डोनाल्ड ट्रम्प की जीत धर्मनिरपेक्षता की हार
द्वारा – रवीश कुमार
नमस्कार!मैं बहुत दिनों बाद रवीश कुमार ।
देश में ऐसा माहौल है कि कोई दिलजीत दोसांज का कोट मिल जाने पर रो रहा है,कोई विराट कोहली के आउट ऑफ फॉर्म रहने की दुआ पढ़ने के वक्त रो रहा है।रो सब रहे हैं लेकिन इस रुदन में जो सबसे महत्वपूर्ण रुदन है उसपर सब हंस रहे हैं।हम फर्जी देश प्रेमियों के प्रेरणास्रोत या ईमानदारी से कहो तो हमारे पिता समान देश अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनावों में एक अतिवादी और धृष्टता करने वाला अय्याश वृद्ध डोनाल्ड ट्रम्प जीत गया है।उसने हराया है विश्व की दूसरी सबसे ज्ञानवान शक्तिशाली ओजस्वी महिला कमला देवी हैरिस को।
मैं अमेरिका में क्या हुआ उससे चिंतित बिल्कुल नहीं हूँ।मैं भारत के लोगो के व्यवहार से चिंतित हूँ।यहां के राष्ट्रवादी लोग ट्रम्प के विजयी होने पर खुश हो रहे हैं और जो लोग ट्रंप की जीत से दुःखी हैं,उनका उपहास कर रहे हैं।
क्या गांधी और बुद्ध की धरती के हमारे देश के लोग भूल गए हैं कि चुनाव अमेरिका में हो रहा था,केरल में नहीं जहां मोदी जी की सांप्रदायिक पार्टी पहली बार जीती हो।आज ही मेरे गुरु सरदेसाई जी ने बताया था कि डोनाल्ड ट्रम्प एक अपराधी है।अब कोई मुझे बताये कि कोई ट्रम्प की का जश्न क्यों मनाया जाये?
अब कोई मुझसे ये ना पूछे कि फिर हम लोग खालिद उमर ब्रो की जमानत के लिए इतना उतावले क्यों रहते हैं ?तो भाई उमर नौजवान है,लड़का है।ट्रम्प तो बुड्ढा है।ट्रम्प की विजय के बाद जैसे फिरोजाबाद के मुकेश ने जश्न मनाया वो मुझे चिंतित करता है।क्या मुकेश ने यह नहीं सोचा कि सीमापुरी के साहेब पर इस जश्न से क्या बीतेगी?हमारा देश तो हमेशा से शांतिप्रिय रहा है।फिर इस बड़बोले ट्रम्प से इतना लगाव कैसे?
मुझे तो अब इस तथाकथित जेनरेशन जेड पर भी गुस्सा आता है।लग रहा है कि इनका प्रभाव हमारे देश में कुछ है ही नहीं।इस जेनरेशन जेड की प्रिय टेलर स्विफ्ट भी कमला जी का प्रचार कर रही थीं,फिर भी अपने देश की जनता का झुकाव ट्रम्प की तरफ था।क्या जेनरेशन जेड की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वे भारत देश के लोगो का मार्गदर्शन करें।मैं तो टेलर स्विफ्ट को बहुत प्रभावशाली मानता था ,लेकिन टेलर तो कुछ माहौल ही नहीं बना पाई।जब लोग श्रेया घोषाल को टेलर से अच्छा बताते तो मुझे गुस्सा आता था,लेकिन अब मैं टेलर को रानू मंडल जी से भी खराब गायिका मानता हूँ। ऐसी गायकी का क्या मतलब जब ट्रम्प ना संभले तुमसे।
कभी कभी मैं बाघ के करेजा वाले,लॉरेंस बिश्नोई को औकात दिखाने वाले पप्पू यादव जी के लिए बैड फील करता हूँ ,बेचारे को यदि भारत सरकार ने छूट दे दी होती तो अबतक मोदी के मित्र ट्रम्प को पप्पू जी पटखनी दे चुके होते।लेकिन ब्राह्मणवादी सिस्टम ने ओबीसी यादव जाति पप्पू जी से ये मौका भी छीन लिया।एक राजा जी है भद्री एस्टेट के।उन्होंने कमला जी का नाम बिगाड़ते हुए कहा कमला हारिस कहा।हारिस का अर्थ हारने से है।मैं पूछना चाहता जब देश में परछाई वाले प्रधानमंत्री राहुल गांधी जी का लाल किताब वाला संविधान लागू है,तब ये सामंतवादी महिला को हार से क्यों जोड़ रहे हैं?मैं पूछता हूं क्या कमला जी को हारने से जोड़ना चाहिए?जब हमने अपने इसी देश में ओलिम्पिक में 100 ग्राम वजन के ज्यादा होने पर अयोग्य घोषित होने वाली माननीय विनेश जी को खाप गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया था,तब ऐसा प्रावधान देश की बेटी कमला जी के लिए भी तो होना चाहिए।मैं सरकार से तो कोई उम्मीद ही नहीं रखता।
ट्रम्प के लिए सब लोग बहुत खुश हैं।कुछ लोगों ने ये भी कहा कि ट्रम्प विश्व के दूसरे सबसे ज्ञानी अर्थशास्त्री बंगलादेश के मोहम्मद यूनुस को ठिकाने लगा देगा। 2014 से पगलाई हुई कट्टर जनता इससे भी खुश है।
मैं पूछता हूं कि एक मुसलमान नोबेल विजेता से इतनी नफरत क्यों ?
मुझे समझ नहीं आता जब लोग ट्रम्प से जेलेन्सकी,युनुस आदि आदि को ठिकाने लगाने के लिए कह रहे हैं तो मुझे जो ये दिन रात कोसते हैं वे मेरे लिए क्या क्या सोचकर रखें होंगे ?अभी कोई कहेगा कि मैं इतना प्रासंगिक थोड़ी ही रह गया हूँ।लेकिन मुझे और सलीम भाईजान को लगता है कि मैं जरूरी हूँ तो फिर मैं जरूरी ही हूँ।
हमारे देश की जनता ट्रम्प के लिये पगलाई हुई है।ट्रम्प कितना घृणित व्यक्ति है,उसकी बानगी ये है कि वो इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करना चाहता।भला ये भी कोई चीज है खत्म करने की। जहां उस अय्याश वृद्ध डोनाल्ड ट्रम्प को और नए प्रकार के जेंडर सोचने चाहिए वहां वो ऐसी अप्रासंगिक चीजों पर हल्ला कर रहा है।
मैं अमेरिका की जनता को समझदार मानता था लेकिन मैं ही मासूम निकला।
अमेरिकी ब्रो लोग हमको महिला अधिकारों ,अल्पसंख्यक अधिकारों पर इतना ज्ञान देते है लेकिन उन्होंने एक अश्वेत लिबरल महिला को वोट नहीं दिया।शायद अमरीकी भाई भी अब कट्टर हो गए हैं 2014 के बाद।
मैं तो अपने उन दोस्तो की चिंता में दुबला हुआ जा रहा जिन्होंने ट्रम्प को 2020 में हारने पर चिढ़ाया था ,भक्तों की आर्मी जो फ्री में ट्रम्प की सेना बनी हुई है वो मेरे भाइयों का क्या हश्र करेगी?ये सोच के दिल घबराता है।
ट्रम्प का दावा है कि वो सारे युद्ध रोक देगा।बताइये भला युद्ध रोक देंगे तो लोग टीवी पर टाइम पास क्या देखकर करेंगे।वृद्ध जन युद्ध की कमी से ऊब जाएंगे।जिससे वे मानसिक रूप से थक जाएंगे। इस कारण उनकी मृत्यु भी हो सकती है।ट्रम्प अनजाने में भारत में औसत मृत्यु आयु 60 से कम लाना चाहता है।भारत विरोधी ट्रम्प का ये चेहरा कोई देख ही नहीं रहा।
ट्रम्प के साथी और एक्स के मालिक एलन मस्क ने किसी क्षमता (Efficiency) विभाग की स्थापना की बात की थी।
बताइये यदि ये विभाग बने और मेरे प्रिय जेएनयू के वामपंथी प्रोफेसरों की कार्य कुशलता और क्षमता की जांच भारत में भी होने लगे तो कितने ही लोग बेरोजगार हो जाएंगे।यानी ट्रम्प रोजगार विरोधी भी है।ट्रम्प की इतनी खामियों के बाद भी अमेरिका ने उसे चुन लिया है।
मैं अमेरिका को आज से एक गरीब,भिखारी और बकलोल राष्ट्र घोषित करता हूँ।अब कोई सोचेगा कि मेरी घोषणा से क्या फर्क पड़ता है।
मैं पूछता हूँ,फर्क तो मेरे सांस लेने से भी आपको नहीं पड़ता होगा,लेकिन यदि मैं सांस ले सकता हूँ तो अमेरिका को कोई भी टैग दे सकता हूँ ।आजादी है मेरी।
चाहे कुछ भी हो मैं कमला जी को ही अपना राष्ट्रपति मानूंगा और रवीश समाज भी ऐसा ही करेगा।राहुल जी जब देश का एक्सरे करेंगे तब उस एक्सरे रिपोर्ट की जांच कमला जी ही करेंगी।कमला जी भले ही हार गई हों लेकिन हमें उनको विजयी ही समझना है।
ट्रम्प को जब ब्राह्मणवादी दयानंद तिवारी बताकर अपना सकते है, तो हम भी देश की बेटी कमला जी को अपना राष्ट्रपति मान सकते हैं।
अतः मैं घोषणा करता हूँ कि ट्रम्प भले सफेद घर (व्हाइट हाउस) कब्जा ले लेकिन असली राष्ट्रपति कमला जी ही रहेंगी।ट्रम्प के नीति नियम भले अमेरिका हितैषी हो सकते हैं,लेकिन जब पीलीभीत का प्रकाश,नोएडा का नरेश,बहराइच का बलदेव और कानपुर का किशन कुमार अमेरिका के ट्रम्प की जीत का जश्न मना सकता है,तो हम कम से कम कमला जी के दुख में शरीक होकर उन्हें खाप राष्ट्रपति प्रमाण पत्र देकर ढांढस बंधा ही सकते हैं।
आज से 80 वर्ष पूर्व भले कभी दिल्ली चलो का नारा लगा हो, लेकिन आज अमेरिका चलो नारे का वक्त आ गया है।अमेरिका का भविष्य हम रवीश समाजी लोगो के हाथ में ही है।
जय कमला देवी हैरिस की।
सांप्रदायिक ताकतों से हमारा युद्ध अनवरत चलता रहेगा, इस्लाम और ईसाइयत को मानने वाले लोगों के सहयोग से!
राहुल दुबे
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