इस बार तो ई साला कप नामदे
विजयंत खत्री
साल था 2007 का और मैं कक्षा 8 मे पढ़ता था।उस समय की दुनिया अलग ही थी ना मेरे पास स्मार्ट फोन था और ना ही इन्टरनेट इतना सस्ता था।
5-G तो क्य़ा लोग 2-G किस चिड़िया का नाम है ये भी नहीं जानते थे। इन्टरनेट अगर था तो बहुत कम जगह था। हमारे गाँव मे तो बिल्कुल नहीं था। आधा गाँव खुले मे शौच करता था। माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी ज़ी को बहुत कम लोग जानते थे।अरविंद केजरीवाल नामक प्रजाति के राजनीतिज्ञ इस देश मे नही पाये जाते थे।पेट्रोल 35 रुपये लीटर मिलता था। देश मे आतंकवाद चरम पर था।मुंबई पर आतंकी हमला एक साल बाद हुआ था।फेसबुक, ट्विटर या सोशल मीडिया नाम किस चिड़िया का है ये मेरे गांव में कोई नहीं जानता था। ओसामा बिन लादेन अभी तक अमेरिका की पकड़ मे नही आया था।राहुल गाँधी को भविष्य का प्रधानमंत्री मानने वाले लोगों की देश मे संख्या बहुत ज्यादा ही थी। यूपीए सरकार का पहला कार्यकाल था। मनमोहन सिंह जी बिलकुल चुपचाप अपनी सरकार चला रहे थे।
मेरे पास भी स्कूल जाने के लिए साइकिल नहीं थी। मैं और मेरे कुछ साथी पैदल 3 किलोमीटर चलकर स्कूल जाते थे।
पहला आईपीएल 2008 में भारत में आयोजित हुआ था।तब आजके मुकाबले दुनिया एक दम मध्ययुगीन लगती थी।
फिर समय का चक्र बदला।आज 2024 है।मेरा मन नौकरी करते करते थक गया है।रिटायर होने का मन करता है, कभी कभी सन्यासी बनने का भी मन करता है।
आज हर आदमी के पास एक की जगह 2-2 स्मार्टफोन, लैपटॉप, एंड्रॉयड टीवी हैं।5-G नेटवर्क भारत के हर कोने कोने तक पहुंच चुका है।आज हमारे गाँव मे भी हर घर मे एक छोड़ो , दो दो तीन तीन तक शौचालय हैं।
माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी ज़ी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की तैयारी मे हैं।अरविंद केजरीवाल जेल जाने से पहले एक वातानुकूलित कमरा तिहाड़ मे तैयार करा रहे हैं।
पेट्रोल 100 रुपये लीटर पहुंच चुका है।
कश्मीर की इस्लामिक आतंकवाद समस्या भी पहले के मुकाबले बहुत कम हो चुकी है।
ओसामा बिन लादेन के पोते भी अब 72 हूरों के पास जाने लगे हैं।
ट्विटर अब एक्स हो गया है और फेसबुक मेटा।ए आई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वगैरह का ज़माना आ चुका है।कैंसर का इलाज मिल गया है।मानव जैसे रोबोट बन रहे हैं।
भारत चांद और मंगल ग्रह पर अपने उपग्रह रॉकेट भेज रहा है।याहू मैसेंजर और ऑरकुट को समाप्त हुये भी लंबा अरसा हो गया है।
मैं भी ट्रेन और हवाई जहाज को छोड़कर लगभग हर प्रकार का वाहन चला चुका हूँ।
आईपीएल का सत्रहवां सीजन चालू होने वाला है।
महिला आईपीएल भी होने लगा है।तीसरा विश्वयुद्ध बस होने को ही है।अगर परमाणु बम चले तो दुनिया का अंत भी नजदीक ही है।
पर इतने साल हो गये, मेरे देखे देखे इतना सब कुछ बदल गया लेकिन ये आरसीबी इतने सालों में एक बार भी कभी आईपीएल का खिताब नहीं जीत पाई है।
ई साला कप नामदे करते करते पीढ़ियां गुजर गईं।बच्चे जवान हो गये और जवान अधेड़।पहला आईपीएल शुरू होने के साल जिनकी शादी भी न हुई थी,उनके बच्चे हाईस्कूल में पहुंच गये, जिनके बच्चे आईपीएल शुरू होने के साल स्कूल में थे,उनके बच्चे नौकरी करने लगे। रंगीन टेलीविजन से स्मार्ट टीवी और गूगल टीवी का जमाना आ गया, सिनेमा हॉल में जाने वालों के लिये नेटफ्लिक्स और एमेजॉन जैसे ओटीटी प्लेटफार्म आ गये और मनमोहन सिंह सुषमा स्वराज और लालकृष्ण आडवाणी की जगह नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं को टीवी पर ज्यादा दिखाया जाने लगा पर आरसीबी एक बार भी आईपीएल खिताब न जीत पाई।
भाई कब आईपीएल जीतोगे आरसीबी वालों?
अब तो महिला आरसीबी टीम ने भी अपना एक आईपीएल खिताब जीत लिया।
अब तो इस दुःख का अंत कर दो।
मेरे जैसे आरसीबी के प्रशंसक जिल्लत भरा बुढ़ापा जी रहे हैं।
पहले सीजन के आरसीबी फैन पोता पोती वाले होने वाले हैं,
कुछ तो शर्म कर लो।
इस बार तो ई साला कप नामदे।
विजयंत खत्री
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प्रशंसकों का दुःख अच्छे और व्यंग्यात्मक शैली मे।फैनीज्म गम्भीरता लिये है पर गुस्सा हास्य में परिवर्तित होता प्रतीत होता है ।