लॉयन बनाम अश्विन
विपुल मिश्रा
14 से 18 फरवरी को पर्थ में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया।
ऑस्ट्रेलिया पहला मैच हार चुका था और पर्थ की पिच पर घास ही घास थी। साफ दिख रहा था ये तेज गेंदबाजों का स्वर्ग होगा। भारत के कप्तान विराट कोहली जो सीरीज का पहला टेस्ट जीत चुके थे उन्होंने सीरीज के पहले मैच में 6 विकेट लेने वाले अपने मुख्य ऑफ़ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को बैठा कर चारों तेज गेंदबाज खिलाए।
वहीं ऑस्ट्रेलिया के कप्तान टिम पेन ने पिछ्ले मैच में 8 विकेट लेने वाले अपने मुख्य ऑफ़ स्पिनर नाथन लॉयन पर भरोसा जताया और तीन तेज गेंदबाजों के साथ एक मुख्य गेंदबाज स्पिनर नाथन लॉयन को भी रखा।
लॉयन ने अपने कप्तान का विश्वास कायम रखा और मैच की पहली पारी में 5 और दूसरी पारी में 3 विकेट लिये। ऑस्ट्रेलिया जीता और नाथन लॉयन मैन ऑफ द मैच रहे। वहीं भारत के मुख्य स्पिनर अश्विन को उनके कप्तान ने अंतिम 11 में शामिल करने लायक भी नहीं समझा था।
बस इसी विश्वास नाम की चीज का फर्क इन दो समकालीन महान ऑफ स्पिनरों के पूरे क्रिकेट कैरियर में आपको देखने को मिलेगा।
123 टेस्ट मैचों में 30.85 औसत और 63.10 के स्ट्राइक रेट से 501 विकेट लेने वाले नाथन लॉयन हमेशा अपने कप्तान का विश्वास पाते रहे।4 बार मैच में 10 विकेट 23 बार पारी में 5 विकेट।
वहीं इन्होंने मात्र 29 वनडे खेल कर 29 विकेट लिए हैं और 2 टी 20 मैचों में 1 विकेट। लॉयन का बल्लेबाजी औसत टेस्ट में 12.53 है। वनडे में 19.25। लॉयन का किसी भी प्रारूप में एक भी शतक या अर्धशतक नहीं है।
वहीं जरा रविचंद्रन अश्विन का रिकॉर्ड भी देखें यहीं।
94 टेस्ट मैचों में 23.65 के औसत और 51.30 के स्ट्राइक रेट से 489 विकेट,34 बार पारी में 5 विकेट,8 बार मैच में 10 विकेट।
साथ ही 94 टेस्ट मैचों में 27.22 के औसत से 3185 रन,5 शतक 14 अर्धशतक
अश्विन ने 116 वनडे मैचों में 156 विकेट लिये हैं और 65 अंतर्राष्ट्रीय टी 20 मैचों में 72 विकेट।707 वनडे रन और 184 अंतर्राष्ट्रीय टी 20 रन अश्विन के नाम हैं।
कुल मिलाकर हर प्रारूप में और खेल के हर विभाग में अश्विन नाथन लॉयन के मुकाबले बहुत अच्छे दिखते हैं।
बल्लेबाज के तौर पर तो लॉयन का अश्विन से कोई मुकाबला ही नहीं और टेस्ट गेंदबाजी औसत में भी करीब 7 रनों का फर्क है।
25 से कम गेंदबाजी औसत वाले वैसे भी महान गेंदबाजों में गिने जा सकते हैं और 30 से ऊपर गेंदबाजी औसत साधारण गेंदबाजों का ही माना जाता है।
लेकिन यहीं पर एक बात है जो लॉयन को अश्विन से श्रेष्ठ बनाती है और इसमें अश्विन की कोई गलती भी नहीं।
वो है अपनी अपनी टीम का नाथन लॉयन और अश्विन पर विश्वास।
अभी हाल में ही ऑस्ट्रेलिया के विश्व विजेता कप्तान पैट कमिंस बोले कि ये कोई रहस्य नहीं कि नाथन लॉयन उनकी गेंदबाजी लाइन अप के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हैं। वो ये कह सकते हैं और हर कोई मानेगा भी क्योंकि नाथन लॉयन पर ऑस्ट्रेलिया टीम को पूरा भरोसा है।
2013 में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम भारत आई थी और 0-4 से हारी थी। लॉयन चारों टेस्ट मैच खेले थे। उसके बाद से ऑस्ट्रेलिया ने लॉयन को शायद ही ड्रॉप किया हो। चोटिल होने के कारण न खेलना अलग बात है। नाथन लॉयन को सीमित ओवर क्रिकेट लायक नहीं समझा गया और कुछ ही मैच मिले। लॉयन ने भी ज्यादा सीमित ओवर मैचों पर ध्यान नहीं दिया और टेस्ट मैचों पर फोकस किया। फ़ायदा भी मिला।
पिछ्ले एक दशक में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम की हर बड़ी जीत हार में आपको लॉयन दिखेंगे। चाहे भारत के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी हो या एशेज या अभी हाल में हुई विश्व टेस्ट चैंपियन शिप फाइनल की जीत। सिडनी में अश्विन और विहारी,गाबा में पंत और गिल के नायकत्व के खिलाफ मिली पराजय हो या लीड्स में बेन स्टोक्स के शतक के कारण इंग्लैंड के खिलाफ मिली हार हो या विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भारत के खिलाफ जीत! लॉयन हर जगह अपनी टीम के मुख्य गेंदबाज के तौर पर दिखे।
क्या यही बात आप अश्विन के लिए कह सकते हैं?
कुछ गलती अश्विन की भी मैं मानूंगा।2017 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में मिली हार के बाद जब उनको हटाकर कुलदीप और चहल को सीमित ओवरों में लाया गया तो अश्विन को ज्यादा लालची न बन सीमित ओवर क्रिकेट का मोह त्याग देना चाहिए था।
2022 टी 20 विश्वकप में अश्विन रवि बिश्नोई जैसे प्रतिभाशाली युवा लेग स्पिनर का हक मार के पहुंचे और 2023 एकदिवसीय विश्वकप में वॉशिंगटन सुंदर हमेशा से एक अच्छा चयन होते।
जब ऑफ स्पिनर को ज्यादा मैच खिलाने ही नहीं थे। एक सामान्य से अच्छे बल्लेबाज होने के बावजूद अश्विन को भारत के कोहली , पुजारा, रहाणे जैसे आउट ऑफ फॉर्म बल्लेबाजों को लगातार 3 4 साल ढोने का नुकसान भी उठाना पड़ा। जब जडेजा को उनसे ज्यादा अच्छे बल्लेबाज होने के कारण प्राथमिकता दी गई।
ये बेहद हास्यास्पद था कि एक विश्व नंबर एक टेस्ट गेंदबाज को इसलिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल न खिलाया जाए क्योंकि उसकी बल्लेबाजी टीम मैनेजमेंट विश्वास के काबिल नहीं मानता।
नाथन लॉयन को ये कभी नहीं झेलना पड़ा। बर्फ की पिच हो या शीशे की , ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम खेलेगी तो नाथन लॉयन ज़रूर खेलेंगे ये तय रहता है।
2023 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में अश्विन को इसलिए न खिलाया गया कि तेज पिच है और अश्विन प्रभावी नहीं होंगे।
टीम इंडिया 4 तेज गेंदबाज और स्पिनर जडेजा को खिलाकर भी हारी ।
क्यों?
क्योंकि बल्लेबाजी बेकार की।
आप कहेंगे कि 2021 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भी तो अश्विन और जडेजा दोनों को खिलाया था, पिच तेज थी , हार गए। गलत निर्णय था।
तो सुनो मेरे भाई, जब पिच तेज गेंदबाजों के मुफीद थी तो आपके तीनों तेज गेंदबाज भी पर्याप्त थे। बुमराह शमी और ईशांत को तो न्यूजीलैंड की ऐसी तैसी कर देनी थी तेज पिच पर।
कर पाए?
बुमराह को तो शायद एक भी विकेट नहीं मिला था।
अश्विन ने दोनों पारियों में मिलाकर 4 विकेट भी लिये थे, रन भी बनाए थे। क्या गलत किया था?
2021 का विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल हम तेज गेंदबाजों के नाकारापन से हारे और कोहली रोहित पुजारा गिल जैसे बड़े बल्लेबाजों की बड़े मौकों पर नाकामी भी एक बड़ा कारण थी।
कितने रन बनाए थे इन लोगों ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में?
21 और 23 दोनों की बात कर लो।
कुल मिलाकर अश्विन निस्संदेह नाथन लॉयन से बहुत बड़े खिलाड़ी हैं पर जहां अपनी टीम मैनेजमेंट के विश्वास जीतने की बात आती है, नाथन लॉयन रविचंद्रन अश्विन से मीलों आगे हैं।
और अपने महत्वपूर्ण खिलाड़ियों पर पूरा विश्वास यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया पिछ्ले तीन सालों में क्रिकेट के तीनों प्रारूपों का विश्वकप जीत चुकी है।
आपका -विपुल
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