लेखक :-राहुल दुबे दिनांक :-04/03/2022
कप्तानी
भारतीय क्रिकेट टीम में चयन होना ही सबसे बड़ी बात होती है लेकिन सोने पे सुहागा तब होता है जब आप बल्लेबाज होते है| और ये बात किसी से छुपी नही है कि क्रिकेट में बल्लेबाज ही वो सारी प्रसिद्धि लूट ले जाते है जो एक गेंदबाज भी पाना चाहता है | इसमें मीडिया को पूर्ण रूप से दोषी बताना भी गलत है अबतक भारतीय क्रिकेट में मात्र 6 गेंदबाजों ने भारतीय टीम की कमान संभाली है जिसमे कपिल देव और रवि शास्त्री अपवाद है क्योंकि वे हरफनमौला खिलाड़ी थे।।ऑफ स्पिनर ग़ुलाम अहमद पहले ऐसे गेंदबाज थे जिन्होंने भारतीय टीम की कमान संभाली थी| उसके बाद श्रीनिवास वेंकटराघवन, बिशन सिंह बेदी, कपिल देव, रवि शास्त्री और अनिल कुंबले को भारतीय टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला |
इसमें कपिल देव को छोड़ दे तो एक साधारण क्रिकेट प्रेमी इन बाकी खिलाड़ियों को कप्तान के तौर पर जानता तक नही होगा, और जब गेंदबाज कप्तान नही बनेंगे तबतक उनको जरूरी लाइम लाईट मिलना मुश्किल ही है।
नए युग की बात
खैर जबसे भारतीय क्रिकेट टीम का नया युग आया है यानी 2000s के बाद तबसे कप्तान के साथ साथ खिलाड़ी भी हर जगह जाने जाने लगे है |सचिन तेंदुलकर अपने जमाने मे किसी भी कप्तान से अधिक लोकप्रिय थे, वैसे ही विराट कोहली की प्रसिद्धि महेंद्र सिंह धोनी के समय कम नही थी |उसी प्रकार विराट कोहली के समय रोहित शर्मा की प्रसिद्धि कम नही थी लेकिन इन दौर में कितने गेंदबाज लोकप्रिय थे , ये संशय का विषय है |
वर्ष 2016 के बाद भारत की हर विदेशी सरजमीं की जीत पर गेंदबाजों का अहम रोल रहा है उसके बावजूद भी भारतीय गेंदबाज उसलाइम लाइट में बहुत पीछे है |इस डिजिटल युग मे ही देख ले तो विराट कोहली के इंस्टाग्राम फ़ॉलोवेर्स 180 मिलियन से अधिकहैं, रोहित शर्मा के इंस्टाग्राम फ़ॉलोवेर्स 22 मिलियन से अधिक है| उसी तरह कई क्रिकेटर जैसे ऋषभ पंत(5M+), सूर्यकुमार यादव(1M+), लोकेश राहुल(11M+), हार्दिक पंड्या(20M+) के फालोवेर्स की संख्या लाख करोड़ो में है |इसमें कई तो नए नवेले है लेकिन बल्लेबाज होने के कारण इनके फोल्लोवेर्स की संख्या अधिक है|
सोशल मीडिया और फ़ॉलोवर्स
उसी प्रकार यदि गेंदबाजों में देखा जाए तो किसी भी नए गेंदबाज को फॉलो करने वाले लोगो की संख्या कम है (*अश्विन, बुमराह ये पुराने खिलाडी हैं )| खैर, हम और आप गेंदबाजों के फॉलोवर्स के पी आर मैनेजमेंट के झोल से जोड़कर छोड़ सकते है |लेकिन ऐसे कई मौके आये है जब गेंदबाज ने ऐसे आरोप लगाए जहां मैनेजमेंट ने उनका साथ नही दिया जब वे बुरे दौर से गुजर रहे थे।हाल ही में अश्विन ने एक साक्षात्कार में ही ऐसे ही आरोप लगाए थे।
मुख्य तौर पर गेंदबाजों को कोई भी उस लोकप्रियता वाली श्रेणी में रखना ही नही चाहता है यद्यपि सर्वाधिक परिश्रम एक मैच में वही करते हैं| मैं ऐसा कहकर बल्लेबाजों के मेहनत के उपर सवाल नही उठा रहा, लेकिन मेरी इच्छा है कि एक टेस्टt मैच में अपना सबकुछ झोंक कर गेंदबाजी कर रहे उस खिलाड़ी को भी उतनी लोकप्रियता मिले जितनी एक लोकप्रियता एक टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले बल्लेबाज को मिलती है।
लेकिन ये मेरी इच्छा है और इच्छाएं शायद अधूरी ही रहती है।
राहुल दुबे
(लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के स्वयं के हैं |अन्य कोई ज़वाबदेह नहीं है |
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