हिंदू हितैषी मोदी सरकार
साकेत अग्रवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार को लगभग साढ़े नौ वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और इन वर्षों में मोदी जी व भाजपा ने चुनावी राजनीति के लिए जितना परिश्रम किया, विचारधारा के मुद्दे पर उतने ही अकर्मण्य बने रहे, उदासीन बने रहे। धारा 370 को हटाने के अतिरिक्त मोदी सरकार वैचारिक मुद्दों पर कुछ खास करती दिखी नहीं।
किसी भी आरोप के आरोपियों को न्यायपालिका से दंड न दिला पाना मोदी सरकार की असफलताओं में से एक है। कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान, शरजील इमाम और डिजिटल जेहादी जुबैर, मोदी सरकार की अकर्मण्यता के जीते जागते उदाहरण हैं।
किसी भी मुद्दे पर हंगामा करने के बाद उस पर कोई ठोस कठोर कदम आज तक नहीं उठाए गए। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं समान नागरिक संहिता का मुद्दा जोर शोर से उठाते हैं लेकिन इस पर कुछ भी ठोस करते हुए मोदी सरकार दिखाई नहीं पड़ती। अगर ये सरकार का कोई मास्टरस्ट्रोक है तो बड़ी निराशा से कहना होगा कि ये तथाकथित मास्टरस्ट्रोक बैकफायर कर गया है।
हरियाणा और केंद्र में सरकार होने के बाद भी आप, दामाद जी का कुछ नहीं कर पाए ?(या शायद कुछ करना ही नहीं चाहते?)। टुकड़े टुकड़े गैंग पर हंगामा मचाने के बाद आजतक एक को भी सजा नहीं दिला पाए। टीवी पर बैठकर दिन भर गऊ माता-गऊ माता का जाप करने के बाद भी गऊ रक्षा पर कानून नहीं बना पाए।
जेहादियों के डर से कश्मीर के समान ही हिंदुओं के पलायन की खबरें विभिन्न राज्यों से आईं लेकिन न तो आपने और न ही आपकी पार्टी की प्रदेश सरकारों इन घटनाओं पर एक्शन लिया।
फरवरी 2020 में दिल्ली में तो आपने हिंदुओं को जेहादियों के सामने मरने के लिए ही छोड़ दिया।
मुंगेर (बिहार) में पुलिस की गोली से मारे गए अनुराग पोद्दार पर आप चुप रहे और ठीक उसी समय आपकी पार्टी बिहार में सत्ता के मजे लूटती रही। शबाना आजमी को आईं कुछ खरोंचों पर आपकी चीखें निकल गई लेकिन कन्हैयालाल की नृशंस हत्या का दुख न तो आपको हुआ और न ही आपकी पार्टी को।
पालघर में मारे गए साधु आपको शायद ही याद हों।
लव जेहाद के सहारे चल रहा धर्मांतरण का कुचक्र, लव जेहाद के कारण बर्बाद होता हिंदू लड़कियों की जीवन आपको दिखाई नहीं देता। 9 वर्षों में आप लव जेहाद के विरुद्ध कोई कानून नहीं बना पाए।
गौरक्षको को गुंडा बताने में आप एक पल नहीं हिचके लेकिन लव जेहाद पर, लव जेहादियों पर आपने मौन साध लिया।
मत बोलिए… बिलकुल भी मत बोलिए, आपको बोलने के लिए चुना भी नहीं गया है आपको तो इन मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए चुना गया है लेकिन बहुत ही दुख की बात है कि इन मुद्दों पर आपने कार्रवाई करने का सोचा ही नहीं…. आप बस इन मुद्दों का चुनावी प्रयोग करते रहे। हिंदुओं को जेहादियों का डर दिखाकर अपनी वोट की झोली भरते रहे और वोट लेने के बाद हिंदुओं को जेहादियों के सामने मरने के लिए छोड़ते रहे।
भाजपा का हिंदुत्व उन्हीं राज्यों में जागा जहां भाजपा सत्ता में नहीं थी। सत्ता मिलते ही भाजपा अपने मूल ऐजेंडे को भूलकर तृप्तिकरण और जाति की राजनीति करने लगी।
इन साढ़े नौ वर्षों में मोदी सरकार और भाजपा की विभिन्न राज्यों की सरकारें अपने हिंदुत्ववादी ऐजेंडे से दूर भागती और जातिवादी राजनीति को अपनाती दिखी। कई सारे ऐसे कार्य, जिन्हें जाति की राजनीति करने वाली पार्टियों ने अपने शासन में जानबूझकर नहीं किया या उनको टालती रहीं उन कार्यों को मोदी सरकार और भाजपा की सरकारों नें प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया
इस समय कुछ आवश्यक था तो Places of worship act 1991 को समाप्त किया जाना आवश्यक था ताकि करोड़ों करोड़ हिंदुओं को उनके मंदिर वापस मिल सकें।
इस समय कुछ आवश्यक था तो जनसंख्या नियंत्रण कानून आवश्यक था ताकि हम पांच हमारे पच्चीस के माध्यम से जो ये जनसांख्यिकी (demography) बदलने का खेल (जनसंख्या जेहाद) चल रहा उसे बंद कराया जा सके।
इस समय कुछ आवश्यक था तो वक्फ बोर्ड कानून 1954 को समाप्त किया जाना आवश्यक था ताकि इस कानून की आड़ में जो अवैध संपत्तियां बनाई गई है, जमीनों पर जो अवैध कब्जे किए गए हैं उनका निराकरण हो सके।
इस समय अगर कुछ आवश्यक था तो मदरसों पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक था ताकी जेहादी विचारों पर लगाम कसी जा सके।
इस समय यदि कुछ आवश्यक था तो गऊ माता वंदन अधिनियम आवश्यक था ताकी हिंदू आस्थाओं पर होता कुठाराघात रोका जा सके।
इस समय अगर कुछ आवश्यक था तो रोहिंग्या मुसलमानों और अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों को देश से बाहर निकालने की नीति बनाना और उस नीति को ईमानदारी से लागू करवाना आवश्यक था।
इस समय यदि कुछ आवश्यक था तो वो था समान नागरिक संहिता (UCC) और NRC जैसे लोक महत्व और देशहित के मुद्दे। UCC लागू करने की बात तो देश का संविधान भी कहता है और हिंदू हितैषी कमल दल का घोषणापत्र भी।
लेकिन हिंदू हित के इन मुद्दों पर स्वयं को हिंदू हितैषी कहने वाले दल की पूर्ण बहुमत की छप्पन इंची सीने वाली सरकार न सिर्फ अकर्मण्य रही अपितु उदासीन भी रही।
अभी हाल ही में New York Times की एक रिपोर्ट ने बताया कि भारत के कुछ पत्रकार चीन की दलाली खा रहे हैं। NewsClick नामक मीडिया संस्थान का नाम आया है।
वैसे इसमें चौंकने जैसा कुछ नहीं है पत्रकारों को ऐसे ही पत्तलकार नहीं कहा जाने लगा। भारत की सबसे पुरानी पार्टी ने तो M.O.U साइन कर रखा है चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से।
छोड़िए ये सब हम आते हैं मुख्य बात पर जिस पर सबका ध्यान होना चाहिए।
मुख्य बात है दलालों को दंड दिलाने की, मुख्य बात है भाजपा के वैचारिक रूप से विमुख होने की, मुख्य बात है वामपंथियों के भारत विरोधी हौसलों को तोड़ने की जिसमें शायद इस तथाकथित छप्पन इंची सरकार की कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं पड़ती है। ये मुद्दों पर हंगामा काटेंगे लेकिन कार्रवाई के नाम पर आपको शून्य बटा सन्नाटा ही मिलेगा।
छप्पन इंची हो तुम? राष्ट्रवादी हो? तो करो कार्रवाई उस डिजिटल जेहादी पर जिसने आधे अधूरे वीडियो डालकर लोगों का जीवन समाप्त करवा दिया।
मजे की बात ये है कि चीन पोषित इन्हीं वामपंथी पत्रकारों से कैरेक्टर सर्टिफिकेट पाने के लिए छप्पन इंची राष्ट्रवादी सरकार ने आदरणीय यशस्वी जी के कुशल नेतृत्व में अपनी विचारधारा तक से किनारा कर लिया है।
2014 का चुनाव जीतने के बाद PM मोदी ने कहा था कि चार साल राष्ट्र नीति के व एक साल राजनीति का।
लेकिन हालात ये है कि राष्ट्रनीति वाले समय के दौरान तृप्तिकरण के अलावा देखने को कुछ नहीं मिला और राजनीति वाले समय के दौरान हिंदुओं को छलने की राजनीति की जाती रही।
PFI पर प्रतिबंध लगाने के लिए नौ वर्षों का समय लिया गया। जो काम सरकार बनने के नौ माह के भीतर हो जाना चाहिए था उस काम को करने में नौ साल लग गए। इन नौ वर्षों में PFI ने कितना नुकसान किया वो मात्र एक शाहीन बाग को देखकर आप अनुमान लगाइए। खैर देर आए दुरुस्त आए।
मैंने जो कुछ लिखा है वो कोई राकेट साइंस नहीं है बहुत ही सामान्य सी बातें है कि इन चीन पोषित, भारत विरोधी वामपंथियों पर कार्रवाई होनी चाहिए… कि भारतीय जनता पार्टी को जातिवादी राजनीति छोड़कर अपनी विचारधारा के अनुरूप काम करना चाहिए… कि चौदह सौ साल से अतृप्त घूम रही आत्माओं को तृप्त करने जैसी दोयम दर्जे की, सड़ी गली नीति को तत्काल बंद किया जाना चाहिए।
बस इतना सब लिख इसलिए रहा हूं कि तथाकथित छप्पन इंची सरकार का घुटनों पर चलना आपको याद रहे।
तथाकथित हिंदू हितैषी कमल दल की वैचारिक अकर्मण्यता आपको याद रहे।
समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।
जय हिंद, जय भारत
साकेत अग्रवाल
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