ने।24 गेंदों में 10 रन बनाने वाले कलिनन कपिल की नीची रहती गेंद पर विकेटों के सामने पाए गए और स्कोर 65 /3 हो गया दक्षिण अफ्रीका का।
क्या भारत मैच जीत सकता है?

नंबर 5 पर जोंटी रोड्स आए जिन्हें रन आऊट करना आसान नहीं था और उस दिन उनका डिफेंस भी ठीक था।
पिच ऐसी थी कि श्रीनाथ प्रभाकर अंकोला छोड़ो अजय जडेजा को भी मदद मिल रही थी।
अजय जडेजा ने ही जोंटी रोड्स का शिकार भी किया, कैच पकड़ा अजहर ने
रोड्स ने 16 (32) बनाए थे।
टीम स्कोर 106 /4
बढ़िया।

ब्रायन मैकमिलन का नाम एक आल राउंडर के तौर पर बहुत वजन रखता था। वही आए अब एंड्रयू हडसन का साथ देने जो एक छोर पर टिके थे अपना अर्धशतक पूरा करके । ओवर 30 के पार हो चुके थे जब कुंबले खेल में आए और 130 के टीम स्कोर पर हडसन के डंडे उड़ा दिए। हडसन ने 112 गेंदों पर 62 रन बनाए थे।
6 चौके।

दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 130 /5 हो चुका था और जब अजय जडेजा ने पैट सिमकॉक्स 6 (11) को प्रवीण आमरे के हाथों कैच करवा दिया तो 141 /6 हो गया।
रन ज्यादा नहीं बनाने बचे थे, पर पिच कठिन थी आउटफील्ड धीमी, भारतीय गेंदबाज चढ़े हुए थे और ईडेन गार्डन की जनता गला फाड़ चिल्ला रही थी।

रिचर्ड स्नेल को 1 के निजी स्कोर पर कुंबले ने विजय यादव के हाथों स्टंप करवा दिया।
दक्षिण अफ्रीका 145 /7

टीम इण्डिया के खेमे में जश्न का माहौल था पर जैसे भारत में पंत के पहले धोनी थे वैसे दक्षिण अफ्रीका में मार्क बाउचर के पहले डेव रिचर्डसन थे।
विकेटकीपर?
नहीं संकटमोचक बल्लेबाज।

ब्रायन मैकमिलन और डेव रिचर्डसन धीमे धीमे आगे बढ़े बगैर रिस्क लिए।
और मैच को अंतिम ओवर तक घसीट लाए।
लो स्कोरिंग मैच में कितना रोमांच हो सकता है, ये इस मैच को देख कर जान सकते हैं।
अजय जडेजा के आंकड़े 9-0-31- 2 थे और कुंबले के 10-0- 29-2।
4 तेज गेंदबाज कम ही खेलते हैं भारत में।

कपिल प्रभाकर श्रीनाथ और सलिल अंकोला के साथ अजय जडेजा भी मध्यम तेज गेंदबाजी कर रहे थे और कुंबले स्पिन गेंदबाजी
120 125 की स्पीड को अगर स्पिन गेंदबाजी कहा जा सकता हो तो।

अंतिम ओवर में दक्षिण अफ्रीका को 6 रन बनाने थे।
कपिल प्रभाकर और श्रीनाथ के 2 2 ओवर बाकी थे , जडेजा के एक और अंकोला के 4।
पर विजय यादव अजहर के कान में कुछ खुसफुसाए और गेंद उन सचिन तेंदुलकर के हाथों में थी जिन्होंने अब तक एक भी ओवर नहीं फेंका था।
ये मास्टर स्ट्रोक था या कुछ और?

धोनी उस लोकप्रियता के शिखर को छूने की कल्पना भी नहीं कर पाए, विराट कोहली जिस लोकप्रियता के चतुर्थांश पर पहुंच कर भी गदगद हो जायेंगे और रोहित को तो वो लोकप्रियता कभी मिली ही नहीं जो 1989 से 1996 के सचिन की थी। और यहां कोई अतिशयोक्ति है ही नहीं।

1989 – 96 कालखंड में सचिन के आंकड़ों से ज्यादा अच्छे आंकड़े और खिलाड़ियों के रहे हैं , इसमें कोई छुपी बात नहीं पर इस कालखंड में सचिन का प्रभाव भारतीय क्रिकेट ही नहीं पूरे भारतीय मानस पर जो पड़ा है,2014 के पीक मोदी और 1971 की इंदिरा गांधी के अलावा शायद ही किसी का पड़ा हो।

तो अजहर ने अंतिम सचिन को गेंद सौंप कर जो जुआ खेला था, शायद ही पूरे भारत में किसी ने इस फैसले के विरोध में कुछ कहा भी हो, और मैच हार भी जाते तो भी शायद ही कोई बात होती।1992 विश्वकप में सचिन ने ऐसे ही वेस्टइंडीज के खिलाफ़ मैच टाई करवाया था जब तेज गेंदबाजों के ओवर पूरे हो गए थे ।

मैच को अंत तक खींच लाए डेव रिचर्डसन 49वें ओवर में 15 गेंदों में 15 रन बना कर रन आऊट हो गए थे जब दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 189/8 हो गया था।
मैकमिलन अंतिम ओवर की पहली गेंद पर स्ट्राइक पर थे और फैनी डेविलयर्स दूसरे छोर पर। सचिन की पहली गेंद मैकमिलन ने ऑफ़ साइड में खेली और भागे।
उम्मीदों के विपरीत गेंद फील्डर के हाथों में जल्दी ही पहुंच गई।फैनी डिविलियर्स दूसरा रन लेने को आधे रास्ते में थे और मैकमिलन मौके की नजाकत भांप अपनी क्रीज में लौट आए थे।
गेंद विजय यादव के ग्लब्स में आई और गिल्लियां उड़ गईं।रन आउट से भरे मैच का एक और रन आउट
इस बार फैनी डीविलयर्स (0) का।

भारत की खुशकिस्मती और दक्षिण अफ्रीका की बदकिस्मती थी कि स्ट्राइक पर एलेन डोनाल्ड थे जो बैटिंग के बारे में उतना ही जानते थे जितना रवीश कुमार ईमानदार पत्रकारिता के बारे में और सामने सचिन तेंदुलकर थे जो शेन वार्न कुंबले और अश्विन की तरह ही थे।
बॉलर ?
नहीं घाघ बॉलर।

5 गेंदों में 5 रन बनाने थे। ईडेन गार्डन की जनता पागल होकर चिल्ला रही थी और सचिन के पीछे लगभग पूरा देश था।
हर गेंद इम्तिहान थी।
सचिन का भी
डोनाल्ड का भी
अजहर का भी
और भारतीय क्रिकेट फैंस के सचिन पर अटूट विश्वास का भी कि सचिन पारस पत्थर है टीम इण्डिया का।

दूसरी गेंद खाली।
4 गेंद 5 रन
तीसरी गेंद खाली।
3 गेंद 5 रन।
सचिन नर्वस थे लेकिन मुस्कुरा रहे थे।
डोनाल्ड नर्वस थे और मैकमिलन खीज रहे थे।
सिंगल देने के मूड में नहीं थे अजहर।
अब जीतेंगे क्या?
लो चौथी गेंद भी खाली।
2 गेंद 4 रन
भारत का पलड़ा भारी था।
सचिन सचिन
सुनाई पड़ा क्या आपको?

पांचवी गेंद डोनाल्ड ने आगे बढ़कर लॉन्ग ऑन पर खेली। रन एक मिला और मैकमिलन स्ट्राइक पर आए।
1 गेंद पर चार रन बनाने थे दक्षिण अफ्रीका को।
ये भारतीय वनडे क्रिकेट इतिहास के सबसे रोमांचक मैचों में से एक था।

100 में से लगभग 94 ओवर सचिन फ्रेम में ही नहीं थे। (31 गेंदें बैटिंग में खेले थे और एक ओवर बॉलिंग)और 100वें ओवर की अंतिम गेंद पर सचिन के हाथों से ही टीम इण्डिया की जीत या हार का फैसला होना था।
विजय यादव जो ओवर की 5 गेंदों पर बिलकुल विकेट से चिपके खड़े थे, अंतिम गेंद पर सचिन ने उन्हें पीछे भेजा और गेंद फेंकी।

गेंद लेग स्टंप पर थी और लेग स्टंप पर ही खेली मैकमिलन ने और मात्र एक रन ले पाए।।
दक्षिण अफ्रीका अंतिम ओवर में मात्र 3 रन ही बना पाया।2 रन से पीछे रह गया भारतीय स्कोर से।
अजय जडेजा और कुंबले ने 2 2 और कपिल देव और श्रीनाथ ने 1 1 विकेट लिया था।3 रन आऊट किए थे भारत ने।

सचिन ने अदभुत संयम और धैर्य दिखाया था।
90 हजार की भीड़ के सामने वो अकल्पनीय अंतिम ओवर फेंका था जिसके गीत लंबे समय तक गाए जाने वाले थे।
रन आऊट से भरे इस मैच में कुल गिरे 19 विकेट में से 7 रन आऊट थे।
मैन ऑफ़ द मैच अजहरुद्दीन रहे।


आपका -विपुल

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