Spread the love

आपका -विपुल

इंपैक्ट प्लेयर्स

इंपैक्ट प्लेयर्स पर कुछ लिखना चाहता था। इंपैक्ट प्लेयर्स मतलब ऐसे खिलाड़ी जो जरूरी नहीं कि मैच विनर हों पर ऐसे खिलाड़ी जिनके बनाए गए रन या लिए गए विकेट भले ज्यादा न हों, पर मौके पर हों और जीत हार में अहम फ़र्क पैदा कर दें। शुरू करें?

रॉबिन सिंह

तो बात रॉबिन सिंह से शुरू करते हैं।
जरा गौर करें, आप इनको अपनी टीम में खिलाना चाहेंगे क्या?
35 साल की उमर
136 वनडे में 25 का बैटिंग औसत और 43 का गेंदबाजी औसत ?
मुझे लगता है, इनका एवरेज देखकर न तो आप इन्हें बल्लेबाज के तौर पर, न ही गेंदबाज के तौर पर अपनी टीम में खिलाना चाहेंगे
और उम्र भी तो एक बड़ा फैक्टर है।
है ना?
पर जरा ठहरिये!
1996 से 2001 तक रॉबिन सिंह उस भारतीय एकदिवसीय टीम का अटूट हिस्सा थे जिसमें सचिन, द्रविड़, गांगुली, अजहर, श्रीनाथ, प्रसाद, कुंबले जैसे दिग्गज खेलते थे।
वजह? एक तो रॉबिन सिंह गजब के फील्डर थे। दूसरे मल्टी यूटिलिटी प्लेयर थे।

इनके बहुत कम मैच ऐसे हैं जिसमें इनके रन या विकेट उपयोगी नहीं रहे।
रॉबिन सिंह ने 136 वनडे मैचों में 25.95 के औसत और 74.30 के स्ट्राइक रेट से 2336 रन बनाये हैं।और 43.26 के स्ट्राइक रेट और 4.79 की इकोनामी से 69 विकेट भी लिये हैं।
अगर आप रॉबिन सिंह का योगदान भारतीय क्रिकेट में नहीं जानते तो आप सच्चे भारतीय क्रिकेट फैन नहीं हैं।

डेमियन फ्लेमिंग

इंपैक्ट प्लेयर्स की सूची में मेरा दूसरा नाम आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग का रहेगा जो ब्रेट ली और गिलेस्पी के पहले पॉल रिफिल और ग्लेन मैकग्राथ के साथ आस्ट्रेलिया का पेस अटैक संभालते थे।
1996 विश्वकप सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ़ और 1999 विश्वकप सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ अंतिम ओवर फेंकने की जिम्मेदारी संभालने के काबिल समझे गये फ्लेमिंग ने दोनों बार अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाया।
88 वनडे मैच 25.38 औसत,4.41 इकोनॉमी
134 विकेट।

जोंटी रोड्स

और फिर दक्षिण अफ्रीका के धुरंधर जोंटी रोड्स की बात किये बिना मुझसे आगे बढ़ने के लिये मत कहें।
रोड्स का 52 टेस्ट मैचों और 245 वनडे में 35 का बल्लेबाज़ी औसत है।
गेंदबाजी ये करते नहीं थे।
स्ट्राइक रेट वनडे में 80 और टेस्ट में 45 था,पर ये केवल बल्लेबाज़ी के लिये टीम में नहीं रहते थे
रोड्स अपनी चीते जैसी चपल फील्डिंग के लिये विख्यात नहीं कुख्यात थे। इनके बराबर के और इनसे अच्छे फील्डर भी कई आये गये पर जोंटी भाई का भौकाल गजब ही था।
लोग इनके अगल बगल गेंद जाने पर रन लेने की सोचते भी नहीं थे।
ये अपनी फील्डिंग से मैच पर ऐसा इंपैक्ट डालते थे कि जिसकी मिसाल मुश्किल से मिलती है।

रोमेश कालुवितरणा

फिर एक नाम श्रीलंका के विकेटकीपर बल्लेबाज रोमेश कालुवितरणा का भी जेहन में आता है।
189 वनडे में 22 का औसत 77.70 का स्ट्राइक रेट आपको नहीं दर्शाता कि 90 की श्रीलंका की मजबूत एकदिवसीय टीम की मजबूती इनकी ओपनिंग पर कितनी निर्भर थी। इनका 96 की श्रीलंका टीम की विजयों में गजब इंपैक्ट रहा था।

क्रिस हैरिस

न्यूजीलैंड का क्रिस हैरिस भी तो था। फ्लेमिंग, विटोरी,एस्टल,मैकमिलन और कैयरंस की टीम में लंबे रन अप से धीमी गेंद फेंकने वाला मध्यम गति का दायें हाथ का गेंदबाज, जो बाएं हाथ का बल्लेबाज भी था।
250 वनडे में 29 का बल्लेबाज़ी औसत और 37 का गेंदबाजी औसत रखने वाले हैरिस का इंपैक्ट 90 की न्यूजीलैंड टीम की विजय में बहुत रहा।

अब्दुल रज्जाक

पाकिस्तान का अब्दुल रज्जाक ऐसा खिलाड़ी था जो वसीम,वकार और शोएब जैसे गेंदबाजों से गेंदबाजी में और इंजमाम,अनवर जैसे बल्लेबाजों से बल्लेबाज़ी में होड़ लगाता था।
265 वनडे में 29 बैटिंग और 31 का गेंदबाजी औसत रखने वाला रज्जाक एक इंपैक्टफुल प्लेयर रहा।
46 टेस्ट 28 बैटिंग 36 बॉलिंग औसत।

फिल सिमंस

वेस्टइंडीज का फिल सिमंस बहुतोंको अब याद नहीं होगा। मध्य क्रम के बल्लेबाज और मध्यम तेज गेंदबाज फिल सिमंस का वेस्टइंडीज की शुरू 90 की एकदिवसीय विजयोंं में बहुत बड़ा इंपैक्ट रहा है।
143 वनडे 28 का बैटिंग,34 का गेंदबाजी औसत।26 टेस्ट में 1000 रन और 4 विकेट।
इनके नाम एक समय वनडे की सबसे किफायती गेंदबाजी स्पेल का रिकॉर्ड रहा है।

ग्रांट फ्लावर

और लगे हाथों ग्रांट फ्लावर की बात भी कर ही ली जाए। टीम की जरूरत के अनुसार कभी ओपनिंग में और कभी मध्य क्रम में खेलने वाले दाएं हाथ के बल्लेबाज ग्रांट फ्लावर बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी भी करते थे और अपने समय के सर्वश्रेष्ठ फील्डर्स में से एक थे।
221 वनडे में 33 का बल्लेबाज़ी औसत और 104 विकेट।
67 टेस्ट में 29 का बल्लेबाज़ी औसत और 25 विकेट।
ग्रांट फ्लावर अपने भाई महान बल्लेबाज विकेटकीपर एंडी फ्लावर की बड़ी परछाईं में छुप जाते थे, पर इनका इंपैक्ट 90 की जिम्बावे के तत्कालीन अच्छे प्रदर्शन पर बहुत रहा।

एश्ले जाइल्स

और अंतिम नाम इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर एश्ले जाइल्स का।
90 और शुरुआती 2000 दशक की इंग्लैंड की टेस्ट और वनडे टीम बहुत कमजोर थी पर एश्ले जाइल्स इसका महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
इनके 54 टेस्ट में 40 औसत से 143 विकेट और 62 वनडे में 37 औसत से 55 विकेट इनका तत्कालीन इंग्लैंड क्रिकेट पर असली इंपैक्ट प्रदर्शित नहीं करते।
2005 की एशेज जीत में जाइल्स भी शामिल थे।


समाप्त
🙏🙏🙏

आपका -विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *