आपका -विपुल
सूडान गृहयुद्ध के कारण
आइए आपको सूडान की समस्या के बारे में कुछ बताते हैं।
आपको पता होना चाहिए अफ्रीका में सबसे ज्यादा सोने के भंडार हैं और सूडान से भारत को कच्चा तेल भी मिलता है।
सूडान और दक्षिणी सूडान अब अलग अलग देश हैं दक्षिण सूडान 2005 में सूडान से अलग हुआ था और 70 %तेल कुएं साथ ले गया था।
सूडान का गृहयुद्ध वहां के अर्धसैनिक बल RSF और वहां की नियमित सेना के बीच है। दरअसल इसी साल RSF का सेना में विलय होकर एक काउंसिल बननी थी लेकिन उस काउंसिल का मुखिया कौन होगा, इसी की लड़ाई RsF के प्रमुख जनरल जनरल मोहम्मद हमदान डगलो
और सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान के बीच है।
मजे की बात ये है कि जनरल डगलो के विदेशी ताकतों से संबंध ज्यादा अच्छे हैं। मिस्र और यूएई जैसी क्षेत्रीय बड़ी ताकतें जनरल डगलो के साथ हैं।
वजह?
देश के सबसे मुनाफे वाली सोने की खदानों पर पैरामिलिट्री RSF का कब्जा है, जो सोना अपनी सरकार के साथ विदेशों को भी बेचते हैं।
साल 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने के निर्यात से 2.5 अरब डॉलर कमाए थे।
अब सूडान की सीमा लगती है सात देशों से।
इजिप्ट,इथियोपिया,लीबिया,चाड,मध्य अफ्रीकी गणराज्य,इरीट्रिया और साउथ सूडान।
चाड वाले सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि शरणार्थी उनके यहां घुस रहे।
इथियोपिया खुश, दुश्मन है सूडान का।
दरअसल इजिप्ट और सूडान ने नील नदी में बांध बनाकर इथियोपिया के लिए जाती किसी नदी का प्रवाह प्रभावित किया था और इसलिए इथियोपिया सूडान के खिलाफ है। इजिप्ट दिखावे के लिए सेना के साथ है, छुप कर डगलो को मदद दे रहा
उधर यूएई खुल के जनरल डगलो का साथ दे रहा है।
वजह?
एक तो यूएई का भारी भरकम निवेश सूडान में है और उसे RSF जीतती दिख रही है। इसके अलावा जब ईरान समर्थित हुती विद्रोही सऊदी और यूएई के खिलाफ कांड कर रहे थे तो जनरल डगलो ने अपनी RSF यूएई की मदद को भेजी थी।
बदले में मोटा माल बनाया था और खुद को मजबूत किया था।
और ऊंचे खेल में आइए।
पिछले साल इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने केवल RSF के चीफ जनरल डगलो से मिलने के लिए ही यहां का दौरा भी किया था।
वजह?
इस्राइल अपने कट्टर दुश्मन ईरान के खिलाफ राजनीतिक और सैनिक मोर्चा बनाने में सूडान का समर्थन चाहता है।
2020 में कुछ समझौता भी हुआ था शायद जनरल डगलो और मोसाद चीफ के बीच।
लेकिन नया पेंच!
रुस तो सूडान की सैनिक सरकार के साथ है।
वजह?
एक बंदरगाह है।
पोर्ट सूडान।
दुनिया के सबसे व्यस्त और विवादित समुद्री रास्ते पर लाल सागर में।
लाल सागर एक खाड़ी है हिंद महासागर में
अफ्रीका और एशिया के बीच।
रूस सूडान के पोर्ट सूडान में बड़े नौसैनिक अड्डे को बनाना चाहता है।
रूस के मिलिशिया लड़ाके वैग्नर समूह के भी अपने हित हैं, जो सूडान के सोने और यूरेनियम भंडारों में हिस्सेदारी रखते हैं। ये तो सूडान के अशांत दारफुर इलाके में अपने लड़ाके भी भेजते हैं। अब रुस डगलो को नाराज नहीं करना चाहता लेकिन मदद सेना के जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान की कर रहा है।
चीन इंतजार करो और देखो की रणनीति अपना रहा है। वही काम अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश भी कर रहे हैं।
भारत की वर्तमान विदेश नीति भी अमेरिका के हिसाब से ही चलती है तो भारत भी मुंह बंद किए है।
जुलाई में सूडान में चुनाव होने थे RSF के सेना में विलय के बाद,वो अब होते नहीं दिख रहे।
डॉक्टर जयशंकर की अगुवाई में भारत का विदेश मंत्रालय सूडान में फंसे भारतीयों की मदद कर रहा है और उन्हें वहां से सुरक्षित निकाल रहा है।
जनरल डगलो का पलड़ा फिलहाल भारी दिख रहा है, पर सेना तो सेना ही होती है भाई।
फिर कुछ भी हो सकता है।
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आपका -विपुल
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