राहुल दुबे
आम हिन्दू जन कुछ समय पहले तक इस बात से चिंतित थे कि व्यासपीठ से अली मौला तो होता है लेकिन जो लोग रामकथा या श्रीमद्भागवत कथा सुनने जाते हैं, उन्हें जागरूक नहीं किया जाता।
तब बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री जी चर्चा में आये।
अपने कथा के माध्यम से वे वहां आई जनता को सबकुछ बताते है, जो एक हिन्दू परिवार को जानना चाहिए, धर्मांतरण में लगी मिशनरियों द्वारा अब धूम धाम से मनाये जाने लगे क्रिसमस के जवाब में शुरू किये गये तुलसी पूजन दिवस यानी 25 दिसम्बर को उन्होंने करीब 1000 ईसाई बन चुके हिन्दुओ की घर वापसी करवाई थी, उन्होंने व्यासपीठ से ताल ठोंक कर कहा था कि बॉलीवुड गंदगी फैलाता है,।बागेश्वर धाम की अपनी महत्वता है लोग मानते है कि बागेश्वर धाम में आपकी हर समस्या का उपाय है।ख़ैर एक कथावाचक का अपने व्यासपीठ से हिंदुओं को जागरूक करने का प्रयास करना, घर वापसी करवाना शायद इतना ही काफी था नास्तिकता का चोला पहने धर्मविरोधी लोगों के लिए।
श्याम मानव को आज से पहले शायद कुछ ही लोग जानते होंगे, लेकिन बागेश्वर धाम की
लोकप्रियता के सहारे श्याम मानव अपने लिए रास्ता बना रहा है।
ये तथाकथित सामाजिक सुधारक लोग तब अपना मुंह क्यों नहीं खोलते जब पगड़ी वाला ईसाई बाजिन्दर सिंह गूंगे को आवाज, लँगड़े को पैर एक शब्द से वापस कर देने का ढोंग करता है ?
मदरसे के मौलवी पर रेप के आरोप लगते हैं ।केरल से ऐसी कई खबरे आती रहती हैं,
जिसमें तथाकथित फादर पर बलात्कार के आरोप लगते हैं , तब ये अंधविश्वास उन्मूलन संगठन किस बिल में छुप जाते है ?
मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है, लेकिन ये नास्तिक गैंग आपको सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार के लिए अपनी छाती पीटता दिख जाएगा।
नारी को देवी मानने वाले धर्म के आराध्य प्रभु श्रीराम इनको पितृसत्तात्मक लगते हैं।लेकिन नारी को वस्तु मानने वाले मजहब के लिये, ‘ ये उनका आपसी धार्मिक मामला है ‘ कह कर कोने में निकल लिया जाता है ।
धीरेंद्र शास्त्री जबतक नागपुर में थे तबतक तो ना इस श्याम मानव को कोई जानता था ना ही इसके संगठन को, जब नागपुर में नितिन गडकरी और बाकी नेता पहुंचे और धीरेंद्र शास्त्री जी अपनी
कथा समाप्त करके निकले तभी ये खबरें क्यों आईं? सोचिये तो।
धीरेंद्र शास्त्री जी अपनी कथा के माध्यम से इन धर्मविरोधियों को वह चोट दे रहे थे जो इन्हें कोई और कथावाचक नही दे पा रहा था।
और घरवापसी का कार्यक्रम इन लोगो के जले पर नमक था।
खैर धीरेंद्र शास्त्री से लोग प्रभावित हैं।
लोग उनकी कथा में पहुंच रहें है।इंटरनेट पर लोग उन्हें सुन रहें है।उनके वक्तव्य साझा कर रहे हैं । तो इन पाखंडी मिशनरी के पालतू लोगों से ना धीरेंद्र शास्त्री जी का कुछ बिगड़ने वाला है और न हिन्दू धर्म का ।
इनके बस के बाहर ही है ये।
जय श्रीराम ।
जय हनुमानजी की।
बागेश्वर धाम सरकार को खुला समर्थन।
राहुल दुबे
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