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ओलंपिक और भारत – प्रथम भाग
प्रस्तुति -विपुल मिश्रा

हम आज अभी तक के उन सारे ओलंपिक खेलों की बात करेंगे जिनमें भारत द्वारा पदक जीते गये।ओलंपिक खेलों के साथ भारत सभी पदकों के बारे में भी बात करेंगे।

एथेंस ओलंपिक – 1896

जैसा कि आप जानते हैं कि आधुनिक समय के पहले ओलंपिक 6 अप्रैल 1896 से 15 अप्रैल 1896 तक ग्रीस की राजधानी एथेंस में आयोजित किये गये थे।इन ओलंपिक खेलों में केवल पुरुष खिलाड़ी ही शामिल हुये। महिला खिलाड़ी 1896 एथेंस ओलंपिक में शामिल नहीं थीं।


इन 1896 ओलंपिक खेलों में 14 देशों ने भाग लिया था पर भारत इन देशों में सम्मिलित नहीं था।ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया,चिली,डेनमार्क,फ्रांस, जर्मनी,ग्रेट ब्रिटेन,ग्रीस,हंगरी, इटली,स्वीडन,स्विट्जरलैंड, अमेरिका ने इन खेलों में भाग लिया था।बेल्जियम और रूस ने अपने खिलाड़ियों के नाम 1896 ओलंपिक में शामिल होने भेजे थे पर बाद में किन्हीं कारणों से 1896 ओलंपिक में बेल्जियम और रूस ने भाग नहीं लिया।
इन 1896 ओलंपिक में एथलेटिक्स, साइकिलिंग ट्रैक, साइकिलिंग रोड, तलवारबाजी, निशानेबाजी, तैराकी , टेनिस , भारोत्तोलन, कुश्ती जैसे खेलों की कुल 43 स्पर्धायें हुई थीं जिनमें 241 एथलीट भाग लेने गये थे।
रोइंग और नौकायन खेल शामिल थे ,पर नियत दिन पर मौसम खराब होने के कारण ये खेल नहीं हो पाये।
तैराकी की स्पर्धायें समुद्र में आयोजित हुईं थीं।
आधुनिक ओलंपिक का पहला स्वर्ण पदक 6 अप्रैल 1896 को अमेरिक के जेम्स कॉनॉली ने ट्रिपल जंप में जीता और 1500 से अधिक वर्षों में पहले ओलंपिक चैंपियन बनें।पहले आधुनिक ओलंपिक चैंपियन बने

उन्होंने ट्रिपल जंप में जीत हासिल की।वो ऊंची कूद में दूसरे और लंबी कूद में तीसरे स्थान पर रहे।
अमेरिका इन खेलों में 11 स्वर्ण के साथ पहले स्थान पर, ग्रीस 10 स्वर्ण के साथ दूसरे स्थान पर और जर्मनी 6 स्वर्ण के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
1900 में ओलंपिक खेलों का आयोजन पेरिस में हुआ था और इसमें कुल 26 देशों ने अपने दल भेजे जिनमें भारत भी शामिल था।इन 26 देशों में 1896 ओलंपिक में शामिल हुये देश चिली और बुलगारिया शामिल नहीं थे जबकि ओलंपिक खेलों में पहली बार भाग लेने वाले देशों में अर्जेंटीना,बेल्जियम,बोहेमिया , क्यूबा,हैती,भारत,मैक्सिको , नीदरलैंड,नॉर्वे,फारस (वर्तमान ईरान),पेरू,रोमानिया,रूस और स्पेन शामिल थे।

पेरिस ओलंपिक 1900


14 मई से 29 अक्टूबर तक कुल 26 देशों के 1226 खिलाड़ियों ने पेरिस ओलंपिक में भाग लिया। इस बार 22 महिलायें भी शामिल थीं जिन्होंने कुल 5 खेलों में हिस्सा लिया जिनमें नौकायन टेनिस, क्रॉक्वेट, घुड़सवारी और गोल्फ था।क्रॉक्वेट एक गोल्फ जैसा कोई खेल था।
इस बार कुल 20 खेल शामिल हुये थे जिनमें 95 स्पर्धायें थीं। क्रिकेट भी शामिल था जिनमें मात्र दो देश ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस खेले थे।


इंग्लैंड ने फ्रांस को हरा कर स्वर्ण पदक जीता।फ्रांस को रजत पदक मिला था। बेल्जियम और नीदरलैंड को शामिल होना था, पर वो खिलाड़ी नहीं जुटा पाये। इसलिये क्रिकेट प्रतियोगिता में केवल ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस खेले।
फ्रांस 27 स्वर्ण के साथ पहले, अमेरिका 19 स्वर्ण के साथ दूसरे और ग्रेट ब्रिटेन 15 स्वर्ण के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
महिलाओं ने पहली बार ओलंपिक खेलों में 1900 ओलंपिक में हिस्सा लिया था, जिसमें स्विटजरलैंड की नाविक हेलेन डे पोर्टालेस नौकायन में पहली महिला ओलंपिक चैंपियन बनीं।ग्रेट ब्रिटेन की चार्लोट कूपर पहली महिला ओलंपिक टेनिस चैंपियन बनीं।

संयुक्त राज्य अमेरिका की मार्गरेट एबॉट पहली महिला गोल्फ चैंपियन बनीं।
भारत 2 रजत पदकों के साथ पदक तालिका में 19वें स्थान पर था।
ये दोनों रजत पदक भारत को एथलेटिक्स में मिले थे और दोनों एक ही खिलाड़ी जीता था।
नॉर्मन प्रिचार्ड।

नॉर्मन प्रिचार्ड


इंग्लिश मूल के नॉर्मन गिलबर्ट प्रिचार्ड को भारतीय माना जा सकता है क्योंकि एक तो उनका जन्म कोलकाता में हुआ,दूसरा उनकी पढ़ाई सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता में हुई,तीसरा उनके नाम किसी लिस्टेड टूर्नामेंट में भारत के किसी खिलाड़ी द्वारा पहली फुटबॉल हैट्रिक का रिकॉर्ड भी है जो उन्होंने जुलाई 1897 में सोवाबाजार के खिलाफ सेंट जेवियर्स के लिए लगाई थी।
प्रिचार्ड ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले पहले भारतीय एथलीट थे और वह ओलंपिक पदक जीतने वाले और एक एशियाई राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भी पहले खिलाड़ी थे।
नॉर्मन प्रिचार्ड ने पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर बाधा दौड़ पूरी करने में 25.90 सेकंड का समय लिया था और रजत पदक जीता।
ये भारत का पहला ओलंपिक पदक था।
इसके तुरंत बाद नॉर्मन प्रिचार्ड ने पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर दौड़ पूरी करने में 22.80 सेकंड का समय लिया और यहां भी रजत पदक जीता था।
ये भारत का दूसरा ओलंपिक पदक था।
भारत लौटने के कुछ दिनों बाद तक नॉर्मन प्रिचार्ड ने भारतीय फुटबॉल संघ में सचिव के तौर पर काम किया।
1905 में नॉर्मन प्रिचार्ड इंग्लैंड में बसने चले गये।
पर यहां भी उनका मन नहीं लगा।
कुछ समय बाद वो अमेरिका पहुंच गये और 1915 से 1929 तक नॉर्मन ट्रेवर के नाम से कम से कम दो दर्जन से अधिक हॉलीवुड फिल्मों में काम किया।


1929 में लॉस एंजिल्स में दिमागी बीमारी से उनकी मौत हुई।कहने को आप कुछ भी कह सकते हैं।
पर सत्य ये है कि नॉर्मन प्रिचार्ड जन्म से 30 साल तक भारत में ही रहे।यहीं उनकी शिक्षा हुई और खेल जीवन में भी यहीं नाम बनाया।ओलंपिक समिति और इंग्लैंड की खेल समितियां भी नॉर्मन प्रिचार्ड को भारतीय के तौर पर दर्ज करती हैं।
निश्चित तौर पर नॉर्मन प्रिचार्ड एक भारतीय ही थे।

एमस्टर्डम ओलंपिक 1928


1928 के ओलंपिक नीदरलैंड्स की राजधानी एमस्टर्डम में 17 मई से 13 अगस्त 1928 के बीच हुये जिनमें 46 देश शामिल हुये और 2883 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।


इस ओलंपिक में 14 खेल ,20 विषय और 109 स्पर्धायें थीं।
महिला एथलेटिक्स और टीम टीम जिम्नास्टिक के खेल पहली बार ओलंपिक में जुड़े।
पाँच महिला एथलेटिक्स स्पर्धाएँ जोड़ी गईं थीं 100 मीटर, 800 मीटर, ऊँची कूद, डिस्कस और 400 मीटर बाधा दौड।
चक्का फेंक में स्वर्ण जीत कर किया पोलैंड की हैलिना कोनोपाका पहली महिला ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ट्रैक एंड फील्ड खिलाड़ी बनी थीं।
भारत ने इस 1928 ओलंपिक में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता जो कि फील्ड हॉकी में था और यहीं से भारत के हॉकी के स्वर्णयुग की शुरुआत हुई।

भारतीय हॉकी के स्वर्णयुग का प्रारंभ


1925 में भारतीय हॉकी फेडरेशन की स्थापना हुई और 1927 में भारत अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन का हिस्सा बना और 1928 में भारत की हॉकी टीम ने पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लिया।

जयपाल सिंह मुंडा


इस भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मुंडा आदिवासी जयपाल सिंह थे जिन्हें मिशनरियों द्वारा ऑक्सफोर्ड में पढ़ने लंदन भेजा गया था।ये इंग्लैंड में एक अच्छे हॉकी खिलाड़ी के रूप में उभरे थे।1928 ओलंपिक के समय में ये आईसीएस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे,जिस कारण इन्हें छुट्टी नहीं दी गई,पर ये फिर भी भारत का प्रतिनिधित्व करने ओलंपिक पहुंचे थे।


उनके वापस लौटने के बाद उन्होंने ICS की फाइनल परीक्षा दी लेकिन उन्हें सजा के तौर पर अगले साल पेपर देने को कहा गया।इसके बाद जयपाल ने इस्तीफा दे दिया और वह वापस भारत लौट आएं।
वह बाद में भारत में आदिवासी अधिकारों के लिए एक प्रमुख प्रचारक बन गए और पूर्ववर्ती अविभाजित बिहार के छोटा नागपुर पठार पर बसे आदिवासी आबादी के मारंग गोमके (महान नेता) के रूप में जाना जाने लगे।
1928 ओलंपिक हॉकी की भारत के संदर्भ में एक मजेदार बात ये थी कि 1908 और 1920 ओलंपिक हॉकी चैंपियन ग्रेट ब्रिटेन पहले 1928 ओलंपिक हॉकी में भाग लेने वाला था, पर जब भारत की नवनिर्मित हॉकी टीम ने ओलंपिक के पहले एक प्रदर्शनी मैच में ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से मात दे दी तो ग्रेट ब्रिटेन ने बिना कोई कारण बताये ओलंपिक हॉकी से नाम वापस ले लिया और उसके बाद 1948 ओलंपिक में ही ग्रेट ब्रिटेन की हॉकी टीम दोबारा दिखी।

1928 ओलंपिक हॉकी


1928 की ओलंपिक हॉकी स्पर्धा में 9 टीमों ने हिस्सा लिया। जर्मनी, फ्रांस और स्पेन के साथ बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया डिवीजन ए में थे, तो नीदरलैंड्स जर्मनी, फ्रांस और स्पेन डिवीजन बी में थे।

प्रत्येक समूह के टॉप टीम ने स्वर्ण पदक के लिए एक दूसरे का सामना किया, जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाली टीमों ने कांस्य पदक के लिए मैच खेला।

जादूगर ध्यानचंद


भारत ने पहले मैच में ऑस्ट्रिया को 6-0 से हराया जिसमें मेजर ध्यानचंद के 4 गोल थे।जॉर्ज मार्थिंस और शौकत अली ने एक एक गोल किया।
बेल्जियम को 9-0 से हराया जिसमें ध्यानचंद ने एक गोल किया और 8 गोल करने में मदद की। फिरोज खान ने इस मैच में 5 गोल किये थे।

अगले दो मैचों में भारत ने डेनमार्क को 5-0 और स्विट्ज़रलैंड को 6-0 से मात दी। दोनों मैचों में मेजर ध्यानचंद की हैट्रिक थी।
फाइनल में भारत का मुकाबला नीदरलैंड्स से था।इस मैच में फिरोज खान टूटी हड्डी के कारण बाहर थे।दो बड़े भारतीय खिलाड़ी शौकत अली और ध्यानचंद बुखार में तप रहे थे पर भारत ने ये मैच 3-0 से जीता।
तीनों गोल ध्यानचंद ने किये थे।


भारत की तरफ से पूरी स्पर्धा में 29 गोल किये गये थे जिसमें से 14 गोल ध्यानचंद ने किये थे।
भारत के खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआ था जिसमें भारत के गोलकीपर रिचर्ड एलेन का बेहतरीन योगदान था क्योंकि उन्होंने अपनी टीम के खिलाफ एक भी गोल होने नहीं दिया।


भारतीय हॉकी के सुपरस्टार गोलकीपर रिचर्ड एलन ने 3 ओलंपिक खेले हैं ,3 स्वर्ण पदक जीते हैं और मात्र 2 गोल ही उनके खिलाफ हुये।1928 में भारतीय हॉकी का स्वर्ण पदक आधुनिक ओलंपिक में एशिया द्वारा जीता गया पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक भी था।

1928 ओलंपिक भारतीय हॉकी टीम में एंग्लो इंडियन और भारतीय खिलाड़ी शामिल थे।
भारत की पहली ओलंपिक हॉकी टीम ये थी।
जयपाल सिंह मुंडा (कप्तान), ब्रूम एरिक पिनिगर (उप-कप्तान), रिचर्ड जे एलन, ध्यानचंद, माइकल ए. गेटली, लेस्ली चार्ल्स हैमंड, फिरोज खान, जॉर्ज एरिक मार्थिंस, रेक्स ए. नॉरिस, माइकल ई। रोक्के, फ्रेडरिक एस। सीमैन, शौकत अली, केहर सिंह, सैयद मोहम्मद यूसुफ, इफ्तिखार अली खान, विलियम जेम्स गुडसर-कुलेन
भारत इस 1928 ओलंपिक में एक स्वर्ण पदक जीत कर तेईसवें स्थान पर रहा।
यूएसए 22 स्वर्ण जीत कर पहले, जर्मनी 11 स्वर्ण जीत कर दूसरे, नीदरलैंड्स 8 स्वर्ण जीत कर तीसरे स्थान पर रहा था।
शेष अगले भाग में
विपुल मिश्रा
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