Spread the love

हौसला मत छोड़ो
विपुल मिश्रा
मैंने निराशा हताशा और आत्महत्या के विचारों का वो दौर झेला है जब मैं ये सोचता था कि अब कुछ बचा ही नहीं तो जी के क्या करेंगे !
23 साल की उम्र में 33 -33 गोलियां दिन भर में खाई हैं.22 साल की उम्र में नींद की गोली हाथ में लेकर सोच रहा था, इतनी जवानी में
नींद की गोली खाता है कोई?
और उस दौर से सकुशल निकलने के बाद मैंने जीवन के कई सत्य जाने।
पहला ये कि दुनिया जैसी है वैसी ही रहेगी।
एडजस्ट आपको ही करना है। खुश रहना आपके ही ऊपर है और संसार में सभी कमीने ही हैं।
हारना और हार मान लेने में फर्क होता है।
मेरी असली कहानी कोई सफेद नहीं है।
कालिख से ज्यादा काली है।
अच्छे दोस्त मिलना किस्मत की बात होती है। मेरे पास हैं। किसी ने कहा था,याद नहीं।
अच्छे आदमी की पहचान यही कि उसके दोस्त और नौकर पुराने होंगे।
नौकर वाले अमीर तो हम नहीं, पर दोस्त ज़रूर मेरे पुराने हैं। तो खुद को अच्छा मान ही सकते हैं हम। लेकिन अपनी बात नहीं करने आए हम इधर।
हम उनसे बात करना चाहते हैं जो कोई भी कारण से, मतलब कोई भी कारण से जिन्दगी से बेजार हो चुके हैं। कुछ समझ न आ रहा उन्हें।
मैंने ऐसे क्षण जिए हैं इसलिए बात कर सकता हूं।
हालांकि मैं दीपिका पदुकोण नहीं हूं और मैंने ड्रग्स भी न लिए कभी।
डिप्रेशन नहीं बेचता मैं इधर।
तो भाई ऐसे समय पर जिन्दगी में रुचि लेने के फंडे बहुत ज्यादा नहीं हैं तो बहुत कम भी नहीं।
एक फंडा तो ये है कि अपने सामने हो रही हर घटना को आप केवल इस नजरिए से देखें कि उसमें आपको हंसी का कोई पुट मिले। एक ही चीज को देखने के कई नजरिए हो सकते हैं, ये अपनाओ। मैंने अपनाया था।

भले ही आप ये सोच के मन में हंसे कि सामने वाला कितना मोटा है या कितना पतला है।
ये कुत्ता बिल्ली की तरफ क्यों जा रहा। जो भी आपको समझ आए, हर चीज को केवल हंसी के एंगल से देखना शुरू करें।
पागलपन है पर प्रभावकारी है।
आपको कुछ मजा आने लगेगा।
छोटे बच्चों का साथ ज़रूर पकड़ें।
3 4 5 साल तक वाले।

ये 5-6 साल वाले बच्चों के साथ कुछ भी टाइम बिताओगे तो नई ऊर्जा मिलती है और ऐसी ऐसी घटनाएं होती हैं कि सोच के ही हंसते रहोगे बाद में।
खेल कोई भी हो और किसी भी देश का हो, देखने का प्रयास करें। ये भी एक नशा सा होता है और आप इसमें इंवॉल्व होते हैं तो कुछ देर के लिए सब भूल जाते हैं।

और अंत में जब आपको लगे कि एक एक दिन काटना भारी है तो वो 24 घंटे किसी भी तरह पार करें। किसी भी तरह मतलब किसी भी तरह
भले ही दारू पीकर या सिगरेट पीकर।
जिंदा रहना ज्यादा जरूरी होता है मरने से।
सैकड़ों लंगड़े लूले बहरे अंधे जी रहे हैं , आत्महत्या न कर रहे तो तुम तो सही सलामत ही हो।
और जब बात अंतिम क्षणों तक ही आ जाए तो बस उठ के एक नजर अपने मां बाप को देख लेना।
अपनी मां से एक कप चाय मांगना या बाप से 500 रुपए।
शायद यहीं से तुम्हारी किस्मत खुशकिस्मती में बदल जाए।
शायद बदली भी थी कुछ लोगों की।
क्या पता
🙄
विपुल मिश्रा
सर्वाधिकार सुरक्षित-Exxcricketer.com


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *