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टीम इण्डिया की परेशानियां

अर्शदीप महाजन

भारत की एक टीम अभी आयरलैंड के दौरे पर गई थी जहाँ जसप्रीत बुमराह चोट ने से वापसी की और उन्हें इस तीन एक दिवसीय मैचों की सीरीज में कप्तानी भी दी गई थी।
इस पूरी टीम में केवल जसप्रीत बुमराह ही थे जो विश्वकप के पंद्रह खिलाड़ियों में खेलेंगे। तिलक वर्मा और संजू सैमसन एक स्थान के लिए लड़ते हुए दिखाई दे रहे थे,अगर हम यह मान कर चलें कि चयनकर्ता के एल राहुल को बिना मैच टाइम और शत प्रतिशत फ़िटनेस के साथ टीम में रख कर पिछली ग़लतियाँ नहीं दोहरायेंगे।
इस सीरीज के अतिरिक्त 30 अगस्त से 17 सितंबर तक भारत एशिया कप था जो अभी चालू है। इसके बाद 22 सितंबर से 27 सितंबर तक ऑस्ट्रेलिया के साथ तीन एक दिवसीय मैचों की सीरीज और इसके ठीक 8 दिन बाद 5 अक्तूबर को 2023 का एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप आरम्भ होगा।


अगर देखा जाये तो कुल मिलाकर विश्व कप आरम्भ होने तक भारत को 10 मैच खेलने हैं। लेकिन अभी तक फाइनल प्लेइंग इलेवन तो दूर की बात, पन्द्रह खिलाड़ियों के नाम तक फाइनल नहीं हैं। और तो और दस दिन बाद होने वाले एशिया कप तक के लिए टीम भी बमुश्किल तमाम चुनी गई। बताया यह गया कि के एल राहुल और श्रेयस अय्यर के ठीक होने की प्रतीक्षा की जा रही थी।
अगर हम 2017 की चैम्पियंस ट्रॉफी की हार के बाद की समीक्षा करें तो उसके बाद होने वाले हर आईसीसी टूर्नामेंट में हम अपनी परेशानियों को लेकर एक ही जगह पर खड़े नज़र आए हैं और इस बार भी हमने अपनी उन्हीं परेशानियों पर अंगद की तरह पाँव जमाये रखा है।


चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद नंबर चार पर युवराज सिंह की जगह लेने के लिए छह वर्ष में हम एक खिलाड़ी भी तैयार नहीं कर पाये। 2019 के विश्व कप में हम जहाँ केदार जाधव, अम्बाती रायडू और विजय शंकर को लेकर दुविधा में थे तो हारने के बाद एक दम से हमें श्रेयस अय्यर मिल गये जो पहले किसी दूसरे ग्रह पर क्रिकेट खेलते थे। तब हम शिखर धवन की जगह के एल राहुल को ओपनर बनाने में व्यस्त थे।और साथ ही कुलचा की जोड़ी की जगह अब नई जोड़ी की तलाश भी आरम्भ कर दी गई थी। प्रयोग चलते रहे और डेब्यू कैप म्यूजिकल चेयर की तरह बंटती रही। आज हालात ऐसे हैं कि पहले हम नंबर चार पर ईशान किशन को खिलाना चाहते थे लेकिन वह वहाँ कुछ एक मैचों में चले नहीं और हमने उनको वहीं पर अधिक समय देने की बजाय उन्हें ओपनर बना दिया।

अब वह वहाँ पर एक दोहरा शतक और लगातार तीन अर्द्धशतक बना कर तीसरे ओपनर बनकर हमारा सरदर्द बढ़ा रहे हैं। संजू सैमसन, जिनको हम ईशान किशन को बाहर बिठा कर नंबर चार पर खिलाना चाहते थे, वह मानसून की बारिश की तरह हैं। सीरीज के एक मैच में ही चलते हैं। हालातों ने हमें इतना मजबूर कर दिया है कि हम या तो के एल राहुल और श्रेयस अय्यर को ज़बरदस्ती फिट करके खिलाना चाह रहे हैं या फिर बेचारे तिलक वर्मा के ऊपर विश्वकप जैसे उच्च दबाव वाले टूर्नामेंट में माध्यम क्रम का बोझ डालना चाहते हैं। पुराने दिग्गजों ने तो शुभमन गिल और ईशान किशन से ओपन करवाकर रोहित शर्मा और विराट कोहली को ही नंबर तीन और चार पर खेलने का सुझाव दे दिया है।


चोटिल खिलाड़ियों को टीम में केवल उनके नाम की वजह से ढो लेना और उसका खामियाजा हर आईसीसी टूर्नामेंट में भुगतना अब हमारी आदत हो चुकी है। हैरानी की बात यह है की हम इस आदत से छुटकारा भी पाना नहीं चाहते। ख़ैर, के एल राहुल का टीम में चयन लगभग तय लग रहा है और विश्व कप में यह दांव हमारे लिए चल जाए तो भगवान का धन्यवाद ही करेंगे हम।
आवश्यकता से अधिक प्रयोग पिछले छह वर्षों से हमारे प्रदर्शन को नीचे ही लेकर जा रहे हैं बस। आईसीसी के हर टूर्नामेंट में पहल मैच खेलने उतरी फाइनल एकादश पहली बार एक साथ खेल रही होती है जबकि आपकी फाइनल एकादश उस से पहले कम से कम दस मैच एक साथ खेलती हुई नज़र आनी चाहिए। अभी भी मौक़ा है और दस के लगभग मैच भारतीय टीम ने विश्व कप से पहले खेलने हैं। आशा करता हूँ कि आज जो खिलाड़ी तैयार हैं, उन्हें ही अगले दस मैच एक साथ अपनी अपनी जगह खिलायें। लेकिन हम तो बस आशा ही कर सकते हैं।
टीम मैनेजमेंट की नीतियों में निरन्तरता की कमी नहीं है अपितु कोई नीति दिखाई ही नहीं पड़ती। इसके बारे में विस्तार से मैं पहले लिख ही चुका हूँ और अभी अभी एक समाचार आया है कि जहाँ हम हार्दिक पण्ड्या को टी ट्वेंटी का कप्तान बनाने के बाद एक दिवसीय का कप्तान भी बनाना चाहते थे, वहीं दूसरी ओर हमने जसप्रीत बुमराह को विश्व कप में उप कप्तान बनाने का निर्णय लिया है।


चलिए, तैयारियों में कमी होने के बावजूद आज के आधार पर हमारी जो बेस्ट एकादश मेरे अनुसार बनती है जिन्हें मैं आगे के दस मैच खेलते देखना चाहूँगा वह इस प्रकार रहेगी।
नंबर 1 पर रोहित शर्मा के अतिरिक्त और कोई नाम नहीं होना चाहिए। शीर्ष पर खेलते हुए उनका अनुभव, योग्यता, फॉर्म और बड़ी पारी खेलने की क्षमता, भारत की ताक़त है। उनकी उम्र के साथ अब उनमें पहले वाली बात नहीं लगती फिर भी बाक़ी टीमों के समक्ष हमारा नंबर एक लगभग बराबर नज़र आता है।

नंबर 2 पर मैं ईशान किशन को खिलाना चाहूँगा। क्योंकि, टीम में एक विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर वह संजू सैमसन से इक्कीस दिखे हैं और के एल राहुल को चोट से वापसी करने के बाद सीधा विश्व कप जैसे रक्तचाप बढ़ाने वाले टूर्नामेंट में मैं नहीं खिलाना चाहूँगा। वह बाक़ी टीमों के ओपनर के अनुपात में कमज़ोर नज़र आते हैं लेकिन लगातार तीन अर्द्धशतक और एक दोहरा शतक उन्हें भारत की बेस्ट चॉइस बनाता है।


नंबर 3 विराट कोहली का है। इस नंबर पर खेल कर उन्होंने विश्व के एक दिवसीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक मैच जितवाये हैं। वह भारत की सबसे बड़ी ताक़त हैं और उन्हें इस नंबर से हटाना मूर्खता के अतिरिक्त कुछ और नहीं हो सकता।


नंबर 4, जिसके ऊपर असमंजस की स्थिति बना रखी है, वहाँ मैं शुभमन गिल को खिलाऊँगा। वह संभल कर खेल सकते हैं, तेज खेल सकते हैं और पारी सम्भाल कर लम्बा भी खेल सकते हैं। एक ओपनर के रूप में उनका एक दिवसीय प्रदर्शन हालिया अच्छा नहीं रहा है और उन्होंने स्वयं भी टेस्ट में नंबर तीन या चार पर खेलने की इच्छा जताई थी। टीम का बैलेंस बेहतर रखने, ओपनिंग जोड़ी का समीकरण अधिक ना बिगाड़ते हुए और एक सदृढ़ नंबर चार के रूप में शुभमन गिल से बेहतर विकल्प फ़िलहाल कोई और नज़र नहीं आता। अगर शुभमन गिल नंबर चार पर खेलते हुए अपनी फॉर्म वापिस पा गये तो नंबर चार की कमज़ोर कड़ी भारत की मज़बूत कड़ी बन सकती है।


नंबर 5 पर टीम मैनेजमेंट ने हार्दिक पाण्ड्या पर अपना विश्वास जताया है और मैं भी उनके साथ ही जाऊँगा। हार्दिक को अपने ऊपर विश्वास रखकर, अपनी योग्यता के अनुसार खेलकर टीम के लिए अपनी उपयोगिता सिद्ध करनी होगी। अगर हार्दिक अपनी क्षमता के अनुरूप बल्लेबाज़ी नहीं करते तो भारत की नंबर 5 पर कमज़ोरी महत्वपूर्ण मैचों में बहुत भारी पड़ेगी।


नंबर 6 पर सूर्य कुमार यादव पर विश्वास रखना सही है। सूर्या के अतिरिक्त कोई और इस जगह पर मैच के अंतिम पंद्रह ओवर्स में ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करके मैच का रुख़ बदलने की क्षमता नहीं रखता। बाक़ी टीमों में इस नंबर पर उनके खिलाड़ी अपने आप को साबित कर चुके हैं पर सूर्या को अभी ख़ुद को एक दिवसीय में साबित करना बाक़ी है। यह भारत की कमजोर रीढ़ का तीसरा मनका है जिसकी मज़बूती भारत के इस पार या उस पार होने का निर्णय करेगी।


नंबर 7 पर रवींद्र जडेजा भारत के मज़बूत स्तंभ हैं और भारत इन पर ना केवल बल्लेबाज़ी बल्कि क्षेत्ररक्षण और गेंदबाज़ी पर भी बहुत निर्भर करेगा। क्योंकि एक दिवसीय मैचों में इनका गेंदबाज़ी प्रदर्शन उतना घटक नहीं रहा है और अगर भारत को तीन तेज गेंदबाज़ खिलाने हैं तो जडेजा को दूसरे स्पिनर की भूमिका बहुत अच्छे से निभानी होगी। गेंदबाज़ी में यह भारत का एक कमज़ोर पक्ष है।


नंबर 8,9,10,11 भारत की पूँछ है जो सब टीमों से शायद सबसे अधिक लम्बी है। कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शम्मी भारत के इस समय बेस्ट गेंदबाज़ी विकल्प हैं।अगर हार्दिक पण्ड्या तीसरे तेज गेंदबाज़ की भूमिका अच्छे से निभा पायें तो मैं आठ नंबर पर अश्विन को खिलाकर सिराज, शमी और बुमराह में से दो को रोटेट करता रहूँगा क्योंकि भारतीय पिचों पर अश्विन से बेहतर ऑफ स्पिनर नहीं है भारत के पास। या फिर जडेजा ही दूसरे स्पिनर का रोल अच्छे से निभा लें तो आठ नंबर पर बल्लेबाज़ी कमज़ोर करके तीन तेज गेंदबाज़ों को खिला सकते हैं। यहाँ हमारी कमज़ोरी हमारे लिए भारी पड़ सकती है क्योंकि जडेजा और हार्दिक दोनों ही दस ओवर विकेट टेकिंग गेंदबाज़ नज़र नहीं आते और ऐसे में हमें कुलदीप, शमी, बुमराह और सिराज के साथ ही जाना होगा।
यह फाइनल एकादश है जिसे अगले दस मैच एक साथ खेलने चाहिए विश्व कप आरम्भ होने से पहले। लेकिन जहाँ तक मुझे लगता है, ऐसा होगा नहीं। प्रयोग जारी रहेंगे, चोटिल खिलाड़ी टीम में वापसी करेंगे और फाइनल एकादश विश्व कप के पहले मैच में ही एक साथ खेलती हुई दिखेगी जो कि ऑस्ट्रेलिया के साथ है। इस मैच में और विश्व कप में अच्छे प्रदर्शन की आशा के साथ अपनी बात समाप्त करता हूँ। जय हिन्द।

अर्शदीप महाजन

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