आयुष अग्निहोत्री
23 अगस्त 2023 , समय शाम 06 बजकर 04 मिनट का
पूरी दुनिया साक्षी बनी उस पल का जब भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने बाला चौथा देश बना और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने बाला पहला देश
ऐसा मुकाम जो आज तक दुनिया का कोई भी देश हासिल नहीं कर सका।
और चंद्रमा की यह यात्रा आज शुरू नहीं हुई
इसका पहला कदम बढ़ाया गया था सन 2008 में
जब भारत ने अपना पहला चंद्रयान 22 अक्टूबर 2008 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया और इसके लिए पीएसएलवी सी 11 अंतरिक्ष यान का प्रयोग किया गया। इसी यान की मदद से चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का पता लगाया गया था। इसने चंद्रमा के चारो ओर 3400 से अधिक परिक्रमाए की । 29 अगस्त 2009 को जब चंद्रयान से संपर्क टूट गया तब यह मिशन समाप्त हुआ।
चंद्रयान 2
चंद्रयान 2
चंद्रयान 1 की सफलता के बाद भारत ने चंद्रयान 2 को विकसित करने की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए थे
जिसमें रूस सहयोगी के तौर पर शामिल हुआ
इसमें ऑर्बिटर और रोवर इसरो को विकसित करना था और लैंडर रूस को। लेकिन समय पर लैंडर विकसित न कर पाने के कारण और 2013 में मिशन स्थगित कर दिया गया और 2016 की नई तिथि आई।
मंगल मिशन में रूस के असफल होने पर रूस को मिशन से अलग कर दिया गया और भारत ने इस मिशन को खुद ही पूरा करने का निर्णय किया । अब इस मिशन के ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर तीनों ही स्वदेशी विकसित किए गए।
इस मिशन को लॉन्च करने के लिए 14 जुलाई 2019 की तिथि निर्धारित हुई लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण मिशन रोक दिया गया।
22 जुलाई 2019 को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसको सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया । इसको लॉन्च करने के लिए भारत ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3 का प्रयोग किया गया। इसको चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना था। इसके तीन हिस्से ऑर्बिटर, लैंडर ‘विक्रम और रोवर ‘प्रज्ञान थे। इसके ऑर्बिटर को इसकी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित भी किया गया लेकिन इसका लैंडर जब चंद्रमा की सतह से 2.1 KM दूर था तभी इसका इसरो से संपर्क टूट गया और इसकी क्रैश लैंडिंग हो गई । पूरा देश सदमे में था ।
इसके तुरंत बाद चंद्रयान 3 की घोषणा कर दी गई।
चंद्रयान 2 की असफलता के क्या कारण रहे उनको अध्ययन किया गया और नई तकनीकों का प्रयोग किया गया ताकि चंद्रयान 2 के समय जो खामी रह गई वो अब न रह जाए।
4 साल की कड़ी मेहनत, सैकड़ों वैज्ञानिकों की दिन रात की मेहनत के मेहनत के बाद 14 जुलाई 2023 को 2 बजकर 35 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
इस को लॉन्च करने के लिए एलवीएम3 एम 4 रॉकेट का प्रयोग किया गया। इस मिशन में भी लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था। इसमें ऑर्बिटर नहीं भेजा गया क्यों कि चंद्रयान 2 के समय जो ऑर्बिटर भेजा गया था वह आज भी सकुशल कार्य कर रहा है, जबकि उसकी कार्य अवधि एक साल की थी लेकिन 4 साल का समय लगभग होने के बाद भी कार्य कर रहा है जो कि इसरो की क्षमता को दर्शाता है।
इसके लैंडर और रोवर की कार्य अवधि 14 दिन की है। जिसमें लैंडर का कार्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और रोवर प्रज्ञान का कार्य चांद की सतह का अध्ययन करना है। अपनी चंद्रमा की 41 दिन की यात्रा पूरी करके कल 23 अगस्त 2023 को शाम 6 बजकर 04 मिनट पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया।
आयुष अग्निहोत्री
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