रवीश कुमार और वर्ल्डकप
प्रस्तुति- राहुल दुबे
नमस्कार!! सतरंगी सलाम ! आपको तो पता ही है कि हमारे अभिनेता जी कहते थे- “क्रिकेट राजा रजवाड़ों का खेल था जिसे इसलिए बढ़ावा दिया गया ताकि छुआछूत को बनाये रखते हुए खेल खेल लिया जाए और किसी को भनक भी न लगे।”
खैर आज यही बात कहने पर हमारे पूज्य गुरुजी को मनुवादियों ने गाली दी।
आप सब तो जानते ही हैं। हम संघर्षों के आदी हैं। कनाडा मामले पर हम इसलिए भी नहीं बोले क्योंकि आदरणीय गुरुजी ने खुद रायता फैला दिया था ।अब हमारी इतनी औकात कहां कि गुरु जी के बीच में आयें।खैर हम वर्ल्ड कप पर आते हैं।हमारे स्ट्राबेरी समाज की मानकर चलें तो वर्ल्ड कप जैसी प्रतियोगिता तो होनी ही नहीं चाहिए। ये वर्ल्ड कप प्रतियोगिता जातिवादी है। पूंछिये कैसे? वो यूं कि इसमें कमजोर लोगों को भगा दिया जाता है।जैसे कि अबकी बार के वर्ल्ड कप में प्रिय ज़िम्बाबर की टीम को हांक देंगे और कोई एक चैंपियन बन जायेगा।चैंपियन मतलब श्रेष्ठ और श्रेष्ठ तो मनुवाद में सिर्फ ब्राह्मण ही है।अब बताइये कि क्यों ब्राह्मणों को श्रेष्ठ मानने के लिए प्रतियोगिता करवानी?
ये तो साधारण सी बात है।मनुवादी BCCI जो इस विश्व कप की मेजबानी कर रहा है, उसमें राजीव शुक्ला वर्षों से एक जगह कब्जाये बैठे हुए है और ये गारंटी है कि ये मनुवादी शुक्ला BCCI वाले वर्ल्ड कप में ब्राह्मणवाद को ही बढ़ायेगा।
एक मुफद्दल वोहरा नामक मनुवादी जिसने कमजोर फरीद खान जो कि देशभक्त प्रिय पाकिस्तानी है उसको ब्लॉक करने की बात सबके सामने खुलकर की ।आखिर क्यों? क्यों एक कमजोर व्यक्ति जो प्रिय पाकिस्तान का निवासी हो उसको Deplatform करने की साजिश रचना? ये सब आपको ठीक लगा क्या?
अबकी वर्ल्ड कप में भारत का कप्तान एक ब्राह्मण है।अब आप बताइये जिन ब्राह्मणों ने आप लोगो को 7 हजार वर्ष तक पानी नहीं पीने दिया उसके नेतृत्व में आपलोग इंडिया के जीतने की आस लगाए हुए हैं? सोच कर ही घिन आती है मुझे।
आप सोचेंगे मैं तो हिंदी/उर्दू के कॉकटेल वाला लेखक हूँ लेकिन मैंने आपके देश का नाम इंडिया क्यों कहा भारत क्यों नहीं ? सोचे होंगे न? पक्का सोचे होंगे!इतना मोदी जी के ख़िलाफ सोचे होते तो युवाओं की जान राहुल गांधी आज भारत के प्रधानमंत्री होते।
अभी वर्ल्डकप पर ही रहते हैं।
आप बताइए कि समाजवाद की विचारधारा क्या है? सबको समान मानने की है न ? मैं भी यही कहता हूँ और हमारे अभिनेता जी भी यही कहते थे।
फिर ये क्रिकेट नामक खेल का वर्ल्ड कप क्यों? जिसमें एक हारे और दूसरा जीते? ये असमानता क्यों फैलाई जा रही है? क्या इसी दिन के लिए आपने मोदी को प्रधानमंत्री बनाया था? अब आप सोचेंगे कि ये वर्ल्डकप तो 2011 में भी भारत में हुआ था तब तो मैंने कुछ कहा ही नहीं था ,तो बात ऐसी है कि वो वर्ल्डकप प्रिय पाक के लिए रिसेप्शन था ।26/11 के बाद भारत के सब देशभक्त लोग कसाब से गुस्साने के बजाय पाकिस्तान से गुस्सा गए थे तो उस गुस्से को कम करने के लिए पाकिस्तान का खेलने आना जरूरी था। लेकिन वहां भी मनुवादी BCCI ने धोखा कर दिया था, हम उदारवादी लोगों के साथ।क्या आवश्यकता थी पाकिस्तान को सेमीफाइनल में हरवाने की?
फाइनल तो बनता था न पाकिस्तान का! उस धोखे के बाद क्रिकेट और BCCI से मेरा भरोसा ही उठ गया था।
सुना है इस वर्ल्डकप से भारत 13 हजार करोड़ कमाएगा।ये क्या पूंजीवाद है?आपको अच्छा लगा? लगा ही होगा।मेरे लाख समझाने के बाद भी आपको समझ नहीं आया कि पैसा सबके पास नहीं होना चाहिए। पैसा मेरे जैसे तर्कशक्ति वाले बुद्धिमान ,ओजस्वी , करिश्माई व्यक्तित्व वाले यूट्यूबर पत्रकार के पास होना चाहिये,और जब आपको जरूरत हो तो आप हम से मांग लें।देखिए गांधी जी भी यही चाहते थे लेकिन आपलोग समझ नहीं रहे हैं।स्ट्राबेरी समाजवाद को तो आपलोग बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
ऐसे आप मेरे को खूब सुनते हैं,खूब याद करते हैं। लेकिन वर्ल्डकप के लिए टिकट बुक करते हुए मुझे कितना याद किया आपने?
उस बेचारे शुभ को याद किया और उसकी मां बहन को भी याद किया। कितना अच्छा गीत गाया था “समाजवादी मेरी जान रवीश जी मेरी पहचान” लेकिन जलन के मारे मोदी ने उसके प्रोग्राम को ही कैंसिल करवा दिया।
उस बेचारे टोंटी सही करने वाले निज्जर को याद किया आपने? क्यों करेंगे?अब आप सोच रहें होंगे मैं तो वर्ल्डकप का विरोधी हूँ तो सुनिए अब जब वर्ल्डकप हो ही रहा है, तो मैं क्यों न वहां जाकर देखूं कि समाजवाद, वामपंथ के कितने नियमों को वहाँ तोड़ा जा रहा है।लेकिन आपने मुझे टिकट ही नहीं दिलवाये एक भी मैच के,13 हजार करोड़ क्या खाक दिलवाएंगे। हे हे हे।
चलो वर्ल्डकप तो होगा ही होगा ।लेकिन मैंने सुना बिल्लिमरान में एक भी मैच नहीं हो रहा है।
क्या ये मेरे अजीज भाई अजीत का अपमान नहीं है?
आप कहेंगे वहां स्टेडियम ही नहीं है ,तो क्या हुआ भाई?स्टेडियम बनवाकर मैच होता जिससे मेरा भाई पकौड़े बेचकर 4 रुपये कमा लेता लेकिन मीडिया की आवाज भी तो दबानी है मोदी को। यह तो फिर भी सह लूं पर सुना है कि नवयुग के अवतरित क्रांतिकारी चंद्रशेखर रावण के गांव में भी मैच नहीं हो रहा है।ये तो असहनीय है।ये तो मनुवादियों ने हद ही कर दी। लेकिन आपको क्या फर्क पड़ता है?
खैर अब जब वर्ल्डकप हो रहा है तो हो ही रहा है।लेकिन मेरी कुछ मांगें हैं बीसीसीआई और भारत सरकार से। हाँ मुझे मालूम है कि इन मांगो का बीसीसीआई वही करेगी जो आजकल अज्ञात लोग पाकिस्तान, कनाडा में कर रहें हैं।
लेकिन “बोलना तो है ही”
तो मेरी मांगें यूं हैं-
1. वर्ल्डकप में दर्शकों में जाति आधारित आरक्षण हो- SC/ST वर्ग से आने वाले दर्शकों को बेटिकट भी मैच का लुत्फ लेने दिया जाये।
टिकटधारी SC/ST, सतरंगी दर्शकों को Hospitality Box में बैठाया जाए।
2. किसी भी मैच के शुरू होने के पहले LGBTQ+ एंथम जो ट्रेड्यू के नेतृत्व में गुरपतवंत प्लम्बर ने गाया है वो बजाया जाए। पाकिस्तान और बांग्लादेश के मैचों में ये सुविधा ना हो, बेचारे गरीब मुल्क हैं। क्या परेशान करना उनको।
3. दक्षिण अफ्रीका की टीम में कम से कम 7 अश्वेत खिलाड़ी खेलें , 2 विशेष मजहब वाले खेलें और 2 श्वेत जिसमें एक 2SLGBTQ+ वाला होना चाहिए।
4. भारतीय टीम में 8 खिलाडी आरक्षित हों जिसमें 3 SC/ST खिलाड़ी हों, 1 मेरे परिवार से , 1 यासीन मलिक भाई की पसन्द का, 1 OBC, 1 सूर्यकुमार यादव और 1 चीन का खिलाड़ी आखिर bancho उन्हें भी तो सीखना है और बाकी तीन स्थानों पर कोई भी क्रिकेटर चलेंगे।
5. यदि कोई असाधारण वर्ग का खिलाड़ी जैसे अश्वेत, 2SLGBTQ+ , शांतिप्रिय समुदाय , SC/ST ,वामपंथी कुछ करें तो उसका डबल माना जाए
यदि इनमें से किसी ने 6 रन मारे तो उसे 12 माना जाए।
6. इन विशेष खिलाड़ियों को आउट सिर्फ इनके समाज के लोग ही कर सकते हैं। कोई और करें तो उस पर मुकदमा मेरी कोर्ट में चले।
7. ये विशेष खिलाडी सिर्फ अपने मन से ही मैच हारेंगे यदि वे हारे हुए मैच में भी कह दें कि नहीं हम हारे नहीं जीते हैं तो जीत उनकी ही मान ली जायेगी।ये विशेष खिलाड़ी विपक्षी टीम से गठबंधन भी कर सकते हैं।
8. वर्ल्डकप के दौरान विशेष वर्ग के लोगों का विशेष ध्यान रखा जाए – जैसे उन्हें उच्चतम गुणवत्ता का भोजन दिया जाए, विराट कोहली जो पानी पीता है वहीं उन्हें भी मिले। उन्हें कम से कम 1 लाख रुपये वाली शराब परोसी जाए।
9. सवर्णों ने 7 हजार वर्ष तक विशेष वर्ग के एक हिस्से को पानी नहीं पीने दिया है इसलिए उन्हें मैच के दौरान कोड़ों से मारा जाए।
10. इस वर्ल्डकप का नाम बाबा बीम सरिया समाजवादी प्रतियोगिता हो।
11. गेंद सफेद नहीं नीली हो। विजेता टीम को नीली ट्रॉफी मिले।
12. बाबा बीम सरिया समाजवादी प्रतियोगिता का एंथम सांग “लाखो हैं दीवाने तेरे हो” ।
मैं बस इन्ही मांगों के माने जाने पर इस वर्ल्डकप के आयोजन में अपनी सहमति दे सकता हूँ वरना मैं हिंडनबर्ग से बोल के हिंडन नदी के सहायता से सारे स्टेडिम्स में बीम क्यूसेक पानी भरवा दूंगा ।
बस आप सब से गुजारिश है आप इन 12 शर्तों का प्रचार करिए । और जिंदगी का मजा लीजिये।
और हां विश्वकप को हर जगह वर्ल्डकप इसलिये लिखा है क्योंकि मैं किसी पर हिंदी इंपोज नहीं करना चाहता। बेंगलुरु में भी तो मेरा फ्लैट है न।
स्टॉप हिंदी इंपोजिशन।
हे हे हे।
सबको लाल सलाम।।
राहुल दुबे।।
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इतना ब्राह्मणवाद का की ये लेख भी एक बाभन लिखा है साइट भी बाभन की और ये कॉमेंट भी बाभन कर रहा है🐼🏏
शानदार मेरे भाई गजब का व्यंग्य किया है😅