रचनाकार -विपुल
श्वेत वर्ण सा वदन तुम्हारा
गंगाजल सा पावन मन,
मीन सदृश हैं नैन तुम्हारे ,
प्रेमी के जीवन का धन ।
काले काले केश तुम्हारे ,
कोमल कटि कमनीय वदन,
वैरागी के चित को हर ले ,
गज गामिनी तेरा यौवन।
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यौवन तेरा,मधु का प्याला,
चम्पा के फूलों की माला,
ललित चलित एक सुंदर रचना,
स्वर्णमोहनी ,कल्पित बाला।।
जलतरंग सा तेरा यौवन
कलरव या भौरों की गुंजन।
ये सुगन्ध तो मन भरमाये,
पारिजात है या चंदन वन ?
खन खन छन छन
छन छन खन खन
बजती पायल ,बजते कंगन ।
हर पल मन में तेरी बातें,
साथ बिताना पूरा जीवन!
हो वसंत या सूखा सावन,
हो गर्मी या मादक फागुन
काटेंगे हम ये दिन सारे,
कुचलेंगे हम नागों के फन
रचनाकार -विपुल
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