आशीष जैन
टेस्ट का असली टेस्ट
क्रिकेट का सबसे पारंपरिक रूप टेस्ट मैच है। क्रिकेट पंडित यूं ही नही टेस्ट को ही असली क्रिकेट मानते है। इसमें खिलाड़ी की तकनीक,धैर्य और फिटनेस का असली टेस्ट होता है।मगर इसकी गिरती हुई लोकप्रियता को देखते हुए आईसीसी ने इसके प्रारूप में कई बार नवीनीकरण के प्रयास किये।दिन रात के टेस्ट मैच भी करवाए।गेंद भी लाल से गुलाबी हुई।रोमांच बढ़ाने के लिए टेस्ट चैंपियनशिप का एक नया प्रारूप बनाया।जिसमे सभी टेस्ट खेलने वाले देशों के 2 साल के प्रदर्शन को आंका जायेगा।शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें फाइनल खेलेंगी। इस बार ये फाइनल भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच है।
एक युद्ध की तरह चलने वाले इस 5 दिन के मैच में शाम होते ही युद्ध विराम होता है।प्रतिद्वंद्वी अपने अपने खेमों में जाकर फिर नई रणनीति बनाकर अगली सुबह नये जोश के साथ फिर से मैदान में लौटते हैं।जहाँ बल्लेबाज को पूरा मौका होता है जमकर खेलने का,वही गेंदबाज पूरी जान झोंक देता है उसे आउट करने में।एक गेंदबाज कितने भी ओवर फेंक सकता है।केवल चार या दस ओवर नहीं।
हर खिलाड़ी को अपना करतब दिखाने का पूरा पूरा अवसर मिलता है।दोनों टीमों को भी किसी भी स्तर से वापसी करने का भरपूर मौका और समय मिलता है।
टेस्ट मैच में एक खिलाड़ी की फिटनेस की भी पूरी परीक्षा होती है।टी 20 की तरह नहीं कि जहाँ गेंदबाज अपने 4 ओवर पूरे करके डग आउट में आराम करे।यहाँ तेज गेंदबाज को भी 30 ओवर प्रतिदिन तक फेंकने पड़ सकते हैं।बल्लेबाज को भी दिनभर सामने वाले गेंदबाज की गति और स्पिन का सामना धैर्यपूर्वक अपनी उच्चतम बल्लेबाजी तकनीक,फुटवर्क और टाइमिंग से करना पड़ता है।
पिच और मौसम भी पूरा इम्तिहान लेते हैं।
दिनभर पसीना बहाते हुए सत्र दर सत्र संघर्ष करना ही पड़ता है। टेस्ट का दूसरा नाम संघर्ष है और संघर्ष का दूसरा नाम जीवन।
एक आम आदमी को भी जीवन के हर सत्र में टेस्ट मैचों के खिलाड़ी की तरह कठिन परिस्थितियों में डटा रहना पड़ता है।
कोई बैकफुट पे ड्रा के लिए खेलता है तो कोई फ्रंट फुट पे जीत के लिए।
बस हारना नही है।
मैं अपने जीवन काल मे ब्रैडमेन, सुनील गावस्कर , विव रिचर्ड्स जैसे टेस्ट लीजेंड्स को तो खेलते नही देख पाया।मगर लक्ष्मण, मैक्ग्राथ,एलिस्टर कुक और जेक्स कालिस जैसे महान खिलाड़ियों का खेल देखने का मुझे सौभाग्य मिला है।आधुनिक क्रिकेट में दो टेस्ट सीरीज भारतीय क्रिकेट और टेस्ट के रोमांच को नई ऊंचाइयों पे ले गई थीं।
पहली 2001 भारत ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज जिसमें स्टीव वॉग की ऑस्ट्रेलिया के 15 लगातार जीतों का विजय रथ सौरव गांगुली की टीम इंडिया ने फॉलोऑन खेलने के बाद भी रोका था।
कोलकाता टेस्ट मैच में लक्ष्मण, द्रविड़ और हरभजन ने कंगारुओं को नाकों चने चबवा दिये थे।
दूसरी 2021 में भारत आस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज, जिसके पहले मैच में कुल 36 रनों पर आल आउट होकर भी और शेष 3 मैचों में अपने कप्तान और नंबर एक बल्लेबाज विराट कोहली के न खेलने के बावजूद भी सीरीज़ में जोरदार वापसी की थी।और गाबा टेस्ट मैच में निर्णायक जीत हासिल की थी।ये सीरीज ही ऐतिहासिक थी।
ज्ञात रहे इसी सीरीज में हौसला पस्त हुई टीम इंडिया को बीच मझधार में छोड़कर कप्तान कोहली अपने निजी काम का बहाना बनाकर भारत लौट आये थे।
टी 20 की चुनौती
इन दिनों टेस्ट को ताजा चुनौती क्रिकेट परिवार के नवीनतम सदस्य टी 20 से मिल रही है। एक समय एकदिवसीय प्रारूप भी सबका चहेता था।टी 20 मैच तेज है।3 घंटे में परिणाम देता है। बिलकुल फ़ास्ट फूड की तरह। मगर फ़ास्ट फूड से क्रिकेट प्रेमियों का हाजमा खराब हो सकता है। टेस्ट माँ के हाथ से बने घर के खाने की तरह है।
आज के दौर में क्लब क्रिकेट का बोलबाला है।हर देश मे आईपीएल जैसी लीग क्रिकेट का क्रेज है।
‘फटाफट क्रिकेट फटाफट पैसा।’ खिलाडी अपने देश के भी ऊपर इस तरह की क्लब लीग को तरजीह दी रहे है।
साउथ अफ्रीका के महान बल्लेबाज डीविलियर्स ने 100% फिट होने के बावजूद एक क्लब टीम आरसीबी से खेलने के लिये 33 साल में संन्यास ले लिया था।
क्लब क्रिकेट की तरफ से ऑफर हो रहा मोटा पैसा बड़े-बड़े खिलाड़ियों को आकर्षित कर रहा है।
इसका सबसे अधिक भुक्तभोगी देश वेस्टइंडीज रहा है, जहाँ के खिलाड़ियों ने इस लालच में फंसकर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने मना कर दिया।आज वेस्ट इंडीज टीम की हालात खस्ता है।
रोज ऐसी खबरें आती है कि निजी क्लब मुंबई इंडियंस ने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर को केवल उनके क्लब से खेलने के लिए वार्षिक 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है।इंग्लैंड के जेसन रॉय ने तो करीब 3.5 करोड़ की रकम पर ऐसा अनुबंध एक क्लब से कर भी लिया है।अब अपने देश इंग्लैंड के लिए खेलने को रॉय को उस क्लब की अनुमति लेनी पड़ेगी।कुल मिलाकर पूरे अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लग चुका है।तो इस संकटपूर्ण परिस्थिति में टेस्ट क्रिकेट के लिए अपने अस्तित्व को बचा पाना ही असली टेस्ट होगा।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2023
अब चलते-चलते थोड़ी बात ओवल इंग्लैंड में होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2023
की भी कर लें।
7 जून से होने वाले इस अहम मुकाबले में भाग लेने वाले अधिकांश भारतीय दल का चयन आईपीएल के आधार पर ही हुआ है।करीब 2 माह टी 20 क्रिकेट खेल कर सीधा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेलने आ रही इस टीम के लिए अभ्यास के लिये केवल क्या सप्ताह भर का समय पर्याप्त होगा?
जबकि ऑस्ट्रेलियन टीम के कई महत्वपूर्ण सदस्य इंग्लैंड की परिस्थितियों में ढलने के लिए काउंटी क्रिकेट में लंबे समय से अभ्यासरत हैं।
आगे उन्हें एशेज में भी हिस्सा लेना है।
पिछली बार 2021 के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भी कोहली की अगुवाई में हमारे आईपीएल वीर दम भर के आये थे।
मगर न्यूजीलैंड की टेस्ट टीम ने इनका दम निकाल के बता दिया था आईपीएल और टेस्ट का फर्क।
मैच के बाद साक्षात्कार में कोहली का कहना था :-
“हम इसको एक सामान्य मैच की तरह ही देखते हैं।”
शायद ऐसा गैर जिम्मेदार बयान सुन के ही बीसीसीआई ने कोहली को कप्तानी से हटाया होगा।
खैर उम्मीद है इस बार भारत की विजय हो और लंबे समय से चले आ रहे आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्म हो।
आशीष जैन
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