लाश की कहानी
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…
आपका -विपुल हमने जब पढ़ना सीखा था तो दो यादें हैं सबसे पहली। एक तो दैनिक जागरण का अखबार थोड़े पीले पन्ने में आता था और भोपाल गैस काण्ड की खबर कहीं देखी थी। रविवार, दिनमान माया, कादम्बिनी, नवनीत, सरिता, मुक्ता, साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग और ब्लिट्ज जैसी पत्रिकाएं भी थीं…
आपका -विपुल केवल गम्भीर क्रिकेट प्रेमियों के लिये देखिये आज के एल राहुल पर बात कर ही ली जाये। देखिये, हमें न एजेंडा चलाना है, न ही किसी खिलाड़ी के हम फैन हैं, न ही कोई खिलाड़ी मेरा दुश्मन ही है। न ही मुझे पैसे बनाने हैं किसी का पी…