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आपका -विपुल
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन आपको 1950 के दशक वाले कुटिल कांग्रेसी दिमाग वाले नहीं लगते क्या जो अपने स्वार्थ के लिए कभी भी कहीं भी पाला बदल सकते हैं। ये बच्चन परिवार बॉलीवुड के विद्याचरण शुक्ल और रामविलास पासवान और चौधरी अजीत सिंह हैं।
हमेशा पाला बदल के लाभ लेने वाले।

हिंदी के साहित्य जगत से ज्यादा कवि सम्मेलनों के मंच पर लोकप्रिय इलाहाबाद के कायस्थ कवि हरवंश राय “बच्चन” की लोकप्रियता मधुशाला से थी, जिनके तत्कालीन कांग्रेसियों से राजनैतिक ताल्लुकात अच्छे थे ।
बच्चन ने दूसरी शादी पंजाबन तेजी बच्चन से की जो शायद इंदिरा गांधी की सखी थीं।

इंदिरा गांधी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं। अमिताभ और अजिताभ बच्चन के दो लड़के हुये। अमिताभ प्रतिष्ठित दून स्कूल में जवाहर लाल नेहरू के नाती राजीव गांधी के सहपाठी थे।
राजीव गांधी पायलट बने। अमिताभ केमिकल इंजीनियर। कलकत्ता में रहे, लेकिन अभिनय का शौक था।

अब उस बच्चे की इच्छा कैसे न पूरी हो जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के नाती का और वर्तमान प्रधानमंत्री के पुत्र का जिगरी दोस्त हो। इंदिरा गांधी ने भी सिफारिशी चिट्ठियां लिखीं थीं अमिताभ के लिए।
लेकिन टैलेंट तो था ही, मौका मिलते ही अमिताभ छा गए बॉलीवुड में।

उधर इंदिरा गांधी समाप्त हुईं और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। कुली फिल्म में हुये एक्सीडेंट के बाद अमिताभ कुछ तो कमजोर पड़े थे शारीरिक और मानसिक तौर पर।
इलाहाबाद से हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे कद्दावर पूर्व कांग्रेसी नेता के खिलाफ़ अमिताभ लोकसभा चुनाव अपने मित्र राजीव के लिए जीते।

तब वीपी सिंह मोर्चा खोले थे राजीव के खिलाफ़ और भारतीय आम जनता उन्हें हीरो मानती थी।
पूर्व कांग्रेसी वीपी सिंह चढ़ते राजनीतिक सितारे थे जिन्हें कॉन्ग्रेस के विरोधियों ने नेता माना था। वीपी सिंह बोफोर्स घोटाले की बात शुरू करके मंडल आयोग पर ख़तम हुए।

1989 में वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने ।भाजपा और वामपंथी दोनों इनके साथ थे ,जब 89 में कश्मीर में 5 आतंकवादियों को छुड़वाने के लिए इनके गृहमंत्री कश्मीर मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपनी पुत्री रुबिका सईद को छुड़वाने का नाटक खेला था। रुबिका महबूबा मुफ्ती की बहन थीं।

कश्मीर में आतंकवाद इसके बाद बढ़ा, और भाजपा इस निर्णय में शामिल थी। भाजपा वीपी सिंह सरकार अलग तब हुई ,जब आडवाणी की रथयात्रा को लालू ने रुकवाया और आडवाणी को गिरफ्तार कर दो मुख्यमंत्री यादवों की लड़ाई में मुलायम सिंह से बढ़त ली जो यूपी के मुख्यमंत्री थे। भारतीय राजनीति यहां बदली।

राजीव गांधी का निधन हो चुका था। मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद भारतीय राजनीति बदल चुकी थी। बोफोर्स और सेंट किट्स लोग भूल चुके थे, अमिताभ के परिवार के संबंध सोनिया से अच्छे नहीं थे, अमिताभ फिल्मों में वापस आ चुके थे और भगवान राम भारतीय राजनीति में लाए जा चुके थे।

मुलायम सिंह बढ़ रहे थे, अनिल अंबानी बढ़ रहे थे, सुब्रत रॉय सहारा बढ़ रहे थे और अमिताभ बच्चन का आभा मंडल घट रहा था।


नरसिंहराव ,आडवाणी वाजपेई,देवगौड़ा और गुजराल युग में अमिताभ बच्चन ने अपनी कंपनी एबीसीएल बनाई और भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता करवाई। घाटे में गए।

चीनी व्यापारी अमर सिंह , मुलायम सिंह , अनिल अंबानी और सुब्रत रॉय सहारा के साथ अमिताभ बच्चन के भी खेवनहार बने।
ये सब एक साथ आए और पता नहीं क्या हुआ कि अमिताभ बच्चन जीरो से फिर हीरो बन गए आर्थिक मामलों में।


अब अमिताभ, मुलायम के साथ थे। कॉन्ग्रेस के साथ नहीं।

कौन बनेगा करोड़पति शायद 2000 में आया था। अमिताभ बच्चन दोबारा स्टार बने।
मोहब्बतें फिल्म भी ब्लॉक बूस्टर रही अमिताभ की। जया बच्चन सांसद हुई मुलायम की पार्टी सपा से।अमिताभ, सहारा, अनिल अंबानी , मुलायम सब तरक्की पर थे अमर सिंह के साथ।

सहारा बीसीसीआई की प्रायोजक रही, अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकॉम की तूती बोलती थी,मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे, अमर सिंह उनके खास। केंद्र में दोबारा कॉन्ग्रेस की सरकार आई तो मुलायम को कुर्सी भी नहीं मिली तब भी जबरदस्ती कॉन्ग्रेस को समर्थन दे आए थे यूपीए 1 में।

मुलायम को कुर्सी न देने का मामला खूब उछला था तब, लालू का नाम आया था लेकिन सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखने को ये सब झेल गए थे मुलायम।

जब मुलायम कॉन्ग्रेस के साथ थे तो अमिताभ भी।
मुलायम अमिताभ की खूब बनी।
जया बच्चन को राज्यसभा सीट और अमिताभ को यश भारती सम्मान दिया।

लेकिन 2014 आते आते सुब्रत रॉय सहारा जेल के चक्कर काटने लगे, अनिल अंबानी दिवालिया होने लगे। अमर सिंह को मुलायम के सुपुत्र अखिलेश ने धता बता दी और अमिताभ भी इन तीनों से कट लिए।
लेकिन अखिलेश की सपा के साथ उनकी पत्नी जया बच्चन रहीं , राज्यसभा सांसद ।क्योंकि अखिलेश यू पी के सीएम थे।


अमिताभ बड़ी चतुराई से नरेंद्र मोदी के पाले में आ गए जिनका सबको लग रहा था कि ये प्रधानमंत्री बनेंगे। गुजरात टूरिज्म और उन मोदी का प्रचार अमिताभ कर रहे थे जो सपा और कॉन्ग्रेस के कट्टर दुश्मन थे और उनकी पत्नी जया भाजपा और मोदी के कट्टर विरोधी समाजवादियों के साथ थीं।

अखिलेश मुख्यमंत्री
मोदी प्रधानमंत्री बने
विन विन सिचुएशन बच्चन फैमिली के लिए।
2017 के बाद यूपी में योगी उपयोगी हो गए और केंद्र में मोदी बने ही रहे।
जया बच्चन को लगातार सपा से समर्थन
अमिताभ को भाजपा से।

बस बेचारे अमर सिंह सब जगह से बहिष्कृत हो कर मर गए।
महमूद के बाद दूसरे जिन्होंने अमिताभ पर विश्वास किया था।
अमिताभ जितना चतुर व्यक्ति पूरी फिल्म इंडस्ट्री में नहीं।
दक्षिणपंथी हृदय सम्राट बच्चन साहब पालघर के साधुओं पर न बोल पाए।
थाली में छेद?
विचार करना।
🙏🙏🙏

आपका -विपुल
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