साकेत अग्रवाल
फीफा फुटबॉल विश्वकप – शुरू से अब तक भाग -2
FIFA फुटबॉल विश्वकप
भाग – 2
छठवां विश्वकप (1958 स्वीडन)
छठवां विश्वकप (1958, स्वीडन)
यह पहला विश्वकप था जिसमें ब्रिटेन की चारों टीमों ने हिस्सा लिया। रशिया पहली बार विश्व कप में खेला। रशिया की टीम 1956 की ओलंपिक चैंपियन थी। 17 वर्षीय पेले ने अपनी प्रतिभा के बल पर ब्राजील को चैंपियन बनाया और ब्राजील अपने महाद्वीप के बाहर विश्वकप जीतने वाला पहला देश बना।
ब्राजील, रशिया, यूगोस्लाविया, वेल्स, फ्रांस, प.जर्मनी, स्वीडन और आयरलैंड की टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं। इनमें से ब्राजील का प्रदर्शन सबसे प्रभावशाली था।
सेमीफाइनल में फ्रांस के विरुद्ध ब्राजील ने जो खेल दिखाया उसे देखकर साफ दिखा कि ब्राजील यहां सिर्फ विश्व विजेता बनने के लिए आया है। सेमीफाइनल में ब्राजील ने पेले की हैट्रिक के बल पर फ्रांस को 5-2 से हराया। पेले के रूप में विश्व फुटबॉल को एक सितारा मिलने वाला था |आज की भाषा में बोलें तो GOAT (Greatest Of All Time).
फाइनल में पहुंचीं दूसरी टीम मेजबान स्वीडन की थी फाइनल में स्थान बनाना स्वीडन की बहुत बड़ी सफलता थी। फाइनल शुरू होने के पांच मिनट के भीतर ही स्वीडन एक गोल से आगे हो गया लेकिन इसके बाद ब्राजील ने गोल करने की झड़ी लगा दी और 5 गोल किए जिसमें पेले के 2 गोल सम्मिलित थे। स्वीडन एक गोल और कर पाया और इस प्रकार ब्राजील ने 5-2 से एक महान विजय हासिल की।
ब्राजील नया विश्व चैंपियन बना, फुटबॉल पंडितों को इस परिणाम से कोई शिकायत नहीं थी |प्रभावशाली प्रदर्शन करने वाली एक बढ़िया टीम चैंपियन बनी थी। यह सफलता विश्व फुटबॉल में ब्राजील के प्रभुत्व की शुरुआत थी।
फ्रांस के रेमंड कोपा ने टूर्नामेंट में 13 गोल कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
छठा विश्वकप :-
विजेता – ब्राजील, उपविजेता – स्वीडन
फाइनल :- ब्राजील 5 – स्वीडन 2
सातवां विश्वकप (1962 चिली)
सातवां विश्वकप (1962, चिली)
एशिया, अफ्रीका से कोई टीम नहीं आई। ब्रिटेन से मात्र इंग्लैंड की टीम आई। ब्राजील एक बार फिर से विश्व कप जीतने का दावेदार था।
ये विश्वकप टीमों के सुरक्षात्मक खेल के लिये हमेशा याद रखा जाएगा |टीमें गोल करने के प्रयास से अधिक इस प्रयास में रहीं कि उनके विरुद्ध कोई गोल न हो। पूरे विश्वकप में 2.78 की औसत से 32 मैच में मात्र 89 गोल हुए।
चिली और इटली के मध्य बेहद हिंसक मैच खेला गया, कभी किसी खिलाड़ी को किक किया गया तो कभी किसी खिलाड़ी की नाक तोड़ी गई। हैरानी की बात तो ये रही कि नाक तोड़ने की इस घटना को किसी रैफरी ने नहीं देखा।
ब्राजील के दूसरे मैच में पेले चोटिल हो गए लेकिन फिर भी ब्राजील की टीम आशा के अनुरूप खेली और लगातार बढ़िया प्रदर्शन करती रही। मेजबान चिली, ब्राजील, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया की टीमें सेमीफाइनल में पहुंची।
पहले सेमीफाइनल में ब्राजील ने चिली को हराया और चिली की अद्भुत सफलता का दौर समाप्त किया। सेमीफाइनल तक की यात्रा करना चिली की अद्भुत सफलता थी ये विश्वकप में आजतक चिली का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। दूसरे सेमीफाइनल में चेकोस्लोवाकिया ने यूगोस्लाविया को हराया।
फाइनल में चेकोस्लोवाकिया का ध्यान जीतने से अधिक इस पर था कि ब्राजील को अधिक गोल करने से रोका जाए। चेकोस्लोवाकिया की इस रणनीति के बावजूद ब्राजील ने 3 गोल किए और 3-1 से मैच जीत लिया और लगातार दूसरी बार विश्व विजेता बना।
ब्राजील ने तो अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की लेकिन फुटबॉल पंडितों ने इस विश्वकप को औसत से भी कम एक साधारण दर्जे का विश्व कप करार दिया। मैचों में विवाद तो थे परंतु टीमों के सुरक्षात्मक खेलों के कारण रोमांच नहीं था।
ब्राजील की सफलता फुटबॉल इतिहास की बड़ी महत्वपूर्ण घटना थी। ब्राजील पेले जैसे खिलाड़ी के थोड़े से योगदान के बावजूद विश्वकप जीत गया था इससे ब्राजील की टीम की प्रतिभा का अनुमान स्वत: लगाया जा सकता है।
सातवां विश्वकप :-
विजेता – ब्राजील, उपविजेता – चेकोस्लोवाकिया
फाइनल :- ब्राजील 3 – चेकोस्लोवाकिया 1
आठवां विश्वकप (1966 इंग्लैंड)
आठवां विश्वकप (1966, इंग्लैंड)
टीमों का सुरक्षात्मक खेल इस विश्व कप में भी जारी रहा। चिली विश्वकप के समान इस विश्वकप में भी 32 मैचों में मात्र 89 गोल हुए। फुटबॉल पंडितों के अनुसार गोल भले ही कम हुए लेकिन मैच बड़े रोमांचक हुए।
ब्राजील और इंग्लैंड जीत के प्रबल दावेदार थे |इस विश्वकप में जिस टीम ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा वो टीम उत्तर कोरिया की थी।
उत्तर कोरिया ने विश्वकप इतिहास का एक बड़ा उलटफेर किया, दो बार की चैंपियन इटली को 1-0 से हराया। इस परिणाम को 1950 के उसी अप्रत्याशित परिणाम जैसा माना जाता है जिसमें अमेरिका ने इंग्लैंड को हराया था।
ब्राजील के लिए ये लगातार दूसरा विश्वकप था जिसमें पेले ग्रुप मैचों में ही चोटिल हो गया। ग्रुप मैच में हंगरी ने ब्राजील को हराकर सनसनी मचा दी। ये मैच बारिश में खेला गया था। ये 1954 के बाद विश्वकप में ब्राजील की पहली हार थी, ब्राजील अंतिम बार भी हंगरी से ही पराजित हुआ था।
पश्चिम जर्मनी, पुर्तगाल, इंग्लैंड और रशिया सेमीफाइनल में पहुंचे। प.जर्मनी और रशिया के मध्य पहला सेमीफाइनल हिंसक रहा जिसमें प.जर्मनी की टीम जीती। दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने पुर्तगाल को हराया।
फुटबॉल पंडितों के अनुसार इंग्लैंड और प.जर्मनी के मध्य एक विवादास्पद लेकिन रोमांचक फाइनल खेला गया। इंग्लैंड के लिए पहला गोल हर्स्ट और दूसरा गोल पीटर्स ने किया। इंग्लैंड जब 2-1 से जीतता नजर आ रहा था तब एक विवादास्पद फाउल पर प.जर्मनी को पेनल्टी मिल गई। स्कोर 2-2 हुआ और अतिरिक्त समय में पहुंचा।
अतिरिक्त समय में इंग्लिश खिलाड़ी हर्स्ट के शॉट पर गेंद क्रासबार को लगकर नीचे गिरी। इंग्लैंड ने दावा किया गेंद ने लाइन को पार किया है जबकि प.जर्मनी का दावा था गेंद ने लाइन पार नहीं की। रैफरी ने रुसी लाइंस मैन की सलाह पर गोल दे दिया। इस गोल ने प.जर्मनी के खिलाड़ीयों के कंधे झुका दिए। हर्स्ट ने एक और गोल कर अपनी हैट्रिक पूरी की।
इंग्लैंड नया विश्व विजेता बना। यह इंग्लिश फुटबॉल इतिहास की सबसे महान सफलता थी। हर्स्ट का वो गोल आज भी फुटबॉल इतिहास के विवादास्पद गोल में माना जाता है।
आठवां विश्वकप :-
विजेता – इंग्लैंड, उपविजेता – पश्चिम जर्मनी
फाइनल :- इंग्लैंड 4 – पश्चिम जर्मनी 2
नौवां विश्वकप (1970 मैक्सिको)
नौवां विश्वकप (1970, मैक्सिको)
1968 का ओलंपिक भी मैक्सिको में ही हुआ था और 1970 का फुटबॉल विश्वकप भी मैक्सिको में हुआ।
1934 के बाद पहली बार अफ्रीका का प्रतिनिधित्व हुआ, वहां से मोरक्को की टीम आई। एशिया का प्रतिनिधित्व इजरायल ने किया। ब्राजील, इटली, इंग्लैंड और प.जर्मनी जीत के प्रबल दावेदार थे। इन चारों में से मात्र इंग्लैंड ही सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाया।
इस विश्वकप की विशेष बात ये थी की इस बार टीमों ने सुरक्षात्मक खेल का अपना तरीका बदल लिया था। इस बार आक्रामक और आकर्षक फुटबॉल खेली गई।
ग्रुप मैचों में सभी टीमों ने अपनी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप ही प्रदर्शन किया। क्वार्टर फाइनल का इंग्लैंड और प.जर्मनी का मैच एक बहुत ही रोमांचक मैच था। यह पहला साल था जब फीफा का दो सब्सिट्यूट का नियम लागू हुआ था। प.जर्मनी के मैनेजर ने इस नियम का पूरा पूरा लाभ उठाया। इंग्लैंड का डिंफैस जब थक गया तब प.जर्मनी के मैनेजर ने विंगर जुरगन ग्रेबोवस्की को मैदान में उतारा, ग्रेबोवस्की ने चमत्कारिक प्रदर्शन किया उसनेे 2-0 से पीछे चल रही अपनी टीम को 3-2 से जिता दिया।
ब्राजील ने अब तक अपने शानदार प्रदर्शन से ये सिद्ध किया था कि वे 1966 में किया गया असफल प्रदर्शन भूल चुके हैं। पेले अब तक टीम में थे और सबसे अच्छी बात ये थी कि वो अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में थे।
इटली, प.जर्मनी, उरुग्वे और ब्राजील सेमीफाइनल में पहुंचे। जहां इटली ने प.जर्मनी और ब्राजील ने उरुग्वे को हराया।
फाइनल मुकाबले के पहले एक मात्र प्रश्न ही हवा में तैर रहा था कि ब्राजील की टीम इस मैच में कितने गोल ठोंकेगी? ब्राजील ने 4 गोल करे। इटली ने ब्राजील की टीम को मात्र चार गोल पर ही रोक लिया |ये इटली के डिफैंस की बहुत बड़ी सफलता थी।
ब्राजील तीन बार विश्वकप को जीतने वाला पहला देश बना और फीफा के नियमानुसार विश्वकप हमेशा के लिए उन्हें दे दिया गया।
नौवां विश्वकप :-
विजेता – ब्राजील, उपविजेता – इटली
फाइनल :- ब्राजील 4 – इटली 1
दसवां विश्वकप (1974 पश्चिम जर्मनी)
दसवां विश्वकप (1974, पश्चिम जर्मनी)
इस विश्वकप में विश्व जगत का परिचय फुटबॉल की दो नई शक्तियों से हुआ, ये पौलेंड और नीदरलैंड्स थीं
प.जर्मनी ने 1972 में यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप (आज का यूरो कप) को जीता था और उसे घरेलू दर्शकों के सामने खेलने का मनोवैज्ञानिक लाभ भी मिल रहा था।
पिछले कुछ विश्वकप से टूर्नामेंट का प्रारुप एक सा चला आ रहा था इस बार इसमें परिवर्तन किया गया। क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल हटाकर 4-4 टीमों के दो ग्रुप बनाए गए। इन ग्रुपों के विजेता के मध्य फाइनल मुकाबला हुआ।
ब्राजील की फुटबॉल प्रतिभा की दृष्टि से ये विश्वकप उनके लिए निराशाजनक रहा, वे पौलेंड से हार कर चौथे स्थान पर रहे।
इस विश्वकप में नीदरलैंड का प्रदर्शन काफी प्रभावशाली रहा, इस समय उनके पास यूरोप का सबसे प्रतिभाशाली मिड फिल्डर क्रायफ था।
नीदरलैंड और प.जर्मनी के रुप में दो बेहतरीन टीमें फाइनल में पहुंचीं। फाइनल प.जर्मनी में हो रहा था लेकिन नीदरलैंड के शानदार प्रदर्शन के कारण फुटबॉल पंडितों, फुटबॉल प्रेमियों का समर्थन नीदरलैंड को था।
फाइनल मैच शुरू होने के एक मिनट के भीतर ही नीदरलैंड को पेनल्टी मिल गई, नीदरलैंड 1-0 से आगे। 24 मिनट बाद एक और पेनल्टी दी गई – इस बार प.जर्मनी को, स्कोर 1-1 से बराबर। हाफ टाइम के दो मिनट पहले गर्ड मूलर ने प.जर्मनी को विश्व विजेता बनाने वाला गोल किया।
पश्चिम जर्मनी अपने से कहीं अधिक लोकप्रिय टीम को हराकर चैंपियन बना। 1972 में यूरोपियन चैंपियन बनने के बाद प.जर्मनी विश्व चैंपियन भी बन गया था। विश्व फुटबॉल में पश्चिम जर्मनी के प्रभुत्व का नया दौर शुरू हुआ।
दसवां विश्वकप :-
विजेता – पश्चिम जर्मनी, उपविजेता – नीदरलैंड
फाइनल – पश्चिम जर्मनी 2 – नीदरलैंड 1
(भाग – 2 समाप्त)
साकेत अग्रवाल
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