आयुष अग्निहोत्री
सफलता सार्वजनिक उत्सव है जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक
एकदम सत्य लिखा है। दो ऐसे शब्द जो हर व्यक्ति के जीवन में बहुत मायने रखते हैं। पहला शब्द सफलता जिसको हर कोई प्राप्त करना चाहता है जबकि दूसरा शब्द असफलता जिससे हर व्यक्ति दूर रहना चाहता है। सफलता जब प्राप्त होती है तो घर – परिवार सब खुश होता है लेकिन असफलता का सामना आपको अकेले ही करना पड़ता है।अगर आप सफल हो गए तो समाज में आपकी इज्जत होगी, लोगों का आपके साथ व्यवहार परिवर्तित हो जायेगा लेकिन असफल रहने पर आपको बेरोजगार, ठलुआ जैसी संज्ञा मिलेंगी।
मायने ये भी रखता है कि आपने सफलता प्राप्त करने के लिए कितना प्रयत्न किया? यदि आपने पूरे समर्पण के भाव से मेहनत की है फिर भी आप अपने मनपसंद क्षेत्र में सफल नहीं हुए तो ये मान लीजिए कि आपने अपने सपने को पूरा करने के लिए जो ज्ञानार्जन किया है वो आपके भावी जीवन में बहुत काम आने वाला है। वही ज्ञान किसी अन्य क्षेत्र में आपका भविष्य निर्माण करने में सहायक हो सकता है।
आज की समस्या ये है कि सबको एक – दो परीक्षा में ही सफलता प्राप्त करनी है। यदि ऐसा नहीं होता है तो वे बहुत ही जल्दी निराश हो जाते हैं और ऐसा मान लेते हैं कि इसके आगे जीवन है ही नहीं।
जब – जब आईआईटी जेईई और नीट का परिणाम निकलता है तब इसके जीवंत उदाहरण कोटा में बहुत देखने को मिलते हैं जहां पर पढ़ने वाले लोगों की मानसिकता ऐसी बना दी जाती है कि जेईई और नीट के आगे जीवन है ही नहीं। पूरे भारत के लोगों के आदर्श डॉ ए• पी• जे• अब्दुल कलाम भी अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हुए फिर आप क्यों इतनी जल्दी निराश हो रहे हैं?
असफल होने के बाद मन बहुत विचलित हो जाता है लेकिन उस असफलता को पीछे छोड़कर फिर से नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के साहस का नाम ही तो जीवन है। हो सकता है यहां पर मेरे विचार से आप सहमत न हों लेकिन मेरा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मध्यमवर्गीय लड़कों की मनोस्थिति इस मामले में शहरों में रहने वाले लड़कों की तुलना में मजबूत होती है।
उसका कारण यह है कि उन्होंने अपनी किशोरावस्था से ही जीवन का असली संघर्ष देखा होता है अपने घर परिवार में आस – पड़ोस में और उसको जिया होता है। अपने घर की स्थिति सुधारने में अपने पिता के साथ सहायक बने रहते हैं, इसलिए उनको पता है सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलेगी और निराश होकर तो बिलकुल नहीं।
कभी कभी हम अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं परीक्षा से इतर। अपना सब कुछ दांव पर लगाकर आगे बढ़ते हैं, पूरी जी जान से मेहनत करते हैं ताकि कुछ अच्छा हो लेकिन यह जरूरी नहीं कि आप सफल हो ही जाएं। सफलता और असफलता दोनों के ही मौके समान रहते हैं। आप सफल हुए तो आपके अब तक के संघर्ष पर पूर्ण विराम लग जाएगा लेकिन दूसरी स्थिति बहुत विकट होती है जब आप अपनी मेहनत को डूबता हुआ देखते हैं।
युवाओं के लिए यह स्थिति और भी ज्यादा खराब होती है क्यों कि वह ऐसी स्थिति का सामना जीवन में पहली बार कर रहे होते हैं। ऐसे समय में धैर्य और संयम के साथ आगे बढ़ना ही सर्वोत्तम उपाय है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे ही हिम्मती और धैर्यवान लोगों के लिए ही लिखा गया है –
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
अंत में केवल इतना कहूंगा अपने कार्य के प्रति सदैव ईमानदार, निष्ठावान, समर्पित और वफादार रहो चाहे नौकरी हो या व्यापार।
धन्यवाद🙏
आयुष अग्निहोत्री
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com