आपका -विपुल
केवल गम्भीर क्रिकेट प्रेमियों के लिये
देखिये आज के एल राहुल पर बात कर ही ली जाये। देखिये, हमें न एजेंडा चलाना है, न ही किसी खिलाड़ी के हम फैन हैं, न ही कोई खिलाड़ी मेरा दुश्मन ही है। न ही मुझे पैसे बनाने हैं किसी का पी आर करके।बात साफ सुथरी ही की जाएगी।
वेंकटेश प्रसाद और आकाश चोपड़ा की सारी लड़ाई में एक टेस्ट ओपनर के नाम का जिक्र लगभग नहीं ही हुआ। वो नाम पृथ्वी शॉ का है।
5 टेस्ट जिसमें 3 विदेश में।
1 शतक 1 अर्धशतक भारत में।
विदेश में 1 अर्धशतक वो भी न्यूजीलैंड में।
42 का एवरेज और 86 का स्ट्राइक रेट।
36 आल आउट टीम में शॉ भी था और मुझे लगता है उस 36 आल आउट का नुकसान अगर पूरी भारतीय टीम में किसी एक को उठाना पड़ा तो वो पृथ्वी शॉ ही है, बेचारा दोबारा कभी टेस्ट नहीं खेल पाया। उसके पहले के पिछ्ले आस्ट्रेलिया दौरे पर भी वो प्रैक्टिस मैच में चोट लगने से बाहर हुआ था और राहुल की एंट्री 2018 की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में हो गई थी।
पृथ्वी शॉ के बारे में काफी खबरें उड़ाई गई कि उसमें बहुत गंदी आदतें हैं। कौन सी गंदी आदतें ? ये कोई नहीं बताता। हां ये गंदी आदतें शायद दिल्ली की आईपीएल टीम और मुंबई रणजी टीम के प्रबंधकों को नहीं पता, वहां तो शॉ खेलता ही है।
और मैं ये भी नहीं जानता कि पृथ्वी शा जो लगातार अपने क्रिकेट प्रदर्शन से सुर्खियों में था के अचानक एक इंस्टाग्राम मॉडल के गैंग के साथ झगड़े में सुर्खियों में आने का क्या कारण हो सकता है,
खैर!बात क्रिकेट पर ही रखते हैं।
राहुल निसंदेह एक बेहतरीन प्लेयर है। आस्ट्रेलिया में अपने दूसरे टेस्ट में ही शतक लगाया था और वेस्टइंडीज में एक लाजवाब टी 20 शतक ।
पर गौर करें, इन दोनों ही जगह राहुल बतौर ओपनर नहीं खेले थे।
मध्यक्रम में खेले थे।
उस आस्ट्रेलिया दौरे पर बॉलीवुड से घनिष्ठ संबंध रखने वाले रवि शास्त्री मैनेजर थे और विराट कोहली कप्तान बने थे। राहुल दोनों के घनिष्ठ बने।
विजय धवन की जोड़ी तब टेस्ट मैचों में ठीक ठाक ओपनिंग कर रही थी और राहुल को तीसरे ओपनर के तौर पर घुसाने के लिये कोहली का हर टेस्ट में प्लेइंग 11 बदलने का टोटका सहारा बन गया।
2016 में राहुल ने वेस्टइंडीज में टेस्ट और टी 20 शतक जड़े।
विजय जमे रहे पर धवन को खतरा बढ़ गया।
2016 के भारत के होम सीजन में विजय और पुजारा अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे।धवन न्यूजीलैंड के खिलाफ़ 3 में से 1 ही टेस्ट खेले, असफल रहे। राहुल भी 1 ही टेस्ट खेले । विजय तीनों टेस्ट खेले।दो पचास।
गम्भीर एक टेस्ट खेले ,1 पचासा।
इंग्लैंड के खिलाफ़ 5 टेस्ट मैचों में विजय 4 खेले। गम्भीर 1। धवन एक भी नहीं।राहुल 2 मैच खेले।
जिस अंतिम टेस्ट मैच में करुण नायर ने 303 बनाए थे,राहुल ने 199 बनाए थे।
बार्डर गावस्कर ट्रॉफी 2017 में भारत में राहुल ने 4 टेस्ट मैचों में 6 अर्धशतक मारे थे।धवन एक भी टेस्ट मैच नहीं खेले।3 टेस्ट मैच विजय खेले,1 अभिनव मुकुंद ओपनर के तौर पर।
2016 में धवन ने उस टेस्ट मैच में 84 बनाए थे, जिसमे राहुल ने शतक मारा था, पर भारतीय पिचों पर विजय को धवन से अच्छा बल्लेबाज माना जाता था, और राहुल नए सितारे माने ही जा रहे थे।इसलिए भारतीय होम सीजन में राहुल को धवन पर प्राथमिकता मिली थी।
पर फिर भारत के विदेशी दौरे शुरू हो गये।
दक्षिण अफ्रीका में पहले टेस्ट में धवन और विजय ओपनर थे।
विजय के स्कोर 1 और 13 थे,धवन के 16 16। भारत मैच हारा और धवन की बलि राहुल के लिये चढ़ा दी गई। जिनके दक्षिण अफ्रीका चार पारियों में स्कोर 10,4,0,16 रहे।
विजय के एक 46 और एक 25 तो थे कम से कम।
इंग्लैंड में दसवीं पारी में 149 बनाने के पहले पूरी सीरीज में राहुल के स्कोर 4,13,8,10,23,36,19,0, 37 थे।
जहां विजय को मात्र 4 पारियां मिली थीं, जिनमें उनके स्कोर 20,6,0,0 थे और धवन के 8 पारियों में 26,13,35,44,23,17, 3और 1 थे ।
और दौरे की अपनी अंतिम दसवीं पारी में भी राहुल का शतक मैच जिताऊ नहीं था। पंत का भी शतक लगा था उस मैच में। पर भारत हारा था।
2018 की आस्ट्रेलिया दौरे पर राहुल 3 मैच खेले और यहां उनका सर्वश्रेष्ठ 44 था। पर्थ में 0 और 2 थे, एडीलेड में 2 और 44 और अंतिम टेस्ट में 9।
वहीं एक टेस्ट में हनुमा विहारी ने ओपनिंग की थी।
मयंक ने 4 पारियों में 2 अर्धशतक मारे थे।
विजय के चार पारियों में स्कोर 11,18,0 और 20 थे। और अब तक राहुल के टेस्ट ओपनिंग में एक प्रतिद्वंदी शिखर धवन को बड़ी चतुराई से टेस्ट मैचों के सीन से हटाकर एकदिवसीय स्पेशलिस्ट बनाया जा चुका था।
बिल्कुल भुवनेश्वर कुमार जैसे।
धवन के अंतिम 9 टेस्ट स्कोर थे।
11 ,3, 77, 23, 44, 35, 13, 26 और 107।
राहुल के पक्ष में दलीलें देने वाले एक भी शख्स को मैंने वही पैमाना धवन लिए अपनाता नहीं देखा। जिसका 34 टेस्ट के 3बाद भी 40 का एवरेज था।
विजय तो खैर बिलकुल लय में नहीं ही दिख रहे थे ।ढेर सारा रणजी अनुभव रखने वाले मयंक अग्रवाल भारतीय पिचों पर स्पिन खेलने में महारत रखते थे और अच्छे ओपनर साबित हुये। घर में दो दोहरे टेस्ट शतक भी लगाये।
धूमकेतु की तरह पृथ्वी शॉ भी उभरे थे। जिन्होंने डेब्यू मैच में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ़ शतक मार दिया था।उनके साथी ओपनर के एल राहुल थे जिन्होंने इस मैच में शून्य बनाया था।
पृथ्वी शॉ राहुल का नया प्रतिद्वंदी बन के उभरा था।
शॉ के अगले स्कोर थे 70, 33, 16,14, 54,14 और एडिलेड में 36 आल आउट वाले टेस्ट मैच में 0 और 4 ।
उस 36 आल आल आउट का पूरा दोषारोपण पृथ्वी शॉ पर डाल दिया गया। फिर न खिलाया गया, न उसकी चर्चा होती।
राहुल वाले पैमाने उसके लिए क्यों नहीं भाई?
मात्र 5 टेस्ट में 1 शतक 2 अर्धशतक,86 स्ट्राइक रेट,
मजाक है?
और ये गंदी आदतों वाली कहानी किसी और को सुनाना।
के एल राहुल को तो बीसीसीआई ने बैन किया था। कॉफी विद करण का वो एपिसोड याद है?
मयंक अग्रवाल का घरेलू औसत 70 है। स्पिन खेलने में मास्टर है। जिस मैच में एजाज पटेल ने एक पारी में सभी 10 विकेट लिए थे, उसमें उसके 150 थे।
घरेलू पिचों पर उसको नजरंदाज करके राहुल को खिला रहे हैं क्योंकि राहुल का विदेशों में एवरेज अच्छा है।
हद हो गई मजाक की।
रोहित शर्मा बेहतरीन ओपनर बन के उभरे हैं। टेस्ट टीम में उनके स्थान को कोई खतरा नहीं। कप्तान भी हैं। पिछ्ले 5 सालो के विश्व भर 10 बेहतरीन टेस्ट ओपनर्स में रोहित नंबर 1पर हैं, लेकिन मयंक भी सातवें नंबर पर हैं।
राहुल कहीं नहीं हैं ।
रविचंद्रन अश्विन पिछ्ले 10 साल का सबसे बड़ा मैच विनर है। रवींद्र जडेजा 2500 रन और 250 विकेट का डबल लिए है।
25 से कम की गेंदबाजी और 35 से अधिक की बल्लेबाज़ी एवरेज है। चेतेश्वर पुजारा 100 टेस्ट खेल 7000 रन बना चुका है। पर इनमें से किसी को अगर बीसीसीआई टेस्ट में उपकप्तान बनाने के काबिल नहीं समझती और बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2023 के लिये राहुल को उपकप्तान बनाती है तो सीधा मतलब ये है कि वो के एल राहुल की जगह प्लेइंग 11 में सुनिश्चित करना चाहते थे, गिल की कीमत पर।
गिल का भले ही टेस्ट में मात्र 13 टेस्ट में 32 का एवरेज हो पर एक ओपनर के तौर पर गाबा में जो गिल ने किया था , वो बहुत आला दर्जे का था। ऊपर से गिल के पिछ्ले स्कोर 7,20,110,20 हैं।
पिछले ही सीरीज में, मात्र 2 पारी पहले टेस्ट शतक बनाया था गिल ने। उस सीरीज में राहुल कप्तान थे और बुरी तरह फ्लाप थे। और गिल फिर हाल में ही टी 20 और वनडे में शतक लगाकर फार्म में भी था। पर राहुल के लिए गिल को कुर्बान किया गया।
ये सही है कि राहुल ने इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में 1 1 शतक लगाया है और अच्छा खेला था पर राहुल को भारतीय पिचों पर मयंक और गिल के आगे खिलाने का तुक नहीं था।विदेशी पिचों पर ठीक था।और यहां उसने कुछ खास किया भी नहीं।
और अंत में एक खास बात।
जो लोग विराट की राहुल से तुलना कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिये, विराट एक मैच विनर है।
मैच विनर वो खिलाड़ी होते हैं जो सीरीज में 5 में से भले 1 मैच में चलें, पर वो मैच अपने दम पर जिताते हैं।
जैसे टेस्ट में सहवाग थे लक्ष्मण थे,सचिन थे।
वनडे में गांगुली और युवराज थे।
मैच विनर खिलाड़ियों का एवरेज जरूरी नहीं है कि बहुत अच्छा हो। पर टीम उन्हें बैक करती थी।
राहुल इंपैक्ट प्लेयर भी नहीं हैं।
इंपैक्ट प्लेयर मतलब वो प्लेयर जिसके बनाए रन या विकेट जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
जैसे हालिया हुये टेस्ट में अक्षर पटेल का अर्धशतक और अश्विन के 37 रन।
के एल राहुल की काबिलियत आप देख ही सकते हैं। कुंबले और गम्भीर, दोनों के ही राहुल के मित्र कोहली के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं पर राहुल दोनों के साथ काम कर चुके हैं आईपीएल में।
और हां, बेचारे अभिनव मुकुंद को एक टेस्ट के बाद दूसरे टेस्ट में ओपनिंग का मौका ही नहीं मिला।
अब आकाश चोपड़ा सबके लिये एजेंडा तो नहीं चला सकते न!
🙏🙏🙏🙏
आपका -विपुल
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