एकदिवसीय क्रिकेट :- विश्वकप और भारत
विपुल मिश्रा
आज खबर मिली कि 2024 में भारत सिर्फ तीन एकदिवसीय मैच खेलेगा, इसलिये ये लेख लिखने का मन हो उठा।
ब्राजील में जितना फुटबॉल लोकप्रिय है,अमेरिका में जितना बास्केटबॉल लोकप्रिय है भारत में क्रिकेट शायद उससे भी ज्यादा लोकप्रिय है।भारत का कोई भी व्यक्ति शायद ही ऐसा हो जिसने अपने बचपन में विश्वकप फाइनल की आखिरी गेंद पर पाकिस्तान के खिलाफ छक्का मार कर अपनी टीम को मैच जिताने का सपना न देखा हो। अपने आप से भी पूंछियेगा,
क्या ये सपना कभी आपने भी नहीं देखा?
भारत की पहचान कृषि प्रधान देश के साथ एक क्रिकेट प्रधान देश की भी बन चुकी है अब।
अगर आप नहीं मानते तो फिर से गौर करें। बीसीसीआई विश्व के सभी देशों के सभी खेलों के बने खेल संघों में से सबसे अमीर 10 खेल संघों में से एक तो है ही शायद।आईपीएल से बड़ी खेल लीग विश्व भर में दो तीन ही होंगी और अगर फीफा विश्वकप को छोड़ दें तो शायद किसी भी खेल प्रतियोगिता के फाइनल को भी टीवी पर उतने लोग नहीं देखते जितने लोग भारत पाकिस्तान का कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मैच देखते टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म पर पाये जाते हैं।
और जैसा कि आप जानते हैं, किसी भी खेल से उसके खेल संघ और विज्ञापन कंपनियों द्वारा पैसा तभी बनाया जा सकता है जब उस खेल से उस देश के निवासियों की जनभावनाएं सच्चे रूप से जुड़ी हुई हों।
भारत के आम निवासियों की जन भावनाएं क्रिकेट से जुड़ी हुई हैं और ये वास्तविकता है कि कई अन्य बातों के अलावा क्रिकेट भी ऐसी चीज है जो पूरे भारत को एकसूत्र में बांधती है।वरना हिंदी पट्टी की रांची के महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई में रजनीकांत जितने लोकप्रिय नहीं होते और तमिलनाडु के रविचंद्रन अश्विन को उत्तर प्रदेश के दस साल के बच्चे भी फोटो देख कर नहीं पहचान लेते।
तो क्रिकेट को लेकर दीवाने भारत में जब आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप का आयोजन भारत में हुआ भारत के माहौल में गर्मी बढ़ना स्वाभाविक था।
हालांकि इससे पहले भाई आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप का सफल आयोजन 1987 ,1996 और 2011 में भारत में हो चुका था, पर अबकी बार मामला कुछ अलग था।
1987 का विश्वकप भारत और पाकिस्तान ने मिल कर संयुक्त रूप से किया था।
1996 के विश्वकप आयोजन में भारत और पाकिस्तान के साथ श्रीलंका भी शामिल था और फाइनल पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था।2011 में भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश ने मिलकर एकदिवसीय विश्वकप का आयोजन किया था।
पहला मैच शायद ढाका में हुआ था और फाइनल मुंबई के वानखेड़े में। गौतम गंभीर की उस फाइनल में खेली जुझारू पारी और महेंद्र सिंह धोनी का छक्का मार कर भारत को 29 साल बाद विश्वकप जिताना भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को आज भी याद है।
आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप के 2023 संस्करण का आयोजन केवल भारत में हुआ, कोई और देश मेजबानी में शामिल नहीं था।
एक किसी फिलिस्तीन समर्थक उपद्रवी के अहमदाबाद फाइनल मैच में बीच मैदान में घुसने को छोड़ कर ये एक पूरी तरह से सफल आयोजन था जिसका श्रेय भारत सरकार, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और बीसीसीआई को मिलना ही चाहिये।
1983 की जीत के बाद 1987 में भारत की टीम से भारतीय को अपने घर में हो रहे विश्वकप में बहुत उम्मीदें थीं। भारत सेमीफाइनल में पहुंचा भी।उधर उस विश्वकप का सह मेजबान पाकिस्तान भी सेमीफाइनल में पहुंच गया था। भारत का सेमीफाइनल मुकाबला इंग्लैंड और पाकिस्तान का सेमीफाइनल मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था। भारत पाकिस्तान फाइनल का माहौल बनने लगा था।
पाकिस्तान में कैप्चर कलकत्ता के नारे भी लगने लगे थे, क्योंकि 1987 विश्वकप का फाइनल मैच तब के कलकत्ता (अब कोलकाता) के ईडेन गार्डेन स्टेडियम में होना था।
पर पाकिस्तान सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से और भारत सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हार गई। फाइनल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुआ। एलेन बार्डर की ऑस्ट्रेलिया ने माइक गेटिंग की इंग्लैंड ⁷ टीम को एक रोमांचक मुकाबले में 7 रनों से हराकर ऑस्ट्रेलिया को उसका पहला एकदिवसीय विश्वकप खिताब दिलवाया।
1996 एकदिवसीय विश्वकप में भी भारत सेमीफाइनल में पहुंच गया था। कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम में उसके सामने अर्जुन रणतुंगा की श्रीलंका टीम थी। इस मैच में पहले गेंदबाजी करते हुए भारत ने श्रीलंका के दो विकेट एक ही रन पर गिरा दिए थे , पर उसके बाद श्रीलंका के नंबर 4 बल्लेबाज अरविन्द डिसिल्वा ने 47 गेंदों पर 66 रनों की जो पारी खेली थी वो शायद आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप इतिहास की सर्वश्रेष्ठ 3 पारियों में से एक कही जा सकती है।
डिसिल्वा ने उस दिन वो आतंक मचाया था कि श्रीलंका के असंका गुरुसिन्हे जब तीसरे विकेट के रूप में आउट हुए थे तो श्रीलंका की टीम का स्कोर 35 था और गुरुसिनहे का स्कोर मात्र 1।
और अरविन्द जब अपने 66 रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर श्रीलंका के चौथे विकेट के रूप में आउट हुए तब श्रीलंका की पूरी टीम का स्कोर 85 ही था।
14 चौके मारे थे डिसिल्वा ने।
श्रीलंका के 251 रनों के जवाब में भारत 34.1 ओवरों में 8 विकेट पर 120 के स्कोर पर था, तब स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के उपद्रव और आगजनी को देखते हुए मैच रेफरी ने मैच समाप्त घोषित कर श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया। सचिन तेंदुलकर 88 गेंदों पर 65 रन बना कर जब भारत के दूसरे विकेट के रूप में आउट हुए थे, तब भारत का स्कोर 98 था। तत्कालीन भारतीय टीम की सचिन पर निर्भरता इस मैच के स्कोर बोर्ड को देख कोई भी समझ सकता है। विनोद कांबली की रोती हुई तस्वीर इस मैच की यादगार तस्वीर है एक।
मोहाली में हुए दूसरे अत्यंत रोमांचक कम स्कोर वाले सेमीफाइनल में मार्क टेलर की ऑस्ट्रेलियाई टीम ने रिची रिचर्डसन की वेस्टइंडियन टीम को 5 रनों से आखिरी ओवर में हराया।
लाहौर में हुए 1996 विश्वकप फाइनल में अर्जुन रणतुंगा की श्रीलंका टीम ने मार्क टेलर की ऑस्ट्रेलियाई टीम को 7 विकेट से हराकर खिताब जीता। अरविन्द डिसिल्वा इस मैच के भी हीरो रहे थे जिन्होंने न केवल ऑस्ट्रेलिया के 3 विकेट मात्र 42 रन देकर लिए बल्कि एक शानदार मैच जिताऊ नाबाद शतक भी लगाया था,124 गेंदों पर नाबाद 107 रन। ये श्रीलंका का अभी तक का इकलौता आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप खिताब है।
2011 में फिर आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप का आयोजन भारत की मेजबानी में हुआ।पाकिस्तान और बांग्लादेश सह मेजबान थे।
टूर्नामेंट में भारत का पहला मैच बांग्लादेश से बांग्लादेश में ही था।
क्वार्टर फाइनल में युवराज और रैना की पार्टनरशिप से भारत गत विजेता ऑस्ट्रेलिया को हराने में सफल रही। मोहाली में हुए सेमीफाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 29 रनों से हराया। सचिन का उस दिन बनाया गया अर्धशतक शायद उनके पूरे क्रिकेट कैरियर का सबसे भद्दा दिखने वाला अर्धशतक था। कई जीवनदान मिले उनके उन 85 रनों में। उमर गुल के पहले ही ओवर में वीरेंद्र सहवाग ने पाकिस्तान पर जो मनोवैज्ञानिक बढ़त ली थी, वो पूरे मैच में कायम रही।
सुरेश रैना की 39 गेंदों पर 36 रनों की पारी शायद गेम चेंजर थी। भारत के 260 रनों के जवाब में पाकिस्तान टीम मात्र 231 रन ही बना पाई थी।
दूसरे सेमीफाइनल मैच में श्रीलंका न्यूजीलैंड को 5 विकेट से हरा कर फाइनल में पहुंची थी। न्यूजीलैंड द्वारा दिया गया 217 रनों का लक्ष्य श्रीलंका ने 47.5 ओवरों में ही पा लिया था।
2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े मैदान में आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप टूर्नामेंट 2011 का खिताबी मुकाबला महेंद्र सिंह धोनी की भारतीय टीम और कुमार संगकारा की श्रीलंका टीम के बीच खेला गया। संगकारा ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। जहीर खान का शुरुआती गेंदबाजी स्पेल गजब ही था 5 ओवर 3 मेडन 6 रन और एक विकेट। साथ ही रैना और युवराज का क्षेत्ररक्षण भी कमाल ही था।
शुरुआती झटकों के बाद महेला जयवर्धने के नाबाद शतक (88 गेंदों पर नाबाद 103 रन) और अंत के ओवरों में थिसारा परेरा के 9 गेंदों पर बनाए 22 रनों के सहयोग से श्रीलंका ने 6 विकेट पर 274 रन बना कर भारतीय टीम को मैच जीतने के लिये 50 ओवरों में 275 रनों का लक्ष्य दिया था।
भारत की बल्लेबाज़ी आई तो धूम धड़ाका सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग दूसरी ही गेंद पर बिना रन बनाए निकल गए।अनुभवी सचिन भी मात्र 18 ही रन बना पाए। इन दोनों दिग्गजों के विकेट लसिथ मलिंगा ने लिए थे।आने वाले कल के सुपरस्टार विराट कोहली ने जुझारू गौतम गंभीर का साथ दिया और तिलकरत्ने दिलशान को उनकी ही गेंद पर कैच थमाने के पहले 35 रन बनाये।
नंबर 5 बल्लेबाज के रूप में उतरे महेंद्र सिंह धोनी ने 79 गेंदों पर धमाकेदार 91 रनों की नाबाद पारी खेली और गौतम गंभीर ने शानदार 97 रन बनाये।
भारत ये खिताबी मुकाबला 6 विकेट से जीता और भारत ने 28 वर्ष बाद एकदिवसीय विश्वकप विजेता बनने का गौरव हासिल किया।
2023 का भारत में हुआ आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप भारतीय उपमहाद्वीप में हुये पिछ्ले सारे विश्वकपों से काफी मायने में अलग था।
पहली बार पूरे एकदिवसीय विश्वकप टूर्नामेंट का आयोजन भारत में हुआ , कोई अन्य देश सह मेजबान नहीं था।
1987,1996 और 2011 के एकदिवसीय विश्वकप टीमों को ग्रुपों में बांट कर हुए थे। सभी टीमों को दोनों ग्रुपों 2023 का एकदिवसीय विश्वकप राऊंड रॉबिन लीग के आधार पर हुआ जिसमें विश्वकप में शामिल सभी देशों को एक दूसरे के खिलाफ खेलने का मौका मिला और चार शीर्ष टीमें सेमीफाइनल में पहुंची।
इसके अलावा 2011 तक आईपीएल का ब्रांड इतना बड़ा नहीं हुआ था जितना आज हो चुका है।टी 20 क्रिकेट भी 2011 में एकदिवसीय क्रिकेट से बड़ा नहीं हुआ था। इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर खिलाड़ियों के पी आर और फैन वॉर नहीं हुआ करते थे। हॉटस्टार और जियो सिनेमा जैसे डिजिटल प्लेटफार्म नहीं थे। स्मार्टफोन पर नहीं टीवी पर मैच देखा जाता था 2011 में।
2023 का आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप टिकट विक्रय में होने वाली खामियों के लिए भी जाना जायेगा। साथ ही इसके उदघाटन मैच के दौरान कोई रंगारंग कार्यक्रम नहीं हुआ।14 अक्टूबर 2023 को अहमदाबाद में भारत बनाम पाकिस्तान मैच के दौरान ज़रूर रंगारंग कार्यक्रम हुआ।
भारत की पूर्व घोषित विश्वकप टीम में शामिल बाएं हाथ के स्पिन हरफनमौला अक्षर पटेल के चोटिल होने पर उनकी जगह ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन अंतिम 15 में शामिल हुए। अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत का टूर्नामेंट का पहला मैच भी खेला। तेज गेंदबाज हरफनमौला हार्दिक पांड्या बीच टूर्नामेंट में चोटिल हुए और उनकी जगह तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने ली। मोहम्मद शमी को इस परिर्वतन के कारण टीम में स्थाई जगह मिली और उन्होंने लगातार विकेट लेकर अपने चयन को सही साबित किया। भारत ने अपने सारे लीग मैच जीते और अंक तालिका में सबसे ऊपर रही। सेमीफाइनल में चौथे नंबर की टीम न्यूजीलैंड को भारत ने पहले खेलते हुये श्रेयस अय्यर और विराट कोहली के शतकों की मदद से 397 रनों का लक्ष्य प्रदान किया।
जवाब में मोहम्मद शमी की घातक गेंदबाजी ( 9 ओवरों में 57 रन देकर 7 विकेट) के आगे पूरी न्यूजीलैंड की टीम 48.5 ओवरों में 327 रन बनाकर आउट हो गई।न्यूजीलैंड को 70 रनों से सेमीफाइनल में हरा कर भारत की टीम फाइनल में पहुंची जहां उनकी ऑस्ट्रेलिया से हुई।
ऑस्ट्रेलिया ने कम स्कोर वाले दूसरे सेमीफाइनल मैच में एक बेहद नजदीकी मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 3 विकेट से हराया था।
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज और गेंदबाज सब फॉर्म में आ चुके थे।
19 नवंबर 2023 को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप 2023 का खिताबी मुकाबला उसी पिच पर हुआ जिस पर भारत पाकिस्तान का मैच हुआ था। इस्तेमाल की गई इस पिच की मांग शायद भारतीय खेमे के रणनीतिकारों ने की थी और ये भारत के लिए घातक साबित हुई। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने टॉस जीत कर बेझिझक पहले गेंदबाजी का फैसला लिया। गिल तो सस्ते में ही निपट गए 4 रन बनाकर। रोहित और कोहली ने अच्छी साझेदारी बनाई पर 30 गेंदों पर 47 रन बना चुके रोहित शर्मा ने ग्लेन मैक्सवेल की गेंद पर एक खराब शॉट खेल कर ट्रेविस हेड को कैच पकड़ा दिया और शायद मैच यहीं से भारत की मुठ्ठी से निकल गया।
ये पिच भारत के खेलते समय धीमी होती जा रही थी। शॉट लगाना आसान नहीं था।अय्यर आए और रन बना कर चले गए। विराट कोहली और के एल राहुल ने रन बनाए पर बहुत धीमे रन बनाए।उनकी साझेदारी में एक चौका 97 रनों बाद लगा। रवींद्र जडेजा और सूर्यकुमार यादव भी असफल रहे। यादव ने 28 गेंदों पर 18 रन बनाए।
कोहली के 63 गेंदों पर 54 और के एल राहुल के 107 गेंदों पर 66 रनों की मदद से भारत 240 रन बना पाया। पैट कमिंस की कप्तानी, ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की तिकड़ी का अच्छा प्रदर्शन और ऑस्ट्रेलिया का क्षेत्ररक्षण भी एक बड़ा कारण था कि भारत ढाई सौ रनों का आंकड़ा पार न कर पाया।
भारत की तरफ से बुमराह और शमी ने गेंदबाजी की शुरुआत की और ऑस्ट्रेलिया के 3 विकेट 47 रनों पर गिर चुके थे। लेकिन तब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2023 के फाइनल में भारत के खिलाफ शतक बनाने वाले ट्रेविस हेड यहां भी टिक गए और शतक बना डाला। उनका साथ मार्नस लाबुशाने ने दिया जो 110 गेंदों पर 58 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से जीत दिलाने तक नाबाद रहे। ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत को 6 विकेट से उसी के घर में हरा कर ये एकदिवसीय विश्वकप खिताब छठी बार जीता।120 गेंदों पर 137 रन बनाने वाले ट्रेविस हेड मैन ऑफ द मैच रहे।
भारत की क्रिकेट के लिए ये बड़ा झटका था।2011,2015 और 2019 का एकदिवसीय विश्वकप मेजबान टीमों ने जीता था इसलिए भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद थी कि शायद भारत ये विश्वकप जीते। भारत के खिलाड़ी फॉर्म में भी थे, भारत सभी लीग मैच जीता भी था। फाइनल के पहले भारत इस टूर्नामेंट में कोई मुकाबला नहीं हारा था और इसी ऑस्ट्रेलिया को लीग मैच में हराया भी था। पर भारत हार गया।
भारत की ये हार शायद इस मायने में बहुत बड़ी और बहुत बुरी है कि एकदिवसीय क्रिकेट अब टी 20 क्रिकेट के बाजार के आगे धीरे धीरे मर रहा है।
अगर चार सालों में एक बार आने वाले एकदिवसीय विश्वकप टूर्नामेंट को छोड़ दें तो शायद ही किसी की दिलचस्पी अब एकदिवसीय क्रिकेट में रह गई है। हाल में ही हुई ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड एकदिवसीय सीरीज में लगभग खाली पड़ा स्टेडियम हम सबने देखा है।
विश्वकप इसीलिए सफल रहा क्योंकि ये बहुकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट है जिसमें एक से अधिक टीमें खेलती हैं। विश्वकप के अलावा अब केवल द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखलाएं ही होती हैं। कोई बहुकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट अब नहीं होते। पहले हर साल ऑस्ट्रेलिया में एक त्रिकोणीय एकदिवसीय सीरीज होती थी। भारत में हीरो कप , टाइटन कप जैसे टूर्नामेंट का इतिहास रहा है। श्रीलंका में सिंगर कप हुआ करते थे।
आपको अच्छा लगे या बुरा, पर सत्य यही है कि अब अगले चार वर्षों तक एकदिवसीय क्रिकेट की गत फिर वही होगी जो इस विश्वकप के पहले थी।
लोग बहुकोणीय टूर्नामेंट ज्यादा देखना चाहते हैं, द्विपक्षीय नहीं।
आईपीएल भी इसीलिये लोकप्रिय है कि ये एक बहुकोणीय टूर्नामेंट है
एकदिवसीय क्रिकेट इस विश्वकप के बाद फिर से धीमी मौत मरने लगेगा। अगर एकदिवसीय क्रिकेट बचाना है तो ज्यादा से ज्यादा बहुकोणीय टूर्नामेंट आईसीसी को आयोजित करने पड़ेंगे और टी 20 मैचों की संख्या घटानी पड़ेगी।
पर क्या आईसीसी वाकई ऐसा करना चाहती है?
क्या वाकई आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट को जिंदा रखना चाहती है?
इस सवाल का जवाब तो स्वयं आईसीसी ही दे सकती है।
विपुल मिश्रा
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एकदिवसीय क्रिकेट :- विश्वकप और भारत,